हरियाणा के इकलौते ब्लेड रनर की कहानी:साढ़े 5 साल की उम्र में पैर गंवाया; थाइलैंड में 100 मीटर दौड़कर गोल्ड मेडल जीता

हरियाणा के इकलौते ब्लेड रनर की कहानी:साढ़े 5 साल की उम्र में पैर गंवाया; थाइलैंड में 100 मीटर दौड़कर गोल्ड मेडल जीता

तारीख: 7 दिसंबर 2024 थाईलैंड में हरियाणा का बेटा दिलबाग ऐसा दौड़ा कि हर कोई देखता रह गया। हिसार के गांव कालवास के ब्लेड रनर दिलबाग ने थाइलैंड के नाखोन रत्चासिमा में वर्ल्ड एबिलिटी स्पोर्ट्स यूथ गेम्स में 17.57 सेकेंड में 100 मीटर दौड़ लगाई और गोल्ड मेडल जीता। दिलबाग ने दौड़ने का जो सपना देखा था, वह न केवल पूरा किया बल्कि ऐसे दौड़ा कि विदेशी भी हैरान रह गए। दिलबाग रोजाना कई घंटे गांव से हिसार के गिरी सेंटर में प्रैक्टिस करने आते हैं। दिलबाग का सपना अब पैरालिंपिक में गोल्ड मेडल जीतना है। दिलबाग की उम्र अभी महज 18 साल है। उन्होंने 2021 में ब्लेड लगाकर दौड़ना शुरू किया। दिलबाग को किसी परिचित ने अमेरिका से यह ब्लेड मंगवाकर दिया। दिलबाग ने 2013 में एक टांग से दौड़ना शुरू किया था। लगातार कई सालों तक प्रैक्टिस भी की, मगर दिलबाग का सपना दोनों टांगों पर दौड़ना था। दिलबाग ने 4 साल के करियर में एक गोल्ड सहित 2 मेडल जीते हैं। अपने पहले इंटरनेशनल टूर्नामेंट में गोल्ड जीतकर दिलबाग ने हर किसी को अपना कायल बना लिया है। दिलबाग को एक पैर क्यों गंवाना पड़ा, इस पर वह कहते हैं… जब मेरी साढ़े 5 साल उम्र थी मैं अपने ताऊ की बेटी रिंकू के साथ खेत की ढाणी से अपने गांव कालवास पैदल जा रहा था। इस दौरान पीछे से टाटा 407 ने टक्कर मारी दी। हादसे में एक पैर गंवाना पड़ा। मैं दूसरों को दौड़ते देखता तो मुझे लगता था मैं भी दौडू़ं। पहले एक पैर से दौड़ना शुरू किया। 2021 में अमेरिका से ब्लेड मंगवाया और दौड़ना शुरू किया। पिता ने बेटे के लिए छोड़ दिया काम
दिलबाग रोजाना सुबह-शाम अपने पिता लीलूराम के साथ गिरी सेंटर में अभ्यास करने जाते हैं। पिता लीलूराम बताते हैं कि पहले वह फर्नीचर का काम करते थे। कई साल से उन्होंने बेटे के लिए काम छोड़ दिया। रोजाना गिरी सेंटर में बेटे को लाना-ले जाना होता है। लीलूराम का कहना है कि बेटे को ओलिंपिक में खेलते देखना उनका सपना है। पिता ने बताया कि दिलबाग ने 2013 में स्कूली स्तर पर दिलबाग ने ट्राई साइकिल, व्हीलचेयर और शॉटपुट खेलना शुरू किया। स्टेट लेवल पर स्वर्ण पदक भी जीता। रोजाना 5 घंटे कड़ी मेहनत करता है दिलबाग
ब्लेड रनर दिलबाग रोजाना सुबह ढाई घंटे और शाम को ढाई घंटे प्रैक्टिस करते हैं। दिलबाग ने बताया कि अमेरिका से 5 लाख रुपए में ब्लेड मंगवाया है। इस ब्लेड की खासियत है कि इसमें लाइनर और शॉकेट लगा होता है जो प्रेशर को ऑब्जर्व करता है। दिलबाग ने बताया कि उसका सारा खर्च उसके पिता उठाते हैं। उसके घर में माता-पिता और दादी के अलावा एक छोटा भाई और है। दौड़ने के साथ लॉन्ग जंप की भी तैयारी कर रहा
बता दें कि दिलबाग हरियाणा के इकलौते ब्लेड रनर हैं। दिलबाग और उसके कोच पैरालिंपिक के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। दिलबाग ने बताया कि वह दौड़ने के अलावा लॉन्ग जंप की भी तैयारी कर रहे हैं। वह मैदान पर दौड़ने के अलावा हफ्ते में दो दिन जिम में प्रैक्टिस भी करते हैं। तारीख: 7 दिसंबर 2024 थाईलैंड में हरियाणा का बेटा दिलबाग ऐसा दौड़ा कि हर कोई देखता रह गया। हिसार के गांव कालवास के ब्लेड रनर दिलबाग ने थाइलैंड के नाखोन रत्चासिमा में वर्ल्ड एबिलिटी स्पोर्ट्स यूथ गेम्स में 17.57 सेकेंड में 100 मीटर दौड़ लगाई और गोल्ड मेडल जीता। दिलबाग ने दौड़ने का जो सपना देखा था, वह न केवल पूरा किया बल्कि ऐसे दौड़ा कि विदेशी भी हैरान रह गए। दिलबाग रोजाना कई घंटे गांव से हिसार के गिरी सेंटर में प्रैक्टिस करने आते हैं। दिलबाग का सपना अब पैरालिंपिक में गोल्ड मेडल जीतना है। दिलबाग की उम्र अभी महज 18 साल है। उन्होंने 2021 में ब्लेड लगाकर दौड़ना शुरू किया। दिलबाग को किसी परिचित ने अमेरिका से यह ब्लेड मंगवाकर दिया। दिलबाग ने 2013 में एक टांग से दौड़ना शुरू किया था। लगातार कई सालों तक प्रैक्टिस भी की, मगर दिलबाग का सपना दोनों टांगों पर दौड़ना था। दिलबाग ने 4 साल के करियर में एक गोल्ड सहित 2 मेडल जीते हैं। अपने पहले इंटरनेशनल टूर्नामेंट में गोल्ड जीतकर दिलबाग ने हर किसी को अपना कायल बना लिया है। दिलबाग को एक पैर क्यों गंवाना पड़ा, इस पर वह कहते हैं… जब मेरी साढ़े 5 साल उम्र थी मैं अपने ताऊ की बेटी रिंकू के साथ खेत की ढाणी से अपने गांव कालवास पैदल जा रहा था। इस दौरान पीछे से टाटा 407 ने टक्कर मारी दी। हादसे में एक पैर गंवाना पड़ा। मैं दूसरों को दौड़ते देखता तो मुझे लगता था मैं भी दौडू़ं। पहले एक पैर से दौड़ना शुरू किया। 2021 में अमेरिका से ब्लेड मंगवाया और दौड़ना शुरू किया। पिता ने बेटे के लिए छोड़ दिया काम
दिलबाग रोजाना सुबह-शाम अपने पिता लीलूराम के साथ गिरी सेंटर में अभ्यास करने जाते हैं। पिता लीलूराम बताते हैं कि पहले वह फर्नीचर का काम करते थे। कई साल से उन्होंने बेटे के लिए काम छोड़ दिया। रोजाना गिरी सेंटर में बेटे को लाना-ले जाना होता है। लीलूराम का कहना है कि बेटे को ओलिंपिक में खेलते देखना उनका सपना है। पिता ने बताया कि दिलबाग ने 2013 में स्कूली स्तर पर दिलबाग ने ट्राई साइकिल, व्हीलचेयर और शॉटपुट खेलना शुरू किया। स्टेट लेवल पर स्वर्ण पदक भी जीता। रोजाना 5 घंटे कड़ी मेहनत करता है दिलबाग
ब्लेड रनर दिलबाग रोजाना सुबह ढाई घंटे और शाम को ढाई घंटे प्रैक्टिस करते हैं। दिलबाग ने बताया कि अमेरिका से 5 लाख रुपए में ब्लेड मंगवाया है। इस ब्लेड की खासियत है कि इसमें लाइनर और शॉकेट लगा होता है जो प्रेशर को ऑब्जर्व करता है। दिलबाग ने बताया कि उसका सारा खर्च उसके पिता उठाते हैं। उसके घर में माता-पिता और दादी के अलावा एक छोटा भाई और है। दौड़ने के साथ लॉन्ग जंप की भी तैयारी कर रहा
बता दें कि दिलबाग हरियाणा के इकलौते ब्लेड रनर हैं। दिलबाग और उसके कोच पैरालिंपिक के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। दिलबाग ने बताया कि वह दौड़ने के अलावा लॉन्ग जंप की भी तैयारी कर रहे हैं। वह मैदान पर दौड़ने के अलावा हफ्ते में दो दिन जिम में प्रैक्टिस भी करते हैं।   हरियाणा | दैनिक भास्कर