हरियाणा में आम आदमी पार्टी (AAP) ने दिल्ली चुनाव से पहले कांग्रेस को झटका दिया है। आप ने घोषणा की है कि वह जनवरी में शुरू होने वाले नगर निगम चुनाव अकेले लड़ेगी। पार्टी अध्यक्ष सुशील गुप्ता ने कहा कि पार्टी के उम्मीदवार अपने चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ेंगे। जल्द ही नगर निगमों और परिषदों के उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की जाएगी। गुप्ता ने कहा कि अगर कांग्रेस ने हरियाणा में आप के साथ गठबंधन करके विधानसभा चुनाव लड़ा होता तो मौजूदा नतीजे निश्चित रूप से अलग होते। कांग्रेस हाईकमान की मंशा आप के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ने की थी, लेकिन हरियाणा के नेताओं की वजह से गठबंधन नहीं हो सका और इससे नतीजे भी बदल गए। लोकसभा साथ लड़े, विधानसभा अलग हरियाणा में 2024 के लोकसभा चुनाव में आप और कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़ा था। कांग्रेस ने राज्य की दस लोकसभा सीटों में से एक सीट कुरुक्षेत्र आप को दी थी, जहां से पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुशील गुप्ता चुनाव लड़े थे। हालांकि वे चुनाव हार गए, लेकिन 9 विधानसभा सीटों में से चार सीटें ऐसी थीं, जहां आप उम्मीदवार जीते थे। कुछ महीने बाद हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और आप अलग हो गए। सीटों पर सहमति न बन पाने के कारण दोनों दलों के बीच गठबंधन नहीं हो सका। AAP को कांग्रेस का 4+1 फॉर्मूला समझ नहीं आया हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की तरफ से AAP को 4+1 फॉर्मूला यानी 5 सीट का ऑफर दिया गया था। इनमें जींद, कलायत, पानीपत (ग्रामीण), गुरुग्राम और पिहोवा सीट शामिल थी। हालांकि, AAP ओल्ड फरीदाबाद सहित 10 सीटों की मांग कर रही थी। कांग्रेस के नेताओं ने इसका विरोध किया, जिसके कारण दोनों पार्टियों में गठबंधन नहीं हो पाया। राहुल गांधी ने बनाया गठबंधन का प्लान कांग्रेस नेता राहुल गांधी की तरफ से गठबंधन की पहल की गई थी। राहुल ने AAP से बातचीत के लिए 4 सदस्यों की कमेटी बनाई थी। इसमें पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल के अलावा पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा, प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया और प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान को रखा गया था। चूंकि उस समय AAP के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल जेल में थे, इसलिए पार्टी की ओर से गठबंधन की बात के लिए राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा को जिम्मेदारी दी गई थी। हरियाणा में आम आदमी पार्टी (AAP) ने दिल्ली चुनाव से पहले कांग्रेस को झटका दिया है। आप ने घोषणा की है कि वह जनवरी में शुरू होने वाले नगर निगम चुनाव अकेले लड़ेगी। पार्टी अध्यक्ष सुशील गुप्ता ने कहा कि पार्टी के उम्मीदवार अपने चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ेंगे। जल्द ही नगर निगमों और परिषदों के उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की जाएगी। गुप्ता ने कहा कि अगर कांग्रेस ने हरियाणा में आप के साथ गठबंधन करके विधानसभा चुनाव लड़ा होता तो मौजूदा नतीजे निश्चित रूप से अलग होते। कांग्रेस हाईकमान की मंशा आप के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ने की थी, लेकिन हरियाणा के नेताओं की वजह से गठबंधन नहीं हो सका और इससे नतीजे भी बदल गए। लोकसभा साथ लड़े, विधानसभा अलग हरियाणा में 2024 के लोकसभा चुनाव में आप और कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़ा था। कांग्रेस ने राज्य की दस लोकसभा सीटों में से एक सीट कुरुक्षेत्र आप को दी थी, जहां से पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुशील गुप्ता चुनाव लड़े थे। हालांकि वे चुनाव हार गए, लेकिन 9 विधानसभा सीटों में से चार सीटें ऐसी थीं, जहां आप उम्मीदवार जीते थे। कुछ महीने बाद हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और आप अलग हो गए। सीटों पर सहमति न बन पाने के कारण दोनों दलों के बीच गठबंधन नहीं हो सका। AAP को कांग्रेस का 4+1 फॉर्मूला समझ नहीं आया हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की तरफ से AAP को 4+1 फॉर्मूला यानी 5 सीट का ऑफर दिया गया था। इनमें जींद, कलायत, पानीपत (ग्रामीण), गुरुग्राम और पिहोवा सीट शामिल थी। हालांकि, AAP ओल्ड फरीदाबाद सहित 10 सीटों की मांग कर रही थी। कांग्रेस के नेताओं ने इसका विरोध किया, जिसके कारण दोनों पार्टियों में गठबंधन नहीं हो पाया। राहुल गांधी ने बनाया गठबंधन का प्लान कांग्रेस नेता राहुल गांधी की तरफ से गठबंधन की पहल की गई थी। राहुल ने AAP से बातचीत के लिए 4 सदस्यों की कमेटी बनाई थी। इसमें पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल के अलावा पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा, प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया और प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान को रखा गया था। चूंकि उस समय AAP के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल जेल में थे, इसलिए पार्टी की ओर से गठबंधन की बात के लिए राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा को जिम्मेदारी दी गई थी। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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