मेरठ के कैपिटल अस्पताल में लिफ्ट गिरने से प्रसूता करिश्मा की मौत हो गई। क्या लिफ्ट में अचानक खराबी आ गई? भास्कर टीम इसका जवाब जानने अस्पताल तक पहुंची। स्टाफ की ओर से बताया गया कि 2 महीने से लिफ्ट का मेंटेनेंस नहीं करवाया गया था। लिफ्ट फंस-फंसकर चल रही थी। यह भी सामने आया कि लिफ्ट की देखभाल गैर प्रशिक्षित स्टाफ के हाथों में थी। मरीजों ने भी अस्पताल के मैनेजमेंट से लिफ्ट को लेकर शिकायतें की थीं। मगर कोई एक्शन नहीं हुआ। नतीजा, 5 दिसंबर की शाम 5.44 बजे लिफ्ट का बैंड टूट गया और लिफ्ट नीचे गिर गई। हादसे में एक बच्ची को जन्म देने वाली करिश्मा की मौत हो गई। अंकुश ने कहा- पहले मैं चढ़ा, कहा भी कि कुछ गड़बड़ है
भास्कर ने अस्पताल स्टाफ और करिश्मा के पति अंकुश से बात की। सामने आया कि गुरुवार को करिश्मा को लिफ्ट में लाने से पहले अंकुश अपने रिश्तेदार के साथ लिफ्ट में आए थे। तब भी लिफ्ट चलते-चलते झटके ले रही थी। स्टाफ से कहा भी गया, मगर कुछ सुनवाई नहीं हुई। इसके बावजूद अस्पताल स्टाफ ने करिश्मा को लाने के लिए उसी खराब लिफ्ट का इस्तेमाल किया। अंकुश ने बताया- पहले लिफ्ट से ही करिश्मा को OT में ले जाना था, लेकिन लिफ्ट उस समय पूरी तरह बंद थी। इसलिए मरीज को सीढ़ियों से पहली मंजिल पर OT में ले जाया गया। लेकिन ऑपरेशन के बाद जब लिफ्ट चलने लगी तो मरीज को उसी से नीचे लाया जाने लगा, इसी बीच हादसा हो गया। साल में 4 बार होना चाहिए लिफ्ट का मेंटेनेंस
लिफ्ट एक्सपर्ट्स कहते हैं- नियमों के अनुसार लिफ्ट का साल में 4 बार मेंटेनेंस होना चाहिए। लिफ्ट से उतरने-चढ़ने वालों की जानकारी के लिए बाकायदा एक सर्टिफिकेट चस्पा होता है। इसमें मेंटेनेंस की तारीख और एजेंसी का नाम-पता लिखा होता है। इसके साथ ही अस्पताल जैसी जगहों पर एक एक्सपर्ट लिफ्ट मैन होना भी जरूरी है। क्या लिफ्ट का मेंटेनेंस हो रहा था? ये सवाल भास्कर टीम ने अस्पताल के स्टाफ से ही किया। बिना कैमरा पर आए, एक कर्मी ने बताया कि 2 महीने से कोई चेकिंग नहीं हुई। इससे पहले पिछले 1 साल से गैर प्रशिक्षित स्टाफ से ही लिफ्ट की जांच करवाई जा रही थी। हर बार वो लोग अच्छी रिपोर्ट दे देते थे। इस लिफ्ट में कोई एक्सपर्ट लिफ्टमैन नहीं था। हादसे के बाद कैपिटल अस्पताल को CMO मेरठ ने सील करवा दिया। अस्पताल के कर्मचारियों को मीडिया में बयान देने से मना किया गया है। इन पर हुआ मुकदमा वहीं, FIR में कैपिटल हॉस्पिटल के मालिक कपिल त्यागी और डॉ. राजीव भूषण अग्रवाल के नाम भी लिखे हैं। मगर उन्हें अभी आरोपी नहीं बनाया गया है। अब FIR के 3 पॉइंट पढ़िए
1. डॉ. कविता के कहने पर कैपिटल हॉस्पिटल गए
अंकुश ने लिखा- मेरी पत्नी करिश्मा का इलाज डॉ. कविला भाटिया से चल रहा था। डॉ. कविता ने कहा- मैं कैपिटल हॉस्पिटल में ऑपरेशन करती हूं। वहीं पर ऑपरेशन करुंगी। वहीं ऑपरेशन भी हुआ, इसके बाद हॉस्पिटल के दो पुरुष कर्मचारी राजा और प्रिंस लिफ्ट से मरीज को नीचे ला रहे थे। इसी बीच लिफ्ट टूट गई। करिश्मा की मौत हो गई। 2. अस्पताल से मदद नहीं, रिश्तेदारों ने निकाला
पीड़ित पक्ष की ओर से FIR में इस बात का जिक्र है कि करिश्मा को दबा देख सभी कर्मचारी वहां से फरार हो गए। अंकुश ने रिश्तेदारों को बुलाकर लिफ्ट से करिश्मा को निकलवाया। तब तक दबे हुए लगभग एक घंटा हो चुका था। करिश्मा को लिफ्ट से निकाले जाने के बाद वहां पर मौजूद कर्मियों से इलाज के लिए कहा गया। उन्होंने डॉ. कविता भाटिया, प्रबन्धक नरेन्द्र व कैपिटल हास्पिटल के मालिक से बात की। इसके बाद बताया कि हम इस समय इलाज नहीं कर सकते, किसी और हास्पिटल में ले जाओ। 3. मिलिट्री हॉस्पिटल में 15 मिनट बाद ही मौत
अंकुश ने बताया कि करिश्मा को इलाज न मिलने पर हम लोग मिलिट्री हॉस्पिटल पहुंचे। वहां भर्ती होने के 15 मिनट बाद ही करिश्मा की सांस थम गई। कैपिटल हॉस्पिटल के डॉक्टर और कर्मचारियों की लापरवाही से हादसा हुआ। अगर खराब लिफ्ट का इस्तेमाल नहीं किया जाता, तो करिश्मा जिंदा होती। हादसे के बाद करिश्मा को निकालने में देरी की गई। फिर इलाज भी नहीं दिया गया। घर पहुंची बच्ची, कॉटन फीडिंग करवाई जा रही
करिश्मा की एक दिन की नवजात बेटी शुक्रवार शाम अपने घर पहुंच गई। उसे इलाज के लिए संतोष अस्पताल में भर्ती कराया गया था। डॉक्टरों ने बताया कि बच्ची फिलहाल पूरी तरह से स्वस्थ है। नवजात को मां का दूध मिलना चाहिए लेकिन बच्ची की मां नहीं है, इसलिए उसे कॉटन फीडिंग करानी पड़ रही है। सपा विधायक बोले- यह हादसा नहीं हत्या
विधायक अतुल प्रधान ने CMO अशोक कटारिया से मुलाकात की। अतुल प्रधान ने कहा- यह हादसा नहीं हत्या है। उन्होंने कार्यकर्ताओं के साथ CMO कार्यालय पर प्रदर्शन किया। कहा कि पहले भी अस्पताल की व्यवस्था को लेकर सवाल उठाता रहा हूं। इस मामले में आरोपियों पर सख्त कार्रवाई करने की मांग रखी है। अब पढ़िए अफसर क्या कहते हैं…
समिति से कराएंगे जांच
डीएम दीपक मीणा ने बताया कि करिश्मा के परिजनों की तरफ से मिली तहरीर पर मुकदमा दर्ज हो चुका है। सीएमओ से पूरी घटना की जांच एक समिति से कराने का आदेश दिया है। समिति की जांच रिपोर्ट आने तक अस्पताल को सील कर दिया गया है। अब तक पुलिस इस मामले में किसी की गिरफ्तारी नहीं कर सकी है।
लाइसेंस हुआ सस्पेंड
CMO डॉ. अशोक कटारिया ने बताया- अस्पताल की लिफ्ट में तकनीकी खराबी के कारण ये हादसा हुआ। अस्पताल को बंद कराया है, अस्पताल का लाइसेंस भी सस्पेंड कर दिया है। पूरी घटना की जांच समिति से कराएंगे। जिले के दूसरे अस्पतालों को भी लेटर जारी करके लिफ्ट संचालन की स्थिति से अवगत कराने की रिपोर्ट 7 दिन में मांगी है।
….. घटना से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें:- मेरठ के अस्पताल में लिफ्ट गिरी, महिला की मौत:डॉक्टर समेत 3 लोग घायल, तीमारदारों ने अस्पताल में की तोड़फोड़ मेरठ के कैपिटल अस्पताल में गुरुवार को अचानक लिफ्ट का बैंड टूट गया। इससे लिफ्ट टूट कर जमीन पर गिर गई। इससे लिफ्ट में सवार प्रसूता की गर्दन फंस गई और उसकी मौके पर ही मौत हो गई। लिफ्ट में महिला समेत 4 लोग सवार थे। पढ़ें पूरी खबर मेरठ के कैपिटल अस्पताल में लिफ्ट गिरने से प्रसूता करिश्मा की मौत हो गई। क्या लिफ्ट में अचानक खराबी आ गई? भास्कर टीम इसका जवाब जानने अस्पताल तक पहुंची। स्टाफ की ओर से बताया गया कि 2 महीने से लिफ्ट का मेंटेनेंस नहीं करवाया गया था। लिफ्ट फंस-फंसकर चल रही थी। यह भी सामने आया कि लिफ्ट की देखभाल गैर प्रशिक्षित स्टाफ के हाथों में थी। मरीजों ने भी अस्पताल के मैनेजमेंट से लिफ्ट को लेकर शिकायतें की थीं। मगर कोई एक्शन नहीं हुआ। नतीजा, 5 दिसंबर की शाम 5.44 बजे लिफ्ट का बैंड टूट गया और लिफ्ट नीचे गिर गई। हादसे में एक बच्ची को जन्म देने वाली करिश्मा की मौत हो गई। अंकुश ने कहा- पहले मैं चढ़ा, कहा भी कि कुछ गड़बड़ है
भास्कर ने अस्पताल स्टाफ और करिश्मा के पति अंकुश से बात की। सामने आया कि गुरुवार को करिश्मा को लिफ्ट में लाने से पहले अंकुश अपने रिश्तेदार के साथ लिफ्ट में आए थे। तब भी लिफ्ट चलते-चलते झटके ले रही थी। स्टाफ से कहा भी गया, मगर कुछ सुनवाई नहीं हुई। इसके बावजूद अस्पताल स्टाफ ने करिश्मा को लाने के लिए उसी खराब लिफ्ट का इस्तेमाल किया। अंकुश ने बताया- पहले लिफ्ट से ही करिश्मा को OT में ले जाना था, लेकिन लिफ्ट उस समय पूरी तरह बंद थी। इसलिए मरीज को सीढ़ियों से पहली मंजिल पर OT में ले जाया गया। लेकिन ऑपरेशन के बाद जब लिफ्ट चलने लगी तो मरीज को उसी से नीचे लाया जाने लगा, इसी बीच हादसा हो गया। साल में 4 बार होना चाहिए लिफ्ट का मेंटेनेंस
लिफ्ट एक्सपर्ट्स कहते हैं- नियमों के अनुसार लिफ्ट का साल में 4 बार मेंटेनेंस होना चाहिए। लिफ्ट से उतरने-चढ़ने वालों की जानकारी के लिए बाकायदा एक सर्टिफिकेट चस्पा होता है। इसमें मेंटेनेंस की तारीख और एजेंसी का नाम-पता लिखा होता है। इसके साथ ही अस्पताल जैसी जगहों पर एक एक्सपर्ट लिफ्ट मैन होना भी जरूरी है। क्या लिफ्ट का मेंटेनेंस हो रहा था? ये सवाल भास्कर टीम ने अस्पताल के स्टाफ से ही किया। बिना कैमरा पर आए, एक कर्मी ने बताया कि 2 महीने से कोई चेकिंग नहीं हुई। इससे पहले पिछले 1 साल से गैर प्रशिक्षित स्टाफ से ही लिफ्ट की जांच करवाई जा रही थी। हर बार वो लोग अच्छी रिपोर्ट दे देते थे। इस लिफ्ट में कोई एक्सपर्ट लिफ्टमैन नहीं था। हादसे के बाद कैपिटल अस्पताल को CMO मेरठ ने सील करवा दिया। अस्पताल के कर्मचारियों को मीडिया में बयान देने से मना किया गया है। इन पर हुआ मुकदमा वहीं, FIR में कैपिटल हॉस्पिटल के मालिक कपिल त्यागी और डॉ. राजीव भूषण अग्रवाल के नाम भी लिखे हैं। मगर उन्हें अभी आरोपी नहीं बनाया गया है। अब FIR के 3 पॉइंट पढ़िए
1. डॉ. कविता के कहने पर कैपिटल हॉस्पिटल गए
अंकुश ने लिखा- मेरी पत्नी करिश्मा का इलाज डॉ. कविला भाटिया से चल रहा था। डॉ. कविता ने कहा- मैं कैपिटल हॉस्पिटल में ऑपरेशन करती हूं। वहीं पर ऑपरेशन करुंगी। वहीं ऑपरेशन भी हुआ, इसके बाद हॉस्पिटल के दो पुरुष कर्मचारी राजा और प्रिंस लिफ्ट से मरीज को नीचे ला रहे थे। इसी बीच लिफ्ट टूट गई। करिश्मा की मौत हो गई। 2. अस्पताल से मदद नहीं, रिश्तेदारों ने निकाला
पीड़ित पक्ष की ओर से FIR में इस बात का जिक्र है कि करिश्मा को दबा देख सभी कर्मचारी वहां से फरार हो गए। अंकुश ने रिश्तेदारों को बुलाकर लिफ्ट से करिश्मा को निकलवाया। तब तक दबे हुए लगभग एक घंटा हो चुका था। करिश्मा को लिफ्ट से निकाले जाने के बाद वहां पर मौजूद कर्मियों से इलाज के लिए कहा गया। उन्होंने डॉ. कविता भाटिया, प्रबन्धक नरेन्द्र व कैपिटल हास्पिटल के मालिक से बात की। इसके बाद बताया कि हम इस समय इलाज नहीं कर सकते, किसी और हास्पिटल में ले जाओ। 3. मिलिट्री हॉस्पिटल में 15 मिनट बाद ही मौत
अंकुश ने बताया कि करिश्मा को इलाज न मिलने पर हम लोग मिलिट्री हॉस्पिटल पहुंचे। वहां भर्ती होने के 15 मिनट बाद ही करिश्मा की सांस थम गई। कैपिटल हॉस्पिटल के डॉक्टर और कर्मचारियों की लापरवाही से हादसा हुआ। अगर खराब लिफ्ट का इस्तेमाल नहीं किया जाता, तो करिश्मा जिंदा होती। हादसे के बाद करिश्मा को निकालने में देरी की गई। फिर इलाज भी नहीं दिया गया। घर पहुंची बच्ची, कॉटन फीडिंग करवाई जा रही
करिश्मा की एक दिन की नवजात बेटी शुक्रवार शाम अपने घर पहुंच गई। उसे इलाज के लिए संतोष अस्पताल में भर्ती कराया गया था। डॉक्टरों ने बताया कि बच्ची फिलहाल पूरी तरह से स्वस्थ है। नवजात को मां का दूध मिलना चाहिए लेकिन बच्ची की मां नहीं है, इसलिए उसे कॉटन फीडिंग करानी पड़ रही है। सपा विधायक बोले- यह हादसा नहीं हत्या
विधायक अतुल प्रधान ने CMO अशोक कटारिया से मुलाकात की। अतुल प्रधान ने कहा- यह हादसा नहीं हत्या है। उन्होंने कार्यकर्ताओं के साथ CMO कार्यालय पर प्रदर्शन किया। कहा कि पहले भी अस्पताल की व्यवस्था को लेकर सवाल उठाता रहा हूं। इस मामले में आरोपियों पर सख्त कार्रवाई करने की मांग रखी है। अब पढ़िए अफसर क्या कहते हैं…
समिति से कराएंगे जांच
डीएम दीपक मीणा ने बताया कि करिश्मा के परिजनों की तरफ से मिली तहरीर पर मुकदमा दर्ज हो चुका है। सीएमओ से पूरी घटना की जांच एक समिति से कराने का आदेश दिया है। समिति की जांच रिपोर्ट आने तक अस्पताल को सील कर दिया गया है। अब तक पुलिस इस मामले में किसी की गिरफ्तारी नहीं कर सकी है।
लाइसेंस हुआ सस्पेंड
CMO डॉ. अशोक कटारिया ने बताया- अस्पताल की लिफ्ट में तकनीकी खराबी के कारण ये हादसा हुआ। अस्पताल को बंद कराया है, अस्पताल का लाइसेंस भी सस्पेंड कर दिया है। पूरी घटना की जांच समिति से कराएंगे। जिले के दूसरे अस्पतालों को भी लेटर जारी करके लिफ्ट संचालन की स्थिति से अवगत कराने की रिपोर्ट 7 दिन में मांगी है।
….. घटना से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें:- मेरठ के अस्पताल में लिफ्ट गिरी, महिला की मौत:डॉक्टर समेत 3 लोग घायल, तीमारदारों ने अस्पताल में की तोड़फोड़ मेरठ के कैपिटल अस्पताल में गुरुवार को अचानक लिफ्ट का बैंड टूट गया। इससे लिफ्ट टूट कर जमीन पर गिर गई। इससे लिफ्ट में सवार प्रसूता की गर्दन फंस गई और उसकी मौके पर ही मौत हो गई। लिफ्ट में महिला समेत 4 लोग सवार थे। पढ़ें पूरी खबर उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर