<p style=”text-align: justify;”><strong>Maha Kumbh 2025 Prayagraj:</strong> प्रयागराज में 13 जनवरी से महाकुंभ शुरू हो रहा है. इस बीच देशभर से साधु-संतों और अखाड़ों का महाकुंभ में पहुंचना शुरू हो गया है. इसी क्रम में एक बेहद हैरान करने वाली घटना सामने आई है. आगरा के रहने वाले परिवार ने अपनी 13 साल की बेटी को जूना अखाड़े को दान कर दिया है. जल्द ही महाकुंभ में उसका पिंडदान किया जाएगा, जिसके बाद वो सांसारिक जीवन त्याग कर संन्यासी जीवन में प्रवेश कर लेगी. माता-पिता का कहना है कि उनकी बेटी शुरू से साध्वी बनना चाहती थी. </p>
<p style=”text-align: justify;”>इस बच्ची का नाम राखी सिंह है. जूना अखाड़ा को दान देने के बाद बच्ची के गुरु और जूना अखाड़ा के संत कौशल गिरि ने विधि विधान के साथ उसका शिविर में प्रवेश कराया और उसका नया नाम गौरी रखा है. गुरु ने बताया कि जल्द ही बच्ची के पिंडदान की प्रक्रिया कराई जाएगी, जिसके बाद धीरे-धीरे उसे साध्वी के रूप में ढाला जाएगा. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>जूना अखाड़ा को दान दी बेटी</strong><br />एबीपी न्यूज़ ने जब इस बारे में गौरी के परिवार से बात की तो उसकी मां ने बताया कि हम महाकुंभ में आए थे. इसी दौरान बच्ची के मन में आया कि वो भी साध्वी बने. उसकी खुशी इसी में थी, उसने साध्वी का जीवन चुना. मां ने कहा कि उनकी बेटी शुरू से ही साध्वी बनना चाहती थी. उसने कई बार अपनी इस इच्छा का जिक्र परिवार से भी किया था. इसके बाद मां ने कहा कि तुम जो भी करना चाहती हो उसकी छूट है. अगर तुम्हारी यही इच्छा है तो हम कुछ नहीं कहेंगे. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>बचपन से ही साध्वी बनना चाहती थी </strong><br />जूना अखाड़ा के शिविर में शामिल होने के बाद गौरी उर्फ राखी ने कहा कि उसका बचपन से ही पूजा-पाठ में बहुत ज्यादा मन लगता था. साध्वियों को देखकर उसका मन भी करता था कि वो भी साध्वी बने. वो इस जीवन में आकर ख़ुश हैं, गौरी ने कहा कि साध्वी बनने के बाद उसके कभी अपने माता-पिता की याद नहीं आएगी. मैं बहुत छोटी थी तभी से उन्हें ये कहती आ रही हूं कि मुझे अनाथ आश्रम में छोड़ दो. मैं पहले भी कहती थी मुझे घर में नहीं रहना. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>महाकुंभ में कराया जाएगा पिंड दान</strong><br />जूना अखाड़ा के संत कौशल गिरि ने इसे परमात्मा की कृपा बताया और कहा कि ये इनके पूर्व जन्म के संस्कार है इसलिए वो इतनी कम उम्र में साध्वी बनी है. इनका परिवार तो कुंभ के दर्शन करने ही आए थे. उन्होंने इस घटना को एक संयोग बताया और कहा कि अब वो सीधा भगवान की शरण में आ गई है. हमारा इनका संयोग तो न जाने कब से परमात्मा ने जोड़ा हुआ है. कब का विधि विधान चला आ रहा है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>संत कौशल गिरी ने कहा कि हमने गौरी को पहले ही समझाया है कि फकीरी लोहे के चने के समान है, ये जितना सरल दिखकर रहा है उससे कहीं ज्यादा कठिन है. लेकिन उसका कहना है कि चाहे कितनी भी कठिनाई आए मुझे इनके साथ ही रहना है. धीरे-धीरे इनका साध्वी के जीवन में प्रवेश होगा. इनका पिंड दान होगा और जो भी विधि है उसे पूरा किया जाएगा. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यह भी पढ़ें: <a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/swami-avimukteshwaranand-saraswati-protest-against-slogan-darenge-to-marenge-in-maha-kumbh-ann-2859413″>स्वामी अविमुक्तेश्वरान्द ने ‘डरेंगे तो मरेंगे’ नारे का जताया विरोध, बोले- ‘ऐसे नारे धर्म विरोधी'</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Maha Kumbh 2025 Prayagraj:</strong> प्रयागराज में 13 जनवरी से महाकुंभ शुरू हो रहा है. इस बीच देशभर से साधु-संतों और अखाड़ों का महाकुंभ में पहुंचना शुरू हो गया है. इसी क्रम में एक बेहद हैरान करने वाली घटना सामने आई है. आगरा के रहने वाले परिवार ने अपनी 13 साल की बेटी को जूना अखाड़े को दान कर दिया है. जल्द ही महाकुंभ में उसका पिंडदान किया जाएगा, जिसके बाद वो सांसारिक जीवन त्याग कर संन्यासी जीवन में प्रवेश कर लेगी. माता-पिता का कहना है कि उनकी बेटी शुरू से साध्वी बनना चाहती थी. </p>
<p style=”text-align: justify;”>इस बच्ची का नाम राखी सिंह है. जूना अखाड़ा को दान देने के बाद बच्ची के गुरु और जूना अखाड़ा के संत कौशल गिरि ने विधि विधान के साथ उसका शिविर में प्रवेश कराया और उसका नया नाम गौरी रखा है. गुरु ने बताया कि जल्द ही बच्ची के पिंडदान की प्रक्रिया कराई जाएगी, जिसके बाद धीरे-धीरे उसे साध्वी के रूप में ढाला जाएगा. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>जूना अखाड़ा को दान दी बेटी</strong><br />एबीपी न्यूज़ ने जब इस बारे में गौरी के परिवार से बात की तो उसकी मां ने बताया कि हम महाकुंभ में आए थे. इसी दौरान बच्ची के मन में आया कि वो भी साध्वी बने. उसकी खुशी इसी में थी, उसने साध्वी का जीवन चुना. मां ने कहा कि उनकी बेटी शुरू से ही साध्वी बनना चाहती थी. उसने कई बार अपनी इस इच्छा का जिक्र परिवार से भी किया था. इसके बाद मां ने कहा कि तुम जो भी करना चाहती हो उसकी छूट है. अगर तुम्हारी यही इच्छा है तो हम कुछ नहीं कहेंगे. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>बचपन से ही साध्वी बनना चाहती थी </strong><br />जूना अखाड़ा के शिविर में शामिल होने के बाद गौरी उर्फ राखी ने कहा कि उसका बचपन से ही पूजा-पाठ में बहुत ज्यादा मन लगता था. साध्वियों को देखकर उसका मन भी करता था कि वो भी साध्वी बने. वो इस जीवन में आकर ख़ुश हैं, गौरी ने कहा कि साध्वी बनने के बाद उसके कभी अपने माता-पिता की याद नहीं आएगी. मैं बहुत छोटी थी तभी से उन्हें ये कहती आ रही हूं कि मुझे अनाथ आश्रम में छोड़ दो. मैं पहले भी कहती थी मुझे घर में नहीं रहना. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>महाकुंभ में कराया जाएगा पिंड दान</strong><br />जूना अखाड़ा के संत कौशल गिरि ने इसे परमात्मा की कृपा बताया और कहा कि ये इनके पूर्व जन्म के संस्कार है इसलिए वो इतनी कम उम्र में साध्वी बनी है. इनका परिवार तो कुंभ के दर्शन करने ही आए थे. उन्होंने इस घटना को एक संयोग बताया और कहा कि अब वो सीधा भगवान की शरण में आ गई है. हमारा इनका संयोग तो न जाने कब से परमात्मा ने जोड़ा हुआ है. कब का विधि विधान चला आ रहा है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>संत कौशल गिरी ने कहा कि हमने गौरी को पहले ही समझाया है कि फकीरी लोहे के चने के समान है, ये जितना सरल दिखकर रहा है उससे कहीं ज्यादा कठिन है. लेकिन उसका कहना है कि चाहे कितनी भी कठिनाई आए मुझे इनके साथ ही रहना है. धीरे-धीरे इनका साध्वी के जीवन में प्रवेश होगा. इनका पिंड दान होगा और जो भी विधि है उसे पूरा किया जाएगा. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यह भी पढ़ें: <a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/swami-avimukteshwaranand-saraswati-protest-against-slogan-darenge-to-marenge-in-maha-kumbh-ann-2859413″>स्वामी अविमुक्तेश्वरान्द ने ‘डरेंगे तो मरेंगे’ नारे का जताया विरोध, बोले- ‘ऐसे नारे धर्म विरोधी'</a></strong></p> उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड मुंबई में अवैध बांग्लादेशी नागरिकों के खिलाफ लगे चेतावनी वाले पोस्टर, ‘कानून हाथ में लेने…’