<p style=”text-align: justify;”><strong>Rajasthan News:</strong> राजस्थान में सिरोही जिले के आबूरोड पंचायत समिति के उमरणी और दानवाव ग्राम पंचायत स्वच्छ भारत का सपना साकार कर रहे हैं. पिछले डेढ़ साल से यह दोनों गांव जिले के रॉल मॉडल बने हुए हैं. इन दोनों गांवों में सॉलिड वेस्ट मैनजमेंट (ठोस कूड़ा प्रबंधन) के जरिए कचरे से कंचन बनाया जा रहा है. उमरणी और दानवाव ग्राम पंचायत में गीला और सूखा कचरा इकट्ठा करने की अनूठी व्यवस्था है. कचरे से ऑर्गेनिक और ठोस खाद बनाया जाता है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>इसके अलावा प्लास्टिक कचरे और वेस्ट से बेस्ट बनाया जाता है. इसमें कांच की बोतल, चाय पीने के कुल्हड़ को जमा किया जाता है. इसके बाद इसमें कारीगरी करके बेस्ट बनाया जाता है. ठोस कूड़ा प्रबंधन के इस कार्य और स्वच्छता के मामले में लोगों का सहयोग मिलने के उद्देश्य से जागरूकता के कार्य किए गए. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>गीला और सूखा कचरा</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>लोगों को सूखे और गीले कचरे को अलग रखने की समझ दी गई. इससे ग्रामीणों में जागरुकता आई है. गांव के हर घर के पास घरेलू स्तर पर गीले और सूखे कचरे का विभाजन किया जाता है और गांव के परिवारों से गीला और सूखा कचरा इकट्ठा किया जाता है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कचरे से खाद का निर्माण</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>उमरणी और दानवाव ग्राम पंचायत की ओर से घर-घर कचरा संग्रहण किया जाता है. वेस्ट प्रोसेसिंग यूनिट के जरिए कूड़े से खाद बनाई जाती है. ग्राम पंचायत की ओर से एकत्रित कचरे में से गीले और सूखे कचरे का परिवहन भी अलग-अलग किया जाता है. इस कचरे को वेस्ट प्रोसेसिंग यूनिट पर लाया जाता है. जहां गीले कचरे को रॉकेट कम्पोस्टर में डाल कर उसमें बैक्टीरियल कल्चर का मिश्रण कर 30 दिन रखा जाता है और फिर कम्पोस्ट पिट में भरा जाता है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>इसके बाद कम्पोस्ट होकर तरल और सूखी खाद का निर्माण होता है. कम्पोस्ट पिट में तैयार हुई इस ऑर्गेनिक और तरल खाद को गांव के किसानों में वितरित किया जाता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>घर-घर कचरा संग्रहण व्यवस्था</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>स्वच्छ भारत मिशन अंतर्गत अब हर ग्राम पंचायत स्तर पर घर-घर कचरा संग्रहण व्यवस्था शुरू होगी और कचरा संग्रहण केंद्र स्थापित किए जाएंगे. इसके अलावा चयनित पंचायतों में प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट लगाई जाएगी, जहां प्लास्टिक युक्त कचरे को रिसाइकिल कर उत्पाद बनाए जाएंगे. जिसकी बिक्री कर पंचायत कमाई भी करेगी. सिरोही जिले में पांच ब्लॉक की 170 ग्राम पंचायतों ने घर-घर कचरा संग्रहण के लिए टेंडर आमंत्रित किए हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”>कचरा संग्रहण केंद्रों के निर्माण के लिए 15वें वित्त आयोग और मनरेगा में आवंटित फंड से पैसा मिलेगा. वहीं सफाई कार्य के लिए 15 वें वित्त आयोग के टाइड फंड में से राशि खर्च की जा सकेगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>32 कचरा संग्रहण केंद्रों के लिए भूमि आवंटित</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>जिले की विभिन्न पंचायतों में 32 कचरा संग्रहण केंद्र के लिए भूमि आवंटित हो चुकी है. इस पर शिवगंज ब्लॉक में 16, सिरोही में 4, पिण्डवाड़ा में 3, आबूरोड में 1, रेवदर में 4 पंचायतों में ऐसे केंद्र लगाने की स्वीकृति प्रदान की गई है. शेष छह केंद्र की स्वीकृति की प्रक्रियाधीन है. वहीं मिशन के तहत आबूरोड और सिरोही में प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट स्थापित होगी. </p>
<p style=”text-align: justify;”>आबूरोड में मोरथला ग्राम पंचायत में यूनिट के लिए जगह चिह्नित की गई है. इस यूनिट के लगने से गांव प्लास्टिक मुक्त और अधिक सुंदर तथा स्वच्छ नजर आएंगे. गौरतलब है कि राज्य सरकार ने जुलाई, 2022 में प्रदेश में सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है. <strong>(गणपत सिंह मंडोली की रिपोर्ट)</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें:</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a title=”Rajasthan: 50 साल बाद दादा-नाना बन चुके छात्र जब पहुंचे स्कूल, बचपन के गुजरे पलों को ऐसे किया याद” href=”https://www.abplive.com/states/rajasthan/sirohi-teacher-honorary-celebrations-of-railway-senior-secondary-school-aburoad-ann-2853586″ target=”_self”>Rajasthan: 50 साल बाद दादा-नाना बन चुके छात्र जब पहुंचे स्कूल, बचपन के गुजरे पलों को ऐसे किया याद</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Rajasthan News:</strong> राजस्थान में सिरोही जिले के आबूरोड पंचायत समिति के उमरणी और दानवाव ग्राम पंचायत स्वच्छ भारत का सपना साकार कर रहे हैं. पिछले डेढ़ साल से यह दोनों गांव जिले के रॉल मॉडल बने हुए हैं. इन दोनों गांवों में सॉलिड वेस्ट मैनजमेंट (ठोस कूड़ा प्रबंधन) के जरिए कचरे से कंचन बनाया जा रहा है. उमरणी और दानवाव ग्राम पंचायत में गीला और सूखा कचरा इकट्ठा करने की अनूठी व्यवस्था है. कचरे से ऑर्गेनिक और ठोस खाद बनाया जाता है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>इसके अलावा प्लास्टिक कचरे और वेस्ट से बेस्ट बनाया जाता है. इसमें कांच की बोतल, चाय पीने के कुल्हड़ को जमा किया जाता है. इसके बाद इसमें कारीगरी करके बेस्ट बनाया जाता है. ठोस कूड़ा प्रबंधन के इस कार्य और स्वच्छता के मामले में लोगों का सहयोग मिलने के उद्देश्य से जागरूकता के कार्य किए गए. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>गीला और सूखा कचरा</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>लोगों को सूखे और गीले कचरे को अलग रखने की समझ दी गई. इससे ग्रामीणों में जागरुकता आई है. गांव के हर घर के पास घरेलू स्तर पर गीले और सूखे कचरे का विभाजन किया जाता है और गांव के परिवारों से गीला और सूखा कचरा इकट्ठा किया जाता है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कचरे से खाद का निर्माण</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>उमरणी और दानवाव ग्राम पंचायत की ओर से घर-घर कचरा संग्रहण किया जाता है. वेस्ट प्रोसेसिंग यूनिट के जरिए कूड़े से खाद बनाई जाती है. ग्राम पंचायत की ओर से एकत्रित कचरे में से गीले और सूखे कचरे का परिवहन भी अलग-अलग किया जाता है. इस कचरे को वेस्ट प्रोसेसिंग यूनिट पर लाया जाता है. जहां गीले कचरे को रॉकेट कम्पोस्टर में डाल कर उसमें बैक्टीरियल कल्चर का मिश्रण कर 30 दिन रखा जाता है और फिर कम्पोस्ट पिट में भरा जाता है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>इसके बाद कम्पोस्ट होकर तरल और सूखी खाद का निर्माण होता है. कम्पोस्ट पिट में तैयार हुई इस ऑर्गेनिक और तरल खाद को गांव के किसानों में वितरित किया जाता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>घर-घर कचरा संग्रहण व्यवस्था</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>स्वच्छ भारत मिशन अंतर्गत अब हर ग्राम पंचायत स्तर पर घर-घर कचरा संग्रहण व्यवस्था शुरू होगी और कचरा संग्रहण केंद्र स्थापित किए जाएंगे. इसके अलावा चयनित पंचायतों में प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट लगाई जाएगी, जहां प्लास्टिक युक्त कचरे को रिसाइकिल कर उत्पाद बनाए जाएंगे. जिसकी बिक्री कर पंचायत कमाई भी करेगी. सिरोही जिले में पांच ब्लॉक की 170 ग्राम पंचायतों ने घर-घर कचरा संग्रहण के लिए टेंडर आमंत्रित किए हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”>कचरा संग्रहण केंद्रों के निर्माण के लिए 15वें वित्त आयोग और मनरेगा में आवंटित फंड से पैसा मिलेगा. वहीं सफाई कार्य के लिए 15 वें वित्त आयोग के टाइड फंड में से राशि खर्च की जा सकेगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>32 कचरा संग्रहण केंद्रों के लिए भूमि आवंटित</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>जिले की विभिन्न पंचायतों में 32 कचरा संग्रहण केंद्र के लिए भूमि आवंटित हो चुकी है. इस पर शिवगंज ब्लॉक में 16, सिरोही में 4, पिण्डवाड़ा में 3, आबूरोड में 1, रेवदर में 4 पंचायतों में ऐसे केंद्र लगाने की स्वीकृति प्रदान की गई है. शेष छह केंद्र की स्वीकृति की प्रक्रियाधीन है. वहीं मिशन के तहत आबूरोड और सिरोही में प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट स्थापित होगी. </p>
<p style=”text-align: justify;”>आबूरोड में मोरथला ग्राम पंचायत में यूनिट के लिए जगह चिह्नित की गई है. इस यूनिट के लगने से गांव प्लास्टिक मुक्त और अधिक सुंदर तथा स्वच्छ नजर आएंगे. गौरतलब है कि राज्य सरकार ने जुलाई, 2022 में प्रदेश में सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है. <strong>(गणपत सिंह मंडोली की रिपोर्ट)</strong></p>
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स्वच्छता में सिरोही के लिए रोल मॉडल बने उमरणी-दानवाव गांव, वेस्ट प्रोसेसिंग यूनिट से बन रही खाद
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