धर्मशाला में सीवरेज चैंबर लीक, खुले में बह रही गंदगी:प्राकृतिक जल स्त्रोत हो रहे दूषित, ग्रामीण-टूरिस्ट परेशान; अब तक नहीं हुआ समाधान

धर्मशाला में सीवरेज चैंबर लीक, खुले में बह रही गंदगी:प्राकृतिक जल स्त्रोत हो रहे दूषित, ग्रामीण-टूरिस्ट परेशान; अब तक नहीं हुआ समाधान

हिमाचल प्रदेश की पहली स्मार्ट सिटी धर्मशाला में सीवरेज की गंदगी नाले के पानी में जहर घोल रही है। इससे आमजन के साथ पशुओं की सेहत पर भी गंभीर खतरा मंडरा रहा है। प्राकृतिक जल स्त्रोत भी दूषित हो रहे हैं। स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (एचपीएसपीसीबी) के अधिकारी का कहना है कि वह समय-समय पर जल स्रोतों के सैंपल एकत्रित कर जांच करते हैं, लेकिन सच्चाई इससे विपरीत है। मैक्लोडगंज क्षेत्र का अधिकतर हिस्सा सीवरेज लाइन से अभी तक कनेक्ट नहीं है, जिसके चलते सीवरेज खुले में ही छोड़ा जाता था। शहर में 60% ही कनेक्शन
धर्मशाला शहर में भी अभी 60 प्रतिशत ही कनेक्शन हैं। सीवरेज की यह सारी गंदगी एक तरफ चरान खड्ड और दूसरी तरफ मांझी खड्ड में जाकर मिलती है। धर्मशाला के प्राकृतिक स्त्रोत ही नहीं, बल्कि निचले ग्रामीण क्षेत्रों के लोग भी इस प्रदूषण से प्रभावित हो रहे हैं। वार्ड नंबर 7 डिपो बाजार की बाबड़ी भी इसी तरह प्रदूषित हो रही है। चैंबर का ईंट से किया गया था निर्माण
मैक्लोडगंज से लेकर धर्मशाला तक सड़कों पर बिछी सीवरेज लाइनों से आए दिन लीकेज हो रही है, जिससे स्थानीय लोग और पर्यटक बेहद परेशान हो रहे हैं। हर स्थान पर, चाहे वह आम रास्ता हो या मुख्य सड़क मार्ग, सीवरेज की बदबू फैली हुई है। धर्मशाला शहर में पांच हजार चैंबर हैं, जिनमें से कुछ वर्ष 2001 से 2003 तक बनाए गए थे। इन चैंबर का निर्माण ईंटों से किया गया था, जिनमें लीकेज की समस्या आ रही थी। एसडीओ ने दिया कार्रवाई का आश्वासन
जलशक्ति विभाग के एसडीओ दीपक चौधरी ने कहा कि मामला ध्यान में आया है और इस पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी। जल शक्ति विभाग धर्मशाला जोन के चीफ इंजीनियर दीपक गर्ग ने कहा कि शीघ्र ही धर्मशाला शहर के लिए सीवरेज लाइन को दुरुस्त करने के लिए डीपीआर बनाई जा रही है। सीवरेज लीकेज को तुरंत प्रभाव से रोका जाएगा। इस संबंध में संबंधित अधिकारी को निर्देश प्रेषित कर दिए गए हैं। हाईकोर्ट ने सरकार और नगर निगम को भेजा था नोटिस
प्रदेश हाईकोर्ट ने इस मामले पर स्वतः संज्ञान लेते हुए सरकार और नगर निगम धर्मशाला को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था। पिछले साल 6 दिसंबर को कोर्ट ने नगर निगम धर्मशाला से पूछा था कि वर्ष 2022 से जारी सीवरेज लाइन बिछाने का कार्य अभी तक पूरा क्यों नहीं हो पाया है। कोर्ट ने यह भी पूछा था कि इस काम को तुरंत पूरा करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं। प्रशासन ने कुछ निजी भूमि मालिकों द्वारा उठाई गई आपत्तियों का हवाला देते हुए काम पूरा न होने का कारण अदालत के समक्ष बताया था। कोर्ट ने नगर निगम धर्मशाला को आदेश दिए कि वह अपनी कानूनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए यह कार्य जल्द से जल्द पूरा करें। 2022 में सौंपा गया था काम
नगर निगम की ओर से अदालत को बताया गया कि सीवरेज लाइन बिछाने के कार्य में बाधा पैदा करने वाले भू-मालिकों को हिमाचल प्रदेश नगर निगम अधिनियम, 1994 की धारा-358 का प्रयोग करते हुए नोटिस जारी किए गए हैं। हाईकोर्ट ने पहले भी इस बात पर हैरानी जताई थी कि धर्मशाला में सीवरेज लाइन बिछाने के लिए वर्ष 2022 में ठेकेदारों को काम सौंपा गया था, लेकिन यह आज तक पूरा नहीं हुआ है। अभी तक नहीं हुई फंडिंग
नगर निगम धर्मशाला बनने से पहले नगर परिषद के 9 वार्ड थे, जो नगर निगम बनने के बाद 17 वार्ड हो गए। वार्ड 10 से 17 तक के वार्डों को नगर निगम धर्मशाला में मर्ज किया गया, जिनमें कोई भी सीवरेज की सुविधा नहीं थी। इसके लिए 136 करोड़ लागत का आकलन तैयार करके शहरी विकास विभाग और जल शक्ति विभाग को भेजा गया है, जिसमें अभी तक फंडिंग नहीं हुई है। हिमाचल प्रदेश की पहली स्मार्ट सिटी धर्मशाला में सीवरेज की गंदगी नाले के पानी में जहर घोल रही है। इससे आमजन के साथ पशुओं की सेहत पर भी गंभीर खतरा मंडरा रहा है। प्राकृतिक जल स्त्रोत भी दूषित हो रहे हैं। स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (एचपीएसपीसीबी) के अधिकारी का कहना है कि वह समय-समय पर जल स्रोतों के सैंपल एकत्रित कर जांच करते हैं, लेकिन सच्चाई इससे विपरीत है। मैक्लोडगंज क्षेत्र का अधिकतर हिस्सा सीवरेज लाइन से अभी तक कनेक्ट नहीं है, जिसके चलते सीवरेज खुले में ही छोड़ा जाता था। शहर में 60% ही कनेक्शन
धर्मशाला शहर में भी अभी 60 प्रतिशत ही कनेक्शन हैं। सीवरेज की यह सारी गंदगी एक तरफ चरान खड्ड और दूसरी तरफ मांझी खड्ड में जाकर मिलती है। धर्मशाला के प्राकृतिक स्त्रोत ही नहीं, बल्कि निचले ग्रामीण क्षेत्रों के लोग भी इस प्रदूषण से प्रभावित हो रहे हैं। वार्ड नंबर 7 डिपो बाजार की बाबड़ी भी इसी तरह प्रदूषित हो रही है। चैंबर का ईंट से किया गया था निर्माण
मैक्लोडगंज से लेकर धर्मशाला तक सड़कों पर बिछी सीवरेज लाइनों से आए दिन लीकेज हो रही है, जिससे स्थानीय लोग और पर्यटक बेहद परेशान हो रहे हैं। हर स्थान पर, चाहे वह आम रास्ता हो या मुख्य सड़क मार्ग, सीवरेज की बदबू फैली हुई है। धर्मशाला शहर में पांच हजार चैंबर हैं, जिनमें से कुछ वर्ष 2001 से 2003 तक बनाए गए थे। इन चैंबर का निर्माण ईंटों से किया गया था, जिनमें लीकेज की समस्या आ रही थी। एसडीओ ने दिया कार्रवाई का आश्वासन
जलशक्ति विभाग के एसडीओ दीपक चौधरी ने कहा कि मामला ध्यान में आया है और इस पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी। जल शक्ति विभाग धर्मशाला जोन के चीफ इंजीनियर दीपक गर्ग ने कहा कि शीघ्र ही धर्मशाला शहर के लिए सीवरेज लाइन को दुरुस्त करने के लिए डीपीआर बनाई जा रही है। सीवरेज लीकेज को तुरंत प्रभाव से रोका जाएगा। इस संबंध में संबंधित अधिकारी को निर्देश प्रेषित कर दिए गए हैं। हाईकोर्ट ने सरकार और नगर निगम को भेजा था नोटिस
प्रदेश हाईकोर्ट ने इस मामले पर स्वतः संज्ञान लेते हुए सरकार और नगर निगम धर्मशाला को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था। पिछले साल 6 दिसंबर को कोर्ट ने नगर निगम धर्मशाला से पूछा था कि वर्ष 2022 से जारी सीवरेज लाइन बिछाने का कार्य अभी तक पूरा क्यों नहीं हो पाया है। कोर्ट ने यह भी पूछा था कि इस काम को तुरंत पूरा करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं। प्रशासन ने कुछ निजी भूमि मालिकों द्वारा उठाई गई आपत्तियों का हवाला देते हुए काम पूरा न होने का कारण अदालत के समक्ष बताया था। कोर्ट ने नगर निगम धर्मशाला को आदेश दिए कि वह अपनी कानूनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए यह कार्य जल्द से जल्द पूरा करें। 2022 में सौंपा गया था काम
नगर निगम की ओर से अदालत को बताया गया कि सीवरेज लाइन बिछाने के कार्य में बाधा पैदा करने वाले भू-मालिकों को हिमाचल प्रदेश नगर निगम अधिनियम, 1994 की धारा-358 का प्रयोग करते हुए नोटिस जारी किए गए हैं। हाईकोर्ट ने पहले भी इस बात पर हैरानी जताई थी कि धर्मशाला में सीवरेज लाइन बिछाने के लिए वर्ष 2022 में ठेकेदारों को काम सौंपा गया था, लेकिन यह आज तक पूरा नहीं हुआ है। अभी तक नहीं हुई फंडिंग
नगर निगम धर्मशाला बनने से पहले नगर परिषद के 9 वार्ड थे, जो नगर निगम बनने के बाद 17 वार्ड हो गए। वार्ड 10 से 17 तक के वार्डों को नगर निगम धर्मशाला में मर्ज किया गया, जिनमें कोई भी सीवरेज की सुविधा नहीं थी। इसके लिए 136 करोड़ लागत का आकलन तैयार करके शहरी विकास विभाग और जल शक्ति विभाग को भेजा गया है, जिसमें अभी तक फंडिंग नहीं हुई है।   हिमाचल | दैनिक भास्कर