‘हमारी बेटी स्कूल गई थी। वहां एक लड़की ने उसे धक्का दिया और वो गमले पर गिर गई। उसके सिर के पिछले हिस्से में चोट लगी और फिर उसकी ऐसी हालत हुई की डॉक्टर्स ने जिंदा बचने की उम्मीद छोड़ दी। लेकिन बीएचयू के ट्रॉमा सेंटर के डॉक्टर्स ने मेरी बेटी को नया जीवन दिया है। अभी भी उसे थोड़ी सांस लेने में दिक्कत है लेकिन उसका इलाज यहां पिछले तीन साल से मुफ्त चल रहा है। डॉक्टर्स का कहना है कि जल्द ही वह ठीक हो जाएगी।’ ये कहकर बिहार के रोहतास के सेमरी गांव के मुन्ना कुमार गुप्ता फफक पड़े। उन्होंने कहा मेरी बेटी को सांस लेने में दिक्कत है लेकिन ट्रॉमा सेंटर के डॉक्टर्स के इलाज से अब वह उठ पा रही है। मुन्ना कुमार गुप्ता की बेटी प्रिया गुप्ता का साल 2022 से इलाज चल रहा है। आयुष्मान कार्ड के जरिए अभी तक उसके ऊपर 15 लाख रुपए खर्च हो चुके हैं। मुन्ना ने कहा बेटी अभी पूरी तरह से सही नहीं है। ऐसे में हम प्रार्थना कर रहे हैं की वह जल्द से जल्द ठीक हो जाए ताकि हम उसे लेकर वापस घर जा सकें। मुन्ना की बेटी को चोट कैसे लगी ? उसका इलाज कैसे हो रहा है? और अभी प्रिया की कंडीशन क्या है ? इन सब पर हमने प्रिया के पिता और आईसीयू इंचार्ज और बीएचयू ट्रॉमा सेंटर में आयुष्मान कार्ड की नोडल डॉक्टर कविता मीणा से बात की। पेश है इस बातचीत के खास अंश… सबसे पहले बीमार बेटी के पिता मुन्ना कुमार गुप्ता से बातचीत; जिन्होंने कहा सरकार करा रही इलाज… दैनिक भास्कर की टीम जब बीएचयू ट्रामा सेंटर पहुंची तो प्रिया गुप्ता आईसीयू में अपने बेड नंबर-15 पर नहीं मिली। सिक्योरिटी और मेडिकल स्टाफ से पूछने पर पता चला अब प्रिया रिकवर कर रही है। शायद अपने माता-पिता के साथ धूप लेने व्हील चेयर से हॉस्टल की तरफ नीचे गई हो। हम हॉस्टल की तरफ बढ़े तो प्रिया अपने पिता मुन्ना और मां के साथ ट्रॉमा सेंटर की मेन बिल्डिंग के सामने धूप लेती मिली। हमने जब मुन्ना से बातचीत शुरू की तो प्रिया बार-बार वापस चलने को कहने लगी तो मुन्ना ने समझाया। उसके बाद मुन्ना ने हमसे बात की। स्कूल में खेलते समय लगी थी चोट
मुन्ना गुप्ता बिहार के रोहतास जिले के सेमरी गांव के रहने वाले हैं। मुन्ना ने बताया- मेरी बेटी स्कूल जाती थी। एकलौती होने की वजह से वो मेरी और पत्नी की लाडली बिटिया है। साल 2019 में एक दिन अचानक से स्कूल से फोन आया कि आप की बेटी गिर गई है। उसे सिर में चोट लगी है। वहां पहुंचे तो पता चला किसी लड़की ने खेलते समय प्रिया को धक्का दिया और वो सीधे मिटटी के गमले पर गिरी जिससे उसे गर्दन के पीछे चोट लगी। हम उसे घर ले आये। धीरे-धीरे आने लगी कमजोर और चलने में दिक्कत
मुन्ना ने बताया- कुछ ही दिन के बाद प्रिया को चलने में दिक्कत आने लगी। उसे कमजोरी होने लगी और उसका स्कूल जाना बंद हो गया। जिसके बाद हम उसे जिला चिकित्सालय ले गए। वहां के डॉक्टर ने बेटी की गर्दन का भी एक्सरे करवाया तो उसमे सामने आया कि उसकी सर्वाइकल की सी-1 और सी-2 में चोट लग गई जिससे वो टूट के अलग हो गए। इसे यह दिक्कत हो रही है। रेफर किया बीएचयू ट्रॉमा सेंटर
मुन्ना ने बताया – डॉक्टर ने बेटी को बीएचयू ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया। वो गरीब परिवार के हैं और छोटी सी चाय-पान की दुकान चलाते हैं। बेटी के इलाज के लिए भी पैसे नहीं थे। लोगों से कर्जा करके वाराणसी लाए और ट्रॉमा सेंटर में अप्रैल 2022 में एडमिट कर दिया। तब से उसका यहां इलाज चल रहा है। यहां ऑपरेशन हुआ जिसके बाद उसे सांस लेने में दिक्कत होने लगी थी। उसका अब इलाज चल रहा है। जो की आयुष्मान कार्ड से बिलकुल मुफ्त हो गया है। धीरे-धीरे बेटी जैसे बेड पर लेट गई थी अब रिकवर कर रही है लेकिन अभी भी उसे सांस लेने में दिक्कत होती है। इसलिए अस्पताल में है। अब जानिए आईसीयू की इंचार्ज और आयुष्मान कार्ड की बीएचयू ट्रॉमा सेंटर की नोडल अधिकारी प्रोफेसर डॉ कविता मीणा से प्रिया की पूरी केस हिस्ट्री और वह कब तक स्वस्थ होगी के बारे में… सर्वाइकल की सी-1 और सी-2 हुई थी डैमेज
डॉक्टर कविता ने बताया- साल 2022 में जब प्रिया यहां आयी तो हमने उसकी केस हिस्ट्री को समझा तो पता चला वो स्कूल में गिरी थी और उसकी गर्दन में चोट लगी थी। जिससे उसके सर्वाइकल की सी-1 और सी-2 में इंजरी हुई थी और दोनों टूट के अलग हो गई थी। उसे चलने फिरने में दिक्कत होने लगी। जिला अस्पताल ने उसे यहां रेफर किया था। तब से ही बच्ची यहां एडमिट है और उसका इलाज जारी है। आयुष्मान से हो रहा है इलाज, मिल रही है सभी सुविधा
डॉ मीणा ने बताया- जब से प्रिया यहां है ता से ही उसका इलाज आयुष्मान से हो रही है। आयुष्मान से जो सुविधा मिलती है वो भी और जो अस्पताल की सुविधा है वो भी हम मुफ्त में दे रहे हैं। तीन साल से वो यहां है तो सरकार अभी तक उसे 15 लाख रुपए दिए हैं। उसे सारी सुविधा ट्रामा सेंटर की सबसे पहले दी जाती है। आईसीयू के 30 बेड हैं, जिसमें 15 आयुष्मान से करा रहे हैं इलाज
आयुष्मान की नोडल अधिकारी डॉ कविता मीणा ने बताया- एक दिन का खर्च एक मरीज पर आईसीयू पर करीब 15 से 20 हजार का खर्च आता है। लेकिन बीएचयू ट्रामा सेंटर में 30 बेड आईसीयू का है। जिसमें 15 मरीजों का इलाज आयुष्मान कार्ड के जारी मुफ्त हो रहा है। सरकार का आयुष्मान कार्ड उन्हें मुफ्त इलाज की सेवा दे रही है। आयुष्मान कार्ड सेन्स ऑफ सिक्योरिटी है
डॉक्टर मीणा ने बताया- ट्रॉमा का मतलब ही है कि वह कब होगा किसी को पता नहीं। साथ ही ट्रामा से गुजरने वाला व्यक्ति ज्यादातर दूसरे के जारी यहां लाया जाता है। बहुत कम उसे उसके रिश्तेदार लेकर आते हैं। कभी पुलिस तो कभी एम्बुलेंस छोड़कर जाती है। ऐसे में वो जब बोलने लायक होता है तो हम उससे सबसे पहले यही पूछते हैं कि आयुष्मान कार्ड है क्या? उसके बाद उसका जो इलाज होता है कार्ड रहने पर मुफ्त होता है। तो आयुष्मान कार्ड इलाज की सिक्योरिटी की रूप में बनकर उभरा है। 284 आयुष्मान एडमिशन हुए एक महीने में
डॉक्टर कविता ने बताया- एक महीने में करीब 300 मरीज आयुष्मान कार्ड के बीएचयू ट्रॉमा सेंटर में एडमिट होते हैं। नवंबर महीने की बात करें तो 284 एडमिशन हुआ है। जिनका इलाज आयुष्मान से हो रहा है। जिसमें 50 परसैंट अर्थों के हैं और ज्यादातर इम्प्लांट के मरीज हैं। जिसका खर्च सबसे अधिक होता है। किसी का कूल्हा चेंज करना है। किसी का घुटना तो वो खर्च अगर आयुष्मान कार्ड है तो आप का मुफ्त हो रहा है। तो यह संजीवनी है। ‘हमारी बेटी स्कूल गई थी। वहां एक लड़की ने उसे धक्का दिया और वो गमले पर गिर गई। उसके सिर के पिछले हिस्से में चोट लगी और फिर उसकी ऐसी हालत हुई की डॉक्टर्स ने जिंदा बचने की उम्मीद छोड़ दी। लेकिन बीएचयू के ट्रॉमा सेंटर के डॉक्टर्स ने मेरी बेटी को नया जीवन दिया है। अभी भी उसे थोड़ी सांस लेने में दिक्कत है लेकिन उसका इलाज यहां पिछले तीन साल से मुफ्त चल रहा है। डॉक्टर्स का कहना है कि जल्द ही वह ठीक हो जाएगी।’ ये कहकर बिहार के रोहतास के सेमरी गांव के मुन्ना कुमार गुप्ता फफक पड़े। उन्होंने कहा मेरी बेटी को सांस लेने में दिक्कत है लेकिन ट्रॉमा सेंटर के डॉक्टर्स के इलाज से अब वह उठ पा रही है। मुन्ना कुमार गुप्ता की बेटी प्रिया गुप्ता का साल 2022 से इलाज चल रहा है। आयुष्मान कार्ड के जरिए अभी तक उसके ऊपर 15 लाख रुपए खर्च हो चुके हैं। मुन्ना ने कहा बेटी अभी पूरी तरह से सही नहीं है। ऐसे में हम प्रार्थना कर रहे हैं की वह जल्द से जल्द ठीक हो जाए ताकि हम उसे लेकर वापस घर जा सकें। मुन्ना की बेटी को चोट कैसे लगी ? उसका इलाज कैसे हो रहा है? और अभी प्रिया की कंडीशन क्या है ? इन सब पर हमने प्रिया के पिता और आईसीयू इंचार्ज और बीएचयू ट्रॉमा सेंटर में आयुष्मान कार्ड की नोडल डॉक्टर कविता मीणा से बात की। पेश है इस बातचीत के खास अंश… सबसे पहले बीमार बेटी के पिता मुन्ना कुमार गुप्ता से बातचीत; जिन्होंने कहा सरकार करा रही इलाज… दैनिक भास्कर की टीम जब बीएचयू ट्रामा सेंटर पहुंची तो प्रिया गुप्ता आईसीयू में अपने बेड नंबर-15 पर नहीं मिली। सिक्योरिटी और मेडिकल स्टाफ से पूछने पर पता चला अब प्रिया रिकवर कर रही है। शायद अपने माता-पिता के साथ धूप लेने व्हील चेयर से हॉस्टल की तरफ नीचे गई हो। हम हॉस्टल की तरफ बढ़े तो प्रिया अपने पिता मुन्ना और मां के साथ ट्रॉमा सेंटर की मेन बिल्डिंग के सामने धूप लेती मिली। हमने जब मुन्ना से बातचीत शुरू की तो प्रिया बार-बार वापस चलने को कहने लगी तो मुन्ना ने समझाया। उसके बाद मुन्ना ने हमसे बात की। स्कूल में खेलते समय लगी थी चोट
मुन्ना गुप्ता बिहार के रोहतास जिले के सेमरी गांव के रहने वाले हैं। मुन्ना ने बताया- मेरी बेटी स्कूल जाती थी। एकलौती होने की वजह से वो मेरी और पत्नी की लाडली बिटिया है। साल 2019 में एक दिन अचानक से स्कूल से फोन आया कि आप की बेटी गिर गई है। उसे सिर में चोट लगी है। वहां पहुंचे तो पता चला किसी लड़की ने खेलते समय प्रिया को धक्का दिया और वो सीधे मिटटी के गमले पर गिरी जिससे उसे गर्दन के पीछे चोट लगी। हम उसे घर ले आये। धीरे-धीरे आने लगी कमजोर और चलने में दिक्कत
मुन्ना ने बताया- कुछ ही दिन के बाद प्रिया को चलने में दिक्कत आने लगी। उसे कमजोरी होने लगी और उसका स्कूल जाना बंद हो गया। जिसके बाद हम उसे जिला चिकित्सालय ले गए। वहां के डॉक्टर ने बेटी की गर्दन का भी एक्सरे करवाया तो उसमे सामने आया कि उसकी सर्वाइकल की सी-1 और सी-2 में चोट लग गई जिससे वो टूट के अलग हो गए। इसे यह दिक्कत हो रही है। रेफर किया बीएचयू ट्रॉमा सेंटर
मुन्ना ने बताया – डॉक्टर ने बेटी को बीएचयू ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया। वो गरीब परिवार के हैं और छोटी सी चाय-पान की दुकान चलाते हैं। बेटी के इलाज के लिए भी पैसे नहीं थे। लोगों से कर्जा करके वाराणसी लाए और ट्रॉमा सेंटर में अप्रैल 2022 में एडमिट कर दिया। तब से उसका यहां इलाज चल रहा है। यहां ऑपरेशन हुआ जिसके बाद उसे सांस लेने में दिक्कत होने लगी थी। उसका अब इलाज चल रहा है। जो की आयुष्मान कार्ड से बिलकुल मुफ्त हो गया है। धीरे-धीरे बेटी जैसे बेड पर लेट गई थी अब रिकवर कर रही है लेकिन अभी भी उसे सांस लेने में दिक्कत होती है। इसलिए अस्पताल में है। अब जानिए आईसीयू की इंचार्ज और आयुष्मान कार्ड की बीएचयू ट्रॉमा सेंटर की नोडल अधिकारी प्रोफेसर डॉ कविता मीणा से प्रिया की पूरी केस हिस्ट्री और वह कब तक स्वस्थ होगी के बारे में… सर्वाइकल की सी-1 और सी-2 हुई थी डैमेज
डॉक्टर कविता ने बताया- साल 2022 में जब प्रिया यहां आयी तो हमने उसकी केस हिस्ट्री को समझा तो पता चला वो स्कूल में गिरी थी और उसकी गर्दन में चोट लगी थी। जिससे उसके सर्वाइकल की सी-1 और सी-2 में इंजरी हुई थी और दोनों टूट के अलग हो गई थी। उसे चलने फिरने में दिक्कत होने लगी। जिला अस्पताल ने उसे यहां रेफर किया था। तब से ही बच्ची यहां एडमिट है और उसका इलाज जारी है। आयुष्मान से हो रहा है इलाज, मिल रही है सभी सुविधा
डॉ मीणा ने बताया- जब से प्रिया यहां है ता से ही उसका इलाज आयुष्मान से हो रही है। आयुष्मान से जो सुविधा मिलती है वो भी और जो अस्पताल की सुविधा है वो भी हम मुफ्त में दे रहे हैं। तीन साल से वो यहां है तो सरकार अभी तक उसे 15 लाख रुपए दिए हैं। उसे सारी सुविधा ट्रामा सेंटर की सबसे पहले दी जाती है। आईसीयू के 30 बेड हैं, जिसमें 15 आयुष्मान से करा रहे हैं इलाज
आयुष्मान की नोडल अधिकारी डॉ कविता मीणा ने बताया- एक दिन का खर्च एक मरीज पर आईसीयू पर करीब 15 से 20 हजार का खर्च आता है। लेकिन बीएचयू ट्रामा सेंटर में 30 बेड आईसीयू का है। जिसमें 15 मरीजों का इलाज आयुष्मान कार्ड के जारी मुफ्त हो रहा है। सरकार का आयुष्मान कार्ड उन्हें मुफ्त इलाज की सेवा दे रही है। आयुष्मान कार्ड सेन्स ऑफ सिक्योरिटी है
डॉक्टर मीणा ने बताया- ट्रॉमा का मतलब ही है कि वह कब होगा किसी को पता नहीं। साथ ही ट्रामा से गुजरने वाला व्यक्ति ज्यादातर दूसरे के जारी यहां लाया जाता है। बहुत कम उसे उसके रिश्तेदार लेकर आते हैं। कभी पुलिस तो कभी एम्बुलेंस छोड़कर जाती है। ऐसे में वो जब बोलने लायक होता है तो हम उससे सबसे पहले यही पूछते हैं कि आयुष्मान कार्ड है क्या? उसके बाद उसका जो इलाज होता है कार्ड रहने पर मुफ्त होता है। तो आयुष्मान कार्ड इलाज की सिक्योरिटी की रूप में बनकर उभरा है। 284 आयुष्मान एडमिशन हुए एक महीने में
डॉक्टर कविता ने बताया- एक महीने में करीब 300 मरीज आयुष्मान कार्ड के बीएचयू ट्रॉमा सेंटर में एडमिट होते हैं। नवंबर महीने की बात करें तो 284 एडमिशन हुआ है। जिनका इलाज आयुष्मान से हो रहा है। जिसमें 50 परसैंट अर्थों के हैं और ज्यादातर इम्प्लांट के मरीज हैं। जिसका खर्च सबसे अधिक होता है। किसी का कूल्हा चेंज करना है। किसी का घुटना तो वो खर्च अगर आयुष्मान कार्ड है तो आप का मुफ्त हो रहा है। तो यह संजीवनी है। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर