किसान आंदोलन, हरियाणा पुलिस के पास पैलेट गन:खनौरी बॉर्डर से तस्वीरें सामने आईं; सेना पत्थरबाजों पर इस्तेमाल करती है

किसान आंदोलन, हरियाणा पुलिस के पास पैलेट गन:खनौरी बॉर्डर से तस्वीरें सामने आईं; सेना पत्थरबाजों पर इस्तेमाल करती है

खनौरी बॉर्डर पर किसानों को दिल्ली जाने से रोकने को तैनात हरियाणा पुलिस जवानों के पास पैलेट गन भी है। बॉर्डर पर किसानों की तरफ सबसे पहले घेरे में तैनात पुलिसकर्मियों को यह बंदूकें दी गई हैं। इनके आसपास का आधा किमी एरिया पूरी तरह सील है। जहां पुलिस के अलावा किसी को जाने की इजाजत नहीं। दैनिक भास्कर के पास ऐसी 2 तस्वीरें आईं हैं, जिनमें पुलिसकर्मियों के हाथ में पैलेट गन दिखाई दे रही है। यह वही गन है, जिसका इस्तेमाल सेना जम्मू एंड कश्मीर में पत्थरबाजों से निपटने के लिए करती है। इसे वहां अंतिम हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। इससे आदमी के टिश्यू डैमेज हो जाते हैं। इनका इस्तेमाल आंदोलनकारी किसानों पर होगा?, यह पूछे जाने पर जींद के DSP (लॉ एंड ऑर्डर) जितेंद्र सिंह का कहना है कि अभी आंदोलन शांतिप्रिय चल रहा है। बॉर्डर पर स्थिति सामान्य है। पैलेट गन के इस्तेमाल का सवाल ही नहीं उठता। खनौरी बॉर्डर पर पुलिस और पैरामिलिट्री फोर्स की 21 कंपनियां तैनात हैं। मिर्ची बम से असरदार पैलेट गन
पहले पुलिस अंतिम हथियार के रूप में मिर्ची बम का इस्तेमाल करती थी, इसे प्रदर्शनकारियों की भीड़ पर फेंकने पर त्वचा और आंखों में जलन होने लगती है, लेकिन यह कुछ ही लोगों पर असर करता है। पैलेट गन मिर्ची बम से ज्यादा असरदार है। भारत ही नहीं बल्कि कई दूसरे देश भी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पैलेट गन का इस्तेमाल करते हें। देखा जाए तो ये एक गैर घातक हथियार है, यानी इसे गैर-जानलेवा हथियार माना जाता है। किसानों का आरोप- पुलिस इस्तेमाल कर चुकी पैलेट गन
किसानों ने सबसे पहले 13 फरवरी को हरियाणा और पंजाब के शंभू और खनौरी बॉर्डर से दिल्ली कूच की कोशिश की थी। तब हरियाणा पुलिस ने बैरिकेडिंग कर किसानों को रोक लिया था। इस दौरान उन पर आंसू गैस के गोले दागे गए। शंभू बॉर्डर पर भी हालात काफी तनावपूर्ण हुए। यहां किसानों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए पैलेट गन का इस्तेमाल किया। 16 फरवरी को जब पंजाब के हेल्थ मिनिस्टर डॉ. बलबीर सिंह अस्पताल में पहुंच घायल किसानों से मिले तो उन्होंने खुद इस बात की पुष्टि की कि 10 से ज्यादा किसानों पर पैलेट गन से हमला हुआ है। इसके बाद 21 फरवरी को दिल्ली कूच के दौरान खनौरी बॉर्डर पर युवा किसान शुभकरण (22) की मौत हो गई थी। किसानों ने आरोप लगाया कि हरियाणा पुलिस ने उसके सिर में गोली मारी है। हालांकि, पुलिस ने इस बात को नकार दिया था। खनौरी बॉर्डर पर सरकार के इंतजाम पुख्ता
खनौरी बॉर्डर पर अभी तक प्रदर्शन शांतिपूर्वक तरीके से चल रहा है। यहां किसान नेता जगजीत डल्लेवाल 41 दिन से आमरण अनशन पर बैठे हैं। अगर खनौरी बॉर्डर से किसान दिल्ली कूच के लिए निकलते हैं या फिर किसान किन्हीं हालातों में एक साथ बॉर्डर को पार करने की प्लानिंग करते हैं तो पुलिस ने उन्हें रोकने की पूरी तैयारी कर रखी है। ******************** किसानों से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें :- डल्लेवाल के डॉक्टर बोले– उनके शरीर में हडि्डयां बचीं, किडनी-लीवर, फेफड़ों में खराबी आई हरियाणा–पंजाब के खनौरी बॉर्डर पर 41वें दिन आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत डल्लेवाल के शरीर में अब सिर्फ हडि्डयां बचीं हैं। उनके किडनी–लिवर, फेफड़ों में खराबी आ चुकी है। डॉक्टर का दावा है कि उन्हें कभी भी साइलेंट अटैक आ सकता है। पढ़ें पूरी खबर खनौरी बॉर्डर पर किसानों को दिल्ली जाने से रोकने को तैनात हरियाणा पुलिस जवानों के पास पैलेट गन भी है। बॉर्डर पर किसानों की तरफ सबसे पहले घेरे में तैनात पुलिसकर्मियों को यह बंदूकें दी गई हैं। इनके आसपास का आधा किमी एरिया पूरी तरह सील है। जहां पुलिस के अलावा किसी को जाने की इजाजत नहीं। दैनिक भास्कर के पास ऐसी 2 तस्वीरें आईं हैं, जिनमें पुलिसकर्मियों के हाथ में पैलेट गन दिखाई दे रही है। यह वही गन है, जिसका इस्तेमाल सेना जम्मू एंड कश्मीर में पत्थरबाजों से निपटने के लिए करती है। इसे वहां अंतिम हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। इससे आदमी के टिश्यू डैमेज हो जाते हैं। इनका इस्तेमाल आंदोलनकारी किसानों पर होगा?, यह पूछे जाने पर जींद के DSP (लॉ एंड ऑर्डर) जितेंद्र सिंह का कहना है कि अभी आंदोलन शांतिप्रिय चल रहा है। बॉर्डर पर स्थिति सामान्य है। पैलेट गन के इस्तेमाल का सवाल ही नहीं उठता। खनौरी बॉर्डर पर पुलिस और पैरामिलिट्री फोर्स की 21 कंपनियां तैनात हैं। मिर्ची बम से असरदार पैलेट गन
पहले पुलिस अंतिम हथियार के रूप में मिर्ची बम का इस्तेमाल करती थी, इसे प्रदर्शनकारियों की भीड़ पर फेंकने पर त्वचा और आंखों में जलन होने लगती है, लेकिन यह कुछ ही लोगों पर असर करता है। पैलेट गन मिर्ची बम से ज्यादा असरदार है। भारत ही नहीं बल्कि कई दूसरे देश भी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पैलेट गन का इस्तेमाल करते हें। देखा जाए तो ये एक गैर घातक हथियार है, यानी इसे गैर-जानलेवा हथियार माना जाता है। किसानों का आरोप- पुलिस इस्तेमाल कर चुकी पैलेट गन
किसानों ने सबसे पहले 13 फरवरी को हरियाणा और पंजाब के शंभू और खनौरी बॉर्डर से दिल्ली कूच की कोशिश की थी। तब हरियाणा पुलिस ने बैरिकेडिंग कर किसानों को रोक लिया था। इस दौरान उन पर आंसू गैस के गोले दागे गए। शंभू बॉर्डर पर भी हालात काफी तनावपूर्ण हुए। यहां किसानों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए पैलेट गन का इस्तेमाल किया। 16 फरवरी को जब पंजाब के हेल्थ मिनिस्टर डॉ. बलबीर सिंह अस्पताल में पहुंच घायल किसानों से मिले तो उन्होंने खुद इस बात की पुष्टि की कि 10 से ज्यादा किसानों पर पैलेट गन से हमला हुआ है। इसके बाद 21 फरवरी को दिल्ली कूच के दौरान खनौरी बॉर्डर पर युवा किसान शुभकरण (22) की मौत हो गई थी। किसानों ने आरोप लगाया कि हरियाणा पुलिस ने उसके सिर में गोली मारी है। हालांकि, पुलिस ने इस बात को नकार दिया था। खनौरी बॉर्डर पर सरकार के इंतजाम पुख्ता
खनौरी बॉर्डर पर अभी तक प्रदर्शन शांतिपूर्वक तरीके से चल रहा है। यहां किसान नेता जगजीत डल्लेवाल 41 दिन से आमरण अनशन पर बैठे हैं। अगर खनौरी बॉर्डर से किसान दिल्ली कूच के लिए निकलते हैं या फिर किसान किन्हीं हालातों में एक साथ बॉर्डर को पार करने की प्लानिंग करते हैं तो पुलिस ने उन्हें रोकने की पूरी तैयारी कर रखी है। ******************** किसानों से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें :- डल्लेवाल के डॉक्टर बोले– उनके शरीर में हडि्डयां बचीं, किडनी-लीवर, फेफड़ों में खराबी आई हरियाणा–पंजाब के खनौरी बॉर्डर पर 41वें दिन आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत डल्लेवाल के शरीर में अब सिर्फ हडि्डयां बचीं हैं। उनके किडनी–लिवर, फेफड़ों में खराबी आ चुकी है। डॉक्टर का दावा है कि उन्हें कभी भी साइलेंट अटैक आ सकता है। पढ़ें पूरी खबर   पंजाब | दैनिक भास्कर