पानीपत जिले के समालखा में सोशल मीडिया पर रील बना कर ब्रांडेड कंपनियों के नाम पर सामान बेच रहे दुकानदारों को उस समय भारी पड गया। जब ब्रांडेड कंपनियों के कापीराइट प्राप्त कंपनी के अधिकारियों ने डूप्लीकेट जैकेट लोअर और जूते बेचकर ग्राहकों को चूना लगाने वालों के यहां पुलिस के साथ छापेमारी कर दी। कंपनी के अधिकारियों ने 2 दुकानों से लाखों रुपए का नकली माल बरामद किया। पुलिस ने तोता राम मार्केट में ब्रांडेड कंपनियों के नाम पर डूप्लीकेट सामान बेचने वाले दो दुकानदारों के खिलाफ कापीराइट अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया है। वही तोता राम मार्केट में छापेमारी की सूचना पाकर रेलवे रोड के कई दुकानदार अपनी दुकान बंद करके भाग गए। दिल्ली से आई थी टीम दरअसल शनिवार को जैकेट, लोवर और जूते बनाने वाली ब्रांडेड कंपनी एडिडास, नाइक और एसिक्स के नाम पर डूप्लीकेट सामान बेचने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने अधिकार प्राप्त दिल्ली की कंपनी लॉजिस्टिक आईपीआर सर्विसेज लिमिटेड के फील्ड अधिकारियों सचिन शर्मा, राधेश्याम और प्रमोद सिंघल ने पुलिस को साथ लेकर समालखा की तोता राम मार्केट की दुकानों पर छापेमारी की, और भारी संख्या में नकली जैकेट, लोअर और जूते बरामद किए। नामी कंपनियों का डूप्लीकेट सामान किया बरामद समालखा पुलिस चौकी प्रभारी जितेंद्र कुमार ने बताया कि ब्रांडेड कंपनियों के नाम पर डूप्लीकेट सामान बेचने का मामला दिल्ली की कॉपीराइट के खिलाफ काम करने वाली कंपनी के फील्ड अधिकारी सचिन शर्मा ने तोताराम मार्केट के दो दुकानदारों पर छापेमारी की। इस दौरान दुकानदार सतीश की ब्रांड एक्स से एडिडास कंपनी के 86, नाइक के 63 और एसिक्स के 15 और शू किंग दुकान के मालिक सुनील कुमार के यहां एडिडास के 687, नाइक के 414 और एसिक्स के 297 जैकेट, लोअर और जूते बरामद हुए। दोनों दुकानदारों के खिलाफ कॉपीराइट एक्ट के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पानीपत जिले के समालखा में सोशल मीडिया पर रील बना कर ब्रांडेड कंपनियों के नाम पर सामान बेच रहे दुकानदारों को उस समय भारी पड गया। जब ब्रांडेड कंपनियों के कापीराइट प्राप्त कंपनी के अधिकारियों ने डूप्लीकेट जैकेट लोअर और जूते बेचकर ग्राहकों को चूना लगाने वालों के यहां पुलिस के साथ छापेमारी कर दी। कंपनी के अधिकारियों ने 2 दुकानों से लाखों रुपए का नकली माल बरामद किया। पुलिस ने तोता राम मार्केट में ब्रांडेड कंपनियों के नाम पर डूप्लीकेट सामान बेचने वाले दो दुकानदारों के खिलाफ कापीराइट अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया है। वही तोता राम मार्केट में छापेमारी की सूचना पाकर रेलवे रोड के कई दुकानदार अपनी दुकान बंद करके भाग गए। दिल्ली से आई थी टीम दरअसल शनिवार को जैकेट, लोवर और जूते बनाने वाली ब्रांडेड कंपनी एडिडास, नाइक और एसिक्स के नाम पर डूप्लीकेट सामान बेचने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने अधिकार प्राप्त दिल्ली की कंपनी लॉजिस्टिक आईपीआर सर्विसेज लिमिटेड के फील्ड अधिकारियों सचिन शर्मा, राधेश्याम और प्रमोद सिंघल ने पुलिस को साथ लेकर समालखा की तोता राम मार्केट की दुकानों पर छापेमारी की, और भारी संख्या में नकली जैकेट, लोअर और जूते बरामद किए। नामी कंपनियों का डूप्लीकेट सामान किया बरामद समालखा पुलिस चौकी प्रभारी जितेंद्र कुमार ने बताया कि ब्रांडेड कंपनियों के नाम पर डूप्लीकेट सामान बेचने का मामला दिल्ली की कॉपीराइट के खिलाफ काम करने वाली कंपनी के फील्ड अधिकारी सचिन शर्मा ने तोताराम मार्केट के दो दुकानदारों पर छापेमारी की। इस दौरान दुकानदार सतीश की ब्रांड एक्स से एडिडास कंपनी के 86, नाइक के 63 और एसिक्स के 15 और शू किंग दुकान के मालिक सुनील कुमार के यहां एडिडास के 687, नाइक के 414 और एसिक्स के 297 जैकेट, लोअर और जूते बरामद हुए। दोनों दुकानदारों के खिलाफ कॉपीराइट एक्ट के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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करनाल विधानसभा सीट पर कांग्रेस की रणनीति:4 प्रमुख दावेदारों पर राजनीतिक विशेषज्ञों की राय, भाजपा के लिए होगा चुनौतीपूर्ण मुकाबला करनाल विधानसभा सीट हरियाणा की सबसे हॉट सीटों में से एक बनी हुई है। भाजपा के लिए इस सीट पर अपनी पकड़ बनाए रखने की चुनौती है, जबकि कांग्रेस इसे जीतने के लिए पूरी ताकत लगा रही है। कांग्रेस के 23 दावेदारों में से 4 प्रमुख चेहरे उभर कर सामने आए है। मनोज वाधवा, सुमिता सिंह, तरलोचन सिंह, और अशोक खुराना। इन चारों नेताओं के राजनीतिक करियर और उनकी संभावनाओं पर राजनीतिक विशेषज्ञों ने अपनी राय दी है। मनोज वाधवा: सबसे बड़ा पंजाबी चेहरा और राजनीतिक सक्रियता मनोज वाधवा का करनाल के पंजाबी समाज में गहरा प्रभाव है। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत INLD से की थी और मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के खिलाफ चुनाव भी लड़ा था। पूर्व डिप्टी मेयर और मेयर चुनाव में उनकी पत्नी की उम्मीदवारी ने उन्हें करनाल की राजनीति में एक महत्वपूर्ण चेहरा बना दिया है। वाधवा का कांग्रेस में शामिल होना और उनकी सक्रियता उन्हें इस चुनाव में एक बड़ा उम्मीदवार बनाती है। राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर आरपी सैनी का कहना है कि मनोज वाधवा कांग्रेस के सबसे बड़े पंजाबी चेहरे के रूप में उभर सकते हैं। उनका राजनीतिक अनुभव और पंजाबी समाज में पकड़ कांग्रेस के लिए बेहद लाभकारी हो सकती है। वाधवा का नाम कांग्रेस के लिए एक मजबूत दावेदारी पेश करता है और यह भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। सुमिता सिंह: अनुभवी नेतृत्व और करनाल की राजनीति में प्रभाव सुमिता सिंह करनाल की राजनीति में एक अनुभवी और जाना-पहचाना नाम हैं। उन्होंने 10 वर्षों तक विधायक के रूप में सेवा की है और करनाल की राजनीतिक और सामाजिक स्थितियों पर गहरी पकड़ रखती हैं। सुमिता सिंह का नाम कांग्रेस के संभावित उम्मीदवारों में सबसे आगे है, क्योंकि उनका पंजाबी समाज के साथ-साथ अन्य समुदायों में भी अच्छा खासा वोट बैंक है। वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक एडवोकेट संजीव मंगलोरा का मानना है कि सुमिता सिंह का करनाल की राजनीति में एक अलग ही स्थान है। उनका अनुभव और स्थानीय जुड़ाव कांग्रेस के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। पंजाबी समाज और अन्य समुदायों में उनकी लोकप्रियता कांग्रेस की जीत की संभावनाओं को मजबूत करती है। अशोक खुराना: लंबा अनुभव और सामाजिक जुड़ाव अशोक खुराना ने 1994 में पार्षद के रूप में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की और तब से करनाल की राजनीति में सक्रिय रहे हैं। उन्होंने अपनी पंजाबी बिरादरी में मजबूत पकड़ बनाई है और उनके पास स्थानीय राजनीति का लंबा अनुभव है। उनकी गिनती कांग्रेस के हुड्डा खेमे के वफादार कार्यकर्ताओं में होती है। राजनीतिक विश्लेषक संजीव मंगलोरा ने कहा कि अशोक खुराना का करनाल की राजनीति में लंबा अनुभव और पंजाबी बिरादरी में उनकी पकड़ कांग्रेस के लिए एक मजबूत स्थिति तैयार कर सकती है। खुराना की गिनती हुड्डा के वफादार कार्यकर्ताओं में होती है, जिससे उनकी दावेदारी और मजबूत हो जाती है। तरलोचन सिंह: दो बार सीएम के सामने लड़ चुके हैं चुनाव तरलोचन सिंह करनाल से कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं। उन्होंने दो बार मुख्यमंत्रियों (मनोहरलाल खट्टर और नायब सिंह सैनी) के खिलाफ चुनाव लड़ा है और उनके पास करनाल की राजनीति का गहरा अनुभव है। कांग्रेस के पुराने सिपाही होने के नाते उन्होंने पार्टी के मुद्दों को प्रमुखता से उठाया है। राजनीतिक विशेषज्ञ अनुज सैनी का मानना है कि तरलोचन सिंह कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं। दो बार मुख्यमंत्रियों के सामने चुनाव लड़ चुके तरलोचन का अनुभव कांग्रेस के लिए एक महत्वपूर्ण संपत्ति है। उनकी लोकल पहचान और पार्टी के प्रति निष्ठा उन्हें एक प्रमुख उम्मीदवार बनाते हैं। भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण मुकाबला राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि करनाल विधानसभा सीट पर कांग्रेस के 4 प्रमुख दावेदार भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती पेश कर सकते हैं। खासकर, पंजाबी मतदाताओं पर इन नेताओं की पकड़ भाजपा के लिए मुश्किलें बढ़ा सकती है। करनाल में 63,000 से अधिक पंजाबी मतदाता इस चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं, और कांग्रेस की सक्रिय रणनीति भाजपा के लिए मुकाबला कठिन बना सकती है। कुल मिलाकर, राजनीतिक विशेषज्ञों की नजर में करनाल विधानसभा सीट पर कांग्रेस और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर होने की उम्मीद है। किसका चेहरा जनता की उम्मीदों पर खरा उतरेगा और कौन सी पार्टी करनाल में जीत हासिल करेगी, यह चुनाव के नतीजे ही बताएंगे।
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