राम रहीम बोला– लड़कियां बुरे कर्म की कसूरवार नहीं:आदमी महापाप करता है, वह उसका टाइम था; साध्वियों के यौन शोषण केस में उम्रकैद काट रहा

राम रहीम बोला– लड़कियां बुरे कर्म की कसूरवार नहीं:आदमी महापाप करता है, वह उसका टाइम था; साध्वियों के यौन शोषण केस में उम्रकैद काट रहा

डेरा सच्चा सौदा चीफ राम रहीम का कहना है कि लड़कियों के साथ जो बुरा कर्म करता है, यह जरूरी नहीं कि इसमें लड़कियों की गलती हो। आदमी महापाप करता है, जिसकी वजह से उन्हें ये भोगना पड़ता है। वह उसका टाइम था। राम रहीम ने ये बातें ऑनलाइन सत्संग के दौरान श्रद्धालु के एक सवाल के जवाब में कही। यह बात इसलिए अहम है क्योंकि राम रहीम को भी डेरे की साध्वियों के यौन शोषण केस में दोषी ठहराया जा चुका है। इसी केस में राम रहीम रोहतक की सुनारिया जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है। साध्वियों के यौन शोषण मामले से ही 2 हत्याकांडों में भी राम रहीम फंसा। जिसमें डेरा मैनेजर रणजीत की हत्या साध्वियों के यौन शोषण की चिट्‌ठी लिखवा लीक करने और पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या उस चिट्‌ठी को छापने के शक में करने का आरोप है। श्रद्धालु का सवाल और राम रहीम का पूरा जवाब
श्रद्धालु: लड़कियों के साथ जो बुरा कर्म करता है या उनको मार देता है तो क्या वह लड़कियों के कर्मों का फल है?। राम रहीम: जरूरी नहीं कि ये उनके कर्मों का फल हो। ये खुद मुख्तारी से आदमी महापाप करता है। जिसकी वजह से उन्हें ये भोगना पड़ता है। इसलिए, इसमें बच्ची का क्या दोष रहा, करने वाले ने किया। लेकिन, उसका टाइम था, उसका वो समय था। राम रहीम के साध्वियों से जुड़ा यौन शोषण केस क्या है… 2002: एक गुमनाम चिट्ठी और फंसता चला गया राम रहीम
13 मई 2002 को उस वक्त के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के दफ्तर में एक चिट्ठी पहुंचती है। ये चिट्ठी एक गुमनाम साध्वी की आपबीती जैसी थी, जिसमें डेरा सच्चा सौदा के चीफ राम रहीम पर यौन शोषण के आरोप लगाए गए थे। प्रधानमंत्री दफ्तर में राम रहीम कांड के खुलासे करने वाली उस गुमनाम चिट्ठी के कुछ हिस्सों को पढ़िए… सेवा में, माननीय प्रधानमंत्री जी श्री अटल बिहारी वाजपेयी, भारत सरकार विषय : डेरे के महाराज द्वारा सैकड़ों लड़कियों से बलात्कार की जांच कराएं। श्रीमान जी, मैं पंजाब की रहने वाली हूं। बीएस पास हूं और 5 साल से डेरा सच्चा सौदा सिरसा, हरियाणा में साधु लड़की के रूप में कार्य कर रही हूं। मेरे परिवार के सदस्य महाराज के अंध श्रद्धालु हैं, उनके कहने पर मैं डेरे में साधु बनी थी। साधु बनने के 2 साल बाद एक दिन महाराज गुरमीत की परम शिष्या साधु गुरुजोत ने रात के 10 बजे मुझे बताया कि आपको पिताजी ने गुफा में बुलाया है। मैं पहली बार वहां जा रही थी, इसलिए बहुत खुश थी। गुफा में ऊपर जाकर जब मैंने देखा महाराज बेड पर बैठे हैं। हाथ में रिमोट है, सामने टीवी पर गंदी फिल्म चल रही है। बेड पर सिरहाने की ओर रिवॉल्वर रखा हुआ है। मैं यह सब देखकर हैरान रह गई। मुझे चक्कर आने लगे। मैं समझ नहीं पा रही थी कि यह क्या हो रहा है। महाराज ऐसे होंगे? महाराज ने टीवी बंद किया व मुझे साथ बैठाकर पानी पिलाया और कहा कि मैंने तुम्हें अपनी खास प्यारी समझकर बुलाया है। मेरा यह पहला दिन था। महाराज ने मुझे बांहों में लेते हुए कहा कि हम तुझे दिल से चाहते हैं। तुम्हारे साथ प्यार करना चाहते हैं, क्योंकि तुमने साधु बनते वक्त कहा था कि तन-मन-धन सब सतगुरु को अर्पण है। तो अब तुम्हारा तन-मन हमारा है। जब मैंने पूछा कि क्या यह भगवान का काम है तो उन्होंने कहा- ‘श्रीकृष्ण भगवान थे, उनके यहां 360 गोपियां थीं, जिनसे वह हर रोज प्रेम लीला करते थे, फिर भी लोग उन्हें परमात्मा मानते हैं, यह कोई नई बात नहीं है।’ आज मुझको पता चला कि मेरे से पहले जो लड़कियां रहती थीं, उन सबके साथ मुंह काला किया गया है। बीए, एमए, बीएड, एमफिल पास लड़कियां अंधविश्वास के कारण नरक का जीवन जी रही हैं। मैं मजबूर हूं। यहां सतगुरु का आदेश मानना पड़ता है। यहां कोई भी दो लड़कियां आपस में बात नहीं कर सकतीं। घरवालों को टेलीफोन मिलाकर बात नहीं कर सकतीं। कोई लड़की डेरे की इस सच्चाई के बारे में बात करती है तो महाराज का हुक्म है कि उसका मुंह बंद कर दो। प्रार्थी एक निर्दोष जलालत का जीवन जीने को मजबूर। 1100 शब्दों में लिखे गए इस पत्र से 400 शब्दों का मजमून आपने यहां पढ़ा। ये पत्र PM कार्यालय के अलावा पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के पास भी भेजा गया था। इसके बावजूद राम रहीम पर दोनों राज्यों की पुलिस ने केस दर्ज नहीं किया। 2003: गुमनाम चिट्ठी से हुए खुलासे के बाद दो कत्ल
CBI ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया है कि जिस वक्त यह गुमनाम चिट्‌ठी बाहर आई, उस समय रणजीत सिंह डेरे में मैनेजर था। रणजीत की बहन डेरे में साध्वी थी। डेरा प्रमुख राम रहीम को शक था कि रणजीत ने ही अपनी बहन से यह चिट्‌ठी लिखवाई है। 10 जुलाई 2002 को रणजीत सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई। अभी रणजीत सिंह हत्या की गुत्थी सुलझी भी नहीं थी कि 19 अक्टूबर की रात अखबार में चिट्ठी छापने वाले पत्रकार रामचंद्र छत्रपति पर जानलेवा हमला हुआ। सिरसा में उनके घर के आगे ही कुछ लोगों ने रामचंद्र पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाईं, जिसमें वो गंभीर रूप से घायल हो गए। करीब एक महीने तक दिल्ली के एक अस्पताल में इलाज के दौरान 21 नवंबर को उनकी मौत हो गई। दोनों हत्याओं के करीब एक साल बाद 10 नवम्बर 2003 को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने इस मामले में CBI जांच का आदेश दिया। राम रहीम दोषी करार, हिंसक हुई भक्तों की भीड़
