कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी को फिर से यूपी का प्रभारी बनाया जा सकता है। बीते एक साल से उनके पास किसी राज्य का प्रभार नहीं है। इससे पहले वह यूपी की प्रभारी थीं, लेकिन लोकसभा चुनाव से ठीक पहले दिसंबर 2023 में खुद को यूपी के प्रभार से अलग कर लिया था। प्रियंका ने पूरा फोकस अमेठी और रायबरेली पर लगा दिया था। प्रियंका के करीबियों का मानना है कि जल्द ही दोबारा प्रियंका गांधी को यूपी का प्रभारी बनाया जाएगा। इसमें केवल औपचारिकता शेष बची है। कांग्रेस में एक तबका उन्हें संगठन महासचिव के रूप में भी देखना चाहता है, लेकिन कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि फिलहाल उन्हें यूपी की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। यूपी के कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे हैं। दरअसल, कांग्रेस में महासचिवों को राज्यों का प्रभारी बनाया जाता है। मसलन मौजूदा समय में कांग्रेस में कुल 12 महासचिव हैं। इसमें केसी वेणुगोपाल संगठन महासचिव हैं। इनमें से सिर्फ प्रियंका गांधी और दीपक बाबरिया किसी राज्य के प्रभारी नहीं हैं। बाकी सभी के पास कोई न कोई प्रभार है। प्रभारी के लिए प्रियंका का ही नाम क्यों? 1- प्रियंका ने यूपी की जिम्मेदारी संभालने के बाद इसमें आमूलचूल परिवर्तन किया था। कांग्रेस में संगठन के अहम पदों पर 70% से अधिक अगड़ी जाति के लोगों का दबदबा था। लेकिन प्रियंका ने इसमें सबकी भागीदारी सुनिश्चित की। उन्होंने 50 प्रतिशत से अधिक पिछड़ों, अति पिछड़ों, दलितों और अल्पसंख्यकों को जगह दी। खास बात यह रही कि जब कांग्रेस ने यूपी में अविनाश पांडे को प्रभारी बनाया तो वे भी इसमें फेरबदल की गुंजाइश नहीं तलाश पाए। हाल ही में कर्नाटक के बेलगावी में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक हुई। इसमें जो प्रस्ताव पास हुआ, उसमें यूपी में संगठन सृजन के मॉडल की न सिर्फ तारीफ की गई बल्कि इसे देश के दूसरे राज्यों में भी लागू करने की बात कही गई। 2- केरल के वायनाड से सांसद चुने जाने के बाद प्रियंका गांधी ने सदन में जो पहली स्पीच दी, उसमें भी उन्होंने यूपी पर फोकस रखा। उन्होंने यूपी की कानून-व्यवस्था से लेकर अपराध और विकास तक के मुद्दे लोकसभा में उठाए थे। 3- कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ समझौता किया था और छह सीटें जीतने में कामयाब हो गई। प्रियंका गांधी इस दौरान काफी एक्टिव रहीं। वाराणसी में उन्होंने पीएम मोदी के खिलाफ रोड शो किया था। इसका असर दिखा। मोदी की जीत की मार्जिन लाख पर आ गई। इस कामयाबी से कांग्रेस को यूपी में 2027 के चुनाव में एक उम्मीद की किरण दिख रही है। कांग्रेस नेताओं का मानना है कि कांग्रेस और सपा का समझौता बरकरार रहता है और समीकरण 2024 लोकसभा चुनाव वाले जैसे ही बनते हैं तो कांग्रेस 25 से 30 सीटें जीत सकती है। इसमें प्रियंका भूमिका निभा सकती हैं। 4- कांग्रेस का एक तबका मानता है कि प्रियंका गांधी की स्वीकार्यता हिंदी बेल्ट यानी उत्तर भारत में अधिक है। वह अपनी बात लोगों तक आसानी से पहुंचा पाती हैं। ऐसे में कांग्रेस को भी लगता है कि वे यूपी में कांग्रेस को ज्यादा फायदा पहुंचा सकती हैं। दिल्ली चुनाव के बाद संभाल सकती हैं जिम्मेदारी
कांग्रेस के विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि दिल्ली चुनाव के बाद प्रियंका गांधी को दोबारा यूपी की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। यह भी संभव है कि प्रियंका गांधी काे एक से अधिक राज्य की भी जिम्मेदारी सौंप दी जाए। यूपी के कुछ बड़े नेताओं ने इस तरफ इशारा भी किया, लेकिन मामला टॉप लीडरशिप से जुड़ा है, इसलिए वे अपना हवाला नहीं देना चाहते हैं। पहले प्रभार में फेल रही थीं प्रियंका
प्रियंका गांधी को 2019 के लोकसभा चुनाव के फौरन बाद यूपी का प्रभारी बनाया गया था। उनके कार्यकाल में यूपी में 2022 में विधानसभा चुनाव हुआ। प्रियंका गांधी ने इस चुनाव में ‘लड़की हूं लड़ सकती हूं’ का नारा दिया, जो फ्लाप हो गया। कांग्रेस ने 33 प्रतिशत से अधिक महिलाओं को टिकट दिया था। यह फॉर्मूला भी यूपी में काम नहीं किया। इसकी सबसे बड़ी वजह सपा और भाजपा के बीच की सीधी लड़ाई बताई गई। यूपी में चुनाव के दौरान प्रियंका गांधी ने किराए पर घर भी लिया था और वे लगातार यहां रहने भी लगी थीं। लेकिन चुनाव में कांग्रेस की बुरी हार के बाद वह यूपी से वापस चली गईं। लोकसभा चुनाव में वह अमेठी और रायबरेली के साथ-साथ सहारनपुर में कांग्रेस उम्मीदवारों के प्रचार के लिए आई थीं। इसके बाद से गिनी चुनी बार ही वह यूपी आई हैं, लेकिन किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में शिरकत नहीं की है। प्रियंका दूसरी बार प्रभारी बनती हैं तो क्या होगा? इस सवाल पर सीनियर जर्नलिस्ट एवं पॉलिटिकल एक्सपर्ट राजेंद्र कुमार कहते हैं कि प्रियंका गांधी अगर यूपी में दोबारा प्रभारी बनती हैं तो कांग्रेस को मजबूती मिलेगी। बेशक उन्हें अपेक्षित कामयाबी न मिली हो, लेकिन वह मैसेज देने में कामयाब रही थीं और सक्रिय दिख रही थीं। कामयाबी न मिलने की वजह से वह कुछ मायूस जरूर हुईं। पॉलिटिकल एक्सपर्ट और लखनऊ यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रविकांत कहते हैं कि प्रियंका गांधी के आने से कांग्रेस की उम्मीद बंधेगी। पिछली असफलता से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। उनके साथियों पर जो आरोप लगते हैं, उनसे प्रियंका गांधी को बचना होगा। प्रदेश अध्यक्ष ओबीसी या दलित देती हैं तो उससे कांग्रेस बढ़ेगी। कमजोर समाज और कमजोर जातियां लोकतंत्र में अपनी हिस्सेदारी के लिए कोशिश करेंगी। केवल नैरेटिव से काम नहीं चलेगा। जब तक एजेंडे के साथ रिप्रजेंटेशन लेकर नहीं आएंगे तब तक आप सफल नहीं होंगे। संभल जाने से पहले यूपी बॉर्डर पर रोकी गई थीं प्रियंका
संभल में मस्जिद के सर्वे को लेकर हुई हिंसा में 4 लोगों की मौत हो गई थी। कांग्रेस ने ऐलान किया था कि नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस का दल संभल जाएगा, जिसमें प्रियंका गांधी भी होंगी। इन लोगों को यूपी बॉर्डर पर ही रोक लिया गया। यह भी सच है कि प्रभारी के पद से हटने के बाद प्रियंका गांधी बीते एक साल में लखनऊ में न तो पार्टी ऑफिस में आईं और न ही उन्होंने लखनऊ में किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में शिरकत की। —————— ये भी पढ़ें… मंत्री आशीष पटेल इस्तीफा दें, हम स्वागत करेंगे:अजय राय बोले- STF से मंत्री तक को डराया जा रहा, योगी सरकार भ्रष्टाचार में डूबी यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय ने प्राविधिक शिक्षा मंत्री आशीष पटेल के मुद्दे पर यूपी सरकार को घेरा। उन्होंने कहा, प्रदेश सरकार के मंत्री पर भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं। वो मंच से कहते हैं कि STF पैर में नहीं, सीने में गोली मारे। STF के चीफ अमिताभ यश मुख्यमंत्री के बहुत खास हैं। अभी तक एनकाउंटर के नाम पर गुंडों को धमकाया जाता था, लेकिन ऐसा पहली प्रदेश सरकार के मंत्री को धमकाया जा रहा है। पढ़ें पूरी खबर… कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी को फिर से यूपी का प्रभारी बनाया जा सकता है। बीते एक साल से उनके पास किसी राज्य का प्रभार नहीं है। इससे पहले वह यूपी की प्रभारी थीं, लेकिन लोकसभा चुनाव से ठीक पहले दिसंबर 2023 में खुद को यूपी के प्रभार से अलग कर लिया था। प्रियंका ने पूरा फोकस अमेठी और रायबरेली पर लगा दिया था। प्रियंका के करीबियों का मानना है कि जल्द ही दोबारा प्रियंका गांधी को यूपी का प्रभारी बनाया जाएगा। इसमें केवल औपचारिकता शेष बची है। कांग्रेस में एक तबका उन्हें संगठन महासचिव के रूप में भी देखना चाहता है, लेकिन कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि फिलहाल उन्हें यूपी की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। यूपी के कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे हैं। दरअसल, कांग्रेस में महासचिवों को राज्यों का प्रभारी बनाया जाता है। मसलन मौजूदा समय में कांग्रेस में कुल 12 महासचिव हैं। इसमें केसी वेणुगोपाल संगठन महासचिव हैं। इनमें से सिर्फ प्रियंका गांधी और दीपक बाबरिया किसी राज्य के प्रभारी नहीं हैं। बाकी सभी के पास कोई न कोई प्रभार है। प्रभारी के लिए प्रियंका का ही नाम क्यों? 1- प्रियंका ने यूपी की जिम्मेदारी संभालने के बाद इसमें आमूलचूल परिवर्तन किया था। कांग्रेस में संगठन के अहम पदों पर 70% से अधिक अगड़ी जाति के लोगों का दबदबा था। लेकिन प्रियंका ने इसमें सबकी भागीदारी सुनिश्चित की। उन्होंने 50 प्रतिशत से अधिक पिछड़ों, अति पिछड़ों, दलितों और अल्पसंख्यकों को जगह दी। खास बात यह रही कि जब कांग्रेस ने यूपी में अविनाश पांडे को प्रभारी बनाया तो वे भी इसमें फेरबदल की गुंजाइश नहीं तलाश पाए। हाल ही में कर्नाटक के बेलगावी में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक हुई। इसमें जो प्रस्ताव पास हुआ, उसमें यूपी में संगठन सृजन के मॉडल की न सिर्फ तारीफ की गई बल्कि इसे देश के दूसरे राज्यों में भी लागू करने की बात कही गई। 2- केरल के वायनाड से सांसद चुने जाने के बाद प्रियंका गांधी ने सदन में जो पहली स्पीच दी, उसमें भी उन्होंने यूपी पर फोकस रखा। उन्होंने यूपी की कानून-व्यवस्था से लेकर अपराध और विकास तक के मुद्दे लोकसभा में उठाए थे। 3- कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ समझौता किया था और छह सीटें जीतने में कामयाब हो गई। प्रियंका गांधी इस दौरान काफी एक्टिव रहीं। वाराणसी में उन्होंने पीएम मोदी के खिलाफ रोड शो किया था। इसका असर दिखा। मोदी की जीत की मार्जिन लाख पर आ गई। इस कामयाबी से कांग्रेस को यूपी में 2027 के चुनाव में एक उम्मीद की किरण दिख रही है। कांग्रेस नेताओं का मानना है कि कांग्रेस और सपा का समझौता बरकरार रहता है और समीकरण 2024 लोकसभा चुनाव वाले जैसे ही बनते हैं तो कांग्रेस 25 से 30 सीटें जीत सकती है। इसमें प्रियंका भूमिका निभा सकती हैं। 4- कांग्रेस का एक तबका मानता है कि प्रियंका गांधी की स्वीकार्यता हिंदी बेल्ट यानी उत्तर भारत में अधिक है। वह अपनी बात लोगों तक आसानी से पहुंचा पाती हैं। ऐसे में कांग्रेस को भी लगता है कि वे यूपी में कांग्रेस को ज्यादा फायदा पहुंचा सकती हैं। दिल्ली चुनाव के बाद संभाल सकती हैं जिम्मेदारी
कांग्रेस के विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि दिल्ली चुनाव के बाद प्रियंका गांधी को दोबारा यूपी की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। यह भी संभव है कि प्रियंका गांधी काे एक से अधिक राज्य की भी जिम्मेदारी सौंप दी जाए। यूपी के कुछ बड़े नेताओं ने इस तरफ इशारा भी किया, लेकिन मामला टॉप लीडरशिप से जुड़ा है, इसलिए वे अपना हवाला नहीं देना चाहते हैं। पहले प्रभार में फेल रही थीं प्रियंका
प्रियंका गांधी को 2019 के लोकसभा चुनाव के फौरन बाद यूपी का प्रभारी बनाया गया था। उनके कार्यकाल में यूपी में 2022 में विधानसभा चुनाव हुआ। प्रियंका गांधी ने इस चुनाव में ‘लड़की हूं लड़ सकती हूं’ का नारा दिया, जो फ्लाप हो गया। कांग्रेस ने 33 प्रतिशत से अधिक महिलाओं को टिकट दिया था। यह फॉर्मूला भी यूपी में काम नहीं किया। इसकी सबसे बड़ी वजह सपा और भाजपा के बीच की सीधी लड़ाई बताई गई। यूपी में चुनाव के दौरान प्रियंका गांधी ने किराए पर घर भी लिया था और वे लगातार यहां रहने भी लगी थीं। लेकिन चुनाव में कांग्रेस की बुरी हार के बाद वह यूपी से वापस चली गईं। लोकसभा चुनाव में वह अमेठी और रायबरेली के साथ-साथ सहारनपुर में कांग्रेस उम्मीदवारों के प्रचार के लिए आई थीं। इसके बाद से गिनी चुनी बार ही वह यूपी आई हैं, लेकिन किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में शिरकत नहीं की है। प्रियंका दूसरी बार प्रभारी बनती हैं तो क्या होगा? इस सवाल पर सीनियर जर्नलिस्ट एवं पॉलिटिकल एक्सपर्ट राजेंद्र कुमार कहते हैं कि प्रियंका गांधी अगर यूपी में दोबारा प्रभारी बनती हैं तो कांग्रेस को मजबूती मिलेगी। बेशक उन्हें अपेक्षित कामयाबी न मिली हो, लेकिन वह मैसेज देने में कामयाब रही थीं और सक्रिय दिख रही थीं। कामयाबी न मिलने की वजह से वह कुछ मायूस जरूर हुईं। पॉलिटिकल एक्सपर्ट और लखनऊ यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रविकांत कहते हैं कि प्रियंका गांधी के आने से कांग्रेस की उम्मीद बंधेगी। पिछली असफलता से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। उनके साथियों पर जो आरोप लगते हैं, उनसे प्रियंका गांधी को बचना होगा। प्रदेश अध्यक्ष ओबीसी या दलित देती हैं तो उससे कांग्रेस बढ़ेगी। कमजोर समाज और कमजोर जातियां लोकतंत्र में अपनी हिस्सेदारी के लिए कोशिश करेंगी। केवल नैरेटिव से काम नहीं चलेगा। जब तक एजेंडे के साथ रिप्रजेंटेशन लेकर नहीं आएंगे तब तक आप सफल नहीं होंगे। संभल जाने से पहले यूपी बॉर्डर पर रोकी गई थीं प्रियंका
संभल में मस्जिद के सर्वे को लेकर हुई हिंसा में 4 लोगों की मौत हो गई थी। कांग्रेस ने ऐलान किया था कि नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस का दल संभल जाएगा, जिसमें प्रियंका गांधी भी होंगी। इन लोगों को यूपी बॉर्डर पर ही रोक लिया गया। यह भी सच है कि प्रभारी के पद से हटने के बाद प्रियंका गांधी बीते एक साल में लखनऊ में न तो पार्टी ऑफिस में आईं और न ही उन्होंने लखनऊ में किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में शिरकत की। —————— ये भी पढ़ें… मंत्री आशीष पटेल इस्तीफा दें, हम स्वागत करेंगे:अजय राय बोले- STF से मंत्री तक को डराया जा रहा, योगी सरकार भ्रष्टाचार में डूबी यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय ने प्राविधिक शिक्षा मंत्री आशीष पटेल के मुद्दे पर यूपी सरकार को घेरा। उन्होंने कहा, प्रदेश सरकार के मंत्री पर भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं। वो मंच से कहते हैं कि STF पैर में नहीं, सीने में गोली मारे। STF के चीफ अमिताभ यश मुख्यमंत्री के बहुत खास हैं। अभी तक एनकाउंटर के नाम पर गुंडों को धमकाया जाता था, लेकिन ऐसा पहली प्रदेश सरकार के मंत्री को धमकाया जा रहा है। पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर