हिमाचल प्रदेश के जिला शिमला के जंगलों में वन माफिया सक्रिय है। विभाग के कड़े पहरे के बावजूद माफिया तस्करी के कार्य को अंजाम दे रहे है। जिले के कई क्षेत्रों में रात के अंधेरे में वन माफिया पेड़ों को काटकर रातों रात गायब कर रहे है। ताजा मामला शिमला के जुब्बल क्षेत्र में सामने आया है, जहां रात के अंधेरे में अज्ञात लोग देवदार के 2 पेड़ों का काटकर गायब कर गए। इन पेड़ों की कीमत पौने 5 लाख है। पुलिस के अनुसार, जुब्बल थाने में दिग्विजय सिंह निवासी गांव हाटकोटी ने मामला दर्ज करवाया है। बताया कि वह जुब्बल में मंडलीय वन अधिकारी के पद पर तैनात है। बताया कि शुक्रवार की रात को कुछ अज्ञात लोगों ने आधी रात के समय यूपीएफ केल्वी से देवदार के 2 पेड़ों को काट दिया। इन पेड़ों की कीमत 4,67,757 रुपए बताई जा रही है। उधर, पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर चोरों की तलाश शुरू कर दी है। पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ भारतीय वन अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। हिमाचल प्रदेश के जिला शिमला के जंगलों में वन माफिया सक्रिय है। विभाग के कड़े पहरे के बावजूद माफिया तस्करी के कार्य को अंजाम दे रहे है। जिले के कई क्षेत्रों में रात के अंधेरे में वन माफिया पेड़ों को काटकर रातों रात गायब कर रहे है। ताजा मामला शिमला के जुब्बल क्षेत्र में सामने आया है, जहां रात के अंधेरे में अज्ञात लोग देवदार के 2 पेड़ों का काटकर गायब कर गए। इन पेड़ों की कीमत पौने 5 लाख है। पुलिस के अनुसार, जुब्बल थाने में दिग्विजय सिंह निवासी गांव हाटकोटी ने मामला दर्ज करवाया है। बताया कि वह जुब्बल में मंडलीय वन अधिकारी के पद पर तैनात है। बताया कि शुक्रवार की रात को कुछ अज्ञात लोगों ने आधी रात के समय यूपीएफ केल्वी से देवदार के 2 पेड़ों को काट दिया। इन पेड़ों की कीमत 4,67,757 रुपए बताई जा रही है। उधर, पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर चोरों की तलाश शुरू कर दी है। पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ भारतीय वन अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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कीरतपुर-मनाली फोरलेन खतरे में:सुंदरनगर बाईपास धंसा, एक लेन पर वाहनों की आवाजाही बंद, 90 करोड़ से किया निर्माण हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश के बाद कीरतपुर-मनाली फोरलेन फिर खतरे में पड़ गया है। करीब 90 करोड़ की लागत से बना सुंदरनगर बाईपास धंसने लगा है। इसे देखते हुए एहतियात के तौर पर एक लेन को वाहनों के लिए बंद कर दिया गया है। सुंदरनगर के पुंघ में बाईपास पर सड़क के बीचों-बीच और सड़क के किनारे बने पैरापेट के निचले हिस्से में बड़ी दरारें पड़ने लगी हैं। इन दिनों प्रदेश में रोजाना बारिश हो रही है। पिछले 24 घंटों के दौरान सुंदरनगर में सबसे ज्यादा बारिश हुई है। इससे बाईपास को खतरा बढ़ गया है। बता दें कि कीरतपुर-मनाली फोरलेन पर सुंदरनगर के पुंघ से नौलखा तक बाईपास बनाया गया है। इस हाईवे पर 19 जून को वाहनों की आवाजाही शुरू हुई थी। लेकिन अब इसकी एक लेन को बंद कर दिया गया है। क्वालिटी को लेकर उठ रहे सवाल इससे सड़क निर्माण की गुणवत्ता को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं। ऐसे में यदि बाइपास धंस जाता है तो इससे आने वाले दिनों में स्थानीय लोगों सहित सैलानियों को भी परेशानी झेलनी पड़ेगी। बीते साल भी बरसात में इस फोरलेन को भारी बारिश से नुकसान हुआ था। कीरतपुर से पुंघ तक PM ने 10 मार्च को किया उद्घाटन कीरतपुर से सुंदरनगर के पुंघ तक तक फोरलेन का बीते 10 मार्च को दिल्ली से वर्चुअली जुड़कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उद्घाटन कर चुके हैं। मगर सुंदरनगर से मनाली तक अभी जगह जगह फोरलेन का काम चला हुआ है। इस वजह से अभी सुंदरनगर बाइपास का उद्घाटन भी नहीं पाया था। मगर इसे पूरी तरह तैयार कर दिया गया था। अब यह दोबारा बंद हो गया है। पंजाब के कीरतपुर से सुंदरनगर के पुंघ तक की दूरी 37 किलोमीटर कम हो गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल हाईकोर्ट कॉलेजियम का फैसला किया रद्द:2 जिला जलों की प्रमोशन का मामला; शीर्ष अदालत ने पहली बार ऐसा फैसला दिया
सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल हाईकोर्ट कॉलेजियम का फैसला किया रद्द:2 जिला जलों की प्रमोशन का मामला; शीर्ष अदालत ने पहली बार ऐसा फैसला दिया सुप्रीम कोर्ट (SC) ने हिमाचल प्रदेश कॉलेजियम के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें पदोन्नति के लिए 2 वरिष्ठ जिला जजों की दावेदारी को नजरअंदाज किया था। SC ने 32 सीनियर जिला जजों की याचिका को स्वीकार करते हुए इस साल की शुरुआत में हुई कॉलेजियम की चयन प्रक्रिया को रद्द कर दिया। बता दें कि हिमाचल के बिलासपुर के डिस्ट्रिक्ट जज चिराग भानु सिंह और सोलन के जिला जज अरविंद मल्होत्रा बीते मई माह में सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। उन्होंने कॉलेजियम के फैसले को चुनौती दी थी। इनकी याचिका की सुनवाई करते हुए जस्टिस ऋषिकेष रॉय और प्रशांत कुमार मिश्रा की बैंच ने कहा, परामर्श के अभाव में कॉलेजियम का निर्णय इसलिए प्रभावित हुआ, क्योंकि हिमाचल हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने निजी तौर पर 2 जिला जजों के नामों पर पुनर्विचार नहीं करने का निर्णय लिया था। कोर्ट ने कहा, ऐसा लग रहा है यह अकेले मुख्य न्यायाधीश का निर्णय है। कॉलेजियम को सामूहिक रूप से विचार विमर्श करना होगा। बताया जा रहा है कि कॉलेजियम के फैसले में SC के हस्तक्षेप का पहला उदाहरण है। इस तरह के मामलों को आमतौर पर अदालत द्वारा प्रशासनिक रूप से निपटाया जाता है। जिला जजों के नाम पर पुनर्विचार करने को कहा कॉलेजियम के फैसलों के खिलाफ याचिकाओं पर विचार करते समय व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाया जाता है। डबल बैंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को कॉलेजियममें अन्य जजों से सलाह लेनी चाहिए थी। कोर्ट ने निर्देश दिया कि हाईकोर्ट कॉलेजियम को अब निर्धारित मानदंडों के अनुसार 2 जिला जजों के नामों पर पुनर्विचार करना चाहिए। यह प्रक्रिया मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर के तहत होनी चाहिए, जो संवैधानिक अदालतों में जजों की नियुक्ति का मार्गदर्शन करती है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे 2 जिला जज बता दें कि हिमाचल के बिलासपुर के डिस्ट्रिक्ट जज चिराग भानु सिंह और सोलन के जिला जज अरविंद मल्होत्रा बीते मई माह में सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। उन्होंने कॉलेजियमके फैसले को चुनौती देते हुए कहा था, कि हिमाचल हाईकोर्ट कॉलेजियम ने उनकी मेरिट और सीनियारिटी दोनों को नजरअंदाज किया। हाईकोर्ट के जजों की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की स्पेसिफिक रेकमेंडेशन को भी मानने से इनकार कर दिया। क्या बोले जिला जजों के एडवोकेट जिला जजों की तरफ से सीनियर एडवोकेट अरविंद दातार ने तर्क दिया कि जूनियर न्यायिक अधिकारियों की सिफारिश इन-सर्विस कोटा के तहत हाईकोर्ट के जज के पद के लिए की गई। इस क्रम में याचिकाकर्ताओं की अनदेखी की गई, जो अधिक सीनियर थे। हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट कॉलेजियम ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सलाह और बाद में केंद्रीय कानून मंत्री द्वारा सिंह और मल्होत्रा के नामों पर पुनर्विचार करने के अनुरोध पर भी ध्यान नहीं दिया।
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