‘हम लोग एक अलग बुंदेलखंड राज्य बनाकर ऐसी जगहों को विकसित करना चाहते हैं, जिससे सभी को आगे बढ़ने का मौका मिले। जिन गांवों में हम लोग गए, वहां विकास के नाम पर कुछ नहीं था। जब विकास नहीं था तो लोग ऐसी जगह से पलायन ही करेंगे।’ यह कहना है फिल्म कलाकार राजा बुंदेला का, जो आजकल अलग बुंदेलखंड राज्य की मांग को लेकर ‘गांव-गांव, पांव-पांव’ निकाल रहे हैं। पहले चरण में 12 अक्टूबर को यह यात्रा ललितपुर से झांसी तक चली। दूसरे चरण में 26 दिसंबर को यात्रा जालौन से शुरू हुई। 10 जनवरी को यह उरई में खत्म होगी। राजा बुंदेला कहते हैं, अभी तक इस यात्रा में जो चीज सबसे बड़ी निकलकर आई है, वो है पलायन और विकास। अभी तक इस यात्रा ने 9 शहर और 17 गांव कवर किए हैं। अभी 9 गांव और कवर किए जाएंगे। यात्रा के दौरान राजा बुंदेला पैदल चलकर लोगों से बातचीत कर रहे हैं। गांवों की स्थिति और परेशानियां देख रहे हैं। लोगों से यात्रा में जुड़ने की अपील कर रहे हैं। जालौन में दैनिक भास्कर ने राजा बुंदेला से बुंदेलखंड राज्य की मांग को लेकर बातचीत की। उनसे पूछा कि आखिर वो कैसे पूरे राज्य को मैनेज करेंगे? अगर ऐसा हुआ तो नए राज्य की राजधानी क्या होगी? राज्य में आने वाले पिछड़े जिलों का विकास कैसे करेंगे? पढ़िए राजा बुंदेला का पूरा इंटरव्यू… सवाल- ‘गांव-गांव, पांव-पांव’ यात्रा की जरूरत क्यों पड़ी?
जवाब- हमने लगभग हरसंभव कोशिश करके देख लिया, लेकिन सरकार हमारी बात सुन नहीं रही। अगर सुन भी रही है, तो अनसुनी कर रही। मैं बता दूं, दुनिया में जब भी कहीं कोई क्रांति आई है तो वह गांव से आई है। हमारी कोशिश यह है कि हम हर व्यक्ति को उरई बुलाएं। बुंदेलखंड राज्य के सभी लोग अपनी मांग रखें। अपनी मांग दिल्ली तक पहुंचाएं। हम लोग इतनी ठंड में भी यात्रा को रोक नहीं रहे। सवाल- यात्रा में भीड़ बहुत कम है। क्या लोग नहीं चाह रहे कि बुंदेलखंड अलग हो?
जवाब- हम लोग भीड़ को लेकर नहीं चल रहे, लोगों की उम्मीदों को लेकर आगे चल रहे हैं। भीड़ तो बहुत सारे लोग इकट्ठा कर लेते हैं, पैसे और लालच देकर। लेकिन हम न पैसा दे पा रहे और न ही लालच दे पा रहे हैं। हम तो बस बुंदेलखंड की सच्चाई लोगों तक पहुंचा रहे हैं। आज मेरे साथ 50 लोग चल रहे हैं। इस 730 किलोमीटर की यात्रा में मैंने लाखों लोगों को संबोधित किया है। 100 से ज्यादा सभाएं कीं। हर सभा में 100 से 200 लोग आ रहे हैं। रात में 9.30 बजे तक सभा कर रहे हैं। धीरे-धीरे लोग जागेंगे। हमें वे लोग नहीं चाहिए, जो आधे रास्ते चलकर, घर की याद आने पर लौट जाएं। समर्पण के भाव का हमारा संकल्प है। हम समर्पित भाव से काम कर रहे हैं। सवाल- 26 दिसंबर को शुरू हुई यह यात्रा अब समाप्त होने को है। इसमें क्या निकला?
जवाब- मैं आपसे दावे के साथ कहता हूं कि 10 जनवरी को कम से कम 2 लाख आदमी उरई में मिलेगा। लोगों को अब अहसास हो गया है कि ये उनके स्वाभिमान की बात है। उनका सब कुछ खत्म हो रहा है। उनका पानी ले लिया गया, बिजली ले ली गई, खनिज ले लिए गए। इस समय अगर नहीं जागे, तो कब जागेंगे? हम अब मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सरकार के साथ गबन नहीं होना चाहते। हमें केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया जाए। हमारी गवर्निंग काउंसिल बनाई जाए। सवाल- आप 2027 तक पीएम मोदी के नेतृत्व में बुंदेलखंड का गठन होने की बात कह रहे हैं?
जवाब- उनकी मजबूरी है, हम कंपल्शन करेंगे। साल- 2027 में परिसीमन होने वाला है। जब परिसीमन होगा, तो इसी उत्तर प्रदेश की विधानसभा सीटें 403 से बढ़कर 700 हो जाएंगी। इसी उत्तर प्रदेश की लोकसभा की सीट 80 से बढ़कर 120 से 130 होने वाली हैं। इतने बड़े प्रदेश को संभालना मुश्किल होगा। इसके बाद उनके सामने एक ही विकल्प होगा- पूर्वांचल, उत्तर प्रदेश और बुंदेलखंड को विभाजन करके उसको बांटे। सवाल- यूपी के सबसे पिछड़े जिले को आप अलग राज्य बनाना चाहते हैं, विकास कैसे होगा?
जवाब- जिन क्षेत्रों की हम बात कर रहे हैं, वहां 67% पलायन है। आपको अभी जो गरीबी और बेरोजगारी दिख रही, उसकी वजह यह है कि यहां का नौजवान रुकता नहीं। बुजुर्ग घर में बैठे हैं, वो काम नहीं करते। खेती-बाड़ी हो नहीं पा रही। गरीब और गरीब होता जा रहा है। यहां की सारी संपदा बाहर जा रही है। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड में अपार पर्यटन का स्थल है। धार्मिक पर्यटन स्थल और प्रकृति सब यहां पर है। हमारे यहां से पन्ना-हीरा निकलते हैं। 36000 करोड़ केंद्र को मिलते हैं, वहां की नीलामी से। 17000 करोड़ मध्य प्रदेश सरकार को मिलते हैं। झांसी बालू की वजह से कानपुर से ज्यादा राजस्व दे रहा है। अदरक, मटर, टमाटर और मिर्च यहां की उपज है। हम यहां प्रोसेसिंग यूनिट लगाएंगे। बुंदेलखंड के साइंटिस्ट हैं, जो इस समय अमेरिका के साथ काम कर रहे हैं। हमने उन सबसे कांटेक्ट किया है। हमने कहा कि आप यहां आएं और विकास में मदद करें। जिससे यहां के लोगों को रोजगार मिले। यहां से बाहर न जाना पड़े, जिससे पलायन रुके। अगर पलायन रुक गया तो यहां का नौजवान यहीं रहेगा। मां-बाप की देख-रेख करेगा। जमीन को उपजाऊ बनाकर उसमें काम करेगा। अपने बुंदेलखंड को संपन्न बनाने में पूरा योगदान देगा। सवाल- क्या इस मुद्दे पर कभी आपकी सीएम योगी-पीएम मोदी से मुलाकात हुई?
जवाब- इसमें सीएम की कोई भूमिका नहीं। सीधे केंद्र की भूमिका है। मैंने अमित शाह से 2 मुलाकातों में लगातार बुंदेलखंड की बात कही है। उन्होंने मना नहीं किया। उन्होंने कहा, अभी यह हमारी प्राथमिकता पर नहीं है। अभी किसी राज्य का बंटवारा हमारी प्रायोरिटी में नहीं है। देश के सामने और गंभीर समस्याएं हैं, पहले उनको सुलझाएंगे। उसके बाद हम राज्य की बात करेंगे। मुख्यमंत्री योगी हमारे साथ एक-दो मंच पर पूर्वांचल की बात कर चुके हैं। उनको भी पता है कि छोटे राज्य बनने से किसका फायदा है। अभी अलग बात है कि वह 27 करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। लेकिन, एक समय पर वह भी पूर्वांचल की बात कर रहे थे। जहां हम बुंदेलखंड की बात कर रहे थे, उनको भी ये दर्द पता है। इसी तरह गृहमंत्री और प्रधानमंत्री भी छोटे राज्यों का दंश जानते हैं। महाराष्ट्र और गुजरात एक थे। महाराष्ट्र गुजरात को छोड़ नहीं रहा था। 7 जजों की बेंच ने बैठकर यह फैसला किया था, तब वह महाराष्ट्र से अलग हुआ। सवाल- बुंदेलखंड में कौन-कौन से जिले आएंगे? आपकी डिमांड क्या है?
जवाब- बुंदेलखंड को लेकर निश्चित तौर पर 7 जिले डिक्लेयर हैं। हमारा ललितपुर, झांसी, उरई जालौन, हमीरपुर, महोबा, बांदा, चित्रकूट। इसके अलावा तीन और जिले हैं फतेहपुर, कौशांबी और कानपुर देहात। मायावती सरकार ने एक बड़ा सर्वे किया था। मैं उनका शुक्रगुजार हूं। उन्होंने जब पाया कि कानपुर देहात में बड़ी संख्या में लोग बुंदेलखंडी बोलने वाले हैं। फतेहपुर ऐसा क्षेत्र है, जो उत्तर प्रदेश लेना नहीं चाहता। वो हमारे बुंदेलखंड से जुड़ा है। मध्यप्रदेश में दतिया, सागर, टीकमगढ़, छतरपुर, पन्ना, कटनी, दमोह, एक हिस्सा अशोकनगर-मुगावली का और एक हिस्सा गुना का पिछोर-करेरा है। मध्यप्रदेश के मिलाकर कुल 24 जिले हमारे पास होंगे। जिन पर हम सरकार से बात कर रहे हैं। हमारा फैसला कोई जिद और जबरदस्ती का नहीं है। हमें बुंदेलखंड राज्य चाहिए। केवल यही चिड़िया की आंख है, जो हमें दिखाई दे रही। सवाल- आपने अभी बीच में जनसभा में कहा कि बुंदेलखंड को केंद्रशासित प्रदेश बना दिया जाए?
जवाब- कोई विकल्प तो दीजिए। 2 बार हमारे साथ ऐसा हुआ कि मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश का नाम लेकर हम राज्य नहीं बना पाए। उत्तराखंड, झारखंड और छत्तीसगढ़ के समय में मैं पूरी तरह से लड़ाई में था…शंकर लाल भैया के साथ। कांग्रेस सरकार में सोनिया गांधी की सहमति हो गई थी। सलमान खुर्शीद ने मुझे बुलाकर बताया कि मैडम तैयार हो गई हैं। बुंदेलखंड राज्य बनने वाला है। न जाने कहां से बात लीक हुई और मायावती को पता चला। उन्होंने छतरपुर में जाकर अपनी चुनावी रैली में बोला कि मैं उत्तर प्रदेश को 4 भागों में बांट रही हूं। मध्य प्रदेश वाले नहीं मान रहे हैं। कम से कम केंद्रशासित प्रदेश बना दें। उसमें तो केंद्र को ही देखना है। अब हम उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के साथ नहीं रहना चाहते। हमारा सब कुछ खत्म हो रहा है। यह लोग हमें लूट रहे हैं। लूट के बाद हमें कुछ नहीं मिल रहा। ‘हम लोग एक अलग बुंदेलखंड राज्य बनाकर ऐसी जगहों को विकसित करना चाहते हैं, जिससे सभी को आगे बढ़ने का मौका मिले। जिन गांवों में हम लोग गए, वहां विकास के नाम पर कुछ नहीं था। जब विकास नहीं था तो लोग ऐसी जगह से पलायन ही करेंगे।’ यह कहना है फिल्म कलाकार राजा बुंदेला का, जो आजकल अलग बुंदेलखंड राज्य की मांग को लेकर ‘गांव-गांव, पांव-पांव’ निकाल रहे हैं। पहले चरण में 12 अक्टूबर को यह यात्रा ललितपुर से झांसी तक चली। दूसरे चरण में 26 दिसंबर को यात्रा जालौन से शुरू हुई। 10 जनवरी को यह उरई में खत्म होगी। राजा बुंदेला कहते हैं, अभी तक इस यात्रा में जो चीज सबसे बड़ी निकलकर आई है, वो है पलायन और विकास। अभी तक इस यात्रा ने 9 शहर और 17 गांव कवर किए हैं। अभी 9 गांव और कवर किए जाएंगे। यात्रा के दौरान राजा बुंदेला पैदल चलकर लोगों से बातचीत कर रहे हैं। गांवों की स्थिति और परेशानियां देख रहे हैं। लोगों से यात्रा में जुड़ने की अपील कर रहे हैं। जालौन में दैनिक भास्कर ने राजा बुंदेला से बुंदेलखंड राज्य की मांग को लेकर बातचीत की। उनसे पूछा कि आखिर वो कैसे पूरे राज्य को मैनेज करेंगे? अगर ऐसा हुआ तो नए राज्य की राजधानी क्या होगी? राज्य में आने वाले पिछड़े जिलों का विकास कैसे करेंगे? पढ़िए राजा बुंदेला का पूरा इंटरव्यू… सवाल- ‘गांव-गांव, पांव-पांव’ यात्रा की जरूरत क्यों पड़ी?
जवाब- हमने लगभग हरसंभव कोशिश करके देख लिया, लेकिन सरकार हमारी बात सुन नहीं रही। अगर सुन भी रही है, तो अनसुनी कर रही। मैं बता दूं, दुनिया में जब भी कहीं कोई क्रांति आई है तो वह गांव से आई है। हमारी कोशिश यह है कि हम हर व्यक्ति को उरई बुलाएं। बुंदेलखंड राज्य के सभी लोग अपनी मांग रखें। अपनी मांग दिल्ली तक पहुंचाएं। हम लोग इतनी ठंड में भी यात्रा को रोक नहीं रहे। सवाल- यात्रा में भीड़ बहुत कम है। क्या लोग नहीं चाह रहे कि बुंदेलखंड अलग हो?
जवाब- हम लोग भीड़ को लेकर नहीं चल रहे, लोगों की उम्मीदों को लेकर आगे चल रहे हैं। भीड़ तो बहुत सारे लोग इकट्ठा कर लेते हैं, पैसे और लालच देकर। लेकिन हम न पैसा दे पा रहे और न ही लालच दे पा रहे हैं। हम तो बस बुंदेलखंड की सच्चाई लोगों तक पहुंचा रहे हैं। आज मेरे साथ 50 लोग चल रहे हैं। इस 730 किलोमीटर की यात्रा में मैंने लाखों लोगों को संबोधित किया है। 100 से ज्यादा सभाएं कीं। हर सभा में 100 से 200 लोग आ रहे हैं। रात में 9.30 बजे तक सभा कर रहे हैं। धीरे-धीरे लोग जागेंगे। हमें वे लोग नहीं चाहिए, जो आधे रास्ते चलकर, घर की याद आने पर लौट जाएं। समर्पण के भाव का हमारा संकल्प है। हम समर्पित भाव से काम कर रहे हैं। सवाल- 26 दिसंबर को शुरू हुई यह यात्रा अब समाप्त होने को है। इसमें क्या निकला?
जवाब- मैं आपसे दावे के साथ कहता हूं कि 10 जनवरी को कम से कम 2 लाख आदमी उरई में मिलेगा। लोगों को अब अहसास हो गया है कि ये उनके स्वाभिमान की बात है। उनका सब कुछ खत्म हो रहा है। उनका पानी ले लिया गया, बिजली ले ली गई, खनिज ले लिए गए। इस समय अगर नहीं जागे, तो कब जागेंगे? हम अब मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सरकार के साथ गबन नहीं होना चाहते। हमें केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया जाए। हमारी गवर्निंग काउंसिल बनाई जाए। सवाल- आप 2027 तक पीएम मोदी के नेतृत्व में बुंदेलखंड का गठन होने की बात कह रहे हैं?
जवाब- उनकी मजबूरी है, हम कंपल्शन करेंगे। साल- 2027 में परिसीमन होने वाला है। जब परिसीमन होगा, तो इसी उत्तर प्रदेश की विधानसभा सीटें 403 से बढ़कर 700 हो जाएंगी। इसी उत्तर प्रदेश की लोकसभा की सीट 80 से बढ़कर 120 से 130 होने वाली हैं। इतने बड़े प्रदेश को संभालना मुश्किल होगा। इसके बाद उनके सामने एक ही विकल्प होगा- पूर्वांचल, उत्तर प्रदेश और बुंदेलखंड को विभाजन करके उसको बांटे। सवाल- यूपी के सबसे पिछड़े जिले को आप अलग राज्य बनाना चाहते हैं, विकास कैसे होगा?
जवाब- जिन क्षेत्रों की हम बात कर रहे हैं, वहां 67% पलायन है। आपको अभी जो गरीबी और बेरोजगारी दिख रही, उसकी वजह यह है कि यहां का नौजवान रुकता नहीं। बुजुर्ग घर में बैठे हैं, वो काम नहीं करते। खेती-बाड़ी हो नहीं पा रही। गरीब और गरीब होता जा रहा है। यहां की सारी संपदा बाहर जा रही है। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड में अपार पर्यटन का स्थल है। धार्मिक पर्यटन स्थल और प्रकृति सब यहां पर है। हमारे यहां से पन्ना-हीरा निकलते हैं। 36000 करोड़ केंद्र को मिलते हैं, वहां की नीलामी से। 17000 करोड़ मध्य प्रदेश सरकार को मिलते हैं। झांसी बालू की वजह से कानपुर से ज्यादा राजस्व दे रहा है। अदरक, मटर, टमाटर और मिर्च यहां की उपज है। हम यहां प्रोसेसिंग यूनिट लगाएंगे। बुंदेलखंड के साइंटिस्ट हैं, जो इस समय अमेरिका के साथ काम कर रहे हैं। हमने उन सबसे कांटेक्ट किया है। हमने कहा कि आप यहां आएं और विकास में मदद करें। जिससे यहां के लोगों को रोजगार मिले। यहां से बाहर न जाना पड़े, जिससे पलायन रुके। अगर पलायन रुक गया तो यहां का नौजवान यहीं रहेगा। मां-बाप की देख-रेख करेगा। जमीन को उपजाऊ बनाकर उसमें काम करेगा। अपने बुंदेलखंड को संपन्न बनाने में पूरा योगदान देगा। सवाल- क्या इस मुद्दे पर कभी आपकी सीएम योगी-पीएम मोदी से मुलाकात हुई?
जवाब- इसमें सीएम की कोई भूमिका नहीं। सीधे केंद्र की भूमिका है। मैंने अमित शाह से 2 मुलाकातों में लगातार बुंदेलखंड की बात कही है। उन्होंने मना नहीं किया। उन्होंने कहा, अभी यह हमारी प्राथमिकता पर नहीं है। अभी किसी राज्य का बंटवारा हमारी प्रायोरिटी में नहीं है। देश के सामने और गंभीर समस्याएं हैं, पहले उनको सुलझाएंगे। उसके बाद हम राज्य की बात करेंगे। मुख्यमंत्री योगी हमारे साथ एक-दो मंच पर पूर्वांचल की बात कर चुके हैं। उनको भी पता है कि छोटे राज्य बनने से किसका फायदा है। अभी अलग बात है कि वह 27 करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। लेकिन, एक समय पर वह भी पूर्वांचल की बात कर रहे थे। जहां हम बुंदेलखंड की बात कर रहे थे, उनको भी ये दर्द पता है। इसी तरह गृहमंत्री और प्रधानमंत्री भी छोटे राज्यों का दंश जानते हैं। महाराष्ट्र और गुजरात एक थे। महाराष्ट्र गुजरात को छोड़ नहीं रहा था। 7 जजों की बेंच ने बैठकर यह फैसला किया था, तब वह महाराष्ट्र से अलग हुआ। सवाल- बुंदेलखंड में कौन-कौन से जिले आएंगे? आपकी डिमांड क्या है?
जवाब- बुंदेलखंड को लेकर निश्चित तौर पर 7 जिले डिक्लेयर हैं। हमारा ललितपुर, झांसी, उरई जालौन, हमीरपुर, महोबा, बांदा, चित्रकूट। इसके अलावा तीन और जिले हैं फतेहपुर, कौशांबी और कानपुर देहात। मायावती सरकार ने एक बड़ा सर्वे किया था। मैं उनका शुक्रगुजार हूं। उन्होंने जब पाया कि कानपुर देहात में बड़ी संख्या में लोग बुंदेलखंडी बोलने वाले हैं। फतेहपुर ऐसा क्षेत्र है, जो उत्तर प्रदेश लेना नहीं चाहता। वो हमारे बुंदेलखंड से जुड़ा है। मध्यप्रदेश में दतिया, सागर, टीकमगढ़, छतरपुर, पन्ना, कटनी, दमोह, एक हिस्सा अशोकनगर-मुगावली का और एक हिस्सा गुना का पिछोर-करेरा है। मध्यप्रदेश के मिलाकर कुल 24 जिले हमारे पास होंगे। जिन पर हम सरकार से बात कर रहे हैं। हमारा फैसला कोई जिद और जबरदस्ती का नहीं है। हमें बुंदेलखंड राज्य चाहिए। केवल यही चिड़िया की आंख है, जो हमें दिखाई दे रही। सवाल- आपने अभी बीच में जनसभा में कहा कि बुंदेलखंड को केंद्रशासित प्रदेश बना दिया जाए?
जवाब- कोई विकल्प तो दीजिए। 2 बार हमारे साथ ऐसा हुआ कि मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश का नाम लेकर हम राज्य नहीं बना पाए। उत्तराखंड, झारखंड और छत्तीसगढ़ के समय में मैं पूरी तरह से लड़ाई में था…शंकर लाल भैया के साथ। कांग्रेस सरकार में सोनिया गांधी की सहमति हो गई थी। सलमान खुर्शीद ने मुझे बुलाकर बताया कि मैडम तैयार हो गई हैं। बुंदेलखंड राज्य बनने वाला है। न जाने कहां से बात लीक हुई और मायावती को पता चला। उन्होंने छतरपुर में जाकर अपनी चुनावी रैली में बोला कि मैं उत्तर प्रदेश को 4 भागों में बांट रही हूं। मध्य प्रदेश वाले नहीं मान रहे हैं। कम से कम केंद्रशासित प्रदेश बना दें। उसमें तो केंद्र को ही देखना है। अब हम उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के साथ नहीं रहना चाहते। हमारा सब कुछ खत्म हो रहा है। यह लोग हमें लूट रहे हैं। लूट के बाद हमें कुछ नहीं मिल रहा। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर