पानीपत के इसराना में ओवरस्पीड वाहन ने पैदल जा रहे मजदूर को टक्कर मार दी। जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। जो फैक्ट्री में काम करने के बाद घर जा रह था। उसके तीन बच्चे हैं। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। हादसा 11 जनवरी को हुआ था। मृतक की पहचान 32 वर्षीय गौतम के नाम से हुई है। वह बलाना गांव की एक फैक्ट्री में काम करता था। गौतम अपनी ड्यूटी खत्म करने के बाद शाम को पैदल पानीपत जा रहा था। नौल्था के पास बलाना मोड़ पर पीछे से आए एक तेज रफ्तार अज्ञात वाहन ने उसे टक्कर मार दी। गंभीर रूप से घायल गौतम को साथी मजदूरों ने तुरंत पानीपत के सिविल अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। मृतक के पिता रमेश चंद्र ने बताया कि गौतम उनके तीन बेटे हैं। जो करनाल जिले के कुंजपुरा थाना क्षेत्र के मानमती गांव में रहते हैं। पानीपत के इसराना में ओवरस्पीड वाहन ने पैदल जा रहे मजदूर को टक्कर मार दी। जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। जो फैक्ट्री में काम करने के बाद घर जा रह था। उसके तीन बच्चे हैं। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। हादसा 11 जनवरी को हुआ था। मृतक की पहचान 32 वर्षीय गौतम के नाम से हुई है। वह बलाना गांव की एक फैक्ट्री में काम करता था। गौतम अपनी ड्यूटी खत्म करने के बाद शाम को पैदल पानीपत जा रहा था। नौल्था के पास बलाना मोड़ पर पीछे से आए एक तेज रफ्तार अज्ञात वाहन ने उसे टक्कर मार दी। गंभीर रूप से घायल गौतम को साथी मजदूरों ने तुरंत पानीपत के सिविल अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। मृतक के पिता रमेश चंद्र ने बताया कि गौतम उनके तीन बेटे हैं। जो करनाल जिले के कुंजपुरा थाना क्षेत्र के मानमती गांव में रहते हैं। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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पानीपत में युवक से 4.75 लाख की ठगी:टास्क पूरा करने पर ज्यादा मुनाफे का दिया था झांसा; एक टारगेट गलत बता कर हड़पी राशि
पानीपत में युवक से 4.75 लाख की ठगी:टास्क पूरा करने पर ज्यादा मुनाफे का दिया था झांसा; एक टारगेट गलत बता कर हड़पी राशि हरियाणा के पानीपत में सौंदापुर चौक पर रहने वाले एक युवक को साइबर जालसाजों ने अपना निशाना बनाया। जालसाजों ने उसे व्हाट्सएप पर मैसेज भेजकर टास्क पूरा करने पर ज्यादा मुनाफा देने का वादा किया। इसके बाद टास्क पर अलग-अलग तरीकों से उससे 4 लाख 75 हजार 900 रुपये ठग लिए। जिसके बाद उसे अहसास हुआ कि उसके साथ ठगी हो गई है। इसकी शिकायत पुलिस में की गई। पुलिस ने शिकायत के आधार पर मामला दर्ज कर लिया है। शुरू के तीन टास्क ठीक किए थे पूरे, चौथा बताया गलत साइबर थाना पुलिस को दी शिकायत में ललित कुमार ने बताया कि वह सौंदापुर चौक का रहने वाला है। 5 जनवरी को वह अपने घर पर था। इसी दौरान उसके फोन पर एक नबर से वॉट्सऐप मैसेज आया। जिसमें टास्क पूरा करने पर अधिक मुनाफा संबंधित बात लिखी थी। झांसे में आकर उसने टास्क पूरे करने शुरू कर दिए। शुरुआत के करीब 3 टास्क तो पूरे कर दिए। तीनों ठीक हुए थे। चौथे टास्क में उन्होंने कहा कि आपसे कोई गलती हो गई है, आप दोबारा 86500 रुपए लगाकर खेलों। उसने दोबारा रुपए लगाए तो फिर उससे और 1 लाख 23 हजार रुपए लगवा लिए। आरोपी रुपए लगवाते रहे और कहते रहे कि इस अमाउंट को लगाने पर सारे रुपए वापस मिल जाएंगे। इस तरह उसे झांसे में लेकर ठगों ने उससे कुल 4 लाख 75 हजार 900 रुपए ले लिए। जिसके बाद उसे खुद के साथ हो रही ठगी का पता लगा।
फरीदाबाद जेल में बंदी की मौत:24 घंटे तक परिजनों को नहीं देखने दिया शव; बेटा बोला- डेढ़ साल से बंद था
फरीदाबाद जेल में बंदी की मौत:24 घंटे तक परिजनों को नहीं देखने दिया शव; बेटा बोला- डेढ़ साल से बंद था हरियाणा के फरीदाबाद की नीमका जेल में बंद एक कैदी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। जेल स्टाफ बंदी को अस्पताल लेकर पहुंचा तो उसकी मौत हो चुकी थी। बेटे जयप्रकाश ने आरोप लगाया कि नीमका जेल से उन्हें फोन पर बताया की तुम्हारे पिता बीके अस्पताल में हैं, जाकर मिल लें। काफी तलाशने के बाद स्टाफ नर्स ने उन्हें बताया की उनकी तो मौत हो चुकी है। शव को पोस्टमॉर्टम के लिए रखवाया गया है। उसके पिता को किसी ने देखने भी नहीं दिया। जानकारी अनुसार जगदीश प्रसाद (46) मूलरुप से बिहार के रहने वाले थे। वे 20 साल से परिवार के साथ फरीदाबाद के संतोष नगर इलाके में रह रहे थे। करीब डेढ़ साल पहले पुलिस ने जगदीश प्रसाद को लड़ाई-झगड़े और नशा बेचने के आरोप में गिरफ्तार किया था। तभी से वे जेल में थे। बुधवार को जेल में उनकी संदिग्ध हालात में मौत हो गई। जगदीश के बेटे जयप्रकाश ने बताया कि उनके पिता की मौत के बाद अगले दूसरे दिन लगभग 24 घंटे तक पुलिस ने उनसे कोई भी संपर्क नहीं किया। इसके चलते वह अपने पिता के अंतिम दर्शन नहीं कर पाए हैं। इस घटना के बाद से पूरे परिवार का रो-रो कर बुरा हाल है। मृतक पर थे कई मुकदमे दर्ज वहीं जयप्रकाश ने बताया कि उनके पिता जगदीश प्रसाद जिनकी उम्र लगभग 46 वर्ष थी। डेढ़ साल पहले उनके पिता को पुलिस ने लड़ाई झगड़ा और गांजा बेचने के आरोप में गिरफ्तार किया था। इस दौरान उनके पिता की तबीयत खराब रहने लगी। उन्होंने पिता की बेल की अपील की, लेकिन उनके पिता को बेल नहीं दी गई। मारपीट का जताया शक जयप्रकाश ने बताया की उन्हें लगता है की उनके पिता के साथ जेल में मारपीट हुई है। इसके चलते उनकी मौत हुई है। उनके पिता की तबीयत ज्यादा खराब थी तो उन्हें कल ही क्यों भर्ती किया गया। इससे पहले उनके पिता का सही से इलाज करना चाहिए था। उसे शक है कि या तो नीमका जेल में उनकी हत्या हुई है या फिर नीमका जेल अफसरों की लापरवाही के चलते उनके पिता की मौत हुई है। हालांकि मृतक जगदीश प्रसाद के शव का आज पोस्टमॉर्टम करा कर पुलिस ने शव उसके परिजनों को सौंप दिया है। इस मामले में जांच अधिकारी संजय ने बताया कि मृतक जगदीश प्रसाद को नीमका जेल स्टाफ जब बादशाह खान सिविल अस्पताल लेकर पहुंचा, तब तक उसकी मौत हो चुकी थी।
हिसार में नेताओं की नाराजगी से घटा मतदान:टिकट न मिलने पर हलकों से रहे दूर; बीरेंद्र सिंह-कुलदीप के गढ़ में दिखा असर
हिसार में नेताओं की नाराजगी से घटा मतदान:टिकट न मिलने पर हलकों से रहे दूर; बीरेंद्र सिंह-कुलदीप के गढ़ में दिखा असर हरियाणा के हिसार मे इसे संयोग कहा जाए या वर्करों-नेताओं की उदासीनता, जिसके चलते उन विधानसभा क्षेत्रों में 25 मई को हुई मतदान में मतदान प्रतिशत घट गया, जिन हलकों के नेताओं को पार्टियों ने टिकट नहीं दी। इसमें आदमपुर, उचाना और नारनौंद विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। इन तीनों क्षेत्रों से कई बड़े नेता अपनी पार्टियों में टिकट के दावेदारों में थे। आदमपुर में कुलदीप बिश्नोई और नारनौंद से कैप्टन अभिमन्यु हिसार लोकसभा से टिकट मांग रहे थे। वहीं उचाना से बीरेंद्र सिंह अपने बेटे बृजेंद्र सिंह के लिए हिसार से टिकट मांग रहे थे। मगर इन तीनों को ही कांग्रेस और भाजपा ने टिकट न देकर बाहर से उम्मीदवार लाकर उतारे। इसका नतीजा यह हुआ कि तीनों ही अपनी पार्टियों से नाराज होकर प्रचार से दूर हो गए। हालांकि भाजपा अपने नेताओं को मनाने में कामयाब रही, मगर बीरेंद्र सिंह की नाराजगी अंतिम दिन तक नजर आई। बीरेंद्र और बृजेंद्र सिंह दोनों ही कांग्रेस उम्मीदवार जयप्रकाश के प्रचार से दूर ही रहे। इसका असर वोटिंग में भी देखने को मिला। बाहरी उम्मीदवार से जनता नाराज दिखी
आपको बता दें कि हिसार में सभी प्रमुख पार्टियों ने बाहर से कैंडिडेट लाकर मैदान में उतारे। भाजपा ने रणजीत चौटाला को टिकट दिया। रणजीत चौटाला सिरसा के रहने वाले हैं और सिरसा की रानियां सीट से विधायक थे। इन्होंने विधानसभा से इस्तीफा देकर हिसार से भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ा। इसी तरह कांग्रेस ने जयप्रकाश जेपी को टिकट दिया। जयप्रकाश कैथल जिले की कलायत विधानसभा से आते हैं और यहां से विधायक रह चुके हैं। इसी प्रकार जजपा ने नैना को मैदान में उतारा जो सिरसा डबवाली की रहने वाली हैं। वहीं सुनैना चौटाला भी डबवाली से हैं। हालांकि नैना आदमपुर की दड़ौली और सुनैना दौलतपुर गांव की रहने वाली हैं। मगर लोगों में इसकी नाराजगी दिखी की चारों प्रमुख पार्टियों ने बाहरी लोगों को मैदान में उतारा। पहली बार चुनाव से दूर रहा बिश्नोई परिवार
हिसार लोकसभा में 2009 से लगातार बिश्नोई परिवार चुनाव लड़ता आया है। स्व. भजनलाल ने 2009 में हिसार से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीते। इसके बाद कुलदीप बिश्नोई 2011 में हिसार से सांसद चुने गए। 2014 में कुलदीप ने फिर हिसार से चुनाव लड़ा मगर हार गए। इसके बाद 2019 में उन्होंने अपने बेटे भव्य को मैदान में उतारा मगर वह हार गए। मगर इस बार बिश्नोई परिवार चुनाव से दूर रहा। इसका असर भी वोटिंग में देखने को मिला। कुलदीप समर्थकों में उत्साह कम देखने को मिला। आदमपुर में 2019 के मुकाबले कम मतदान देखने को मिला। आदमपुर में 2019 में पिछली बार लोकसभा में सबसे अधिक 77.74 प्रतिशत मतदान हुआ था और 2024 में यह आदमपुर 9.51 प्रतिशत घटकर 68.63 पर पहुंच गया है। वहीं अगर इससे पहले भी देखा जाए तो 2014 में आदमपुर में 78.14 प्रतिशत मतदान हुआ था। उचाना में बीरेंद्र सिंह परिवार दूर रहा
उचाना में चौधरी बीरेंद्र सिंह के परिवार के चुनाव से दूर रहने और मौजूदा विधायक दुष्यंत चौटाला से हलका वासियों की नाराजगी का असर भी उचाना में देखने को मिला। बीरेंद्र सिंह उचाना से ही बसरों से चुनाव लड़ते आए हैं। उन्होंने इस बार भाजपा छोड़ कांग्रेस का दामन थाम लिया था और बेटे के लिए हिसार से टिकट चाहते थे मगर ऐसा नहीं हुआ। कांग्रेस में बेटे बृजेंद्र सिंह की टिकट कटने से नाराज बीरेंद्र सिंह हिसार चुनाव से दूर हो गए और सिरसा में ही पिता-पुत्र प्रचार करते दिखे। इसका असर उचाना में वोटिंग पैटर्न पर भी पड़ा। उचाना में 2019 के मुकाबले 7.21 प्रतिशत कम मतदान हुआ। 2019 में उचाना में 72.62 प्रतिशत वोट पड़े थे। वहीं 2024 में 65.41 प्रतिशत ही वोट पड़े हैं। उकलाना में सैलजा और नारनौंद में कैप्टन की बेरुखी रही
मूलत उकलाना के गांव प्रभुवाला की रहने वाली सैलजा हिसार के चुनाव से दूर रही। वह हिसार से अपने पसंदीदा कैंडिडेट को टिकट दिलाना चाहती थी मगर ऐसा नहीं हुआ। सैलजा को खुद सिरसा से लड़ना पड़ा और हिसार से पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबी जयप्रकाश जेपी को टिकट मिला। इसके कारण सैलजा व उसके समर्थक चुनाव से दूर रहे। वहीं नारनौंद में कैप्टन अभिमन्यु भाजपा से टिकट मांग रहे थे मगर ऐसा नहीं हुआ। इसके कारण कैप्टन कई दिनों तक प्रचार से दूर रहे। यहां तक की उनके समर्थक भी लगातार चुनाव प्रचार से दूर रहे। इसका असर वोटिंग में भी देखने को मिला। उकलाना और नारनौंद में भी पिछली बार की तुलना में मतदान में गिरावट देखने को मिली। देखें हिसार लोकसभा में चार साल में मतदान प्रतिशत 2019 की तुलना में कहां कितना घटा मतदान हिसार लोकसभा में 2024 और 2019 का वोटिंग प्रतिशत