फरीदाबाद में पानी के टैंकर से कुचल कर 13 साल के बच्चे की मौत हो गई। स्थानीय लोगों ने बताया कि बच्चा अपने भाई के साथ साइकिल पर जा रहा था। तभी अचानक से पानी के टैंकर से साइकिल टकरा गई। साइकिल की टक्कर होने के चलते पीछे बैठा हुआ बच्चा पानी के टैंकर के पिछले टायर के नीचे आ गया, जिससे उसकी मौत हो गई। घटना डबुआ इलाके की है। शव को पोस्टमार्टम के लिए फरीदाबाद की बादशाह खान सिविल अस्पताल की मोर्चरी में रखवा दिया गया है। मृतक बच्चे की पहचान राज के रूप में हुई है, जिसके माता-पिता काम पर गए हुए थे। घटना की सूचना मिलने के बाद मां बादशाह खान सिविल अस्पताल पहुंची। इस मामले में लोगों ने पानी के टैंकर ड्राइवर को पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया है और पुलिस आगे की कार्रवाई में जुट गई। फरीदाबाद में पानी के टैंकर से कुचल कर 13 साल के बच्चे की मौत हो गई। स्थानीय लोगों ने बताया कि बच्चा अपने भाई के साथ साइकिल पर जा रहा था। तभी अचानक से पानी के टैंकर से साइकिल टकरा गई। साइकिल की टक्कर होने के चलते पीछे बैठा हुआ बच्चा पानी के टैंकर के पिछले टायर के नीचे आ गया, जिससे उसकी मौत हो गई। घटना डबुआ इलाके की है। शव को पोस्टमार्टम के लिए फरीदाबाद की बादशाह खान सिविल अस्पताल की मोर्चरी में रखवा दिया गया है। मृतक बच्चे की पहचान राज के रूप में हुई है, जिसके माता-पिता काम पर गए हुए थे। घटना की सूचना मिलने के बाद मां बादशाह खान सिविल अस्पताल पहुंची। इस मामले में लोगों ने पानी के टैंकर ड्राइवर को पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया है और पुलिस आगे की कार्रवाई में जुट गई। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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दीपेंद्र हुड्डा ने संसद में दिया जवाब:जय संविधान बोलने पर स्पीकर ने लगाई थी फटकार, बोले- दादा ने भी किए थे हस्ताक्षर
दीपेंद्र हुड्डा ने संसद में दिया जवाब:जय संविधान बोलने पर स्पीकर ने लगाई थी फटकार, बोले- दादा ने भी किए थे हस्ताक्षर संसद में स्पीकर द्वारा रोहतक के सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा पर फटकार लगाने के बाद सांसद ने अब जवाब दिया है। साथ ही कहा कि उनका संविधान से भावनात्मक जुड़ाव है। इसलिए उन्होंने खड़े होकर जय संविधान कहने पर टोकने के बारे में पूछा था। इसके बाद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने सोशल मीडिया पर भी पोस्ट साझा की और लिखा कि ‘जय संविधान’ के नारे पर जब आसन द्वारा टोक-टिप्पणी की गई तो मैंने संसद में खड़े होकर आपत्ति दर्ज कराई। इस मुद्दे पर देश के सामने संसद में अपनी बात रखी।’ संविधान सभा के सदस्य थे चौ. रणबीर सिंह संसद में कांग्रेसी सांसद ने शपथ के दौरान जय संविधान बोला और इस पर स्पीकर ने उन्हें टोक दिया था। इसके बाद सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने खड़े होकर विरोध किया। जिस पर स्पीकर ने उनको फटकार लगा दी और बैठने के लिए कहा। इसका जवाब उन्होंने संसद में दिया और बताया कि वे जय संविधान बोलने पर क्यों खड़े हुए। दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि संविधान से उनका भावनात्मक भी एक संबंध है। जब यह संविधान बना, जिस संविधान के आधार पर देश व संसद चलता है। बाबा साहेब के नेतृत्व में इसी संसद में संविधान बना तो उनके स्वर्गीय दादा चौ. रणबीर सिंह भी उस संविधान सभा के सदस्य थे। सही-गलत का फैसला देशवासियों व पीठ पर छोड़ा
दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि जब संविधान की मूल प्रति पर हस्ताक्षर किए गए तो बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के साथ-साथ, पंडित जवाहर लाल नेहरू, सरदार पटले, मोलाना आजाद और चौ. रणबीर सिंह के हस्ताक्षर उस मूल प्रति पर किए थे। जब यहां पर जय संविधान बोला गया और पीठ व आसन से टोक-टिप्पणी की गई। तो मैं (दीपेंद्र सिंह हुड्डा) समझता हूं मेरा कर्तव्य महसूस किया कि मेरा यह पूछना कि इस पर किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए थी। उसके बाद पीठ की तरफ से जो कहा गया वह सही था या गलत, इसका फैसला देश वासियों पर, पीठ व आसन पर छोड़ता हूं।
चरखी दादरी के मेडल मशीन का कारनामा:70 वर्षीय रामकिशन ने दौड़ में सबको पछाड़ा; नेशनल गेम में जीते 6 गोल्ड मेडल
चरखी दादरी के मेडल मशीन का कारनामा:70 वर्षीय रामकिशन ने दौड़ में सबको पछाड़ा; नेशनल गेम में जीते 6 गोल्ड मेडल हरियाणा के चरखी दादरी में मेडल मशीन के नाम से मशहूर बुजुर्ग धावक रामकिशन शर्मा ने एक बार फिर से अपनी खेल प्रतिभा का लोहा मनवाया है। उन्होंने शानदार खेल प्रदर्शन की बदौलत हैदराबाद में आयोजित नेशनल एथलेटिक्स प्रतियोगिता में 6 गोल्ड मेडल हासिल किए। वे अब तक देश-विदेश में विभिन्न प्रतियोगिताओं में कुल 236 मेडल जीत चुके हैं। 70 साल की उम्र में भी जीत का जज्बा उनमें कायम है। बता दे कि मूल रूप से चरखी दादरी जिले के भांडवा निवासी व वर्तमान में बाढ़ड़ा में रह रहे 70 वर्षीय रामकिशन शर्मा ने करीब 7 साल पहले अपने खेल जीवन की शुरुआत की थी। इसके बाद से उन्होंने स्टेट, नेशनल व इंटरनेशल प्रतियोगिताओं में जीत के झंडे गाड़े हैं। वे जिस भी प्रतियोगिता में भागीदारी करते हैं, वहां से मेडल लेकर ही लौटते हैं। इसके चलते उन्हें मेडल मशीन के नाम से जाना जाता है। अब 22 से 24 मई तक हैदराबाद के गच्चीबॉली इंटरनेशनल स्टेडियम हैदराबाद में आयोजित नेशनल एथलेटिक्स प्रतियोगिता में रामकिशन ने हरियाणा का प्रतिनिधित्व किया। इस प्रतियोगिता के देश के विभिन्न राज्यों के अलावा श्रीलंका व बांग्लादेश के खिलाड़ियों ने भी शिरकत की। प्रतियोगिता में उन्होंने अपने जीत के सफर को जारी रखते हुए कुल 6 गोल्ड मेडल हासिल किए हैं। रामकिशन शर्मा ने इस प्रतियोगिता में 60 मीटर दौड़, 100 मीटर दौड़, 80 मीटर बाधा दौड़, लंबी कूद व 200 मीटर दौड़ में प्रथम स्थान हासिल करते हुए 6 गोल्ड मेडल हासिल किए हैं। रविवार को बाढ़ड़ा पहुंचने पर लोगों ने उन्हें जीत की बधाई दी। जीत चुके कुल 236 मेडल रामकिशन शर्मा ने देश-विदेश के खेल मैदानों पर विभिन्न प्रतियोगिताओं में शिरकत कर अपनी खेल प्रतिभा का दम दिखाया है। इन प्रतियोगिताओं में वे अब तक कुल 236 मेडल हासिल कर चुके है। उन्होंने इंटरनेशनल प्रतियोगिताओं में 6 गोल्ड मेडल, नेशनल में 122 गोल्ड, 23 सिल्वर, 5 कांस्य व स्टेट में 80 गोल्ड मेडल शामिल हैं।
हरियाणा में इनेलो के ‘चश्मे’ पर JJP की नजर:दुष्यंत चौटाला बोले- इस बार भी 6% वोट नहीं मिले तो सिंबल फ्रीज होगा, हम दावा करेंगे
हरियाणा में इनेलो के ‘चश्मे’ पर JJP की नजर:दुष्यंत चौटाला बोले- इस बार भी 6% वोट नहीं मिले तो सिंबल फ्रीज होगा, हम दावा करेंगे हरियाणा में राजनीतिक दिग्गज चौटाला परिवार में इंडियन नेशनल लोक दल (INLD) यानी इनेलो पर अधिकार की लड़ाई शुरू होने वाली है। इसके संकेत इनेलो से निकाले गए पूर्व डिप्टी CM दुष्यंत चौटाला ने दिए हैं। जो अभी जननायक जनता पार्टी (JJP) के वरिष्ठ नेता हैं। दुष्यंत ने कहा-” चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार 2 लोकसभा इलेक्शन में 6% से ज्यादा वोट शेयर की जरूरत होती है। मगर, इनेलो के 2019 लोकसभा चुनाव में 2 प्रतिशत के लगभग वोट आए थे। दुष्यंत ने कहा कि इस चुनाव में भी इनेलो के वोट शेयर 2 प्रतिशत तक ही रह सकते हैं। ऐसे में इनेलो का सिंबल छिन सकता है।” अगर अगर इनेलो का सिंबल चश्मा चुनाव आयोग छीनता है तो जजपा इस पर दावा ठोक सकती है। ऐसे समझें इनेलो से सिंबल छिनने के खतरे का गणित…
चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार किसी भी पार्टी को लगातार 2 चुनाव (लोकसभा व विधानसभा) में निर्धारित वोट नहीं मिलते हैं तो स्टेट पार्टी का दर्जा छिन जाता है। लोकसभा चुनाव में 6% वोट और एक सीट या 8% वोट की जरूरत होती है। विधानसभा में 6% वोट और 2 सीटें होनी चाहिए। नियम के अनुसार, अगर लगातार 2 चुनाव (2 लोस व 2 विस) में ये सब नहीं होता है तो पार्टी का चुनाव चिह्न भी छिन सकता है। इनेलो ने 2019 के लोकसभा चुनाव में 1.89% और विधानसभा चुनाव में 2.44% ही वोट हासिल किए थे। इसके अलावा 2019 के चुनाव भाजपा की लहर ने हरियाणा में सभी दलों का सूपड़ा साफ कर दिया। 10 की 10 सीटों पर भाजपा के प्रत्याशी विजयी हुए। इस चुनाव में इनेलो को एक भी सीट नहीं मिली। इसके बाद विधानसभा चुनाव हुआ। इस चुनाव में इनेलो के अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद जताई जा रही थी, लेकिन यहां भी निराशा हाथ लगी। अभय चौटाला के अलावा सभी प्रत्याशी हार गए। इस बार भी कम से कम 6% वोट और एक सीट या 8% वोट नहीं मिले तो स्टेट पार्टी का दर्जा व चश्मे का चुनाव निशान तक छिन सकता है। हरियाणा में मुश्किल में चौटाला परिवार की दोनों पार्टियां…. इनेलो के आगे अस्तित्व बचाने की लड़ाई कभी हरियाणा की राजनीति की दशा-दिशा तय करने वाली इनेलो के लिए अब अस्तित्व बचाने की चुनौती है। इनेलो के लिए चश्मा चुनाव चिन्ह बचाना ही मुश्किल हो रहा है। जिसके लिए उन्हें इस बार 6% मत हासिल करना इसलिए जरूरी है। 4 महीने बाद प्रदेश में विधानसभा चुनाव हैं। ऐसे में सिंबल छिन गया तो इनेलो के लिए मुश्किल हो सकती है। इसी वजह से अभय चौटाला खुद कुरूक्षेत्र से चुनाव लड़ रहे जबकि परिवार की दूसरी सदस्य सुनैना चौटाला को हिसार से चुनाव लड़ाया गया है। इनेलो ने 5 सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं। इनमें अंबाला, कुरुक्षेत्र, सिरसा, हिसार की सीटें शामिल हैं, जबकि करनाल में एनसीपी के वीरेंद्र मराठा को इनेलो ने अपना समर्थन दे रखा है सरकार से साथ टूटने पर बगावत से जूझती जजपा
वहीं दूसरी तरफ जजपा साढ़े 4 साल सत्ता का सुख लेने के बाद लोकसभा चुनाव से ठीक पहले अलग हो गई। इसके बाद जजपा में ही बगावत शुरू हो गई। जजपा के 10 में से 5 विधायक बागी हो गए।इनमें से विधायक जोगीराम सिहाग ने खुलकर भाजपा की समर्थन किया। रामकुमार गौतम ने देशहित के बहाने भाजपा के समर्थन की बात की। देवेंद्र बबली ने इशारों में कांग्रेस को समर्थन का ऐलान किया। बाकी बचे रामनिवास सुरजाखेड़ा और ईश्वर सिंह ने सीधे किसी का समर्थन नहीं किया लेकिन पार्टी के प्रति बागी तेवर बरकरार हैं। इनमें से विधायक सुरजाखेड़ा और सिहाग की तो विधानसभा सदस्यता भंग करने के लिए भी जजपा ने स्पीकर को चिट्ठी लिख दी है। जजपा नेतृत्व के साथ 5 विधायक, जिनमें खुद दुष्यंत चौटाला, उनकी मां नैना चौटाला, अनूप धानक, रामकरण काला और अमरजीत ढांडा हैं। इस बार जजपा प्रदेश की 10 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है। दुष्यंत की मां नैना चौटाला हिसार से उम्मीदवार है। कैसे मिलता है राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा
दरअसल इसके लिए केंद्रीय चुनाव आयोग के नियम 1968 का पालन किया जाता है। जिसके मुताबिक किसी पार्टी को राष्ट्रीय दल का दर्जा हासिल करने के लिए 4 या उससे ज्यादा राज्यों में लोकसभा चुनाव या विधानसभा चुनाव लड़ना होता है। इसके साथ ही इन चुनावों में उस पार्टी को कम से कम 6 प्रतिशत वोट हासिल करने होते हैं। परिवार में आपसी कलह से टूटी थी इनेलो
2018 में पारिवार में आपसी कलह के चलते इनेलो में बड़ी टूट हुई थी। अभय चौटाला के भाई अजय चौटाला ने अपने बेटों दुष्यंत और दिग्विजय के अलावा कई अन्य नेताओं के साथ पार्टी को अलविदा कह दिया। इसके बाद हरियाणा में जन नायक जनता पार्टी यानि जजपा का गठन हुआ। अब स्थिति ये है कि हरियाणा में न इनेलो का व्यापक प्रभाव देखने को मिलता है और न ही जजपा का। जजपा और इनेलो में फूट का सबसे ज्यादा फायदा राष्ट्रीय पार्टी भाजपा और कांग्रेस को हुआ है। 2019 विधानसभा चुनाव में जजपा ने जीती थी 10 सीटें
इनेलो टूटने के बाद बनी जजपा ने पहली बार 2019 में विधानसभा लड़ा था। जजपा ने प्रदेश की सभी 90 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में जजपा ने 10 सीटें जीते थी। हिसार के सांसद रहे दुष्यंत चौटाला के नेतृत्व में यह चुनाव लड़ा गया था। इस चुनाव में उचाना, बाढड़ा, टोहाना, बरवाला, नारनौंद, जुलाना, गुहला, उकलाना, नरवाना और शाहबाद विधानसभा सीटें जीते थीं। 10 विधायक चुने जाने के बाद जजपा ने भाजपा को समर्थन देकर हरियाणा में 2019 में नई सरकार का गठन किया था। नई सरकार में दुष्यंत चौटाला को भाजपा ने डिप्टी सीएम बनाया था।