एक दिन आएगा जब टेलीविजन पर संसद की कार्यवाही का सीधा प्रसारण चल रहा होगा और अचानक सदन की कार्यवाही, हाथापाई में बदल जाएगी। हमारे वीर सांसद जमकर धक्का-मुक्की करेंगे और हर एक के मन में एक गीत गूंजेगा- ‘ओरे ताल मिले नदी के जल में, नदी मिले सागर में, सागर मिले कौन से जल में, कोई जाने ना…!’ हमारे नेताओं के बारे में कहा जाएगा, ये महान लोग लड़कर चुनाव जीतते हैं और चुनाव जीतने के बाद फिर लड़ते हैं। इन राजनीतिक लड़ाकों का युग लौटकर आने वाला है। अब सभी राजनैतिक पार्टियां पहलवानों को टिकट देंगी। इनके लिए यह जरूरी भी हो गया है। इससे लाभ यह होगा कि कुछ समय से जो दंगल लुप्तप्राय हो गए थे, वे दंगल भी अब वापस लौटकर आएंगे। एक समय था, जब दारा सिंह और किंगकॉन्ग की कुश्ती होती थी, तो पूरा स्टेडियम खचाखच भर जाता था। हर बार पहली ही कुश्ती में दारा सिंह का हाथ फ्रेक्चर हो जाता था। फिर घोषणा होती थी कि दूसरी कुश्ती ‘टिल डेथ’ चलेगी। इस घोषणा के बाद टिकट के दाम दोगुने हो जाते थे। बाद में समझ आया कि यह सब डब्ल्यू-डब्ल्यू एफ का ड्रामा था। अब न वो कुश्तियां रहीं, न उनकी लोकप्रियता। लेकिन मुद्दई लाख बुरा चाहे तो क्या होता है, वही होता है…! वही हुआ। हमारे सांसदों ने इस खेल के संरक्षण के लिए गांव के अखाड़े की धोबी पछाड़ को संसद में ला पटका। हमारी संसद और विधानसभाओं में कुश्ती के बीज बोए जा चुके हैं। इस बार कुश्ती धक्के से शुरू हुई है। इसके बाद यह मारपीट तक आएगी। अभी गाली-गलौज चल रही है, इसके बाद दूसरे राउंड में लात-घूसे चलेंगे। राजनैतिक पार्टियां अखबार में विज्ञापन देंगी- ‘जो सिर फोड़े आपणो, वो बैठे संसद माही।’ इस फील्ड के लिए योग्यता की बात करें तो लड़ाका होना राजनीति की न्यूनतम योग्यता होगी। जिस सत्र में कुछ सभासद लहू-लुहान हो जाएंगे, उसे मॉनसून सत्र कहा जाएगा। ग्रीष्मकालीन सत्र में माहौल में गर्मी मिलेगी और शीतकालीन सत्र दो-चार को ठंडा करके संपन्न होगा। लोकसभा का टिकट उसी को मिलेगा, जो विधानसभा में कुछ के सिर फोड़ चुका हो और अलग-अलग मौकों पर सिर फुटवा भी चुका हो। चुनावों के बाद वोट गिनने के बोरिंग तरीके को छोड़कर टांके गिनने की परंपरा शुरू होगी। मारपीट की यह परंपरा कभी समाप्त नहीं हो सकती। इसका अंत तभी हो सकता है, जब बीच-बचाव करने वाले समाप्त हो जाएं। सड़क पर होने वाली लड़ाइयों में दोनों पक्ष तभी तक एक-दूसरे की ऐसी-तैसी फेरते हैं, जब तक बीच-बचाव करने वाले उपलब्ध होते हैं। विदेशी संसद और विधानसभाओं से जब ऐसी रोमांचक मारपीट के वीडियो आते थे तो हम यहां अपने आपको काफी पिछड़ा हुआ महसूस करते थे। उधर अमेरिका ने तो बाकायदा एक फाइटर को राष्ट्रपति बना दिया है। पाकिस्तानी लड़ाके समय समय पर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को हटाकर सत्ता पर अधिकार करते ही रहते हैं। लेकिन अब हमें खुद को पिछड़ा हुआ मानने की जरूरत नहीं है क्योंकि अब हमारा देश भी विकास की राह पर कदम बढ़ा चुका है। अब राजनैतिक मारपीट के विषय पर हमारी राजनीति की आंखें नीची नहीं होंगी। अब हमारे नेता भी पूरी दुनिया की आंखों में आंखें डालकर गर्व से कहेंगे कि मारपीट में, गुंडागर्दी में हम विदेश के हर नेता से किसी भी हालत में कम नहीं हैं और इस मामले में भी हम विश्वगुरु कहलाएंगे। ———————– ये कॉलम भी पढ़ें… इतनी कमाई नहीं कि फटी जींस पहन सकूं!:कवि सम्मेलनों में जाते हैं, इसलिए हमें हिकारत भरी नजरों से देखा जाता है! एक दिन आएगा जब टेलीविजन पर संसद की कार्यवाही का सीधा प्रसारण चल रहा होगा और अचानक सदन की कार्यवाही, हाथापाई में बदल जाएगी। हमारे वीर सांसद जमकर धक्का-मुक्की करेंगे और हर एक के मन में एक गीत गूंजेगा- ‘ओरे ताल मिले नदी के जल में, नदी मिले सागर में, सागर मिले कौन से जल में, कोई जाने ना…!’ हमारे नेताओं के बारे में कहा जाएगा, ये महान लोग लड़कर चुनाव जीतते हैं और चुनाव जीतने के बाद फिर लड़ते हैं। इन राजनीतिक लड़ाकों का युग लौटकर आने वाला है। अब सभी राजनैतिक पार्टियां पहलवानों को टिकट देंगी। इनके लिए यह जरूरी भी हो गया है। इससे लाभ यह होगा कि कुछ समय से जो दंगल लुप्तप्राय हो गए थे, वे दंगल भी अब वापस लौटकर आएंगे। एक समय था, जब दारा सिंह और किंगकॉन्ग की कुश्ती होती थी, तो पूरा स्टेडियम खचाखच भर जाता था। हर बार पहली ही कुश्ती में दारा सिंह का हाथ फ्रेक्चर हो जाता था। फिर घोषणा होती थी कि दूसरी कुश्ती ‘टिल डेथ’ चलेगी। इस घोषणा के बाद टिकट के दाम दोगुने हो जाते थे। बाद में समझ आया कि यह सब डब्ल्यू-डब्ल्यू एफ का ड्रामा था। अब न वो कुश्तियां रहीं, न उनकी लोकप्रियता। लेकिन मुद्दई लाख बुरा चाहे तो क्या होता है, वही होता है…! वही हुआ। हमारे सांसदों ने इस खेल के संरक्षण के लिए गांव के अखाड़े की धोबी पछाड़ को संसद में ला पटका। हमारी संसद और विधानसभाओं में कुश्ती के बीज बोए जा चुके हैं। इस बार कुश्ती धक्के से शुरू हुई है। इसके बाद यह मारपीट तक आएगी। अभी गाली-गलौज चल रही है, इसके बाद दूसरे राउंड में लात-घूसे चलेंगे। राजनैतिक पार्टियां अखबार में विज्ञापन देंगी- ‘जो सिर फोड़े आपणो, वो बैठे संसद माही।’ इस फील्ड के लिए योग्यता की बात करें तो लड़ाका होना राजनीति की न्यूनतम योग्यता होगी। जिस सत्र में कुछ सभासद लहू-लुहान हो जाएंगे, उसे मॉनसून सत्र कहा जाएगा। ग्रीष्मकालीन सत्र में माहौल में गर्मी मिलेगी और शीतकालीन सत्र दो-चार को ठंडा करके संपन्न होगा। लोकसभा का टिकट उसी को मिलेगा, जो विधानसभा में कुछ के सिर फोड़ चुका हो और अलग-अलग मौकों पर सिर फुटवा भी चुका हो। चुनावों के बाद वोट गिनने के बोरिंग तरीके को छोड़कर टांके गिनने की परंपरा शुरू होगी। मारपीट की यह परंपरा कभी समाप्त नहीं हो सकती। इसका अंत तभी हो सकता है, जब बीच-बचाव करने वाले समाप्त हो जाएं। सड़क पर होने वाली लड़ाइयों में दोनों पक्ष तभी तक एक-दूसरे की ऐसी-तैसी फेरते हैं, जब तक बीच-बचाव करने वाले उपलब्ध होते हैं। विदेशी संसद और विधानसभाओं से जब ऐसी रोमांचक मारपीट के वीडियो आते थे तो हम यहां अपने आपको काफी पिछड़ा हुआ महसूस करते थे। उधर अमेरिका ने तो बाकायदा एक फाइटर को राष्ट्रपति बना दिया है। पाकिस्तानी लड़ाके समय समय पर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को हटाकर सत्ता पर अधिकार करते ही रहते हैं। लेकिन अब हमें खुद को पिछड़ा हुआ मानने की जरूरत नहीं है क्योंकि अब हमारा देश भी विकास की राह पर कदम बढ़ा चुका है। अब राजनैतिक मारपीट के विषय पर हमारी राजनीति की आंखें नीची नहीं होंगी। अब हमारे नेता भी पूरी दुनिया की आंखों में आंखें डालकर गर्व से कहेंगे कि मारपीट में, गुंडागर्दी में हम विदेश के हर नेता से किसी भी हालत में कम नहीं हैं और इस मामले में भी हम विश्वगुरु कहलाएंगे। ———————– ये कॉलम भी पढ़ें… इतनी कमाई नहीं कि फटी जींस पहन सकूं!:कवि सम्मेलनों में जाते हैं, इसलिए हमें हिकारत भरी नजरों से देखा जाता है! उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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नदी पर अवैध कब्जे को लेकर बीजेपी विधायक सख्त, भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ CM योगी को लिखी चिट्ठी
नदी पर अवैध कब्जे को लेकर बीजेपी विधायक सख्त, भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ CM योगी को लिखी चिट्ठी <p style=”text-align: justify;”><strong>UP News: </strong>बुलंशहर से बीजेपी सदर विधायक प्रदीप चौधरी ने अधिकारी पर काली नदी पर अवैध कब्जे का गंभीर आरोप लगाया है. काली नदी पर अवैध कब्जे को लेकर सदर विधयाक ने सीएम योगा आदित्यनाथ को पत्र लिखा है. विधायक के शिकायत पत्र लिखने के बाद प्रशासन हरकत में आया, जिसके बाद बुलंदशहर के डीएम ने सोशल मीडिया पर अपना ब्यान अपलोड किया है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>बुलंदशहर के डीएम ने कहा कि जांच को लेकर एडीएम एफ के नेतृत्व प्रशासनिक अधिकारियों की एक टीम गठित की जा चुकी है.<span class=”Apple-converted-space”> काली नदी पर किसी प्रकार को भी अवैध कब्जा पाया जाएगा तो उसपर तुरंत कार्रवाई की जाएगी. हाल ही में सदर विधायक प्रदीप चौधरी की शिकायत को गलत बताकर सिंचाई विभाग ने रिपोर्ट दी थी. </span></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><span class=”Apple-converted-space”>बीजेपी विधायक ने सीएम योगी को लिखा पत्र</span></strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>बीजेपी विधयाक प्रदीप चौधरी ने झूठी रिपोर्ट देने का आरोप लागाते हुए अफसरों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है. विधायक के शिकायत पत्र के बाद प्रशासन में हड़कंप मचा हुए है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्यों लिखा पत्र?</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>बुलन्दशहर की सदर विधानसभा क्षेत्र से प्रदीप चौधरी बीजेपी के विधायक हैं. उन्होंने काली नदी पर अवैध कब्जा को लेकर आज यानी बुधवार (24 जुलाई) को सीएम योगी को पत्र लिखा है. उन्होंने अपने पत्र में लिखा, ”निवेदन करना है कि मेरे द्वारा विधानसभा सत्र के दौरान काली नदी पर अवैध कब्जे व काली नदी की सफाई का प्रश्न तीन बार उठाया गया था। सिंचाई मंत्री माननीय स्वतत्र प्रभार जी से मुलाकात कर उन्हें भी इस प्रकरण से अवगत कराया व केन्द्र सरकार को चिट्ठी लिखी माननीय मुख्यमंत्री <a title=”योगी आदित्यनाथ” href=”https://www.abplive.com/topic/yogi-adityanath” data-type=”interlinkingkeywords”>योगी आदित्यनाथ</a> जी ने इस प्रकरण का संज्ञान लेकर केन्द्र सरकार से मेरे प्रस्ताव पर 90 करोड़ की राशि आवंटन हुई जिला समीक्षा बैठक के दौरान माननीय प्रभारी मंत्री, वन एवं प्रर्यावरण एवं जिलाधिकारी के समक्ष पूरा विवरण जोर तौर से रखा जिलाधिकारी जी ने माननीय मंत्री जी के सामने आश्रासन दिया जिस अधिकारी ने काली नदी पर अवैध कब्जे नहीं है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही करूंगा लेकिन अभी तक कोई कार्यवाही किसी के खिलाफ नहीं हुई इस काली नदी में गंदगी के कारण हर वर्ष किड्नी व कैंसर जैसी गम्भीर बिमारी से लगभग 50 व्यक्तियों की मृत्यु होती है। इसलिए अवैध कब्जे हटना व काली नदी की सफाई होना जनहित में और माननीय मुख्यमंत्री जी की नीति में निहित है कृप्या करके इसको संज्ञान में लेकर भ्रष्ट अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही करने का कृपा करें.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें: <a title=”AMU में बदमाशों ने की फायरिंग, रजिस्ट्रार ऑफिस में तैनात दो भाईयों को लगी गोली” href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/two-employees-injured-in-firing-at-aligarh-muslim-university-police-arrested-accused-ann-2744821″ target=”_self”>AMU में बदमाशों ने की फायरिंग, रजिस्ट्रार ऑफिस में तैनात दो भाईयों को लगी गोली</a></strong></p>
Kumbh 2025: कुंभ स्नान करने वाले ध्यान दें! बिहार से चलेंगी ये स्पेशल ट्रेनें, नोट कर लें डिटेल्स
Kumbh 2025: कुंभ स्नान करने वाले ध्यान दें! बिहार से चलेंगी ये स्पेशल ट्रेनें, नोट कर लें डिटेल्स <p style=”text-align: justify;”><strong>Kumbh Special Train: </strong><span style=”font-weight: 400;”>उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में इस साल महाकुंभ लग रहा है. ऐसे में बिहार से जाने वाले यात्रियों को दिक्कत ना हो इसको देखते हुए रेलवे की ओर से कई स्पेशल ट्रेनों को चलाने की घोषणा की गई है. एक ट्रेन जयनगर से तो दूसरी ट्रेन दरभंगा से चलेगी. गाड़ी सं 05285 जयनगर-झूंसी कुंभ मेला स्पेशल 10, 24 एवं 31 जनवरी और 28 फरवरी को जयनगर से चलेगी. गाड़ी सं 05295 दरभंगा-झूंसी कुंभ मेला स्पेशल 25 जनवरी, 15 और 22 फरवरी के साथ एक मार्च को दरभंगा से प्रस्थान करेगी.</span></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>05285/05286 जयनगर-झूंसी-जयनगर कुंभ मेला स्पेशल ट्रेन</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”><span style=”font-weight: 400;”>यह ट्रेन दरभंगा, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, हाजीपुर, गाजीपुर सिटी और वाराणसी के रास्ते चलेगी. 05285 जयनगर-झूंसी कुंभ मेला स्पेशल 10, 24 एवं 31 जनवरी और 28 फरवरी को जयनगर से 23.50 बजे खुलेगी. अगले दिन 01.00 बजे दरभंगा, 03.30 बजे मुजफ्फरपुर, 04.35 बजे हाजीपुर सहित अन्य स्टेशनों पर रुकते हुए 12.40 बजे वाराणसी और 15.45 बजे झूंसी पहुंचेगी. वापसी में यह गाड़ी (05286) 11 एवं 25 जनवरी, एक फरवरी और 01 मार्च को झूंसी से 17.45 बजे खुलकर 21.05 बजे वाराणसी, अगले दिन 04.05 बजे हाजीपुर, 05.10 बजे मुजफ्फरपुर, 08.10 बजे दरभंगा सहित अन्य स्टेशनों पर रुकते हुए 10.15 बजे जयनगर पहुंचेगी.</span></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>05295/05296 दरभंगा-झूंसी-दरभंगा कुंभ मेला स्पेशल ट्रेन</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”><span style=”font-weight: 400;”>यह ट्रेन दरभंगा, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, हाजीपुर, गाजीपुर सिटी और वाराणसी के रास्ते चलेगी. 05295 दरभंगा-झूंसी कुंभ मेला स्पेशल 25 जनवरी, 15 और 22 फरवरी एवं 01 मार्च को दरभंगा से 21.00 बजे खुलेगी. अगले दिन 22.30 समस्तीपुर, 23.25 बजे मुजफ्फरपुर सहित अन्य स्टेशनों पर रुकते हुए 07:05 बजे वाराणसी और 10:00 बजे झूंसी पहुंचेगी. वापसी में (05296) 26 जनवरी, 16 एवं 23 फरवरी और 02 मार्च को झूंसी से 12:10 बजे खुलेगी. 15:35 बजे वाराणसी, अगले दिन 22:40 बजे हाजीपुर, 23:45 बजे मुजफ्फरपुर, अगले दिन 01:00 बजे समस्तीपुर सहित अन्य स्टेशनों पर रुकते हुए 02:30 बजे दरभंगा पहुंचेगी. </span></p>
<p style=”text-align: justify;”><span style=”font-weight: 400;”>बता दें कि इस दोनों मेला स्पेशल ट्रेनों में एसएलआरडी के 02, शयनयान श्रेणी के 07 एवं साधारण श्रेणी के 07 कोच समेत कुल 16 कोच होंगे. प्रयागराज में हो रहे कुंभ मेला स्पेशल गाड़ियों के संचालन की घोषणा से श्रद्धालुओं और तीर्थयात्रियों में खुशी देखी जा रही है.</span></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यह भी पढ़ें- <a href=”https://www.abplive.com/states/bihar/prashant-kishor-is-lying-he-got-bail-after-filling-bail-bond-of-25-thousand-bihar-news-ann-2858415″>…तो प्रशांत किशोर ने झूठ बोला? ’25’ वाला शर्त माने तब मिली जमानत, रिहाई पर बड़ा खुलासा</a></strong></p>
खनौरी बॉर्डर पहुंचे संत सीचेवाल:डल्लेवाल से की मुलाकात, बोले-केंद्र से बात करें CM भगवंत मान, मोदी और शिवराज के समक्ष उठाएंगे मुद्दा
खनौरी बॉर्डर पहुंचे संत सीचेवाल:डल्लेवाल से की मुलाकात, बोले-केंद्र से बात करें CM भगवंत मान, मोदी और शिवराज के समक्ष उठाएंगे मुद्दा राज्यसभा सदस्य और पर्यावरणविद् संत बलबीर सिंह सीचेवाल आज किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल से मिलने खनौरी बॉर्डर पहुंचे। उन्होंने किसान नेता डल्लेवाल के स्वस्थ होने की प्रार्थना की। कहा कि वे इस मुद्दे को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के समक्ष उठाएंगे। उन्होंने कहा कि किसान जिन मांगों को लेकर लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं, उन्हें सरकार द्वारा मानने के बावजूद लागू नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जिन किसानों को खेतों में होना चाहिए, वह आज सड़कों पर अपनी मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। मीडिया से बात करते हुए संत सीचेवाल ने कहा कि वह इस मामले को लेकर पंजाब के CM भगवंत मान से भी बात करेंगे, ताकि वह पंजाब की तरफ से किसानों का मुद्दा केंद्र सरकार के सामने रखें। उन्होंने कहा कि किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का जीवन पंजाब के किसान संघर्ष और उनके परिवार के लिए बहुत मूल्यवान है। उन्होंने कहा कि किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के स्वास्थ्य को लेकर सुप्रीम कोर्ट समेत देश के किसान और मजदूर चिंतित हैं। किसानों द्वारा विरोध करना लोकतांत्रिक अधिकार संत सीचेवाल ने कहा कि पिछले 10 महीनों से दिल्ली आकर संघर्ष कर रहे किसानों द्वारा विरोध करना संवैधानिक और लोकतांत्रिक अधिकार है। उन्होंने कहा कि किसान नेता जगजीत सिंह की जान को हमेशा खतरा है। केंद्र सरकार को इसमें देरी नहीं करनी चाहिए। संत सीचेवाल ने कहा कि इस बार उन्हें किसानों की मांगों और आर्थिक हालात का मुद्दा सदन में उठाना था, लेकिन हर बार हंगामों के कारण यह मुद्दा नहीं उठाया जा सका। उनका चार बार का शून्यकाल भी हंगामे की भेंट चढ़ गया। कम हो रही किसानों की आय : सीचेवाल संत सीचेवाल ने कमेटी द्वारा कोर्ट में पेश की गई एक रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि उस रिपोर्ट के मुताबिक किसानों की आय दिन-ब-दिन कम होती जा रही है। जबकि आजादी के 75 साल बाद हर किसी ने विकास का दामन छू लिया है। हर साल औसतन 18 हजार किसान आर्थिक तंगी के कारण आत्महत्या कर रहे हैं। जो बहुत दुखद है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा हर बार कॉरपोरेट कर्ज माफ कर दिया जाता है, लेकिन किसानों की बात नहीं सुनी जाती। उन्होंने पुरजोर मांग की कि जिस तरह कारपोरेट का कर्ज माफ किया जाता है, उसी तरह किसानों का भी कर्ज माफ किया जाना चाहिए।