हरियाणा के करनाल में सड़क हादसे में हुई युवक की मौत के मामले में परिजनों ने अब हादसे की आशंका अज्ञात वाहन की लापरवाही जताई है। परिवार इससे पहले इसे एक नॉर्मल एक्सीडेंट मान रहा था। पुलिस ने अब धारा 281 और 106 बीएनएस के तहत मामला दर्ज किया है। पुलिस आगे की जांच कर रही है। मृतक घर का इकलौता बेटा था। रात के अंधेरे में सड़क पर हादसा जानकारी अनुसार असंध के डेरा गामा गांव के निवासी पंजाब सिंह 19 अक्टूबर को अपनी धान की फसल बेचकर तरावड़ी अनाज मंडी से घर लौट रहे थे। डाचर-कारसा रोड पर उनकी मोटरसाइकिल एक मोड़ पर दुर्घटनाग्रस्त हो गई। रात का समय होने और सड़क पर पर्याप्त रोशनी न होने के कारण मौके पर उन्हें कोई मदद नहीं मिल सकी। 20 अक्टूबर को पुलिस को सूचना मिली थी कि कारसा रोड के पास एक मोटरसाइकिल और शव सड़क किनारे पड़े हैं। पुलिस ने मौके पर पहुंच कर छानबीन की और शव को करनाल अस्पताल में भिजवाया। प्राथमिक जांच में मृतक के चेहरे और शरीर पर चोट के निशान पाए गए थे। अज्ञात वाहन से टक्कर की आशंका शुरुआत में परिवार ने इसे नॉर्मल एक्सीडेंट समझा। लेकिन आसपास के गांवों में जानकारी जुटाने और पूछताछ के बाद परिवार को पता चला कि यह हादसा किसी अज्ञात वाहन की लापरवाही के कारण हुआ। मृतक की पत्नी मनप्रीत कौर ने पुलिस अधीक्षक करनाल को शिकायत देकर अपने पति की मौत के लिए अज्ञात वाहन और उसके चालक को जिम्मेदार ठहराया। इकलौता बेटा था पंजाब सिंह मृतक के चहेरे भाई बलतार सिंह ने बताया कि पंजाब सिंह घऱ का इकलौता बेटा था। उसकी एक छोटी बहन भी हैं। पंजाब के पास दो बच्चे हैं। जिसमें 12 साल का लड़का और 8 साल की लड़की हैं। हादसे के बाद से ही दोनों बच्चों और पूरे परिवार का रो रोकर बुरा हाल हैं। परिवार पर दुखों का पहाड़ टूटा है। पुलिस ने किया मामला दर्ज पहले पुलिस ने इस मामले में बीएनएस की धारा 196 के तहत कार्रवाई की गई थी। मृतक की पत्नी की शिकायत पर थाना निसिंग पुलिस ने धारा 281 और 106 बीएनएस के तहत अज्ञात वाहन और चालक के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। जांच अधिकारी अजैब सिंह ने बताया कि मृतक की पत्नी की शिकायत पर अज्ञात वाहन के खिलाफ मामला दर्ज किया है। मामले की जांच की जा रही है। हरियाणा के करनाल में सड़क हादसे में हुई युवक की मौत के मामले में परिजनों ने अब हादसे की आशंका अज्ञात वाहन की लापरवाही जताई है। परिवार इससे पहले इसे एक नॉर्मल एक्सीडेंट मान रहा था। पुलिस ने अब धारा 281 और 106 बीएनएस के तहत मामला दर्ज किया है। पुलिस आगे की जांच कर रही है। मृतक घर का इकलौता बेटा था। रात के अंधेरे में सड़क पर हादसा जानकारी अनुसार असंध के डेरा गामा गांव के निवासी पंजाब सिंह 19 अक्टूबर को अपनी धान की फसल बेचकर तरावड़ी अनाज मंडी से घर लौट रहे थे। डाचर-कारसा रोड पर उनकी मोटरसाइकिल एक मोड़ पर दुर्घटनाग्रस्त हो गई। रात का समय होने और सड़क पर पर्याप्त रोशनी न होने के कारण मौके पर उन्हें कोई मदद नहीं मिल सकी। 20 अक्टूबर को पुलिस को सूचना मिली थी कि कारसा रोड के पास एक मोटरसाइकिल और शव सड़क किनारे पड़े हैं। पुलिस ने मौके पर पहुंच कर छानबीन की और शव को करनाल अस्पताल में भिजवाया। प्राथमिक जांच में मृतक के चेहरे और शरीर पर चोट के निशान पाए गए थे। अज्ञात वाहन से टक्कर की आशंका शुरुआत में परिवार ने इसे नॉर्मल एक्सीडेंट समझा। लेकिन आसपास के गांवों में जानकारी जुटाने और पूछताछ के बाद परिवार को पता चला कि यह हादसा किसी अज्ञात वाहन की लापरवाही के कारण हुआ। मृतक की पत्नी मनप्रीत कौर ने पुलिस अधीक्षक करनाल को शिकायत देकर अपने पति की मौत के लिए अज्ञात वाहन और उसके चालक को जिम्मेदार ठहराया। इकलौता बेटा था पंजाब सिंह मृतक के चहेरे भाई बलतार सिंह ने बताया कि पंजाब सिंह घऱ का इकलौता बेटा था। उसकी एक छोटी बहन भी हैं। पंजाब के पास दो बच्चे हैं। जिसमें 12 साल का लड़का और 8 साल की लड़की हैं। हादसे के बाद से ही दोनों बच्चों और पूरे परिवार का रो रोकर बुरा हाल हैं। परिवार पर दुखों का पहाड़ टूटा है। पुलिस ने किया मामला दर्ज पहले पुलिस ने इस मामले में बीएनएस की धारा 196 के तहत कार्रवाई की गई थी। मृतक की पत्नी की शिकायत पर थाना निसिंग पुलिस ने धारा 281 और 106 बीएनएस के तहत अज्ञात वाहन और चालक के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। जांच अधिकारी अजैब सिंह ने बताया कि मृतक की पत्नी की शिकायत पर अज्ञात वाहन के खिलाफ मामला दर्ज किया है। मामले की जांच की जा रही है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हरियाणा के 14 शहरों में ग्रैप टू लागू:प्रदूषण से गंभीर हो रही स्थिति, कुरुक्षेत्र में AQI 423 पर पहुंचा, पराली जलाने पर सख्ती
हरियाणा के 14 शहरों में ग्रैप टू लागू:प्रदूषण से गंभीर हो रही स्थिति, कुरुक्षेत्र में AQI 423 पर पहुंचा, पराली जलाने पर सख्ती हरियाणा में वातावरण में नमी की अधिकता के कारण प्रदूषण स्मॉग का रूप ले रहा है। इससे सांसों पर संकट पैदा हो गया है। औद्योगिक, वाहनों और पराली के धुएं से प्रदूषण बढ़ता रहा है। हरियाणा में कुरुक्षेत्र जिले में मैक्सिमम एक्यूआई 423 पर पहुंच गया जो अति गंभीर श्रेणी में आता है। इसके अलावा हरियाणा के 14 शहरों में एक्यूआई 300 से ऊपर दर्ज किया गया। अगर प्रदूषण ऐसे ही बढ़ता गया तो हरियाणा में हेल्थ ईमरजेंसी जैसे हालात पैदा हो सकते हैं। वहीं दिल्ली-एनसीआर में आज सुबह 8 बजे से ग्रैप टू लागू कर दिया गया है। एनसीआर में हरियाणा के फरीदाबाद, गुरुग्राम, नूंह, रोहतक, सोनीपत, रेवाड़ी, झज्जर, पानीपत, पलवल, भिवानी, चरखी दादरी , महेन्द्रगढ, जींद और करनाल जिले आते हैं। जिसमें ग्रैप टू की पाबंदियां इन जिलों में भी लागू होगी। वहीं डॉक्टरों ने प्रदूषण में बाहर निकलने से पहले N-95 मास्क पहनने की सलाह दी है। इसके अलावा आंखों को नियमित रूप से बार-बार धोने को कहा है ताकि शरीर पर स्मॉग के पड़ने वाले प्रभाव को कम किया जा सके। बता दें कि एनसीआर में एक सप्ताह पहले एक्यूआई 200 पार पहुंच गया था जिससे ग्रैप वन की पाबंदियां लागू की गई थी। हिसार में फसल अवशेष जलाने पर 11 एफआइआर दर्ज
हिसार जिले में फसल अवशेष जलाने पर कृषि विभाग द्वारा 11 एफआइआर दर्ज करवाई गई है। बरवाला खंड के सरसाना गांव के वेदपाल व नया गांव के राजपाल व खरक गांव के गुरदीप पर और नारनौंद खंड के शाहपुर गांव के सुरजीत, बुढ़ाना गांव के बलजीत व संजीव तथा हांसी खंड के साला डेयरी गांव के सुरेन्द्र, उकलाना खंड के बिठमड़ा गांव के जयवीर, पाबड़ा गांव के बलवंत व अनिल, अग्रोहा गांव के हनुमान पर फसल अवशेष जलाने पर एफआइआर दर्ज हुई है। कुरुक्षेत्र में 39 किसानों के खिलाफ केस, 58 के फार्म रिकार्ड में रेड एंट्री दर्ज
कुरुक्षेत्र में अब तक 58 किसानों के फॉर्म रिकार्ड में रेड एंट्री दर्ज की है। 58 और किसानों पर कार्रवाई की तैयारी है। 39 किसानों के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने के लिए पुलिस को कागज सौंप दिए हैं। वहीं, अंबाला में फसल अवशेष जलाने पर 35 किसानों पर कार्रवाई करते हुए कृषि अभिलेखों में रेड एंट्री की गई। दो किसानों के खिलाफ एफआइआर दर्ज की गई। जबकि जींद में 38 जगहों पर पराली में आग लगी है। 38 किसानों की रेड एंट्री हुई और 17 पर मामला दर्ज किया गया है। फतेहाबाद में तीन पटवारी सहित 16 को नोटिस जारी
फतेहाबाद में कार्रवाई में लापरवाही करने पर तीन पटवारी सहित 16 अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। तीन एफआइआर दर्ज कर चार किसानों पर मामला दर्ज किया है। एक खेत के मालिक पर भी मामला दर्ज हुआ है। 23 किसानों की रेड एंट्री कर दी है। सिरसा में पराली जलाने पर भू मालिक तीन महिलाओं के खिलाफ एफआइआर दर्ज हुई। पानीपत में SDO सहित 11 कर्मचारियों को नोटिस जारी किया गया। कैथल में 14 किसान गिरफ्तार, मिली जमानत
पराली जलाने के अलग-अलग 14 मामलों की जांच के दौरान 14 किसानों को गिरफ्तार कर लिया गया है। सभी को जमानत पर छोड़ दिया गया है। अब तक 123 मामले आ चुके हैं। इधर, करनाल में नौ गिरफ्तार किए गए और उन्हें जमानत भी मिल गई जबकि चार की तलाश जारी है। यमुनानगर में भी तीन और जगहों पर पराली जलाने के मामले सामने आए। डीडीए डा. आदित्य प्रताप डबास ने तीनों मामलों में संबंधित थाना में केस दर्ज कराया है।
गुरूग्राम में स्वास्थ्य मंत्री ने किया एसएनसीयू का उद्घाटन:एक बार में होगा 14 बच्चों का उपचार, नवजात मृत्यु की रूकेगी दर
गुरूग्राम में स्वास्थ्य मंत्री ने किया एसएनसीयू का उद्घाटन:एक बार में होगा 14 बच्चों का उपचार, नवजात मृत्यु की रूकेगी दर हरियाणा के गुरूग्राम जिला में स्वास्थ्य क्षेत्र के ढांचागत तंत्र को मजबूती प्रदान करते हुए सोमवार को हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री डॉ कमल गुप्ता ने वर्चुअल माध्यम से उप-मंडल अस्पताल सोहना स्थित नागरिक अस्पताल में विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाई (एसएनसीयू) का उद्घाटन किया। 41 लाख की लागत से निर्मित इस इकाई में एक बार में 14 बच्चों का उपचार हो सकेगा। यह यूनिट उन्नत इनक्यूबेटर, व्यापक निगरानी प्रणाली, गंभीर देखभाल के लिए विशेष उपचार क्षेत्र, नवजात स्वास्थ्य पेशेवरों की एक समर्पित टीम सहित अन्य आधुनिक उपकरणों से लैस है। प्रत्येक बच्चे को जीवन में सर्वोत्तम संभव मिले शुरुआत स्वास्थ्य मंत्री डॉ कमल गुप्ता ने कहा कि यह इकाई नवजात मृत्यु दर को रोकने के लिए कारगर साबित होगी। यह इकाई समय से पहले जन्म, जन्म के समय कम वजन, संक्रमण और जन्म के समय श्वास में अवरोध जैसी गंभीर स्वास्थ्य स्थितियों वाले नवजात शिशुओं को गहन देखभाल प्रदान करेगी। उन्होंने हरियाणा में स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे और सेवाओं में सुधार के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह पहल यह सुनिश्चित करने के व्यापक प्रयास का हिस्सा है कि राज्य में जन्म लेने वाले प्रत्येक बच्चे को जीवन में सर्वोत्तम संभव शुरुआत मिले। इस दौरान उन्होंने सिविल सर्जन डॉ. वीरेंद्र यादव से अस्पताल में मरीजों की संख्या, संस्थान की उपलब्धियों और अन्य प्रमुख पहलुओं के बारे में जानकारी ली। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि नवजात को समय पर बेहतर इलाज के माध्यम से हर वर्ष बढ़ रही शिशु मृत्यु दर को कम किया जा सकता है। इसके लिए लोगों को भी जागरूक करने की आवश्यकता है। सिविल सर्जन ने बताई इकाई की विशेषता सिविल सर्जन डॉ. वीरेंद्र यादव ने स्वास्थ्य मंत्री को इकाई की अन्य प्रमुख पहलुओं के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि यह एसएनसीयू गहन चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता वाले नवजात शिशुओं के लिए विशेष देखभाल प्रदान करने के लिए समर्पित है। यह इकाई उन्नत चिकित्सा तकनीक से सुसज्जित है और इसमें अत्यधिक कुशल नवजात शिशु विशेषज्ञों, नर्सों और सहायक कर्मचारियों की एक टीम है, जो सबसे कमजोर रोगियों के लिए देखभाल के उच्चतम मानकों को सुनिश्चित करती है। देखभाल की गुणवत्ता को बढ़ाना उद्देश्य उन्होंने कहा कि एसएनसीयू की स्थापना सोहना क्षेत्र में नवजात स्वास्थ्य सेवा में सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम है। इसका उद्देश्य शिशु मृत्यु दर को कम करना और नवजात शिशुओं की देखभाल की गुणवत्ता को बढ़ाना है। इन सुविधाओं से लैस है, इकाई सिविल सर्जन ने बताया कि इकाई में 14 रेडिएंट वार्मर, एलईडी फोटोथेरेपी की 4 यूनिट, 6 पल्स ऑक्सीमीटर उपलब्ध है। वहीं नवजात शिशुओं की देखभाल के लिए एक बाल रोग विशेषज्ञ, 9 नर्सिंग अधिकारी 2 चिकित्सा अधिकारी 24-7 अपनो सेवाएं दे रहे हैं।
करनाल में धान खरीद में फर्जीवाड़ा:फिजिकल वैरिफिकेशन में कम मिला 4 हजार क्विंटल, राइस मिलर्स के खिलाफ जांच शुरू
करनाल में धान खरीद में फर्जीवाड़ा:फिजिकल वैरिफिकेशन में कम मिला 4 हजार क्विंटल, राइस मिलर्स के खिलाफ जांच शुरू हरियाणा के करनाल में फर्जी धान की खरीद का मामला एक फिर से उठा है। विभागीय जांच के दौरान 4 हजार क्विंटल धान गायब पाई गई है। मामला सुर्खियों में आने के बाद जिला उपायुक्त ने भी मामले पर संज्ञान लिया और गड़बड़ी वाली मिलों की भी पीवी करवाने के निर्देश जारी कर दिए। अब प्रशासन यह जानने का प्रयास कर रहा है कि आखिर गड़बड़ी कितनी हुई है। पहली ही पीवी में 4 हजार क्विंटल कम आईएएस अधिकारी योगेश सैनी के नेतृत्व में राइस मिल में फिजिकल वैरिफिकेशन की गई। प्रशासनिक जांच का यह पहला फेस था और पहले फेस ने ही बड़ा झटका दे दिया। करीब चार हजार क्विंटल धान कम मिली। जब पहले फेस में ही यह हालात है तो आगे फिजिकल वैरिफिकेशन होगी तो भ्रष्टाचार की ओर भी परते हटती नजर आएगी। इतनी स्पीड से काटे गए गेट पास जब भी गेट पास काटा जाता है तो उसे में औसतन दो से तीन मिनट लगता है। लेकिन जिले कई मंडियों में तो तेज रफ्तार से गेट पास काटकर रख दिए। शक ऐसे भी गहराता है कि जिस गेट पास को कटने में दो से तीन मिनट का टाइम लगता है, उन्हीं गेट पास को 41 सेकेंड दो बार और 2 मिनट 35 सेकेंड में तीन बार काट दिया जाता है। जिसके बाद निसिंग मंडी में 772 गेट पास कैंसिल किए गए। जिसका वजन 42 हजार 633 क्विंटल बनता था। निगदू, इंद्री, तरावड़ी, घरौंडा, करनाल और असंध की मंडियों गेट पास का यही तरीका है। वहीं डीएफएससी की माने तो पूरे मामले की जांच जारी है और गड़बड़ी करने वालों पर एक्शन लिया जाएगा। सवालों के घेरे में मंडी से जुड़े अधिकारी, कर्मचारी और व्यापारी भ्रष्टाचार की जड़े कुरेदी गई और खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अधिकारियों की चूल्ले हिल गई। अब जिम्मेदार खुद को बचाने की जुगत में है और हड़बड़ी में उन राइस मिलर्स के खिलाफ जांच शुरू कर दी, जहां पर धान कम पाया गया है। ऐसे में अधिकारियों की हड़बड़ाहट ने कई सवाल खड़े कर दिए है। जिनकी तरफ आखिर प्रशासन का ध्यान नहीं जाता। कागजो में ही लिखी जाती है भ्रष्टाचार की पटकथा यूथ फॉर चेंज के अध्यक्ष एडवोकेट राकेश ढुल ने बताया कि फर्जी खरीद का खेल कोई एक अधिकारी या कर्मचारी या फिर मंडी से जुड़ा व्यक्ति नहीं कर सकता। इसके लिए पूरे टीम वर्क की जरूरत होती है। कैसे धान को कागजों में उगाना है? कैसे कागजों में ही धान का फर्जी गेट पास कटेगा? कैसे आढ़ती की दुकान के कागजों में चढ़ेगा? कैसे कागजों में ही खरीद एजेंसी धान की परचेज करेगी? कैसे मिलर्स कागजों में ही धान की बोरिया ट्रक में लोड होकर जाएगी? भ्रष्टाचार की पटकथा कागजों में ही लिखी जाती है और उसी में दब जाती है, लेकिन इस तरफ किसी का भी ध्यान नहीं जाता। यह कार्य बिना किसी अधिकारी, आढ़ती या फिर सरकारी खरीद एजेंसियों के इंस्पेक्टरों की मर्जी के बिना नहीं हो सकता। कैसे रचा जाता है भ्रष्टाचार का चक्रव्यूह अक्सर यह सवाल मन में आते है कि मंडी में फर्जी खरीद होती कैसे है और कैसे भ्रष्टाचार होता है? उन्हीं को कुछ आसान तरीके से समझने का प्रयास करते है। एडवोकेट राकेश ढूल के मुताबिक, मंडी में किसान का धान आते ही गेट पर पास कट जाता है। इसमें अनुमानित वजह होता है। गेट पास के माध्यम से ही पता चलता है कि किस आढ़ती के पास धान आया और किस एजेंसी ने खरीदा और किस मिलर्स को भेजा गया। जे फार्म कटने के बाद धान की खरीद का पैसा ऑनलाइन ट्रांसफर हो जाता है। फर्जी गेट पास से शुरू होता है भ्रष्टाचार का फर्स्ट फेस भ्रष्टाचार में फर्स्ट फेस फर्जी गेट पास से शुरू होता है। सेकेंड फेज धान की परचेज से शुरू होता है। इसमें खरीद एजेंसी का निरीक्षक और आढ़ती फर्जी गेट पास के नाम पर चढ़ी धान की सरकारी कागजों में खरीद दिखा देते है, अर्थात कागजों में धान उग जाती है। इसमें आढ़ती की अमाउंट प्रतिशत पहले से ही सेट होती है। किसी किसान के नाम पर धान का जे फार्म काट देते है और फिर किसी राइस मिलर्स को सीएसआर के लिए धान अलॉट कर दी जाती है। जे फार्म वाले किसान के खाते में पैसा आ जाता है और वह सब बंट जाता है और यह काम खरीद एजेंसी के जिम्मेदारों के मार्फत हो सकता है। गरीबों के चावल पर मिलर्स का डाका जो धान कागजों में थी उसको वास्तविक रूप में दिखाने के लिए मिलर्स यूपी और बिहार से गरीबों को मिलने वाले चावल को सस्ते रेट पर खरीद लेता है। इससे मिलर्स का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि वह मिलिंग का खर्च बचा लेता है और सस्ते में चावल खरीदकर एफसीआई को भेज देता है और यूपी व बिहार के चावल माफिया द्वारा यह कार्य किया जाता है। ऐसे में एमएसपी का लाभ किसान को न जाकर भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत मिलने वाले चावल को फूड माफिया के जरिए मिलर्स डकार लेते है। खानापूर्ति तक सीमित रह जाता है सब कुछ आकृति संस्था के अध्यक्ष अनुज सैनी की माने तो फिजिकल वैरिफिकेशन महज खानापूर्ति तक सीमित है। जनता को लगे कि प्रशासन द्वारा एक्शन लिया जा रहा है, इसके लिए एक नोटिस जारी कर दिया जाता है और आगे की जांच भी इंस्पेक्टर को ही करनी होती है। यहां पर तो वह कहावत चरितार्थ हो जाती है कि दूध की रखवाली बिल्ली को ही दे दी। जब तक सिस्टम में कड़ी कार्रवाई का प्रावधान नहीं होगा, इस तरह की खानापूर्ति चलती रहेगी। यह होता आया है और आगे भी इसी तरह से होता रहेगा। जांच के नाम पर महज खाना पूर्ति।