25 अगस्त 2017 को पंचकूला के CBI कोर्ट में फैसला सुनाया जाना था। यहां सुरक्षा के लिए CRPF की 97 कंपनियों के साथ, रैपिड एक्शन फोर्स की 16, सशस्त्र सीमा बल यानी SSB की 37, ITBP की 12 और BSF की 21 कंपनियां तैनात की गई थीं। इसके अलावा हरियाणा पुलिस की 10 अन्य कंपनियों की तैनाती की गई थी। पंचकूला और सिरसा में कर्फ्यू लगाया गया, जबकि हरियाणा और पंजाब के आधे दर्जन जिलों में हिंसा रोकने के लिए धारा 144 लगाई गई थी। इसके बावजूद हरियाणा, पंजाब और राजस्थान से राम रहीम के भक्त पंचकूला पहुंच रहे थे। 25 अगस्त की दोपहर करीब 3 बजे जैसे ही फैसले की खबर कोर्ट के बाहर मौजूद अनुयायियों तक पहुंची, भीड़ हिंसक हो उठी। देखते ही देखते हरियाणा, पंजाब और दिल्ली के कई इलाकों में राम रहीम के भक्त सड़क पर उतर आए। पंजाब में डेरा समर्थकों ने मलौत, बलुआना और डागरू रेलवे स्टेशन पर आगजनी की। दिल्ली के आनंद विहार में खड़ी रीवा एक्सप्रेस के खाली पड़े दो कोच में भी आग लगा दी गई। पत्रकारों पर जानलेवा हमला किया गया। मीडिया वैन में आग लगाने की कोशिश हुई। प्रदर्शन के दौरान सबसे ज्यादा हिंसक घटनाएं फैसला सुनाए जाने वाली जगह पंचकूला और डेरा के मुख्यालय सिरसा में हुईं। इस हिंसा में कुल 38 लोगों की जान गई, जिसमें 32 पंचकूला में, जबकि 6 मौत सिरसा में हुईं। हरियाणा और पंजाब में 250 से ज्यादा लोग घायल हो गए। घटना की गंभीरता को देखते हुए तुरंत हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया और पंजाब और हरियाणा सरकार को फटकार लगाते हुए पूछा है कि जब धारा 144 लगी थी, तो बाबा के समर्थक वहां पहुंच कैसे गए? साथ ही कोर्ट ने कहा कि बाबा के समर्थकों ने जो भी नुकसान किया है, उसकी भरपाई राम रहीम की संपत्ति से ही की जाए। देर शाम प्रदेश के DGP बीएस संधू ने बताया कि सिरसा छोड़ पूरे राज्य में स्थिति कंट्रोल में है। उन्होंने कहा कि करीब 6 लोगों की मौत गोली लगने से हुई है। 60 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। डेरा समर्थकों की 65 गाड़ियां और उनके पास से करीब एक दर्जन हथियार बरामद किए गए हैं। इनमें 3 राइफल, 3 पिस्तौल और दर्जनों कारतूस शामिल हैं। ‘राम रहीम ने साध्वी के साथ जंगली जानवरों जैसा व्यवहार किया’
28 अगस्त 2017, राम रहीम को दोषी ठहराए जाने के करीब 3 दिन बाद एक बार फिर से हरियाणा और पंजाब की पुलिस हाई अलर्ट पर थी। इसकी वजह रेप केस में दोषी राम रहीम को सजा सुनाई जानी थी। पिछली बार से ज्यादा सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। शाम 5:44 बजे जज जगदीप सिंह ने दो मामलों में 10-10 साल की जेल और 15-15 लाख रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई। साथ ही राम रहीम के वकील को दोनों साध्वियों को 14-14 लाख रुपए देने के निर्देश दिए। अदालत ने कहा कि डेरा प्रमुख राम रहीम ने अपनी दोनों अनुयायी साध्वियों को भी नहीं बख्शा और उनके साथ जंगली जानवरों की तरह व्यवहार किया है। इसलिए वह किसी दया का हकदार नहीं है। सजा सुनते ही राम रहीम फर्श पर बैठकर रोने लगा। जब पुलिस उसे जेल ले जाने के लिए आई तो वह रोते हुए कहने लगा- मैं कहीं नहीं जाऊंगा, मैं यहीं रहूंगा। पुलिस उसे जबरन कोर्ट रूम से सुनारिया जेल ले गई। 2017 में सजा सुनाए जाने के बाद से ही साध्वी यौन उत्पीड़न केस में राम रहीम रोहतक की सुनारिया जेल में सजा काट रहा है। डेरा सच्चा सौदा चीफ राम रहीम का कहना है कि लड़कियों के साथ जो बुरा कर्म करता है, यह जरूरी नहीं कि इसमें लड़कियों की गलती हो। आदमी महापाप करता है, जिसकी वजह से उन्हें ये भोगना पड़ता है। वह उसका टाइम था। राम रहीम ने ये बातें ऑनलाइन सत्संग के दौरान श्रद्धालु के एक सवाल के जवाब में कही। यह बात इसलिए अहम है क्योंकि राम रहीम को भी डेरे की साध्वियों के यौन शोषण केस में दोषी ठहराया जा चुका है। इसी केस में राम रहीम रोहतक की सुनारिया जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है। साध्वियों के यौन शोषण मामले से ही 2 हत्याकांडों में भी राम रहीम फंसा। जिसमें डेरा मैनेजर रणजीत की हत्या साध्वियों के यौन शोषण की चिट्‌ठी लिखवा लीक करने और पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या उस चिट्‌ठी को छापने के शक में करने का आरोप है। श्रद्धालु का सवाल और राम रहीम का पूरा जवाब
श्रद्धालु: लड़कियों के साथ जो बुरा कर्म करता है या उनको मार देता है तो क्या वह लड़कियों के कर्मों का फल है?। राम रहीम: जरूरी नहीं कि ये उनके कर्मों का फल हो। ये खुद मुख्तारी से आदमी महापाप करता है। जिसकी वजह से उन्हें ये भोगना पड़ता है। इसलिए, इसमें बच्ची का क्या दोष रहा, करने वाले ने किया। लेकिन, उसका टाइम था, उसका वो समय था। राम रहीम के साध्वियों से जुड़ा यौन शोषण केस क्या है… 2002: एक गुमनाम चिट्ठी और फंसता चला गया राम रहीम
13 मई 2002 को उस वक्त के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के दफ्तर में एक चिट्ठी पहुंचती है। ये चिट्ठी एक गुमनाम साध्वी की आपबीती जैसी थी, जिसमें डेरा सच्चा सौदा के चीफ राम रहीम पर यौन शोषण के आरोप लगाए गए थे। प्रधानमंत्री दफ्तर में राम रहीम कांड के खुलासे करने वाली उस गुमनाम चिट्ठी के कुछ हिस्सों को पढ़िए… सेवा में, माननीय प्रधानमंत्री जी श्री अटल बिहारी वाजपेयी, भारत सरकार विषय : डेरे के महाराज द्वारा सैकड़ों लड़कियों से बलात्कार की जांच कराएं। श्रीमान जी, मैं पंजाब की रहने वाली हूं। बीएस पास हूं और 5 साल से डेरा सच्चा सौदा सिरसा, हरियाणा में साधु लड़की के रूप में कार्य कर रही हूं। मेरे परिवार के सदस्य महाराज के अंध श्रद्धालु हैं, उनके कहने पर मैं डेरे में साधु बनी थी। साधु बनने के 2 साल बाद एक दिन महाराज गुरमीत की परम शिष्या साधु गुरुजोत ने रात के 10 बजे मुझे बताया कि आपको पिताजी ने गुफा में बुलाया है। मैं पहली बार वहां जा रही थी, इसलिए बहुत खुश थी। गुफा में ऊपर जाकर जब मैंने देखा महाराज बेड पर बैठे हैं। हाथ में रिमोट है, सामने टीवी पर गंदी फिल्म चल रही है। बेड पर सिरहाने की ओर रिवॉल्वर रखा हुआ है। मैं यह सब देखकर हैरान रह गई। मुझे चक्कर आने लगे। मैं समझ नहीं पा रही थी कि यह क्या हो रहा है। महाराज ऐसे होंगे? महाराज ने टीवी बंद किया व मुझे साथ बैठाकर पानी पिलाया और कहा कि मैंने तुम्हें अपनी खास प्यारी समझकर बुलाया है। मेरा यह पहला दिन था। महाराज ने मुझे बांहों में लेते हुए कहा कि हम तुझे दिल से चाहते हैं। तुम्हारे साथ प्यार करना चाहते हैं, क्योंकि तुमने साधु बनते वक्त कहा था कि तन-मन-धन सब सतगुरु को अर्पण है। तो अब तुम्हारा तन-मन हमारा है। जब मैंने पूछा कि क्या यह भगवान का काम है तो उन्होंने कहा- ‘श्रीकृष्ण भगवान थे, उनके यहां 360 गोपियां थीं, जिनसे वह हर रोज प्रेम लीला करते थे, फिर भी लोग उन्हें परमात्मा मानते हैं, यह कोई नई बात नहीं है।’ आज मुझको पता चला कि मेरे से पहले जो लड़कियां रहती थीं, उन सबके साथ मुंह काला किया गया है। बीए, एमए, बीएड, एमफिल पास लड़कियां अंधविश्वास के कारण नरक का जीवन जी रही हैं। मैं मजबूर हूं। यहां सतगुरु का आदेश मानना पड़ता है। यहां कोई भी दो लड़कियां आपस में बात नहीं कर सकतीं। घरवालों को टेलीफोन मिलाकर बात नहीं कर सकतीं। कोई लड़की डेरे की इस सच्चाई के बारे में बात करती है तो महाराज का हुक्म है कि उसका मुंह बंद कर दो। प्रार्थी एक निर्दोष जलालत का जीवन जीने को मजबूर। 1100 शब्दों में लिखे गए इस पत्र से 400 शब्दों का मजमून आपने यहां पढ़ा। ये पत्र PM कार्यालय के अलावा पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के पास भी भेजा गया था। इसके बावजूद राम रहीम पर दोनों राज्यों की पुलिस ने केस दर्ज नहीं किया। 2003: गुमनाम चिट्ठी से हुए खुलासे के बाद दो कत्ल
CBI ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया है कि जिस वक्त यह गुमनाम चिट्‌ठी बाहर आई, उस समय रणजीत सिंह डेरे में मैनेजर था। रणजीत की बहन डेरे में साध्वी थी। डेरा प्रमुख राम रहीम को शक था कि रणजीत ने ही अपनी बहन से यह चिट्‌ठी लिखवाई है। 10 जुलाई 2002 को रणजीत सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई। अभी रणजीत सिंह हत्या की गुत्थी सुलझी भी नहीं थी कि 19 अक्टूबर की रात अखबार में चिट्ठी छापने वाले पत्रकार रामचंद्र छत्रपति पर जानलेवा हमला हुआ। सिरसा में उनके घर के आगे ही कुछ लोगों ने रामचंद्र पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाईं, जिसमें वो गंभीर रूप से घायल हो गए। करीब एक महीने तक दिल्ली के एक अस्पताल में इलाज के दौरान 21 नवंबर को उनकी मौत हो गई। दोनों हत्याओं के करीब एक साल बाद 10 नवम्बर 2003 को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने इस मामले में CBI जांच का आदेश दिया। राम रहीम दोषी करार, हिंसक हुई भक्तों की भीड़
25 अगस्त 2017 को पंचकूला के CBI कोर्ट में फैसला सुनाया जाना था। यहां सुरक्षा के लिए CRPF की 97 कंपनियों के साथ, रैपिड एक्शन फोर्स की 16, सशस्त्र सीमा बल यानी SSB की 37, ITBP की 12 और BSF की 21 कंपनियां तैनात की गई थीं। इसके अलावा हरियाणा पुलिस की 10 अन्य कंपनियों की तैनाती की गई थी। पंचकूला और सिरसा में कर्फ्यू लगाया गया, जबकि हरियाणा और पंजाब के आधे दर्जन जिलों में हिंसा रोकने के लिए धारा 144 लगाई गई थी। इसके बावजूद हरियाणा, पंजाब और राजस्थान से राम रहीम के भक्त पंचकूला पहुंच रहे थे। 25 अगस्त की दोपहर करीब 3 बजे जैसे ही फैसले की खबर कोर्ट के बाहर मौजूद अनुयायियों तक पहुंची, भीड़ हिंसक हो उठी। देखते ही देखते हरियाणा, पंजाब और दिल्ली के कई इलाकों में राम रहीम के भक्त सड़क पर उतर आए। पंजाब में डेरा समर्थकों ने मलौत, बलुआना और डागरू रेलवे स्टेशन पर आगजनी की। दिल्ली के आनंद विहार में खड़ी रीवा एक्सप्रेस के खाली पड़े दो कोच में भी आग लगा दी गई। पत्रकारों पर जानलेवा हमला किया गया। मीडिया वैन में आग लगाने की कोशिश हुई। प्रदर्शन के दौरान सबसे ज्यादा हिंसक घटनाएं फैसला सुनाए जाने वाली जगह पंचकूला और डेरा के मुख्यालय सिरसा में हुईं। इस हिंसा में कुल 38 लोगों की जान गई, जिसमें 32 पंचकूला में, जबकि 6 मौत सिरसा में हुईं। हरियाणा और पंजाब में 250 से ज्यादा लोग घायल हो गए। घटना की गंभीरता को देखते हुए तुरंत हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया और पंजाब और हरियाणा सरकार को फटकार लगाते हुए पूछा है कि जब धारा 144 लगी थी, तो बाबा के समर्थक वहां पहुंच कैसे गए? साथ ही कोर्ट ने कहा कि बाबा के समर्थकों ने जो भी नुकसान किया है, उसकी भरपाई राम रहीम की संपत्ति से ही की जाए। देर शाम प्रदेश के DGP बीएस संधू ने बताया कि सिरसा छोड़ पूरे राज्य में स्थिति कंट्रोल में है। उन्होंने कहा कि करीब 6 लोगों की मौत गोली लगने से हुई है। 60 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। डेरा समर्थकों की 65 गाड़ियां और उनके पास से करीब एक दर्जन हथियार बरामद किए गए हैं। इनमें 3 राइफल, 3 पिस्तौल और दर्जनों कारतूस शामिल हैं। ‘राम रहीम ने साध्वी के साथ जंगली जानवरों जैसा व्यवहार किया’
28 अगस्त 2017, राम रहीम को दोषी ठहराए जाने के करीब 3 दिन बाद एक बार फिर से हरियाणा और पंजाब की पुलिस हाई अलर्ट पर थी। इसकी वजह रेप केस में दोषी राम रहीम को सजा सुनाई जानी थी। पिछली बार से ज्यादा सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। शाम 5:44 बजे जज जगदीप सिंह ने दो मामलों में 10-10 साल की जेल और 15-15 लाख रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई। साथ ही राम रहीम के वकील को दोनों साध्वियों को 14-14 लाख रुपए देने के निर्देश दिए। अदालत ने कहा कि डेरा प्रमुख राम रहीम ने अपनी दोनों अनुयायी साध्वियों को भी नहीं बख्शा और उनके साथ जंगली जानवरों की तरह व्यवहार किया है। इसलिए वह किसी दया का हकदार नहीं है। सजा सुनते ही राम रहीम फर्श पर बैठकर रोने लगा। जब पुलिस उसे जेल ले जाने के लिए आई तो वह रोते हुए कहने लगा- मैं कहीं नहीं जाऊंगा, मैं यहीं रहूंगा। पुलिस उसे जबरन कोर्ट रूम से सुनारिया जेल ले गई। 2017 में सजा सुनाए जाने के बाद से ही साध्वी यौन उत्पीड़न केस में राम रहीम रोहतक की सुनारिया जेल में सजा काट रहा है।   हरियाणा | दैनिक भास्कर