वाराणसी के IIT-BHU में छात्रा से गैंगरेप केस में पीड़िता की वर्चुअल पेशी टलने के बाद अब कोर्ट ने उसके दोस्त को तलब किया है। फास्ट ट्रैक कोर्ट के समन पर आज पीड़िता का साथी कोर्ट में पेश होगा। इंजीनियरिंग का छात्र उस रात पीड़िता के साथ था, जब तीन दरिंदों ने उसके साथ गैंगरेप किया। आज फास्ट ट्रैक कोर्ट के जज के सामने पीड़िता का दोस्त आरोपियों की पहचान करेगा। उस रात हुई वारदात को जज के सामने हूबहू बया करेगा। कड़ी सुरक्षा और पुख्ता इंतजाम के बीच गवाह को लंका पुलिस कोर्ट में पेश करेगी। वहीं, पीड़िता के बंगलुरू में होने के चलते कोर्ट ने उसकी हाजिरी माफी मान ली है। बता दें कि गैंगरेप के तीनों आरोपी कुणाल पांडेय, अभिषेक उर्फ आनंद चौरसिया, सक्षम पटेल भाजपा में सक्रिय पदाधिकारी थे और महानगर भाजपा IT सेल से जुड़े थे। सरकार के मंत्री-विधायक समेत बड़े नेताओं के संपर्क में थे। जिसके साथ उनके फोटो भी सोशल मीडिया साइट्स पर मौजूद हैं। उधर, वाराणसी फास्ट ट्रैक कोर्ट में गैंगरेप की पहली वर्चुअल पेशी के खिलाफ स्टे का प्रार्थनापत्र दिया है, हालांकि आज जज इस पर आर्डर दे सकते हैं। इसमें आरोपियों ने कार्रवाई को असंवैधानिक बताते हुए पीड़िता की फिजिकली मौजूदगी में जिरह कराने की याचिका लगाई है। वाराणसी कोर्ट में हाईकोर्ट का फैसला ना आने तक सुनवाई टालने या फिर फिजिकली बुलाने की अपील भी की है। हाईकोर्ट से तीनों आरोपियों को जमानत मिलने के बाद डरी-सहमी पीड़िता की याचिका पर कोर्ट ने उसे असुरक्षित साक्षी माना है। पीड़िता की सुरक्षा और आरोपियों से सामने नहीं आने पर FTC कोर्ट के जज कुलदीप सिंह ने वर्चुअल पेशी कराए जाने का आदेश दिया था जिस पर आरोपियों ने लगातार विरोध दर्ज कराया है। 22 अगस्त को छात्रा ने कोर्ट में बयान दर्ज कराया अभियोजन की वकील बिंदू सिंह ने बताया कि कोर्ट ने IIT-BHU गैंगरेप की सुनवाई तेज कर दी है। केस में सबसे पहले छात्रा को कोर्ट ने 22 अगस्त को बुलाया था। पुलिस सुरक्षा में छात्रा को कोर्ट में पेश किया गया। BHU की वारदात को छात्रा ने कोर्ट के सामने रखा। उसने बताया कि तीनों आरोपियों ने दरिंदगी की, धमकाया और फिर फरार हो गए। घटना के बाद से कई तरह का दबाव भी महसूस कर रही है। बाहर आते-जाते डर लगता है, इसलिए अधिकांश समय हॉस्टल में रहती हूं। 8 महीने बाद ट्रायल, 12 बार जिरह में तलब जिला एवं सत्र न्यायालय की फास्ट ट्रैक कोर्ट में मामले की सुनवाई शुरू हुई। 18 जुलाई, 2024 से ट्रायल हुआ। इस सुनवाई के दौरान उसने अपना बयान 22 अगस्त तक दर्ज कराया, इसी बीच आरोपियों को जमानत मिल गई। आरोपियों की मौजूदगी में जुलाई से दिसंबर तक बेटी को 12 बार कोर्ट में तलब किया जा चुका है। कोर्ट उससे 8 बार जिरह कर चुकी है। वहीं चार बार अलग-अलग कारणों से वह नहीं आ सकी। कभी आरोपियों की ओर से अपील तो कभी अगली तारीख, इन सब के बीच अब तक उसके बयान पर जिरह पूरी नहीं हो सकी। पहले आनंद फिर कुनाल और सक्षम की हो चुकी रिहाई वाराणसी फास्ट ट्रैक कोर्ट में याचिका खारिज होने के बाद सबसे पहले आरोपी आनंद ने 11 नवंबर, 2023 को जमानत याचिका हाईकोर्ट में दायर की थी, जिस पर कई बार सुनवाई हुई और तारीख बढ़ती रही। आनंद ने परिजन की बीमारी समेत कई कारण बताए, तो कोर्ट ने 2 जुलाई 2024 को जमानत स्वीकार कर ली। आनंद के जमानत स्वीकार होते ही दूसरे आरोपी कुणाल ने भी 2 जुलाई 2024 को हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की। 4 जुलाई को कोर्ट ने उसकी भी जमानत स्वीकार कर ली। 4 जुलाई को तीसरे आरोपी सक्षम पटेल ने जमानत अर्जी दाखिल की, लेकिन गैंगस्टर में आपत्ति दाखिल हो गई। कमजोर रिपोर्ट और अभियोजन की बहस भी फीकी रही और मजबूत आधार नहीं होने के चलते सक्षम पटेल को जमानत मिली। पीड़िता को पहली वर्चुअल पेशी का जज ने दिया आदेश देशभर में सुर्खियों में रहने वाले गैंगरेप पीड़िता ने फास्ट ट्रैक कोर्ट के जज को कोर्ट में अपनी दुश्वारियां गिनाई, ऐप्लीकेशन देकर अपना दर्द पहुंचाया। छात्रा ने वर्चुअल पेशी की मांग करते हुए बताया कि उसकी परीक्षाएं चल रही हैं। कैंपस से कोर्ट के चक्कर लगाना परेशानी भरा है। इससे पढ़ाई और एग्जाम पर असर पड़ रहा है।कोर्ट की तारीखों में परीक्षा की तैयारी उलझ गई है, न्याय के लिए इंतजार भी लंबा होता नजर आ रहा है। जब हम आते हैं तो बहुत से लोगों की नजरों से गुजरते हैं, हर बार आने-जाने पर सामाजिक उपेक्षा का एहसास होता है। वहीं कोर्ट में आरोपी भी सामने खड़े होते हैं। कोर्ट मेरी मनोदशा समझे, हमारे बयान-जिरह के साथ ही हर पेशी को ऑनलाइन किया जाए। ताकि कैंपस से ही जुड़कर कोर्ट कार्रवाई का हिस्सा बन सकें। मैं इन आरोपियों का समाना नहीं करना चाहती हू, बार-बार कोर्ट आना और रेप के आरोपियों से सामना मुश्किल भरा होता जा रहा है। अब उसकी परीक्षाएं खत्म हो रही हैं तो जनवरी से इंटर्नशिप एकेडमिक और फील्ड के लिए समय देगी और कोर्ट में बहुत समय लग रहा है। बीएचयू के आईआईटी कैंपस में उपयुक्त साधन और संसाधन उपलब्ध हैं, जो उसके कोर्ट की परेशानियों को कम करेंगे। हालांकि जज ने उस साफ्टवेयर को अस्वीकारते हुए कोर्ट परिसर के विशेष Vulnerable Witness Room से वर्चुअल पेशी और जिरह की अनुमति दी। तय किया कि पहले कमरे में चारों तरफ कैमरा घुमाकर कोर्ट यह देखेगा कि पीड़िता के अलावा उस कमरे में अन्य कोई व्यक्ति तो नहीं है। वाराणसी के IIT-BHU में छात्रा से गैंगरेप केस में पीड़िता की वर्चुअल पेशी टलने के बाद अब कोर्ट ने उसके दोस्त को तलब किया है। फास्ट ट्रैक कोर्ट के समन पर आज पीड़िता का साथी कोर्ट में पेश होगा। इंजीनियरिंग का छात्र उस रात पीड़िता के साथ था, जब तीन दरिंदों ने उसके साथ गैंगरेप किया। आज फास्ट ट्रैक कोर्ट के जज के सामने पीड़िता का दोस्त आरोपियों की पहचान करेगा। उस रात हुई वारदात को जज के सामने हूबहू बया करेगा। कड़ी सुरक्षा और पुख्ता इंतजाम के बीच गवाह को लंका पुलिस कोर्ट में पेश करेगी। वहीं, पीड़िता के बंगलुरू में होने के चलते कोर्ट ने उसकी हाजिरी माफी मान ली है। बता दें कि गैंगरेप के तीनों आरोपी कुणाल पांडेय, अभिषेक उर्फ आनंद चौरसिया, सक्षम पटेल भाजपा में सक्रिय पदाधिकारी थे और महानगर भाजपा IT सेल से जुड़े थे। सरकार के मंत्री-विधायक समेत बड़े नेताओं के संपर्क में थे। जिसके साथ उनके फोटो भी सोशल मीडिया साइट्स पर मौजूद हैं। उधर, वाराणसी फास्ट ट्रैक कोर्ट में गैंगरेप की पहली वर्चुअल पेशी के खिलाफ स्टे का प्रार्थनापत्र दिया है, हालांकि आज जज इस पर आर्डर दे सकते हैं। इसमें आरोपियों ने कार्रवाई को असंवैधानिक बताते हुए पीड़िता की फिजिकली मौजूदगी में जिरह कराने की याचिका लगाई है। वाराणसी कोर्ट में हाईकोर्ट का फैसला ना आने तक सुनवाई टालने या फिर फिजिकली बुलाने की अपील भी की है। हाईकोर्ट से तीनों आरोपियों को जमानत मिलने के बाद डरी-सहमी पीड़िता की याचिका पर कोर्ट ने उसे असुरक्षित साक्षी माना है। पीड़िता की सुरक्षा और आरोपियों से सामने नहीं आने पर FTC कोर्ट के जज कुलदीप सिंह ने वर्चुअल पेशी कराए जाने का आदेश दिया था जिस पर आरोपियों ने लगातार विरोध दर्ज कराया है। 22 अगस्त को छात्रा ने कोर्ट में बयान दर्ज कराया अभियोजन की वकील बिंदू सिंह ने बताया कि कोर्ट ने IIT-BHU गैंगरेप की सुनवाई तेज कर दी है। केस में सबसे पहले छात्रा को कोर्ट ने 22 अगस्त को बुलाया था। पुलिस सुरक्षा में छात्रा को कोर्ट में पेश किया गया। BHU की वारदात को छात्रा ने कोर्ट के सामने रखा। उसने बताया कि तीनों आरोपियों ने दरिंदगी की, धमकाया और फिर फरार हो गए। घटना के बाद से कई तरह का दबाव भी महसूस कर रही है। बाहर आते-जाते डर लगता है, इसलिए अधिकांश समय हॉस्टल में रहती हूं। 8 महीने बाद ट्रायल, 12 बार जिरह में तलब जिला एवं सत्र न्यायालय की फास्ट ट्रैक कोर्ट में मामले की सुनवाई शुरू हुई। 18 जुलाई, 2024 से ट्रायल हुआ। इस सुनवाई के दौरान उसने अपना बयान 22 अगस्त तक दर्ज कराया, इसी बीच आरोपियों को जमानत मिल गई। आरोपियों की मौजूदगी में जुलाई से दिसंबर तक बेटी को 12 बार कोर्ट में तलब किया जा चुका है। कोर्ट उससे 8 बार जिरह कर चुकी है। वहीं चार बार अलग-अलग कारणों से वह नहीं आ सकी। कभी आरोपियों की ओर से अपील तो कभी अगली तारीख, इन सब के बीच अब तक उसके बयान पर जिरह पूरी नहीं हो सकी। पहले आनंद फिर कुनाल और सक्षम की हो चुकी रिहाई वाराणसी फास्ट ट्रैक कोर्ट में याचिका खारिज होने के बाद सबसे पहले आरोपी आनंद ने 11 नवंबर, 2023 को जमानत याचिका हाईकोर्ट में दायर की थी, जिस पर कई बार सुनवाई हुई और तारीख बढ़ती रही। आनंद ने परिजन की बीमारी समेत कई कारण बताए, तो कोर्ट ने 2 जुलाई 2024 को जमानत स्वीकार कर ली। आनंद के जमानत स्वीकार होते ही दूसरे आरोपी कुणाल ने भी 2 जुलाई 2024 को हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की। 4 जुलाई को कोर्ट ने उसकी भी जमानत स्वीकार कर ली। 4 जुलाई को तीसरे आरोपी सक्षम पटेल ने जमानत अर्जी दाखिल की, लेकिन गैंगस्टर में आपत्ति दाखिल हो गई। कमजोर रिपोर्ट और अभियोजन की बहस भी फीकी रही और मजबूत आधार नहीं होने के चलते सक्षम पटेल को जमानत मिली। पीड़िता को पहली वर्चुअल पेशी का जज ने दिया आदेश देशभर में सुर्खियों में रहने वाले गैंगरेप पीड़िता ने फास्ट ट्रैक कोर्ट के जज को कोर्ट में अपनी दुश्वारियां गिनाई, ऐप्लीकेशन देकर अपना दर्द पहुंचाया। छात्रा ने वर्चुअल पेशी की मांग करते हुए बताया कि उसकी परीक्षाएं चल रही हैं। कैंपस से कोर्ट के चक्कर लगाना परेशानी भरा है। इससे पढ़ाई और एग्जाम पर असर पड़ रहा है।कोर्ट की तारीखों में परीक्षा की तैयारी उलझ गई है, न्याय के लिए इंतजार भी लंबा होता नजर आ रहा है। जब हम आते हैं तो बहुत से लोगों की नजरों से गुजरते हैं, हर बार आने-जाने पर सामाजिक उपेक्षा का एहसास होता है। वहीं कोर्ट में आरोपी भी सामने खड़े होते हैं। कोर्ट मेरी मनोदशा समझे, हमारे बयान-जिरह के साथ ही हर पेशी को ऑनलाइन किया जाए। ताकि कैंपस से ही जुड़कर कोर्ट कार्रवाई का हिस्सा बन सकें। मैं इन आरोपियों का समाना नहीं करना चाहती हू, बार-बार कोर्ट आना और रेप के आरोपियों से सामना मुश्किल भरा होता जा रहा है। अब उसकी परीक्षाएं खत्म हो रही हैं तो जनवरी से इंटर्नशिप एकेडमिक और फील्ड के लिए समय देगी और कोर्ट में बहुत समय लग रहा है। बीएचयू के आईआईटी कैंपस में उपयुक्त साधन और संसाधन उपलब्ध हैं, जो उसके कोर्ट की परेशानियों को कम करेंगे। हालांकि जज ने उस साफ्टवेयर को अस्वीकारते हुए कोर्ट परिसर के विशेष Vulnerable Witness Room से वर्चुअल पेशी और जिरह की अनुमति दी। तय किया कि पहले कमरे में चारों तरफ कैमरा घुमाकर कोर्ट यह देखेगा कि पीड़िता के अलावा उस कमरे में अन्य कोई व्यक्ति तो नहीं है। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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गिद्दड़बाहा उपचुनाव पर मनप्रीत की डिंपी ढिल्लों को नसीहत:बोले- जीत को इनाम मत समझ लेना, लोगों ने राजा वडिंग का अहंकार तोड़ा गिद्दड़बाहा उपचुनाव में मनप्रीत बादल ने अपनी हार स्वीकार करते हुए सोशल मीडिया पर वीडियो डाली है। तकरीबन साढ़े तीन मिनट की वीडियो में उन्होंने गिद्दड़बाहा के लोगों का उन्हें वोट देने के लिए धन्यवाद किया। इतना ही नहीं, उन्होंने डिंपी ढिल्लों को जीत की शुभकामनाएं भी दी हैं। इसके साथ ही अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग को अहंकारी बताते हुए तंज भी कसे हैं। वीडियो के माध्यम से मनप्रीत ने कहा कि दो महीने का समय गिद्दड़बाहा के चुनावी मैदान में उन्हें पुराने संबंधों को फिर से मजबूत करने के लिए पर्याप्त नहीं था। उन्होंने यह भी कहा कि उनका मकसद गिद्दड़बाहा की जनता से जीवनभर जुड़ा रहना है और 2027 में भाजपा की सरकार बनाने का संकल्प लिया। मनप्रीत ने इस चुनावी मुकाबले में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) दोनों से कड़ी टक्कर का सामना किया। उन्होंने कांग्रेस की अमृता वड़िंग और AAP के हरदीप सिंह डिंपी ढिल्लों को भी बधाई दी और उम्मीद जताई कि डिंपी अपने क्षेत्र के लोगों से किए वादों को पूरा करेंगे। राजा वड़िंग पर साधा निशाना मनप्रीत ने विशेष रूप से राजा वड़िंग पर निशाना साधा, जो गिद्दड़बाहा के विधायक रहे थे और उनकी पत्नी अमृता इस बार कांग्रेस के उम्मीदवार थीं। मनप्रीत का आरोप था कि वड़िंग ने बयानों के जरिए अपनी राजनीति चमकाई, लेकिन गिद्दड़बाहा के लोगों के लिए कुछ ठोस काम नहीं किया। उन्होंने कहा कि वड़िंग ने केवल अपनी संपत्ति बनाई और कोई वास्तविक योगदान नहीं दिया। पढ़ें मनप्रीत बादल के बोल- मनप्रीत बादल बोले- जिन्होंने मेरा साथ दिया, मैं उनका धन्यवाद करता हूं। नतीजे हमारे सोच के अनुसार नहीं थे। जीत हार मर्द के गहने होते हैं। परमात्मा ने जब भी जीत या इज्जत दी है, तो सिर झुकता गया है। जब भी हार हुई है, तो मैं सिर ऊंचा करता हूं और अपनी कमियों की तलाश करता हूं। मैं अगले दो महीनों में मनप्रीत की कमियों नाकाबियों को दूर करूंगा। मेरे सबसे पहले बोल डिंपी ढिल्लों के लिए हैं और उन्हें बधाई व शुभकामनाएं देता हूं। 70 हजार व्यक्तियों का फैसला गलत नहीं हो सकता। मैं अपने छोटे भाई को नसीहत देना चाहूंगा कि इस जीत को इनाम मत समझ लेना। इसे परीक्षा समझे और परमात्मा आपको इस परीक्षा में पास करें। जो वादे गिद्दड़बाहा के साथ किए हैं, ढाई साल में 28 साल का रिकॉर्ड तोड़ना है।
वड़िंग जितनी दौलत हर गरीब के पास हो- मनप्रीत मनप्रीत बादल ने कहा कि राजावड़िंग की दौलत उसे हार से नहीं बचा सकी। जब से राजा वड़िंग एमएलए बने, उनके दो ही बयान हलके में गूंज रहे हैं। एक मैं गरीब परिवार से हूं और दूसरा मैं यतीम हूं। काश जितनी दौलत राजावड़िंग के पास है, वे पंजाब के हर गरीब के पास हो। उन्होंने हमेशा बादल परिवार की सियासत की निंदा की है। लेकिन जब अपनी टिकट की बारी आई तो अपने ही घर में रखनी मुनासिब समझी। दूसरे की विरासत हमेशा गलत लगती है, जबकि अपनी विरासत सही लगती है। लोगों ने उन्हें कहा था कि इस बार वे उन्हें वोट नहीं डाल सकते, लेकिन 2027 में उन्हें ही वोट डालेंगे क्योंकि हमने राजावड़िंग के अहंकार को तोड़ना है, और उनके गर्दन के किल्ले को तोड़ना है। मैंने चुनावों के दौरान भी कहा था और अब भी कहता हूं कि मनप्रीत बादल की जितनी भी बकाया उम्र है, वे गिद्दड़बाहा के हलके की सेवा में प्रयोग करूंगा। जिन्होंने उन्हें वोट नहीं डाली, वे भी उनके दफ्तर में आएं, उन्हें कोई भी काम हैं कहें। उनके बजुर्गों ने ही उन्हें पहले भी जताया है। ये सोच कर उनके ऑफिस में आना बंद ना करना कि इस बार मनप्रीत को वोट नहीं डाली। राजा वड़िंग अकाली दल पर निकाल चुके गुस्सा वहीं, बीते दिन अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने अपनी पत्नी अमृता वड़िंग की हार का गुस्सा अकाली दल के चुनाव ना लड़ने पर निकाला था। उन्होंने कहा था कि शिअद के समर्थकों ने आम आदमी पार्टी प्रत्याशियों का समर्थन किया था। हालांकि कांग्रेस का वोट बैंक पक्का है। 2022 में गिद्दड़बाहा और डेरा बाबा नानक में कांग्रेस को जितने वोट पड़े थे वो अब भी कायम हैं। शिअद के समर्थकों के कारण आप को जीत मिली है।
NEET परीक्षा को लेकर राहुल गांधी के आरोपों पर केशव प्रसाद मौर्य का पलटवार, जानें क्या कहा
NEET परीक्षा को लेकर राहुल गांधी के आरोपों पर केशव प्रसाद मौर्य का पलटवार, जानें क्या कहा <p style=”text-align: justify;”><strong>UGC-NEET:</strong> यूजीसी नेट और नीट परीक्षा पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के आरोपों पर उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) का बयान सामने आया है. डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कोई भी परीक्षा हो अगर उसमे गड़बड़ी होती है तो यह चिंता का विषय. जहां गड़बड़ियां हुईं हैं उसकी जांच की जा रही है, जो लोग भी जांच में दोषी पाए जाएंगे उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी. डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा विपक्ष माहौल खराब करने की कोशिश करेगा, लेकिन सफल नही हो पाएगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>यूजीसी-नीट परीक्षा में पेपर लीक पर विपक्ष केंद्र सरकार पर हमलावर है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस मामले को लेकर केंद्र सरकार पर जोरदार हमला बोला है. राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि ‘सभी शिक्षण संस्थानों को भाजपा के लोगों ने कैप्चर कर रखा है. जब तक इन्हें मुक्त नहीं कराया जाएगा, तब तक यह चलता रहेगा. पीएम मोदी इस लीक को रोक नहीं पाए. एक परीक्षा को गड़बड़ियों के बाद आप रद्द कर चुके हैं, पता नहीं दूसरे को रद्द किया जाएगा या नहीं. लेकिन कोई न कोई तो इसके लिए जिम्मेदार है और इसके लिए किसनी न किसी को तो पकड़ा जाना चाहिए.'</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ऑफलाइन मोड पर हुआ था एग्जाम</strong><br />गौरतलब है कि यूजीसी नेट परीक्षा में गड़बड़ी मिलने के बाद एनटीए ने परीक्षा रद्द कर दी है. इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई है. शिक्षा मंत्रालय की तरफ से बुधवार को ऐलान किया गया है कि यूजीसी नेट का नए सिरे से आयोजन किया जाएगा. परीक्षा का आयोजन 18 जून 2024 को किया गया था. देशभर के 317 शहरों के 1205 में परीक्षा आयोजन किया गया था. जिसमें 11.21 से अधिक पंजीकृत उम्मीदवारों में से लगभग 81 प्रतिशत ही उपस्थित हुए थे. एनटीए ने 80 विषयों में यूजीसी नेट का आयोजन किया था.</p>
<p style=”text-align: justify;”>एनटीए ने इस बार यूजीसी नेट परीक्षा अलग-अलग चरणों में सीबीटी (कम्प्यूटर बेस्ड टेस्ट) मोड से कराने की बजाय एक दिन में पेन पेपर मोड से ली थी. छह साल बाद फिर से यूजीसी ने नेट का एग्जाम ऑफलाइन में कराया था.</p>
<p style=”text-align: justify;”>ये भी पढ़ें: <a href=”https://www.abplive.com/photo-gallery/states/up-uk-gorakhpur-news-municipal-corporation-freed-2500-square-meters-of-land-from-encroachment-ann-2719570″><strong>गोरखपुर में गरजा योगी सरकार का बुलडोजर, 30 करोड़ की जमीन को कराया अतिक्रमण से मुक्त</strong></a></p>
3 कृषि कानूनों के बयान पर कंगना रनोट का यू-टर्न:बोली- मैंने किसी को डिसअपॉइंट किया तो खेद है; BJP ने किनारा किया था
3 कृषि कानूनों के बयान पर कंगना रनोट का यू-टर्न:बोली- मैंने किसी को डिसअपॉइंट किया तो खेद है; BJP ने किनारा किया था हिमाचल प्रदेश से BJP सांसद एक्ट्रेस कंगना रनोट ने 3 कृषि कानूनों को दोबारा लागू करने को लेकर दिए के बयान पर बैकफुट पर आ गई हैं। उन्होंने एक वीडियो जारी कर अपना बयान वापस लिया है। कहा है- यदि मैंने अपने बयान से किसी को डिसअपॉइंट किया हो तो मैं अपने शब्द वापस लेती हूं। कंगना ने अपने बयान पर सफाई तब दी है जब उनके बयान को लेकर विपक्ष BJP को घेरने में लगा था। हरियाणा विधानसभा चुनाव के बीच आए कंगना के बयान से भाजपा ने भी कि किनारा कर लिया था। BJP प्रवक्ता गौरव भाटिया ने वीडियो जारी कर कहा था कि कंगना को 3 कृषि कानूनों पर बोलने का हक नहीं है। कंगना ने वीडियो में क्या कहा
कंगना ने आज X पर वीडियो जारी कर कहा, ‘बीते कुछ दिनों में मीडिया ने मुझसे फार्मर्स लॉ (कृषि कानून) पर कुछ सवाल किए। और मैंने यह सुझाव दिया कि किसानों को फार्मर्स लॉ लाने का प्रधानमंत्री जी से निवेदन करना चाहिए। मेरी इस बात से बहुत सारे लोग निराश हैं, और डिसअपॉइंटेड हैं। जब फार्मर्स लॉ प्रपोज (प्रस्तावित) हुए थे तो काफी सारे लोगों ने इनका समर्थन किया था। लेकिन, बड़ी ही संवेदनशीलता से और सहानुभूति से हमारे प्रधानमंत्री जी ने वे लॉ वापस ले लिए थे। और हम सब कार्यकर्ताओं का कर्तव्य बनता है कि हम उनके शब्दों की गरिमा रखें। मुझे भी यह बात अब ध्यान में रखनी होगी कि मैं अब केवल एक कलाकार नहीं, भारतीय जनता पार्टी की कार्यकर्ता भी हूं। और मेरे ओपिनियन (राय) मेरे नहीं होने चाहिए। वह पार्टी का स्टैंड होना चाहिए। तो अगर मैंने अपने शब्दों से और अपनी सोच से किसी को डिसअपॉइंट किया हो तो मुझे खेद रहेगा। आई टेक माय वर्ड्स बैक (मैं अपने शब्द वापस लेती हूं)।’ भाजपा क्या कह चुकी
भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कंगना के बयान पर कहा, ‘सोशल मीडिया पर भाजपा सांसद कंगना रनोट का 3 कृषि कानूनों का लेकर दिया बयान चल रहा है। ये कानून पहले ही वापस लिए जा चुके हैं। मैं बिल्कुल स्पष्ट कहना चाहता हूं कि यह बयान कंगना रनोट का व्यक्तिगत है। BJP की ओर से कंगना ऐसा कोई बयान देने के लिए अधिकृत नहीं हैं, और न ही उनका बयान पार्टी की सोच है। इसलिए, उस बयान का हम खंडन करते हैं।’ 2 दिन पहले ही हिमाचल में एक कार्यक्रम के दौरान मीडिया से बात करते हुए कंगना ने 3 कृषि कानूनों को दोबारा लागू करने को कहा था। कंगना ने कहा था कि किसानों को खुद ये कानून लागू करने की मांग करनी चाहिए। बता दें कि नवंबर 2021 में केंद्र सरकार ने 14 महीने के किसान आंदोलन के बाद ये कानून वापस लिए थे। विपक्ष ने घेरना शुरू किया तो भाजपा ने पल्ला झाड़ा
कंगना के बयान से भाजपा ने तब किनारा किया है, जब विपक्ष ने पार्टी को घेरना शुरू कर दिया था। पंजाब से अकाली दल के प्रवक्ता अर्शदीप सिंह कलेर ने तो भाजपा से कंगना को पार्टी से निकालने और उन पर नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (NSA) लगाने की मांग की थी। इसके साथ ही हरियाणा कांग्रेस ने भी इसका विरोध किया। कहा कि भाजपा फिर से 3 कृषि कानून वापस लाने का प्लान बना रही है। कांग्रेस किसानों के साथ है। भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जितना भी जोर लगा लें, ये कानून लागू नहीं होने दिए जाएंगे। वहीं, पंजाब में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने कहा था कि भाजपा अपने किसान विरोधी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए कंगना का इस्तेमाल कर रही है। उन्होंने सरकार से तत्काल स्पष्टीकरण देने की मांग रखी थी। इसके अलावा एक चुनावी सभा के दौरान कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने मंच से कंगना को चुनौती दी है। उन्होंने कहा, ‘BJP की सांसद कंगना रनोट का कहना है कि 3 कृषि कानून को लागू करने का समय आ गया है। हरियाणा में BJP की सरकार बनी तो ये 3 काले कानून लागू करेंगे। मैं चुनौती देता हूं, हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनेगी और कोई ताकत नहीं है जो 3 काले कानूनों को फिर से लागू करवा सके।’ कंगना के बयान के बाद हरियाणा कांग्रेस की ओर से किया गया पोस्ट… कंगना के बयान से दूसरी बार भाजपा ने मुंह फेरा
3 कृषि कानूनों पर कंगना का ये तीसरा बयान था। हिमाचल प्रदेश के मंडी में दिए गए बयान से पहले भी कंगना 2 बार कृषि कानूनों पर बोल चुकी हैं, और सांसद बनने के बाद यह उनका दूसरा बयान है। वहीं, सांसद बनने के बाद आए उनके बयान से भाजपा पहले भी पल्ला झाड़ चुकी है। 26 अगस्त को भाजपा को बयान जारी करना पड़ा था। उसमें लिखा था- पार्टी कंगना के बयान से असहमत है। उन्हें पार्टी के नीतिगत मुद्दों पर बोलने की इजाजत नहीं है। वह पार्टी की तरफ से बयान देने के लिए अधिकृत नहीं हैं। भाजपा ने कंगना को हिदायत दी है कि वे इस मुद्दे पर आगे कोई बयान न दें। कंगना ने अपने बयान में कहीं 2 अहम बातें… 1. किसानों के हितकारी कानून वापस आने चाहिए
कंगना ने कहा कि किसानों के जो लॉ हैं, जो रोक दिए गए, वे वापस लाने चाहिए। किसानों को खुद इसकी डिमांड करनी चाहिए। हमारे किसानों की समृद्धि में ब्रेक न लगे। 2. हमारे किसान पिलर ऑफ स्ट्रेंथ
ब्यूरोक्रेसी, हमारे लीडर, हर 3-3 महीने में इलेक्शन करवाते हैं। वन नेशन, वन इलेक्शन देश के विकास में जरूरी है। ऐसे ही हमारे किसान पिलर ऑफ स्ट्रेंथ (मजबूती के स्तंभ) हैं। वे खुद अपील करें कि हमारे तीनों कानूनों को लागू किया जाए। हमारे कुछ राज्यों ने इन कानूनों को लेकर आपत्ति जताई थी, उनसे हाथ जोड़ विनती करती हूं कि इन्हें वापस लाएं। किसानों को लेकर 2 बार बयान दे चुकीं कंगना… पहला बयान- महिला किसान पर टिप्पणी
किसान आंदोलन के बीच कंगना रनोट ने 27 नवंबर 2020 को रात 10 बजे फोटो पोस्ट किया था, जिसमें लिखा था कि किसानों के प्रदर्शन में शामिल हुई महिला वही मशहूर बिलकिस दादी है, जो शाहीन बाग के प्रदर्शन में थी। जो 100 रुपए लेकर उपलब्ध है। हालांकि, बाद में कंगना ने पोस्ट डिलीट कर दिया था, लेकिन कई सोशल मीडिया यूजर्स ने इस पोस्ट को खूब शेयर किया था। इससे एक्ट्रेस विवादों में घिर गई थी। दूसरा बयान- किसान आंदोलन में रेप-मर्डर हुए
अगस्त में भास्कर को दिए इंटरव्यू में कंगना ने कहा था कि पंजाब में किसान आंदोलन के नाम पर उपद्रवी हिंसा फैला रहे थे। वहां रेप और हत्याएं हो रही थीं। अगर हमारा शीर्ष नेतृत्व मजबूत नहीं रहता तो किसान आंदोलन के दौरान पंजाब को भी बांग्लादेश बना दिया जाता। किसान बिल को वापस ले लिया गया, वरना इन उपद्रवियों की बहुत लंबी प्लानिंग थी। वे देश में कुछ भी कर सकते थे। 2020 में लाए गए थे 3 कृषि कानून
5 जून 2020 को केंद्र सरकार एक अध्यादेश के जरिए 3 कृषि बिल लेकर आई थी। सितंबर 2020 को केंद्र सरकार लोकसभा और राज्यसभा में फार्म बिल 2020 लेकर आई। दोनों सदनों से यह बिल पास पास हो गए, लेकिन किसानों को यह बिल मंजूर नहीं थे। किसानों को आशंका थी कि नए बिल से मंडियां खत्म हो जाएंगी। MSP सिस्टम खत्म हो जाएगा। बड़ी कंपनियां फसलों की कीमतें तय करने लगेंगी। वे इसके विरोध में उतर आए। पंजाब के किसान रेल की पटरियों पर बैठ गए, लेकिन सरकार ने उन्हें वहां से हटा दिया। 19 नवंबर 2021 को कृषि कानून वापस लिए
किसान आंदोलन के दौरान अप्रैल-मई 2021 में पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, असम और पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव हुए। असम में BJP सरकार बनाने में कामयाब रही, लेकिन उसे 11 सीटों का नुकसान हुआ। पुडुचेरी में वह गठबंधन की सरकार बनाने में कामयाब रही। जबकि केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में BJP को हार का सामना करना पड़ा। इन चुनावों में विपक्ष ने प्रधानमंत्री और BJP को खूब घेरा था। किसान नेता राकेश टिकैत ने पश्चिम बंगाल में BJP के खिलाफ प्रचार किया था। इसके बाद BJP की इंटरनल रिपोर्ट, सेना में नाराजगी, उप-चुनावों में मिली हार और 5 राज्यों में होने वाले चुनावों को देखते हुए PM मोदी ने 19 नवंबर 2021 को तीनों कृषि कानून वापस ले लिए। आखिरकार 14 महीने की तकरार के बाद 29 नवंबर को लोकसभा और राज्यसभा दोनों ही सदनों से बिना किसी चर्चा के ध्वनिमत से कृषि कानून वापस ले लिया गया। 11 दिसंबर को किसानों ने आंदोलन खत्म करने का ऐलान किया और दिल्ली बॉर्डर पर विजय दिवस मनाया।