यूपी के आगरा में 8 करोड़ रुपए की नकली दवाएं पकड़ी गईं। 14 में से 4 सैंपल की रिपोर्ट आ गई है। इनमें 3 सैंपल फेल मिले हैं, जो नींद और दर्द निवारक (पेन किलर) दवाओं के हैं। एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (ANTF) की करीब 50 दिन की जांच-पड़ताल में पता चला है कि इन नकली दवाओं की सप्लाई यूपी, राजस्थान, पंजाब, मध्य प्रदेश समेत 6 राज्यों में हुई। हिमाचल प्रदेश के बद्दी से दवा बनाने की मशीनें आईं। दिल्ली के ड्रग माफिया की मदद से रॉ मटेरियल मंगवाया। फिर आगरा के सुनसान एरिया में मकान के बेसमेंट में 18 मशीनें असेंबल कर नकली दवा बनाने की फैक्ट्री खोली गई। यहां से पूरे नॉर्थ इंडिया में इसकी सप्लाई थी। नकली दवाएं बनाने में सबसे ज्यादा चावल का पानी (मांड) इस्तेमाल किया जाता था। इसके अलावा उसमें पैरासिटामॉल का पाउडर मिलाया जाता था। इस तरह कम कीमत में ज्यादा नकली दवाएं बन जाती थीं। जो दवा सिर्फ 6 लाख रुपए में तैयार हुई, वह मार्केट में 85 लाख में बेची गई। दैनिक भास्कर ने ग्राउंड जीरो पर पहुंचकर इस पूरे नेक्सस की पड़ताल की। दवा बनाने से लेकर सप्लाई चेन तक को समझा। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… सबसे पहले 22 अक्टूबर को हुई कार्रवाई की डिटेल्स पढ़िए
एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स ने 22 अक्टूबर को आगरा के सिकंदरा थाना क्षेत्र के महर्षिपुरम में एक मकान पर छापा मारा। इस बिल्डिंग में आगे की तरफ दुकानें और पीछे की तरफ मकान था। मकान के बेसमेंट में दवा बनाने का काम चल रहा था। टीम को दवा बनाने और स्टोर करने का कोई लाइसेंस नहीं मिला था। इस पर फैक्ट्री मालिक विजय गोयल समेत 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। 8 करोड़ की दवाएं सील की गईं। कुल 14 सैंपल लेकर जांच के लिए लखनऊ भेजे गए। तीन दिन पहले 4 सैंपल की जांच रिपोर्ट आ गई है। VK लाइफ संस नाम से नींद की टैबलेट अल्जोसेल .5 MG और क्योर एंड क्योर कंपनी ब्रांड से बनी अल्प्रासेफ .5 MG में एल्प्राजोलम सॉल्ट नहीं मिला। इन दोनों की साढ़े 18 लाख गोलियां फैक्ट्री से मिली थीं। जानकारों की मानें, तो ये दवा नींद आने के लिए ली जाती है। लेकिन, एल्प्राजोलम सॉल्ट नहीं होने से इसे खाने पर भी नींद नहीं आएगी। इसी तरह दर्द निवारक टैबलेट स्पासमोवेल में ट्रेमाडोल मिला ही नहीं है। इसलिए ये दवा भी दर्द निवारक में खास काम नहीं आएगी। चौथा सैंपल खाली कैप्सूल का था, जो पास हुआ है। नकली दवा फैक्ट्री असेंबल करने से दवा बनाने तक की चेन समझिए
इस पूरे केस की जांच एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स आगरा जोन के इंस्पेक्टर हरवीर मिश्रा कर रहे हैं। उन्हें केस की जांच करते हुए अब तक करीब 50 दिन हो चुके हैं। केस का स्टेटस जानने के लिए हमने उनसे विस्तार से बातचीत की। हरवीर मिश्रा ने 4 बातें बताईं। 1- फैक्ट्री चलाने के लिए सिकंदरा क्षेत्र के महर्षिपुरम में ठिकाना खोजा गया। 500 गज से भी बड़ा तीन मंजिला मकान पश्चिमपुरी सिकंदरा निवासी सोने देवी पत्नी उदयवीर सिंह के नाम पर है। 30 हजार रुपए महीने रेंट पर ये पूरा मकान लिया गया। इसमें मकान का बेसमेंट और उसकी तीन लंबी-चौड़ी दुकानें शामिल थीं। 10 अगस्त, 2024 के आसपास ये एग्रीमेंट हुआ। विजय गोयल ने रेंट एग्रीमेंट अपनी टीम के सदस्य सूरज गौर के नाम पर कराया। 2- हिमाचल प्रदेश के बद्दी में साईं रोड पर गुप्ताजी मां वैष्णो फार्मा मशीनरी फर्म है। ये दवा बनाने की मशीनें बेचती है। ड्रग माफिया विजय गोयल ने यहीं से मशीनें खरीदीं। ये मशीनें खरीदने के लिए ड्रग लाइसेंस होना जरूरी है। विजय गोयल के पास ये लाइसेंस नहीं था। उसने ज्यादा कीमत देकर मशीनें खरीदीं। इसलिए हम मशीनें बेचने वाली फर्म को भी आरोपी बनाएंगे। 3- विजय को दवा बनाने का रॉ मटेरियल मुहैया कराने में दिल्ली में रहने वाले अभिषेक बोस की अहम भूमिका रही। अभिषेक मूलरूप से बंगाली है, लेकिन लंबे समय से दिल्ली में एक्टिव है। कच्चा मटेरियल पैरासिटामॉल, डायसाइक्लोवाइन, अल्प्राजोलम, ट्रेमाडोल, सिप्रोहेप्टाडिन, लैक्टोज, पीवीआर, स्टार्च, एरोसिल, मैग्नीशियम स्टेट, प्रोविडोल आदि की सप्लाई अभिषेक बोस ने की। 4- नकली दवाएं बनाने के लिए उसकी समझ रखने वाले जानकारों की जरूरत थी। इसका इंतजाम विजय गोयल के साथी रोहित कुशवाहा ने किया। आगरा में सैंया थाना क्षेत्र के गांव तेहरा में रहने वाले कुछ लोग इस तरह का काम करते हैं। रोहित ने एक ही गांव के 5 लोगों को अच्छी सैलरी देकर इस फैक्ट्री में नौकरी दे दी। शर्त ये थी कि वो इस काम के बारे में बाहर किसी को नहीं बताएंगे। इन लेबर को कुल मिलाकर करीब 2 लाख रुपए महीना सैलरी मिलती थी। सप्लाई चेन : वेस्ट यूपी के स्टॉकिस्ट के नाम सामने आए, कई राज्यों में बिक्री
एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (ANTF) की जांच में पता चला कि पश्चिमी यूपी में इस फैक्ट्री से नकली दवाओं की सप्लाई आगरा में भोला गोयल और चिंटू, अजमेर में हेमंत कुमार योगी, सहारनपुर में विभोर विपिन बंसल और अमित, मुरादाबाद में जतिन कुमार, दिल्ली में मनोज रस्तोगी, बिजनौर में धर्मेंद्र को होती थी। ANTF ने अपनी जांच में इन दवा स्टॉकिस्ट को भी शामिल किया है। ड्रग विभाग आगरा मंडल के सहायक आयुक्त अतुल उपाध्याय ने बताया- यूपी के सभी जिलों के ड्रग इंस्पेक्टरों को लेटर भेजा गया है। जिन तीन दवाओं के सैंपल फेल आए हैं, उनके नाम और बैच नंबर भी इस लेटर में लिखे गए हैं। कहा गया है कि जिस-जिस जिले में इस बैच नंबर की दवाएं हों, वहां तत्काल इसकी बिक्री बंद कराएं और उसे वापस भिजवाएं। इसके अलावा यही लेटर पंजाब, छत्तीसगढ़, झारखंड, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल, दिल्ली में भी भेजा गया है, ताकि वहां भी इन दवाओं की बिक्री रोकी जा सके। कौन है ड्रग माफिया पवन गोयल? 40 साल का पवन गोयल आगरा में जगदीशपुरा स्थित आईकन सिटी का रहने वाला है। पवन के पिता राजेश गोयल पुराने केमिस्ट हैं। उनका जगदीशपुरा इलाके में ही मेडिकल स्टोर है। इसी मेडिकल स्टोर पर बैठकर पवन ने दवाओं की बारीकियां सीखीं। इस दौरान उसके संपर्क में ऐसे कई मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव (MR) आ गए, जो नकली दवाओं की सप्लाई से जुड़े थे। फिर पवन भी इसी धंधे से जुड़ गया। वह करीब 20 साल से नकली दवाओं के धंधे में लगा था। पवन के खिलाफ पहला केस साल, 2017 में छेड़छाड़ का दर्ज हुआ। 2023 में नकली दवा से संबंधित 3 मुकदमे दर्ज हुए। इस मामले में वो जेल गया और फरवरी, 2024 में जमानत पर आगरा जेल से छूटा। पुलिस टीमों को पता था कि पवन गोयल सुधरने वाला नहीं। वह जेल से बाहर आकर फिर से यही काम करेगा। पुलिस की कई टीमें उस पर नजर रख रही थीं। इसी बीच पता चला कि वह नकली दवा कारोबार के सिलसिले में लगातार हिमाचल प्रदेश जा रहा है। पुलिस टीमों ने फैक्ट्री में मशीनें असेंबल होकर रन करने का इंतजार किया, क्योंकि उसको सबूतों के साथ पकड़ना था। पवन का बैंक्वेट हॉल का बिजनेस भी है। सूत्र बताते हैं कि आगरा शहर के कई बड़े ड्रग बिजनेसमैन से पवन गोयल का धंधा-पानी चलता था। मतलब, वो इस फैक्ट्री की नकली दवाओं की सप्लाई दूसरे शहरों को करते थे। हालांकि साफ तौर पर अभी इन बिजनेसमैन के नाम पुलिस जांच में नहीं आए हैं। सुनसान इलाके में फैक्ट्री, गेट बंद करके अंदर होता था काम
जहां नकली दवा बनाई जा रही थी, हम उस फैक्ट्री की पड़ताल करने सिकंदरा क्षेत्र के महर्षिपुरम में पहुंचे। DPS चौराहे से थोड़ा आगे सुनसान रास्ता शुरू हो जाता है। यहां की आबादी काफी कम है। सड़कों के दोनों तरफ और डिवाइडर पर ऊंची-ऊंची झाड़ियां उगी हैं। इसी सुनसान इलाके में 500 स्क्वायर फीट में एक मकान है। ग्रे कलर से पेंट इस मकान में आगे की तरफ 6 दुकानें हैं। इसमें 3 दुकानें बेसमेंट में हैं। मकान के अंदर भी बेसमेंट है, जिसके अंदर एक बड़ा हॉल है। इसी हॉल के अंदर ये दवा फैक्ट्री चल रही थी। एक स्थानीय व्यक्ति ने नाम न छापने की शर्त पर बताया- इस मकान में फैक्ट्री एक साल से भी ज्यादा वक्त से चल रही थी। मकान का गेट बंद करके ही अंदर सारा काम होता था। हमें आज तक ये मालूम नहीं हुआ कि अंदर क्या होता है। 22 अक्टूबर को जब पुलिस आई, तब पहली बार पता चला कि यहां दवाएं बनती हैं। यहां से जब सामान की सप्लाई होती थी, तो वाहन में पेटियां इस तरह लादी जाती थीं कि स्थानीय लोगों को ये न दिखे कि इनके अंदर क्या है? ———– ये भी पढ़ें… आगरा में फैक्ट्री में तैयार करते थे नकली दवाएं, यूपी समेत अन्य राज्यों में सप्लाई, साढ़े चार करोड़ की दवाएं बरामद, 6 महीने में बदलते थे गोदाम आगरा में एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (एएनटीएफ) ने नकली दवा बनाने वाली एक फैक्ट्री पर छापा मारा। यहां से 10 तस्करों को गिरफ्तार किया। इनके कब्जे से नशीली दवाएं, उन्हें तैयार करने वाली मशीन और कच्चा सामान मिला है। जिसकी अनुमानित कीमत 8 करोड़ रुपए बताई जा रही है। इन दवाओं को वे यूपी, हरियाणा, दिल्ली समेत अन्य राज्यों में सप्लाई करते थे। पढ़ें पूरी खबर… यूपी के आगरा में 8 करोड़ रुपए की नकली दवाएं पकड़ी गईं। 14 में से 4 सैंपल की रिपोर्ट आ गई है। इनमें 3 सैंपल फेल मिले हैं, जो नींद और दर्द निवारक (पेन किलर) दवाओं के हैं। एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (ANTF) की करीब 50 दिन की जांच-पड़ताल में पता चला है कि इन नकली दवाओं की सप्लाई यूपी, राजस्थान, पंजाब, मध्य प्रदेश समेत 6 राज्यों में हुई। हिमाचल प्रदेश के बद्दी से दवा बनाने की मशीनें आईं। दिल्ली के ड्रग माफिया की मदद से रॉ मटेरियल मंगवाया। फिर आगरा के सुनसान एरिया में मकान के बेसमेंट में 18 मशीनें असेंबल कर नकली दवा बनाने की फैक्ट्री खोली गई। यहां से पूरे नॉर्थ इंडिया में इसकी सप्लाई थी। नकली दवाएं बनाने में सबसे ज्यादा चावल का पानी (मांड) इस्तेमाल किया जाता था। इसके अलावा उसमें पैरासिटामॉल का पाउडर मिलाया जाता था। इस तरह कम कीमत में ज्यादा नकली दवाएं बन जाती थीं। जो दवा सिर्फ 6 लाख रुपए में तैयार हुई, वह मार्केट में 85 लाख में बेची गई। दैनिक भास्कर ने ग्राउंड जीरो पर पहुंचकर इस पूरे नेक्सस की पड़ताल की। दवा बनाने से लेकर सप्लाई चेन तक को समझा। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… सबसे पहले 22 अक्टूबर को हुई कार्रवाई की डिटेल्स पढ़िए
एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स ने 22 अक्टूबर को आगरा के सिकंदरा थाना क्षेत्र के महर्षिपुरम में एक मकान पर छापा मारा। इस बिल्डिंग में आगे की तरफ दुकानें और पीछे की तरफ मकान था। मकान के बेसमेंट में दवा बनाने का काम चल रहा था। टीम को दवा बनाने और स्टोर करने का कोई लाइसेंस नहीं मिला था। इस पर फैक्ट्री मालिक विजय गोयल समेत 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। 8 करोड़ की दवाएं सील की गईं। कुल 14 सैंपल लेकर जांच के लिए लखनऊ भेजे गए। तीन दिन पहले 4 सैंपल की जांच रिपोर्ट आ गई है। VK लाइफ संस नाम से नींद की टैबलेट अल्जोसेल .5 MG और क्योर एंड क्योर कंपनी ब्रांड से बनी अल्प्रासेफ .5 MG में एल्प्राजोलम सॉल्ट नहीं मिला। इन दोनों की साढ़े 18 लाख गोलियां फैक्ट्री से मिली थीं। जानकारों की मानें, तो ये दवा नींद आने के लिए ली जाती है। लेकिन, एल्प्राजोलम सॉल्ट नहीं होने से इसे खाने पर भी नींद नहीं आएगी। इसी तरह दर्द निवारक टैबलेट स्पासमोवेल में ट्रेमाडोल मिला ही नहीं है। इसलिए ये दवा भी दर्द निवारक में खास काम नहीं आएगी। चौथा सैंपल खाली कैप्सूल का था, जो पास हुआ है। नकली दवा फैक्ट्री असेंबल करने से दवा बनाने तक की चेन समझिए
इस पूरे केस की जांच एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स आगरा जोन के इंस्पेक्टर हरवीर मिश्रा कर रहे हैं। उन्हें केस की जांच करते हुए अब तक करीब 50 दिन हो चुके हैं। केस का स्टेटस जानने के लिए हमने उनसे विस्तार से बातचीत की। हरवीर मिश्रा ने 4 बातें बताईं। 1- फैक्ट्री चलाने के लिए सिकंदरा क्षेत्र के महर्षिपुरम में ठिकाना खोजा गया। 500 गज से भी बड़ा तीन मंजिला मकान पश्चिमपुरी सिकंदरा निवासी सोने देवी पत्नी उदयवीर सिंह के नाम पर है। 30 हजार रुपए महीने रेंट पर ये पूरा मकान लिया गया। इसमें मकान का बेसमेंट और उसकी तीन लंबी-चौड़ी दुकानें शामिल थीं। 10 अगस्त, 2024 के आसपास ये एग्रीमेंट हुआ। विजय गोयल ने रेंट एग्रीमेंट अपनी टीम के सदस्य सूरज गौर के नाम पर कराया। 2- हिमाचल प्रदेश के बद्दी में साईं रोड पर गुप्ताजी मां वैष्णो फार्मा मशीनरी फर्म है। ये दवा बनाने की मशीनें बेचती है। ड्रग माफिया विजय गोयल ने यहीं से मशीनें खरीदीं। ये मशीनें खरीदने के लिए ड्रग लाइसेंस होना जरूरी है। विजय गोयल के पास ये लाइसेंस नहीं था। उसने ज्यादा कीमत देकर मशीनें खरीदीं। इसलिए हम मशीनें बेचने वाली फर्म को भी आरोपी बनाएंगे। 3- विजय को दवा बनाने का रॉ मटेरियल मुहैया कराने में दिल्ली में रहने वाले अभिषेक बोस की अहम भूमिका रही। अभिषेक मूलरूप से बंगाली है, लेकिन लंबे समय से दिल्ली में एक्टिव है। कच्चा मटेरियल पैरासिटामॉल, डायसाइक्लोवाइन, अल्प्राजोलम, ट्रेमाडोल, सिप्रोहेप्टाडिन, लैक्टोज, पीवीआर, स्टार्च, एरोसिल, मैग्नीशियम स्टेट, प्रोविडोल आदि की सप्लाई अभिषेक बोस ने की। 4- नकली दवाएं बनाने के लिए उसकी समझ रखने वाले जानकारों की जरूरत थी। इसका इंतजाम विजय गोयल के साथी रोहित कुशवाहा ने किया। आगरा में सैंया थाना क्षेत्र के गांव तेहरा में रहने वाले कुछ लोग इस तरह का काम करते हैं। रोहित ने एक ही गांव के 5 लोगों को अच्छी सैलरी देकर इस फैक्ट्री में नौकरी दे दी। शर्त ये थी कि वो इस काम के बारे में बाहर किसी को नहीं बताएंगे। इन लेबर को कुल मिलाकर करीब 2 लाख रुपए महीना सैलरी मिलती थी। सप्लाई चेन : वेस्ट यूपी के स्टॉकिस्ट के नाम सामने आए, कई राज्यों में बिक्री
एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (ANTF) की जांच में पता चला कि पश्चिमी यूपी में इस फैक्ट्री से नकली दवाओं की सप्लाई आगरा में भोला गोयल और चिंटू, अजमेर में हेमंत कुमार योगी, सहारनपुर में विभोर विपिन बंसल और अमित, मुरादाबाद में जतिन कुमार, दिल्ली में मनोज रस्तोगी, बिजनौर में धर्मेंद्र को होती थी। ANTF ने अपनी जांच में इन दवा स्टॉकिस्ट को भी शामिल किया है। ड्रग विभाग आगरा मंडल के सहायक आयुक्त अतुल उपाध्याय ने बताया- यूपी के सभी जिलों के ड्रग इंस्पेक्टरों को लेटर भेजा गया है। जिन तीन दवाओं के सैंपल फेल आए हैं, उनके नाम और बैच नंबर भी इस लेटर में लिखे गए हैं। कहा गया है कि जिस-जिस जिले में इस बैच नंबर की दवाएं हों, वहां तत्काल इसकी बिक्री बंद कराएं और उसे वापस भिजवाएं। इसके अलावा यही लेटर पंजाब, छत्तीसगढ़, झारखंड, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल, दिल्ली में भी भेजा गया है, ताकि वहां भी इन दवाओं की बिक्री रोकी जा सके। कौन है ड्रग माफिया पवन गोयल? 40 साल का पवन गोयल आगरा में जगदीशपुरा स्थित आईकन सिटी का रहने वाला है। पवन के पिता राजेश गोयल पुराने केमिस्ट हैं। उनका जगदीशपुरा इलाके में ही मेडिकल स्टोर है। इसी मेडिकल स्टोर पर बैठकर पवन ने दवाओं की बारीकियां सीखीं। इस दौरान उसके संपर्क में ऐसे कई मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव (MR) आ गए, जो नकली दवाओं की सप्लाई से जुड़े थे। फिर पवन भी इसी धंधे से जुड़ गया। वह करीब 20 साल से नकली दवाओं के धंधे में लगा था। पवन के खिलाफ पहला केस साल, 2017 में छेड़छाड़ का दर्ज हुआ। 2023 में नकली दवा से संबंधित 3 मुकदमे दर्ज हुए। इस मामले में वो जेल गया और फरवरी, 2024 में जमानत पर आगरा जेल से छूटा। पुलिस टीमों को पता था कि पवन गोयल सुधरने वाला नहीं। वह जेल से बाहर आकर फिर से यही काम करेगा। पुलिस की कई टीमें उस पर नजर रख रही थीं। इसी बीच पता चला कि वह नकली दवा कारोबार के सिलसिले में लगातार हिमाचल प्रदेश जा रहा है। पुलिस टीमों ने फैक्ट्री में मशीनें असेंबल होकर रन करने का इंतजार किया, क्योंकि उसको सबूतों के साथ पकड़ना था। पवन का बैंक्वेट हॉल का बिजनेस भी है। सूत्र बताते हैं कि आगरा शहर के कई बड़े ड्रग बिजनेसमैन से पवन गोयल का धंधा-पानी चलता था। मतलब, वो इस फैक्ट्री की नकली दवाओं की सप्लाई दूसरे शहरों को करते थे। हालांकि साफ तौर पर अभी इन बिजनेसमैन के नाम पुलिस जांच में नहीं आए हैं। सुनसान इलाके में फैक्ट्री, गेट बंद करके अंदर होता था काम
जहां नकली दवा बनाई जा रही थी, हम उस फैक्ट्री की पड़ताल करने सिकंदरा क्षेत्र के महर्षिपुरम में पहुंचे। DPS चौराहे से थोड़ा आगे सुनसान रास्ता शुरू हो जाता है। यहां की आबादी काफी कम है। सड़कों के दोनों तरफ और डिवाइडर पर ऊंची-ऊंची झाड़ियां उगी हैं। इसी सुनसान इलाके में 500 स्क्वायर फीट में एक मकान है। ग्रे कलर से पेंट इस मकान में आगे की तरफ 6 दुकानें हैं। इसमें 3 दुकानें बेसमेंट में हैं। मकान के अंदर भी बेसमेंट है, जिसके अंदर एक बड़ा हॉल है। इसी हॉल के अंदर ये दवा फैक्ट्री चल रही थी। एक स्थानीय व्यक्ति ने नाम न छापने की शर्त पर बताया- इस मकान में फैक्ट्री एक साल से भी ज्यादा वक्त से चल रही थी। मकान का गेट बंद करके ही अंदर सारा काम होता था। हमें आज तक ये मालूम नहीं हुआ कि अंदर क्या होता है। 22 अक्टूबर को जब पुलिस आई, तब पहली बार पता चला कि यहां दवाएं बनती हैं। यहां से जब सामान की सप्लाई होती थी, तो वाहन में पेटियां इस तरह लादी जाती थीं कि स्थानीय लोगों को ये न दिखे कि इनके अंदर क्या है? ———– ये भी पढ़ें… आगरा में फैक्ट्री में तैयार करते थे नकली दवाएं, यूपी समेत अन्य राज्यों में सप्लाई, साढ़े चार करोड़ की दवाएं बरामद, 6 महीने में बदलते थे गोदाम आगरा में एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (एएनटीएफ) ने नकली दवा बनाने वाली एक फैक्ट्री पर छापा मारा। यहां से 10 तस्करों को गिरफ्तार किया। इनके कब्जे से नशीली दवाएं, उन्हें तैयार करने वाली मशीन और कच्चा सामान मिला है। जिसकी अनुमानित कीमत 8 करोड़ रुपए बताई जा रही है। इन दवाओं को वे यूपी, हरियाणा, दिल्ली समेत अन्य राज्यों में सप्लाई करते थे। पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर