हिमाचल प्रदेश में कल से बारिश-बर्फबारी शुरू होगी। प्रदेश के अधिक ऊंचाई वाले कुछेक क्षेत्रों में आज भी हल्का हिमपात हो सकता है। अगले कल से वेस्टर्न डिस्टरबेंस (WD) ज्यादा एक्टिव हो रहा है। इसे देखते हुए कल (5 जनवरी) के लिए चंबा, कांगड़ा और किन्नौर जिला में कुछेक स्थानों पर भारी बर्फबारी हो सकती है, जबकि अन्य जिलों में बारिश का पूर्वानुमान है। वहीं 6 जनवरी को सात जिले चंबा, कांगड़ा, किन्नौर, कुल्लू, लाहौल स्पीति, मंडी और शिमला में कुछेक स्थानों पर भारी हिमपात का येलो अलर्ट दिया गया है। अन्य जिलों में अच्छी बारिश होने का अनुमान है। 7 दिसंबर को भी चंबा, कांगड़ा, किन्नौर, कुल्लू और लाहौल स्पीति के कुछेक क्षेत्रों में हल्का हिमपात हो सकता है। 8 जनवरी से मौसम साफ हो जाएगा। शिमला के मैक्सिमम टैम्परेचर ने तोड़े सारे रिकार्ड प्रदेश में बारिश-बर्फबारी से पहले तापमान में भारी उछाल आया है। शिमला, मनाली में तापमान में कई सालों के रिकॉर्ड तोड़ डाले हैं। शिमला में अधिकतम तापमान जनवरी महीने से सारे रिकार्ड तोड़ चुका है। शिमला का मैक्सिमम टैम्परेचर शुक्रवार को 21.6 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया, जबकि इससे पहले जनवरी माह में शिमला का रिकॉर्ड मैक्सिमम टैम्परेचर 21.4 डिग्री 30 जनवरी 2006 को था। शिमला-मनाली में न्यूनतम तापमान में रिकॉर्ड उछाल इसी तरह शिमला और मनाली में गुरुवार रात का न्यूनतम तापमान भी नया रिकॉर्ड बना चुका है। शिमला में न्यूनतम तापमान नॉर्मल से 8.4 डिग्री ज्यादा के उछाल के साथ 11.5 डिग्री और मनाली 8.4 डिग्री के उछाल के साथ 7.1 डिग्री सेल्सियस हो गया है। इससे पूर्व जनवरी के पहले हफ्ते में आज तक कभी भी इतना ज्यादा तापमान नहीं रहा। जनवरी महीने की बात की जाए तो दूसरा सबसे ज्यादा मिनिमम टैम्परेटर है। शिमला में 24 जनवरी 2009 को रिकॉर्ड 12.7 डिग्री और मनाली में 25 जनवरी 2009 में रिकॉर्ड 7.5 डिग्री तापमान रहा है। प्रदेश के दूसरे शहरों के न्यूनतम तापमान में भी भारी उछाल दर्ज किया गया है। प्रदेश का औसत न्यूनतम तापमान नॉर्मल से 4.4 डिग्री ज्यादा हो गया है। इससे शिमला, मनाली, नारकंडा, कुफरी जैसे ठंडे क्षेत्रों में भी ठंड गायब हुई है। ताबो के न्यूनतम तापमान में 24 घंटे में 9.3 डिग्री का उछाल वहीं बर्फ से ढके ताबो के न्यूनतम तापमान में बीते 24 घंटे के दौरान 9.2 डिग्री सेल्सियस का उछाल आया है और ताबो का पारा -5.5 रह गया है। बुधवार रात को यह 14.7 डिग्री था। समदो के तापमान में भी 24 घंटे के दौरान 6.4 डिग्री की गिरावट और केलांग के तापमान में 6 डिग्री की कमी आई है। हिमाचल प्रदेश में कल से बारिश-बर्फबारी शुरू होगी। प्रदेश के अधिक ऊंचाई वाले कुछेक क्षेत्रों में आज भी हल्का हिमपात हो सकता है। अगले कल से वेस्टर्न डिस्टरबेंस (WD) ज्यादा एक्टिव हो रहा है। इसे देखते हुए कल (5 जनवरी) के लिए चंबा, कांगड़ा और किन्नौर जिला में कुछेक स्थानों पर भारी बर्फबारी हो सकती है, जबकि अन्य जिलों में बारिश का पूर्वानुमान है। वहीं 6 जनवरी को सात जिले चंबा, कांगड़ा, किन्नौर, कुल्लू, लाहौल स्पीति, मंडी और शिमला में कुछेक स्थानों पर भारी हिमपात का येलो अलर्ट दिया गया है। अन्य जिलों में अच्छी बारिश होने का अनुमान है। 7 दिसंबर को भी चंबा, कांगड़ा, किन्नौर, कुल्लू और लाहौल स्पीति के कुछेक क्षेत्रों में हल्का हिमपात हो सकता है। 8 जनवरी से मौसम साफ हो जाएगा। शिमला के मैक्सिमम टैम्परेचर ने तोड़े सारे रिकार्ड प्रदेश में बारिश-बर्फबारी से पहले तापमान में भारी उछाल आया है। शिमला, मनाली में तापमान में कई सालों के रिकॉर्ड तोड़ डाले हैं। शिमला में अधिकतम तापमान जनवरी महीने से सारे रिकार्ड तोड़ चुका है। शिमला का मैक्सिमम टैम्परेचर शुक्रवार को 21.6 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया, जबकि इससे पहले जनवरी माह में शिमला का रिकॉर्ड मैक्सिमम टैम्परेचर 21.4 डिग्री 30 जनवरी 2006 को था। शिमला-मनाली में न्यूनतम तापमान में रिकॉर्ड उछाल इसी तरह शिमला और मनाली में गुरुवार रात का न्यूनतम तापमान भी नया रिकॉर्ड बना चुका है। शिमला में न्यूनतम तापमान नॉर्मल से 8.4 डिग्री ज्यादा के उछाल के साथ 11.5 डिग्री और मनाली 8.4 डिग्री के उछाल के साथ 7.1 डिग्री सेल्सियस हो गया है। इससे पूर्व जनवरी के पहले हफ्ते में आज तक कभी भी इतना ज्यादा तापमान नहीं रहा। जनवरी महीने की बात की जाए तो दूसरा सबसे ज्यादा मिनिमम टैम्परेटर है। शिमला में 24 जनवरी 2009 को रिकॉर्ड 12.7 डिग्री और मनाली में 25 जनवरी 2009 में रिकॉर्ड 7.5 डिग्री तापमान रहा है। प्रदेश के दूसरे शहरों के न्यूनतम तापमान में भी भारी उछाल दर्ज किया गया है। प्रदेश का औसत न्यूनतम तापमान नॉर्मल से 4.4 डिग्री ज्यादा हो गया है। इससे शिमला, मनाली, नारकंडा, कुफरी जैसे ठंडे क्षेत्रों में भी ठंड गायब हुई है। ताबो के न्यूनतम तापमान में 24 घंटे में 9.3 डिग्री का उछाल वहीं बर्फ से ढके ताबो के न्यूनतम तापमान में बीते 24 घंटे के दौरान 9.2 डिग्री सेल्सियस का उछाल आया है और ताबो का पारा -5.5 रह गया है। बुधवार रात को यह 14.7 डिग्री था। समदो के तापमान में भी 24 घंटे के दौरान 6.4 डिग्री की गिरावट और केलांग के तापमान में 6 डिग्री की कमी आई है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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हिमाचल में कर्ज में डूबे व्यक्ति ने की आत्महत्या:ठेकेदारी करता था मृतक; बैंक से बना रखी थी लिमिट, पंखे से लटक कर दी जान हिमाचल प्रदेश के ऊना जिला के अंब में कर्ज के बोझ तले एक 40 वर्षीय व्यक्ति ने फंदा लगा कर आत्महत्या कर दी। पुलिस ने मृतक के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए क्षेत्रीय अस्पताल ऊना भेज दिया है। पुलिस ने मामला दर्ज कर आगामी कार्रवाई शुरू कर दी है। मृतक की पत्नी शैली द्वारा पुलिस को दिए गए बयान अनुसार सुनील कुमार पुत्र कृष्ण गोपाल वासी वार्ड 2 अंब ठेकेदारी का काम करता था। ठेकेदारी के लिए उसने अंब के एक बैंक से लिमिट बनवा रखी थी। लिमिट का कर्ज होने के चलते वह पिछले कई दिनों से परेशान चल रहा था और घर में ही रह रहा था। पुलिस के अनुसार, मृतक की पत्नी एक निजी प्राइवेट स्कूलों में नौकरी करती हैं। सोमवार को जब वह छुट्टी के बाद घर लौटीं तो पति घर पर नहीं था। थोड़ी देर बाद शैली ने अपने पति को फोन किया तो पति ने फोन नहीं उठाया। उसके बाद बीती शाम 5.00 बजे शैली बाजार गई और जान-पहचान वाले दुकानदारों से पति के बारे में पूछा। मगर कोई जानकारी नहीं मिली। पुराने घर के पंखे से लटककर दी जान शैली बाद में घर आई तो उन्होंने अपनी बेटी से पूछा कि पापा घर आए थे। बेटी ने बताया कि कुछ देर कमरे में आए थे। मगर थोड़ी देर बाद फिर बाहर चले गए। फिर शैली ने अपने पुराने मकान के अंदर जाकर देखा तो इसका पति सुनील कुमार पंखे के साथ लटका हुआ था। उसने अपने देवर को साथ लेकर पंखे से उतारा और सिविल अस्पताल अंब ले गए, जहां डाक्टर ने सुनील को मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने मृतक की पत्नी के बयान के आधार पर मामला दर्ज कर आगामी कार्रवाई शुरू कर दी है। एसएचओ अंब गौरव भारद्वाज ने मामले की पुष्टि की है।
हिमाचल के नड्डा दूसरी बार बने केंद्रीय मंत्री:अनुराग के पिता से मतभेद के बाद छोड़ा हिमाचल, मोदी घर आते-जाते रहे, शाह के करीबी
हिमाचल के नड्डा दूसरी बार बने केंद्रीय मंत्री:अनुराग के पिता से मतभेद के बाद छोड़ा हिमाचल, मोदी घर आते-जाते रहे, शाह के करीबी हिमाचल से ताल्लुक रखने वाले जगत प्रकाश नड्डा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार में बतौर कैबिनेट मिनिस्टर शामिल किया है। BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर नड्डा इसी महीने 30 जून को अपना दूसरा कार्यकाल पूरा करने जा रहे हैं। 2024 का लोकसभा चुनाव भाजपा ने उन्हीं की अगुवाई में लड़ा। हिमाचल के बिलासपुर से संबंध रखने वाले जेपी नड्डा इस समय गुजरात से राज्यसभा के मेंबर हैं। 2 दिसंबर 1960 को जन्मे नड्डा केंद्र सरकार में दूसरी बार मंत्री बने हैं। उन्हें मंत्री बनाकर पीएम मोदी ने हिमाचल के साथ-साथ गुजरात को भी साधने की कोशिश की है। 64 साल के नड्डा, नरेंद्र मोदी और अमित शाह दोनों के करीबी हैं। नड्डा की लाइफ का टर्निंग पॉइंट
हिमाचल में 2007 के विधानसभा में BJP को पूर्ण बहुमत मिलने के बाद प्रेमकुमार धूमल दूसरी बार हिमाचल के CM बने। उनकी सरकार में नड्डा फॉरेस्ट मिनिस्टर बने, लेकिन उनका धूमल के साथ छत्तीस का आंकड़ा रहा। साल 2010 में नड्डा ने राज्य मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया और राज्यसभा सांसद बनकर दिल्ली शिफ्ट हो गए। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और संगठन में काम करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंच गए। धूमल सरकार से इस्तीफा देकर दिल्ली जाना नड्डा की लाइफ का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। मोदी का नड्डा के घर आना-जाना, शाह के खास
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्ष 1996 से 1998 तक हिमाचल प्रदेश भाजपा के प्रभारी रहे। नड्डा की उसी समय से उनसे नजदीकियां रही हैं। संगठन का काम करते हुए मोदी जब बिलासपुर जाते तो उनका नड्डा के घर आना-जाना रहता था। साल 2014 में भाजपा ने नरेंद्र मोदी को PM फेस घोषित किया। उसके बाद पार्टी ने जेपी नड्डा को चुनाव कैंपेनिंग की मॉनिटरिंग का जिम्मा सौंपा। नड्डा ने दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय में रहते हुए पूरे देश में पार्टी की कैंपेनिंग की मॉनिटरिंग की। मोदी के अलावा वह अमित शाह के भी करीबी रहे हैं। BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर नड्डा का दूसरा कार्यकाल इसी महीने 30 जून को पूरा हो रहा है। इससे पहले ही उन्हें कैबिनेट में शामिल कर लिया गया। पटना में जन्म, स्कूलिंग भी वहीं से
जेपी नड्डा का जन्म हिमाचल प्रदेश नहीं बल्कि बिहार के पटना में हुआ है। नड्डा के पिता नारायण लाल नड्डा पटना यूनिवर्सिटी में टीचर थे। नड्डा का पालन-पोषण और बीए तक की पढ़ाई पटना में ही हुई। एलएलबी के लिए उन्होंने हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया। बड़ा मंत्रालय मिलना तय
कैबिनेट मिनिस्टर बनने के बाद नड्डा को केंद्र में बड़ा पोर्टफोलियो मिलना भी लगभग तय है। वर्ष 2014 में पहली बार प्रधानमंत्री बने नरेंद्र मोदी ने नड्डा को अपनी सरकार में शामिल करते हुए स्वास्थ्य विभाग का जिम्मा सौंपा था। 2019 में दूसरी बार भाजपा की सरकार बनने के बाद मोदी-शाह ने नड्डा को BJP का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया। अब मोदी ने नड्डा को फिर से अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया है, ऐसे में उन्हें बड़ा मंत्रालय मिलना भी लगभग तय है। नड्डा के कारण अनुराग की छुट्टी
हिमाचल प्रदेश के कोटे से नड्डा के मंत्री बनने के साथ ही, हमीरपुर से 5वीं बार सांसद चुने गए अनुराग ठाकुर की केंद्रीय मंत्रिमंडल से छुट्टी हो गई। वर्ष 2019 में मोदी की अगुवाई वाली सरकार में केंद्रीय सूचना
एवं प्रसारण मंत्रालय संभालने वाले अनुराग ठाकुर इस बार भी मंत्रिपद के दावेदार थे लेकिन नड्डा के मिनिस्टर बन जाने के कारण वह चूक गए। हालांकि सूत्रों का कहना है कि अनुराग ठाकुर को अब भाजपा संगठन में बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। जेपी नड्डा भी वर्ष 2010 में भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री का दायित्व निभा चुके हैं। भाजपा ने तीसरी बार हिमाचल की चारों सीटें जीती
इस लोकसभा चुनाव में BJP ने एक बार फिर से क्लीन स्वीप करते हुए हिमाचल की चारों लोकसभा सीटें जीती है। 2014 और 2019 में भी पार्टी ने प्रदेश की चारों लोकसभा सीटें जीती थी। इस बार शिमला से सुरेश कश्यप, हमीरपुर से अनुराग ठाकुर, कांगड़ा से डॉ. राजीव भारद्वाज और मंडी से कंगना रनोट सांसद चुनी गईं हैं। चारों सांसद पिछले चार दिन से दिल्ली में ही हैं। ये खबरें भी पढ़ें… हरियाणा से 3 मंत्री बनाने के पीछे विधानसभा चुनाव:जीटी रोड बेल्ट समेत 2 इलाके साधे, 50 विस सीटों पर नजर; नॉन जाट पॉलिटिक्स पर अडिग शूटर रहे राव तीसरी बार मोदी कैबिनेट में:मोदी के PM फेस बनने के 10 दिन बाद छोड़ी कांग्रेस, पिता से मिलने चप्पल में पहुंची थीं इंदिरा हरियाणा के कृष्णपाल लगातार तीसरी बार मंत्री बने:सियासत की शुरुआत कॉलेज से, मोदी का करीबी होने पर मिला 2014 में टिकट; बेटा भी पॉलिटिक्स में मोदी को बाइक पर घुमाने वाले खट्टर बने मंत्री:दिल्ली का दुकानदार पहले CM और अब केंद्रीय मंत्री बना, गरीबी के कारण नहीं बन पाए डॉक्टर
हिमाचल में विक्रमादित्य सिंह की हार में भी जीत:सांसद बनने से चूके, वीरभद्र समर्थकों के बिखरते कुनबे इकट्ठा कर गए
हिमाचल में विक्रमादित्य सिंह की हार में भी जीत:सांसद बनने से चूके, वीरभद्र समर्थकों के बिखरते कुनबे इकट्ठा कर गए हिमाचल सरकार में PWD मंत्री एवं मंडी लोकसभा से कांग्रेस कैंडिडेट विक्रमादित्य सिंह चुनाव तो नहीं जीत पाए। मगर वीरभद्र सिंह समर्थकों के बिखरते कुनबे को वह संभाल गए हैं। प्रदेश कांग्रेस के ज्यादातर दिग्गज विक्रमादित्य के चुनाव प्रचार से गायब रहे। लेकिन वीरभद्र समर्थक प्रदेशभर से विक्रमादित्य के प्रचार के लिए मंडी संसदीय क्षेत्र में पहुंचे। इस चुनाव के बहाने विक्रमादित्य सिंह पुरानी वीरभद्र कांग्रेस इकट्ठा करने में कामयाब हुए हैं। इसलिए विक्रमादित्य की हार में भी जीत मानी जा रही है। हार के बावजूद बहुत कुछ खोया नहीं युवा नेता विक्रमादित्य के करियर पर चुनाव हारने का दाग जरूर लगा है। मगर उन्होंने हार के बावजूद बहुत कुछ खोया नहीं है, क्योंकि शिमला ग्रामीण से विधायक के साथ-साथ वह प्रदेश सरकार में लोक निर्माण और शहरी विकास मंत्री अभी भी हैं। मंत्री पद के लिहाज से विक्रमादित्य सिंह अभी भी पहले जैसे मजबूत हैं। यही नहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद की कमान भी अभी होली लॉज यानी वीरभद्र परिवार के पास है। इससे प्रदेश कांग्रेस की राजनीति में होली लॉज की अभी भी दबदबा कायम है। हालांकि विक्रमादित्य सिंह मंडी से चुनाव जीत जाते तो उनका कद और ऊंचा हो जाता। मगर जनता ने उन्हें नकारा हैं। लिहाजा विक्रमादित्य अब स्टेट की पॉलिटिक्स में ही रहेंगे। प्रतिभा सिंह भी यहां से चुनाव हार चुकी मंडी लोकसभा सीट से विक्रमादित्य सिंह की माता प्रतिभा सिंह भी 2014 में लोकसभा चुनाव हार चुकी हैं। उस दौरान भी मोदी लहर में बीजेपी के राम स्वरूप शर्मा मंडी से पहली बार सांसद बने थे। साल 2019 में रामस्वरूप दोबारा सांसद चुने गए। तब उन्होंने स्व. पंडित सुखराम शर्मा के पोते आश्रय शर्मा को हराया। 2021 में राम स्वरूप शर्मा ने दिल्ली में आत्महत्या कर ली। इसके बाद उप चुनाव में फिर से प्रतिभा सिंह सांसद चुनी गई। 2021 का उप चुनाव पूरी तरह स्व. वीरभद्र सिंह के नाम पर लड़ा गया, क्योंकि उप चुनाव से कुछ महीने पहले ही वीरभद्र सिंह का निधन हुआ और वीरभद्र के नाम पर कांग्रेस बीजेपी से उस सीट को छीन लिया, जिसे 2019 में बीजेपी ने चार लाख से अधिक के मार्जन से जीता था। विक्रमादित्य सिंह की हार की वजह विक्रमादित्य सिंह की हार के कई कारण है। सबसे बड़ी वजह मोदी मैजिक है। इसी तरह मंडी जिला की 9 में से 9 विधानसभा से BJP विधायक होना दूसरी बड़ी वजह है। पीएम मोदी और यूपी के सीएम योगी समेत केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का मंडी संसदीय क्षेत्र में चुनाव प्रचार करना, नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर का इसी संसदीय क्षेत्र से होना व उनका एग्रेसिव कैंपेन करना, कंगना के रूप में प़ॉपुलर फेस प्रतिद्वंदी होना, बीजेपी का दो महीने से अधिक समय तक प्रचार करना हार की वजह है। यही नहीं विक्रमादित्य का मंत्री पद से इस्तीफा देना और प्रतिभा सिंह की MP फंड से चुनाव नहीं जीतने जैसी स्टेटमेंट भी हार की वजह बनी है। वहीं मंडी संसदीय हलके में प्रियंका गांधी ने जरूर बड़ी जनसभा की थी। मगर मुख्यमंत्री सुक्खू की टीम कम ही विक्रमादित्य के प्रचार में नजर नहीं आई। इससे विक्रमादित्य सिंह ज्यादातर वक्त अकेले ही होलीलॉज समर्थकों के साथ प्रचार में डटे रहे।