हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में बच्चों को स्कूल की परीक्षा से पहले बर्फ की परीक्षा देनी पड़ी। दरअसल, 6 से 12 साल की उम्र के 143 बच्चों को स्कूल पहुंचने के लिए न सिर्फ 3 से 4 घंटे बर्फ में 15 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा, बल्कि उन्हें बर्फ में खड़े होकर सुबह की प्रार्थना भी कराई गई। इतना ही नहीं, जिस कमरे में उन्हें 3 घंटे बैठाकर परीक्षा दिलवाई गई, उसकी छत भी बर्फ से ढकी हुई थी। ऐसे में कई बच्चे ठंड के कारण बीमार पड़ने लगे। इसके बाद परिजनों ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। परिजनों का कहना है कि बर्फबारी के बावजूद स्कूलों में परीक्षा का समय क्यों नहीं बदला गया। इस मामले में हिमाचल के शिक्षा निदेशक ने कहा कि अगर कोई प्रस्ताव आता है तो हम यहां बच्चों की वार्षिक परीक्षा का शेड्यूल बदलने पर विचार करेंगे। सिलसिलेवार ढंग से जानिए पूरा मामला… मंगलवार से शुरू हुए तीसरी-पांचवीं के एग्जाम
हिमाचल स्कूल शिक्षा बोर्ड धर्मशाला की तरफ से तीसरी और पांचवी कक्षा के बोर्ड एग्जाम मंगलवार से शुरू हो गए है। पहली, दूसरी और चौथी क्लास के एग्जाम भी चल रहे हैं। इस बीच हिमाचल की ऊंची चोटियों पर 8 व 9 दिसंबर को ताजा बर्फबारी हुई। इससे सिरमौर जिला के ऊंचाई वाले कुछेक क्षेत्रों में तापमान माइनस 7 से माइनस 8 डिग्री तक गिर गया। बर्फबारी की वजह से गाड़ियां बंद
सिरमौर का हरिपुरधार सेंटर प्राइमरी स्कूल 8003 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां 143 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। आम दिनों में बच्चे बस से स्कूल पहुंचते थे। मगर, 8 और 9 दिसंबर को यहां बर्फबारी हुई। जिसके बाद सड़कों पर बर्फ जम गई। इस वजह से यहां गाड़ियां चलनी बंद हो गईं। गाड़ियां बंद तो पैदल गए बच्चे
बर्फबारी के कारण सड़कें-गाड़ियां बंद होने से पेपर देने के लिए बच्चों को पैदल जाना पड़ा। बच्चे कड़ाके की सर्दी में सुबह 6 से 7 बजे घरों से पैदल निकले। 3 से 4 घंटे के पैदल सफर के बाद वह किसी तरह स्कूल पहुंचे। कुछ बच्चों के माता-पिता उन्हें पीठ पर उठाकर तो कुछ हाथ पकड़कर स्कूल तक लेकर आए। स्कूल में पहले बर्फ में खड़े कर प्रार्थना कराई
एग्जाम से पहले पैदल आने से थके बच्चों से पहले बर्फ के ऊपर खड़े कर प्रार्थना कराई गई। इसके बाद 10 बजे उनका पेपर शुरू हुआ। 1 बजे तक बच्चों ने 3 घंटे का पेपर दिया। इसके बाद वह पैदल ही घर लौटे। जिस कमरे में परीक्षा, वहां माइनस 2 डिग्री टेंपरेचर
बच्चों के साथ गए परिजनों ने कहा कि जिस स्कूल में बच्चों के पेपर होने थे, उसकी छत पर भी बर्फ जमी हुई थी। उसी के अंदर बच्चों को बिठाकर परीक्षा ली गई। बाहर ही 6-7 डिग्री तक टेंपरेचर था तो बिल्डिंग के बर्फ से ढके होने की वजह से टेंपरेचर माइनस 2 डिग्री तक रहा। परिजन बोले- किन्नौर-लाहौल की तरह कराएं वार्षिक परीक्षा
बच्चों के परिजनों और स्कूल मैनेजमेंट कमेटी के पदाधिकारियों दिनेश ठाकुर, चमन शर्मा, अनिल ठाकुर, विनोद ठाकुर व प्रोमिला ने कहा कि बर्फबारी से बच्चों को परेशानी हुई। हरिपुरधार जैसे ऊंचाई वाले इलाके में भी कुल्लू, किन्नौर और लाहौल स्पीति जिले के साथ ही वार्षिक परीक्षा होनी चाहिए। जहां नवंबर महीने में पेपर करा लिए जाते हैं। हरिपुरधार ही नहीं बल्कि नौहराधार, गत्ताधार और आसपास के इलाकों में भी बच्चे बर्फबारी से परेशान हो रहे हैं। हिमाचल के शिक्षा निदेशक बोले- वार्षिक परीक्षा का समय बदलने पर विचार करेंगे
हिमाचल के प्रारंभिक शिक्षा निदेशक आशीष कोहली ने बताया कि विभाग अभी स्कूलों में छुट्टियों के शेड्यूल में बदलाव कर रहा है। हरिपुरधार स्कूल को लेकर भी अभिभावक और डिप्टी डायरेक्टर सुझाव दे सकते है। इस पर विचार किया जाएगा।
हिमाचल में 2 तरह के स्कूल
हिमाचल प्रदेश में 2 तरह के स्कूल हैं, यानी समर क्लोजिंग और विंटर क्लोजिंग। समर क्लोजिंग स्कूल मैदानी इलाकों में हैं जहाँ गर्मी ज़्यादा होती है। समर क्लोजिंग में वार्षिक परीक्षाएँ मार्च-अप्रैल में होती हैं। समर क्लोजिंग स्कूल हमीरपुर, बिलासपुर, मंडी, ऊना में हैं। विंटर क्लोजिंग स्कूल शिमला, सोलन, सिरमौर, किन्नौर, लाहौल स्पीति में हैं। विंटर क्लोजिंग में कक्षा 1 से 5 तक की वार्षिक परीक्षाएँ दिसंबर में होती हैं। हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में बच्चों को स्कूल की परीक्षा से पहले बर्फ की परीक्षा देनी पड़ी। दरअसल, 6 से 12 साल की उम्र के 143 बच्चों को स्कूल पहुंचने के लिए न सिर्फ 3 से 4 घंटे बर्फ में 15 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा, बल्कि उन्हें बर्फ में खड़े होकर सुबह की प्रार्थना भी कराई गई। इतना ही नहीं, जिस कमरे में उन्हें 3 घंटे बैठाकर परीक्षा दिलवाई गई, उसकी छत भी बर्फ से ढकी हुई थी। ऐसे में कई बच्चे ठंड के कारण बीमार पड़ने लगे। इसके बाद परिजनों ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। परिजनों का कहना है कि बर्फबारी के बावजूद स्कूलों में परीक्षा का समय क्यों नहीं बदला गया। इस मामले में हिमाचल के शिक्षा निदेशक ने कहा कि अगर कोई प्रस्ताव आता है तो हम यहां बच्चों की वार्षिक परीक्षा का शेड्यूल बदलने पर विचार करेंगे। सिलसिलेवार ढंग से जानिए पूरा मामला… मंगलवार से शुरू हुए तीसरी-पांचवीं के एग्जाम
हिमाचल स्कूल शिक्षा बोर्ड धर्मशाला की तरफ से तीसरी और पांचवी कक्षा के बोर्ड एग्जाम मंगलवार से शुरू हो गए है। पहली, दूसरी और चौथी क्लास के एग्जाम भी चल रहे हैं। इस बीच हिमाचल की ऊंची चोटियों पर 8 व 9 दिसंबर को ताजा बर्फबारी हुई। इससे सिरमौर जिला के ऊंचाई वाले कुछेक क्षेत्रों में तापमान माइनस 7 से माइनस 8 डिग्री तक गिर गया। बर्फबारी की वजह से गाड़ियां बंद
सिरमौर का हरिपुरधार सेंटर प्राइमरी स्कूल 8003 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां 143 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। आम दिनों में बच्चे बस से स्कूल पहुंचते थे। मगर, 8 और 9 दिसंबर को यहां बर्फबारी हुई। जिसके बाद सड़कों पर बर्फ जम गई। इस वजह से यहां गाड़ियां चलनी बंद हो गईं। गाड़ियां बंद तो पैदल गए बच्चे
बर्फबारी के कारण सड़कें-गाड़ियां बंद होने से पेपर देने के लिए बच्चों को पैदल जाना पड़ा। बच्चे कड़ाके की सर्दी में सुबह 6 से 7 बजे घरों से पैदल निकले। 3 से 4 घंटे के पैदल सफर के बाद वह किसी तरह स्कूल पहुंचे। कुछ बच्चों के माता-पिता उन्हें पीठ पर उठाकर तो कुछ हाथ पकड़कर स्कूल तक लेकर आए। स्कूल में पहले बर्फ में खड़े कर प्रार्थना कराई
एग्जाम से पहले पैदल आने से थके बच्चों से पहले बर्फ के ऊपर खड़े कर प्रार्थना कराई गई। इसके बाद 10 बजे उनका पेपर शुरू हुआ। 1 बजे तक बच्चों ने 3 घंटे का पेपर दिया। इसके बाद वह पैदल ही घर लौटे। जिस कमरे में परीक्षा, वहां माइनस 2 डिग्री टेंपरेचर
बच्चों के साथ गए परिजनों ने कहा कि जिस स्कूल में बच्चों के पेपर होने थे, उसकी छत पर भी बर्फ जमी हुई थी। उसी के अंदर बच्चों को बिठाकर परीक्षा ली गई। बाहर ही 6-7 डिग्री तक टेंपरेचर था तो बिल्डिंग के बर्फ से ढके होने की वजह से टेंपरेचर माइनस 2 डिग्री तक रहा। परिजन बोले- किन्नौर-लाहौल की तरह कराएं वार्षिक परीक्षा
बच्चों के परिजनों और स्कूल मैनेजमेंट कमेटी के पदाधिकारियों दिनेश ठाकुर, चमन शर्मा, अनिल ठाकुर, विनोद ठाकुर व प्रोमिला ने कहा कि बर्फबारी से बच्चों को परेशानी हुई। हरिपुरधार जैसे ऊंचाई वाले इलाके में भी कुल्लू, किन्नौर और लाहौल स्पीति जिले के साथ ही वार्षिक परीक्षा होनी चाहिए। जहां नवंबर महीने में पेपर करा लिए जाते हैं। हरिपुरधार ही नहीं बल्कि नौहराधार, गत्ताधार और आसपास के इलाकों में भी बच्चे बर्फबारी से परेशान हो रहे हैं। हिमाचल के शिक्षा निदेशक बोले- वार्षिक परीक्षा का समय बदलने पर विचार करेंगे
हिमाचल के प्रारंभिक शिक्षा निदेशक आशीष कोहली ने बताया कि विभाग अभी स्कूलों में छुट्टियों के शेड्यूल में बदलाव कर रहा है। हरिपुरधार स्कूल को लेकर भी अभिभावक और डिप्टी डायरेक्टर सुझाव दे सकते है। इस पर विचार किया जाएगा।
हिमाचल में 2 तरह के स्कूल
हिमाचल प्रदेश में 2 तरह के स्कूल हैं, यानी समर क्लोजिंग और विंटर क्लोजिंग। समर क्लोजिंग स्कूल मैदानी इलाकों में हैं जहाँ गर्मी ज़्यादा होती है। समर क्लोजिंग में वार्षिक परीक्षाएँ मार्च-अप्रैल में होती हैं। समर क्लोजिंग स्कूल हमीरपुर, बिलासपुर, मंडी, ऊना में हैं। विंटर क्लोजिंग स्कूल शिमला, सोलन, सिरमौर, किन्नौर, लाहौल स्पीति में हैं। विंटर क्लोजिंग में कक्षा 1 से 5 तक की वार्षिक परीक्षाएँ दिसंबर में होती हैं। हिमाचल | दैनिक भास्कर