भिवानी में पिता की अर्थी को बेटियों ने दिया कंधा:दो बहनों ने दी मुखाग्नि; बोली- पिता की अंतिम इच्छा को पूरा किया

भिवानी में पिता की अर्थी को बेटियों ने दिया कंधा:दो बहनों ने दी मुखाग्नि; बोली- पिता की अंतिम इच्छा को पूरा किया

हरियाणा के भिवानी जिले में बेटियों ने पिता की अर्थी को कंधा दिया। उन्होंने पिता की अंतिम इच्छा को पूरा करने के लिए यह कदम उठाया। वहीं दो बहनों ने अपने पिता की चिता को मुखाग्नि दी। भिवानी के गांव कालोद निवासी करीब 75 वर्षीय उजागर सिंह गांव में नंबरदार थे। वह फौज से रिटायर्ड होने के बाद नंबरदार बने थे। उजागर सिंह पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे। जिन्हें उपचार के लिए एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया, जहां पर उन्होंने अंतिम सांस ली। पिता की इच्छा पूरी करने के लिए दिया अर्थी को कंधा उजागर सिंह को 7 बेटियां हैं। जिन्होंने अपने पिता की अर्थी को कंधा दिया। वहीं उजागर सिंह की बेटी सुमन ने कहा कि उसके पिता की अंतिम इच्छा यही थी कि उनकी बेटियां उन्हें अंतिम यात्रा में कंधा दें। यही कारण है कि सभी बहनों ने मिलकर पिता की अर्थी को कंधा दिया। इसके बाद दो बहनों ने पिता की चिता को मुखाग्नि दी। एक बेटी प्रधान अध्यापिका​​​​​​​ तो दूसरी पुलिस में उजागर सिंह की बेटी सुमन हिन्दी प्रधान अध्यापिका हैं। वहीं उनकी छोटी बेटी पूनम हरियाणा पुलिस में कार्यरत हैं। इसके अलावा मैना, राजेश, इंदु, बबीता, सुनीता भी पढ़ी-लिखी हैं। सुमन ने बताया कि वह एमए, एमफिल बीएड, नेट क्वालीफाई किया है। उनके पिता फौज में थे, फौज के बाद वे गांव आकर नंबरदार बन गए। उनके पिता न्याय प्रिय थे। वो हमेशा सच्चाई का साथ देने वाले और देश भक्त थे। उन्होंने गांव में रहते हुए लोगों को न्याय दिलाने का काम किया और ज़रुरतमंद लोगों की मदद की। हरियाणा के भिवानी जिले में बेटियों ने पिता की अर्थी को कंधा दिया। उन्होंने पिता की अंतिम इच्छा को पूरा करने के लिए यह कदम उठाया। वहीं दो बहनों ने अपने पिता की चिता को मुखाग्नि दी। भिवानी के गांव कालोद निवासी करीब 75 वर्षीय उजागर सिंह गांव में नंबरदार थे। वह फौज से रिटायर्ड होने के बाद नंबरदार बने थे। उजागर सिंह पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे। जिन्हें उपचार के लिए एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया, जहां पर उन्होंने अंतिम सांस ली। पिता की इच्छा पूरी करने के लिए दिया अर्थी को कंधा उजागर सिंह को 7 बेटियां हैं। जिन्होंने अपने पिता की अर्थी को कंधा दिया। वहीं उजागर सिंह की बेटी सुमन ने कहा कि उसके पिता की अंतिम इच्छा यही थी कि उनकी बेटियां उन्हें अंतिम यात्रा में कंधा दें। यही कारण है कि सभी बहनों ने मिलकर पिता की अर्थी को कंधा दिया। इसके बाद दो बहनों ने पिता की चिता को मुखाग्नि दी। एक बेटी प्रधान अध्यापिका​​​​​​​ तो दूसरी पुलिस में उजागर सिंह की बेटी सुमन हिन्दी प्रधान अध्यापिका हैं। वहीं उनकी छोटी बेटी पूनम हरियाणा पुलिस में कार्यरत हैं। इसके अलावा मैना, राजेश, इंदु, बबीता, सुनीता भी पढ़ी-लिखी हैं। सुमन ने बताया कि वह एमए, एमफिल बीएड, नेट क्वालीफाई किया है। उनके पिता फौज में थे, फौज के बाद वे गांव आकर नंबरदार बन गए। उनके पिता न्याय प्रिय थे। वो हमेशा सच्चाई का साथ देने वाले और देश भक्त थे। उन्होंने गांव में रहते हुए लोगों को न्याय दिलाने का काम किया और ज़रुरतमंद लोगों की मदद की।   हरियाणा | दैनिक भास्कर