यह मेरी जिंदगी की सबसे यादगार शामों में से एक थी। मैंने लंदन की ऑक्सफोर्ड स्ट्रीट पर एक युवा और प्रतिभाशाली गायक अनुराग कुमार के साथ भारतीयों और पाकिस्तानियों को एकसाथ गाते हुए देखा। कल्पना कीजिए कि आप दिसंबर की ठंडी शाम में लंदन की सड़क पर चल रहे हैं और अचानक कोई आपके पसंदीदा गीत को गिटार के साथ गाता हुआ मिलता है। मैं इस गायक से पहली बार मिला, लेकिन उसने मेरी शाम को अविस्मरणीय बना दिया। मैं आमतौर पर सड़कों पर तस्वीरें नहीं खींचता हूं, लेकिन उस ठंडी शाम मैं अनुराग कुमार का वीडियो बना रहा था, क्योंकि उनके गीतों के बोल मेरे दिल को छू रहे थे। मैं दरअसल, एक कॉन्फ्रेंस के लिए लंदन गया था। कॉन्फ्रेंस में भाग लेने के बाद मैं अपने होटल की ओर लौट रहा था, जो मार्बल आर्च के पास ही था। मैंने अपनी पत्नी के साथ एडगवेयर रोड पर स्थित एक ईरानी रेस्टॉरेंट में डिनर का प्लान बनाया था, जो होटल में मेरा इंतजार कर रही थीं। तभी मैंने सुना, ‘तुझसे नाराज नहीं जिंदगी, हैरान हूं मैं।’ ये शब्द परदेस में एक पुराने सखा की पुकार जैसे थे। कुछ सौ मीटर चलने के बाद मैंने देखा कि एक युवा लड़का इस खूबसूरत गीत को ऑक्सफोर्ड स्ट्रीट पर गा रहा था और उसके चारों ओर बहुत से लोग नाच रहे थे। इनमें ज्यादातर युवतियां थीं। मुझे एहसास हुआ कि यह भीड़ भारतीयों और पाकिस्तानियों का मिश्रण थी। वे एक-दूसरे को नहीं जानते थे, लेकिन संगीत की सार्वभौमिक भाषा ने उन्हें पुराने दोस्तों की तरह जोड़ दिया था। एक पाकिस्तानी महिला, जो काले बुर्के में थी, अपने रिश्तेदारों को वीडियो कॉल पर सड़क पर हो रहे इस संगीत के कार्यक्रम को दिखा रही थी और बड़े दिलचस्प तरीके से कह रही थी, ‘बड़ा मजा आ रहा है। इंडियन और पाकिस्तानी डांस कर रहे हैं। मैं भी थोड़ा डांस कर लूं?’ अनुमति मिलने पर वह भी बाकी लोगों के साथ नाचने लगी। एक भारतीय महिला बड़े पर्स के साथ डांस कर रही थी। अचानक भीड़ में से एक अफ्रीकी आदमी आया और उसका पर्स छीनकर भागने लगा। उसी भीड़ के दो लड़कों ने उसका पीछा किया। हर कोई परेशान हो गया। कुछ मिनटों के बाद वे दोनों लड़के लौटे और भारतीय महिला का पर्स वापस कर दिया। उसने अपनी चीजें चेक कीं। सबकुछ सुरक्षित था। वहां मौजूद हर किसी ने उन साहसी लड़कों के लिए तालियां बजाईं।ये दोनों पाकिस्तानी लड़के किंग्स कॉलेज लंदन के छात्र थे। उन्होंने वहां मौजूद सभी भारतीयों का दिल जीत लिया था। अब वे फिर से नाचने लगे थे। मैं उस रोमांचक भीड़ के साथ एक घंटे से भी अधिक समय रहा। फिर मेरी पत्नी का फोन आ गया। उन्होंने याद दिलाया कि हमें लंदन के चिंगफोर्ड इलाके में मेरे दोस्त जावेद मीर के परिवार के साथ डिनर के लिए जाना है। जब हम चिंगफोर्ड पहुंचे तो जावेद हमें ‘कहानी’ नाम के एक रेस्टॉरेंट में ले गए। रेस्टॉरेंट के भारतीय मैनेजर अरमान सिंह ने फूलों का गुलदस्ता देकर मेरा स्वागत किया। स्टाफ में ज्यादातर भारतीय थे। मुझे बताया गया कि इसके मालिक असद चौधरी लाहौर से हैं और उन्होंने सबसे अच्छे भारतीय शेफ्स और कुक्स को काम पर रखा है, क्योंकि अधिकतर ग्राहक समोसा चाट, दही बड़ा और पकौड़ों के शौकीन हैं। भारतीय कुक्स शाकाहारी व्यंजनों में माहिर हैं और पाकिस्तानी कुक्स मांसाहारी व्यंजनों में। मेरे दोस्त जावेद, जो लंदन के एक बहुत सफल वकील हैं, ने बताया कि लंदन में हर जगह भारतीय और पाकिस्तानी संयुक्त व्यवसाय कर रहे हैं। अगले दिन मैंने ईलिंग्स इलाके में भारतीय व्यापारी विनॉय बेदी से मुलाकात की। वे ‘वीकेएस’ नामक एक बड़ी स्पोर्ट्स कंपनी के मालिक हैं। उनके पाकिस्तानी पार्टनर मियां नवेद ने मेरा उनसे परिचय कराया, जो उनके उत्पाद इस्लामाबाद भेजते हैं। मैं मार्बल आर्च के पास स्थित थिसल होटल में ठहरा हुआ हूं। यहां के ज्यादातर स्टाफ सदस्य भारतीय हैं। वे मेरी बहुत अच्छी देखभाल कर रहे हैं, क्योंकि मैं उनकी भाषा में संवाद कर सकता हूं। भारतीय और पाकिस्तानी सिर्फ लंदन में ही नहीं, बल्कि पूरे यूरोप, अमेरिका और कनाडा में एक साथ गाते हैं। वे पूरे मध्य पूर्व में एक साथ खाना खाते हैं। वे दुनिया के हर कोने में संयुक्त व्यवसाय करते हैं, लेकिन अपने देशों में एक-दूसरे से समस्या रखते हैं।
पाकिस्तानी लता मंगेशकर और मोहम्मद रफी के दीवाने हैं। भारतीय लोग नुसरत फतेह अली खान और नूरजहां के शौकीन हैं। वे एक-दूसरे को पसंद करते हैं, लेकिन भारत और पाकिस्तान में क्रिकेट नहीं खेल सकते। यह एक बड़ा विरोधाभास है। लेकिन दिसंबर की ठंडी शाम में मुझे एहसास हुआ कि विदेशों में रहने वाली हमारी अगली पीढ़ी इस विरोधाभास को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है। ————— ये कॉलम भी पढ़ें… पाकिस्तानी फ़ौज के गले की हड्डी बन गए हैं इमरान!:ख़ान के बारे में सभी अंदाजे ग़लत साबित हुए; ऐसी स्थिति तीसरी बार बनी यह मेरी जिंदगी की सबसे यादगार शामों में से एक थी। मैंने लंदन की ऑक्सफोर्ड स्ट्रीट पर एक युवा और प्रतिभाशाली गायक अनुराग कुमार के साथ भारतीयों और पाकिस्तानियों को एकसाथ गाते हुए देखा। कल्पना कीजिए कि आप दिसंबर की ठंडी शाम में लंदन की सड़क पर चल रहे हैं और अचानक कोई आपके पसंदीदा गीत को गिटार के साथ गाता हुआ मिलता है। मैं इस गायक से पहली बार मिला, लेकिन उसने मेरी शाम को अविस्मरणीय बना दिया। मैं आमतौर पर सड़कों पर तस्वीरें नहीं खींचता हूं, लेकिन उस ठंडी शाम मैं अनुराग कुमार का वीडियो बना रहा था, क्योंकि उनके गीतों के बोल मेरे दिल को छू रहे थे। मैं दरअसल, एक कॉन्फ्रेंस के लिए लंदन गया था। कॉन्फ्रेंस में भाग लेने के बाद मैं अपने होटल की ओर लौट रहा था, जो मार्बल आर्च के पास ही था। मैंने अपनी पत्नी के साथ एडगवेयर रोड पर स्थित एक ईरानी रेस्टॉरेंट में डिनर का प्लान बनाया था, जो होटल में मेरा इंतजार कर रही थीं। तभी मैंने सुना, ‘तुझसे नाराज नहीं जिंदगी, हैरान हूं मैं।’ ये शब्द परदेस में एक पुराने सखा की पुकार जैसे थे। कुछ सौ मीटर चलने के बाद मैंने देखा कि एक युवा लड़का इस खूबसूरत गीत को ऑक्सफोर्ड स्ट्रीट पर गा रहा था और उसके चारों ओर बहुत से लोग नाच रहे थे। इनमें ज्यादातर युवतियां थीं। मुझे एहसास हुआ कि यह भीड़ भारतीयों और पाकिस्तानियों का मिश्रण थी। वे एक-दूसरे को नहीं जानते थे, लेकिन संगीत की सार्वभौमिक भाषा ने उन्हें पुराने दोस्तों की तरह जोड़ दिया था। एक पाकिस्तानी महिला, जो काले बुर्के में थी, अपने रिश्तेदारों को वीडियो कॉल पर सड़क पर हो रहे इस संगीत के कार्यक्रम को दिखा रही थी और बड़े दिलचस्प तरीके से कह रही थी, ‘बड़ा मजा आ रहा है। इंडियन और पाकिस्तानी डांस कर रहे हैं। मैं भी थोड़ा डांस कर लूं?’ अनुमति मिलने पर वह भी बाकी लोगों के साथ नाचने लगी। एक भारतीय महिला बड़े पर्स के साथ डांस कर रही थी। अचानक भीड़ में से एक अफ्रीकी आदमी आया और उसका पर्स छीनकर भागने लगा। उसी भीड़ के दो लड़कों ने उसका पीछा किया। हर कोई परेशान हो गया। कुछ मिनटों के बाद वे दोनों लड़के लौटे और भारतीय महिला का पर्स वापस कर दिया। उसने अपनी चीजें चेक कीं। सबकुछ सुरक्षित था। वहां मौजूद हर किसी ने उन साहसी लड़कों के लिए तालियां बजाईं।ये दोनों पाकिस्तानी लड़के किंग्स कॉलेज लंदन के छात्र थे। उन्होंने वहां मौजूद सभी भारतीयों का दिल जीत लिया था। अब वे फिर से नाचने लगे थे। मैं उस रोमांचक भीड़ के साथ एक घंटे से भी अधिक समय रहा। फिर मेरी पत्नी का फोन आ गया। उन्होंने याद दिलाया कि हमें लंदन के चिंगफोर्ड इलाके में मेरे दोस्त जावेद मीर के परिवार के साथ डिनर के लिए जाना है। जब हम चिंगफोर्ड पहुंचे तो जावेद हमें ‘कहानी’ नाम के एक रेस्टॉरेंट में ले गए। रेस्टॉरेंट के भारतीय मैनेजर अरमान सिंह ने फूलों का गुलदस्ता देकर मेरा स्वागत किया। स्टाफ में ज्यादातर भारतीय थे। मुझे बताया गया कि इसके मालिक असद चौधरी लाहौर से हैं और उन्होंने सबसे अच्छे भारतीय शेफ्स और कुक्स को काम पर रखा है, क्योंकि अधिकतर ग्राहक समोसा चाट, दही बड़ा और पकौड़ों के शौकीन हैं। भारतीय कुक्स शाकाहारी व्यंजनों में माहिर हैं और पाकिस्तानी कुक्स मांसाहारी व्यंजनों में। मेरे दोस्त जावेद, जो लंदन के एक बहुत सफल वकील हैं, ने बताया कि लंदन में हर जगह भारतीय और पाकिस्तानी संयुक्त व्यवसाय कर रहे हैं। अगले दिन मैंने ईलिंग्स इलाके में भारतीय व्यापारी विनॉय बेदी से मुलाकात की। वे ‘वीकेएस’ नामक एक बड़ी स्पोर्ट्स कंपनी के मालिक हैं। उनके पाकिस्तानी पार्टनर मियां नवेद ने मेरा उनसे परिचय कराया, जो उनके उत्पाद इस्लामाबाद भेजते हैं। मैं मार्बल आर्च के पास स्थित थिसल होटल में ठहरा हुआ हूं। यहां के ज्यादातर स्टाफ सदस्य भारतीय हैं। वे मेरी बहुत अच्छी देखभाल कर रहे हैं, क्योंकि मैं उनकी भाषा में संवाद कर सकता हूं। भारतीय और पाकिस्तानी सिर्फ लंदन में ही नहीं, बल्कि पूरे यूरोप, अमेरिका और कनाडा में एक साथ गाते हैं। वे पूरे मध्य पूर्व में एक साथ खाना खाते हैं। वे दुनिया के हर कोने में संयुक्त व्यवसाय करते हैं, लेकिन अपने देशों में एक-दूसरे से समस्या रखते हैं।
पाकिस्तानी लता मंगेशकर और मोहम्मद रफी के दीवाने हैं। भारतीय लोग नुसरत फतेह अली खान और नूरजहां के शौकीन हैं। वे एक-दूसरे को पसंद करते हैं, लेकिन भारत और पाकिस्तान में क्रिकेट नहीं खेल सकते। यह एक बड़ा विरोधाभास है। लेकिन दिसंबर की ठंडी शाम में मुझे एहसास हुआ कि विदेशों में रहने वाली हमारी अगली पीढ़ी इस विरोधाभास को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है। ————— ये कॉलम भी पढ़ें… पाकिस्तानी फ़ौज के गले की हड्डी बन गए हैं इमरान!:ख़ान के बारे में सभी अंदाजे ग़लत साबित हुए; ऐसी स्थिति तीसरी बार बनी उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर