विजिलेंस की 3 टीमें पेयजल-घोटाले की जांच को ठियोग पहुंची:गांव-गांव जाकर साक्ष्य जुटा रही; लोगों के बयान कलमबद्ध किए जा रहे

विजिलेंस की 3 टीमें पेयजल-घोटाले की जांच को ठियोग पहुंची:गांव-गांव जाकर साक्ष्य जुटा रही; लोगों के बयान कलमबद्ध किए जा रहे

शिमला जिला के ठियोग पेयजल घोटाले की जांच के लिए विजिलेंस ने 3 टीमें बनाई है, जो कि शनिवार सुबह 9 बजे से ठियोग के अलग अलग क्षेत्रों में जाकर उन लोगों से पूछताछ कर रही हैं, जिन्हें जल शक्ति विभाग ने मई-जून महीने में पानी देने का दावा किया था। विजिलेंस की तीनों टीमें उन लोगों के बयान भी कलमबद्ध कर रही है जिन्हें पानी दिया गया। इस दौरान लोगों से पूछा जा रहा है कि उन्हें महीने में कितनी बार कितना पानी दिया गया है। इस दौरान जल शक्ति विभाग की फील्ड स्टाफ भी साथ मौजूद है। फील्ड स्टाफ की निशानदेही पर रिकॉर्ड वेरिफाइ किया जा रहा है। विजिलेंस टीम शाम तक ठियोग, मत्याना, कोटी और फागू के एरिया में जाकर रिकॉर्ड टैली कर रही है। इस दौरान साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं। इन साक्ष्य के आधार पर जल्द FIR हो सकती है, क्योंकि प्रारंभिक जांच में गड़बड़ी पाए जाने के बाद ही सरकार ने 10 अफसरों को सस्पेंड किया है। SIU सस्पेंड अफसरों, फील्ड स्टाफ और ठेकेदार से कर चुकी पूछताछ इससे पहले विजिलेंस की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन यूनिट (SIU) बीते चार-पांच दिनों के दौरान जल शक्ति विभाग के सस्पेंड अफसरों के अलावा फील्ड स्टाफ, 25 से ज्यादा ड्राइवर व गाड़ी मालिक और 4 ठेकेदारों से पूछताछ कर चुकी है। ठेकेदारों के बैंक खातों को भी विजिलेंस ने खंगालना शुरू कर दिया है। माना जा रहा है कि ठेकेदारों के बैंक खातों से जिन अफसरों और नेताओं के अकाउंट में ट्रांसफर हुई होगी, उन्हें भी विजिलेंस जांच में शामिल किया जा सकता है। पानी की गुणवत्ता पर भी उठने लगे सवाल अब तक की विजिलेंस जांच में यह भी पता चला है कि ठेकेदारों को जिस पानी की सप्लाई करनी थी, उसे सैंज के साथ लेलूपुल से भरना था। मगर कई ठेकेदारों ने लेलूपुल से पानी ही नहीं भरा और आसपास के नजदीक के नालों से पानी भरकर पिलाया है। इससे पानी की गुणवत्ता को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि दूसरी खड़ी के पानी की क्वालिटी जांच का विषय है। वहीं लेलूपुल का पानी बिल्कुल साफ माना जाता है। ठियोग के पूर्व विधायक ने लगाए थे घोटाले के आरोप बता दें कि ठियोग के पूर्व विधायक राकेश सिंघा ने 1.13 करोड़ रुपए का पेयजल घोटाला करने के आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा कि जल शक्ति विभाग ने बाइक, होंडा सिटी, ऑल्टो और डायरेक्टर हॉर्टिकल्चर की गाड़ियों में पानी की ढुलाई दिखाई है। कई ऐसे गांव में भी टैंकर से पेयजल सप्लाई दिखाई गई जहां सड़क की सुविधा ही नहीं है। प्रारंभिक जांच के बाद सस्पेंड किए 10 अफसर जल शक्ति विभाग की प्रारंभिक जांच में ये आरोप सही पाए गए। इसके आधार पर ही अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार चंद ने 10 अफसरों को सस्पेंड किया है और मामले की जांच विजिलेंस को सौंपी है। ASP बोले- पेशेवर ढंग से जांच जारी ASP नरवीर सिंह राठौर ने बताया कि इस मामले में पेशेवर ढंग से जांच जारी है। इस दौरान साक्ष्य जुटाए जा रहे है। विजिलेंस हर पहलु पर जांच कर आगे बढ़ रही है। फिजिकल वेरिफिकेशन करके डिजिटल डाटा तैयार किया जाएगा। शिमला जिला के ठियोग पेयजल घोटाले की जांच के लिए विजिलेंस ने 3 टीमें बनाई है, जो कि शनिवार सुबह 9 बजे से ठियोग के अलग अलग क्षेत्रों में जाकर उन लोगों से पूछताछ कर रही हैं, जिन्हें जल शक्ति विभाग ने मई-जून महीने में पानी देने का दावा किया था। विजिलेंस की तीनों टीमें उन लोगों के बयान भी कलमबद्ध कर रही है जिन्हें पानी दिया गया। इस दौरान लोगों से पूछा जा रहा है कि उन्हें महीने में कितनी बार कितना पानी दिया गया है। इस दौरान जल शक्ति विभाग की फील्ड स्टाफ भी साथ मौजूद है। फील्ड स्टाफ की निशानदेही पर रिकॉर्ड वेरिफाइ किया जा रहा है। विजिलेंस टीम शाम तक ठियोग, मत्याना, कोटी और फागू के एरिया में जाकर रिकॉर्ड टैली कर रही है। इस दौरान साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं। इन साक्ष्य के आधार पर जल्द FIR हो सकती है, क्योंकि प्रारंभिक जांच में गड़बड़ी पाए जाने के बाद ही सरकार ने 10 अफसरों को सस्पेंड किया है। SIU सस्पेंड अफसरों, फील्ड स्टाफ और ठेकेदार से कर चुकी पूछताछ इससे पहले विजिलेंस की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन यूनिट (SIU) बीते चार-पांच दिनों के दौरान जल शक्ति विभाग के सस्पेंड अफसरों के अलावा फील्ड स्टाफ, 25 से ज्यादा ड्राइवर व गाड़ी मालिक और 4 ठेकेदारों से पूछताछ कर चुकी है। ठेकेदारों के बैंक खातों को भी विजिलेंस ने खंगालना शुरू कर दिया है। माना जा रहा है कि ठेकेदारों के बैंक खातों से जिन अफसरों और नेताओं के अकाउंट में ट्रांसफर हुई होगी, उन्हें भी विजिलेंस जांच में शामिल किया जा सकता है। पानी की गुणवत्ता पर भी उठने लगे सवाल अब तक की विजिलेंस जांच में यह भी पता चला है कि ठेकेदारों को जिस पानी की सप्लाई करनी थी, उसे सैंज के साथ लेलूपुल से भरना था। मगर कई ठेकेदारों ने लेलूपुल से पानी ही नहीं भरा और आसपास के नजदीक के नालों से पानी भरकर पिलाया है। इससे पानी की गुणवत्ता को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि दूसरी खड़ी के पानी की क्वालिटी जांच का विषय है। वहीं लेलूपुल का पानी बिल्कुल साफ माना जाता है। ठियोग के पूर्व विधायक ने लगाए थे घोटाले के आरोप बता दें कि ठियोग के पूर्व विधायक राकेश सिंघा ने 1.13 करोड़ रुपए का पेयजल घोटाला करने के आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा कि जल शक्ति विभाग ने बाइक, होंडा सिटी, ऑल्टो और डायरेक्टर हॉर्टिकल्चर की गाड़ियों में पानी की ढुलाई दिखाई है। कई ऐसे गांव में भी टैंकर से पेयजल सप्लाई दिखाई गई जहां सड़क की सुविधा ही नहीं है। प्रारंभिक जांच के बाद सस्पेंड किए 10 अफसर जल शक्ति विभाग की प्रारंभिक जांच में ये आरोप सही पाए गए। इसके आधार पर ही अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार चंद ने 10 अफसरों को सस्पेंड किया है और मामले की जांच विजिलेंस को सौंपी है। ASP बोले- पेशेवर ढंग से जांच जारी ASP नरवीर सिंह राठौर ने बताया कि इस मामले में पेशेवर ढंग से जांच जारी है। इस दौरान साक्ष्य जुटाए जा रहे है। विजिलेंस हर पहलु पर जांच कर आगे बढ़ रही है। फिजिकल वेरिफिकेशन करके डिजिटल डाटा तैयार किया जाएगा।   हिमाचल | दैनिक भास्कर