लखनऊ में नकली चायपत्ती बनाने वाली फैक्ट्री सील:जहरीले रंग मिलाकर बनाते थे; STF-FSDA टीम ने 13 लाख की चायपत्ती किया बरामद; मालिक फरार

लखनऊ में नकली चायपत्ती बनाने वाली फैक्ट्री सील:जहरीले रंग मिलाकर बनाते थे; STF-FSDA टीम ने 13 लाख की चायपत्ती किया बरामद; मालिक फरार

लखनऊ में एसटीएफ और खाद्य सुरक्षा विभाग (FSDA) की टीम ने नकली चायपत्ती बनाने वाली फैक्ट्री पर छापा मारा है। टीम ने यहां से 11 हजार किलो नकली चायपत्ती, खतरनाक सिंथेटिक रंग, और सेंडस्टोन बरामद किया है। बरामद सामान की कीमत 13 लाख रुपए है। फैक्ट्री मड़ियांव थाना क्षेत्र के फैजुल्लागंज इलाके में है। यहां जहरीले रंगों और सेंडस्टोन (एक प्रकार का पत्थर) मिलाकर चायपत्ती तैयार की जाती थी। इसे बिना किसी ब्रांडेड रैपर के पैक कर लखनऊ और आस-पास के इलाकों में बेचा जाता था। टीम ने फैक्ट्री से लगभग 30 हजार रुपए के सिंथेटिक रंग और अन्य खतरनाक पदार्थ जब्त किए हैं। फैक्ट्री से यह सामन हुआ बरामद ऐसे हुआ पूरा खुलासा
एफएसडीए के अधिकारी डॉ. विजय प्रताप सिंह ने बताया कि दो महीनों से नकली चायपत्ती की बिक्री की शिकायतें मिल रही थी। जांच के बाद एसटीएफ की मदद से फैजुल्लागंज स्थित तीन मंजिला गोदाम पर छापा मारा गया। यह गोदाम आरिफ नाम के व्यक्ति की है। वह छापेमारी के दौरान फरार हो गया है। सेहत के लिए खतरनाक
विशेषज्ञों का कहना है कि चाय में मिलाए गए रसायन कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं। अधिकारियों ने चायपत्ती, सिंथेटिक रंग और सेंडस्टोन के सैंपल लेकर जांच के लिए लैब भेज दिए हैं। सेहत खतरे में है। क्या लोगों की सेहत से हो रहा है खिलवाड़?
इस मामले ने प्रशासन और खाद्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जब तीन मंजिला गोदाम में इतने बड़े स्तर पर नकली चायपत्ती का उत्पादन हो रहा था, तो इसकी भनक स्थानीय अधिकारियों को क्यों नहीं लगी? क्या यह केवल एक फैक्ट्री तक सीमित मामला है, या फिर नकली खाद्य उत्पादों का एक बड़ा नेटवर्क सक्रिय है? कैसे बिक रही थी जहरीली चाय?
छापेमारी में यह बात सामने आई कि फैक्ट्री में बिना ब्रांड रजिस्ट्रेशन के पैकेट तैयार किए जा रहे थे। हालांकि कोई बड़े ब्रांड का नकली रैपर बरामद नहीं हुआ, लेकिन सवाल यह उठता है कि बिना GST और बिक्री के दस्तावेज़ों के यह माल बाज़ार तक कैसे पहुंच रहा था? क्या कुछ डीलर और खुदरा विक्रेता भी इस गोरखधंधे में शामिल हो सकते हैं? लखनऊ में एसटीएफ और खाद्य सुरक्षा विभाग (FSDA) की टीम ने नकली चायपत्ती बनाने वाली फैक्ट्री पर छापा मारा है। टीम ने यहां से 11 हजार किलो नकली चायपत्ती, खतरनाक सिंथेटिक रंग, और सेंडस्टोन बरामद किया है। बरामद सामान की कीमत 13 लाख रुपए है। फैक्ट्री मड़ियांव थाना क्षेत्र के फैजुल्लागंज इलाके में है। यहां जहरीले रंगों और सेंडस्टोन (एक प्रकार का पत्थर) मिलाकर चायपत्ती तैयार की जाती थी। इसे बिना किसी ब्रांडेड रैपर के पैक कर लखनऊ और आस-पास के इलाकों में बेचा जाता था। टीम ने फैक्ट्री से लगभग 30 हजार रुपए के सिंथेटिक रंग और अन्य खतरनाक पदार्थ जब्त किए हैं। फैक्ट्री से यह सामन हुआ बरामद ऐसे हुआ पूरा खुलासा
एफएसडीए के अधिकारी डॉ. विजय प्रताप सिंह ने बताया कि दो महीनों से नकली चायपत्ती की बिक्री की शिकायतें मिल रही थी। जांच के बाद एसटीएफ की मदद से फैजुल्लागंज स्थित तीन मंजिला गोदाम पर छापा मारा गया। यह गोदाम आरिफ नाम के व्यक्ति की है। वह छापेमारी के दौरान फरार हो गया है। सेहत के लिए खतरनाक
विशेषज्ञों का कहना है कि चाय में मिलाए गए रसायन कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं। अधिकारियों ने चायपत्ती, सिंथेटिक रंग और सेंडस्टोन के सैंपल लेकर जांच के लिए लैब भेज दिए हैं। सेहत खतरे में है। क्या लोगों की सेहत से हो रहा है खिलवाड़?
इस मामले ने प्रशासन और खाद्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जब तीन मंजिला गोदाम में इतने बड़े स्तर पर नकली चायपत्ती का उत्पादन हो रहा था, तो इसकी भनक स्थानीय अधिकारियों को क्यों नहीं लगी? क्या यह केवल एक फैक्ट्री तक सीमित मामला है, या फिर नकली खाद्य उत्पादों का एक बड़ा नेटवर्क सक्रिय है? कैसे बिक रही थी जहरीली चाय?
छापेमारी में यह बात सामने आई कि फैक्ट्री में बिना ब्रांड रजिस्ट्रेशन के पैकेट तैयार किए जा रहे थे। हालांकि कोई बड़े ब्रांड का नकली रैपर बरामद नहीं हुआ, लेकिन सवाल यह उठता है कि बिना GST और बिक्री के दस्तावेज़ों के यह माल बाज़ार तक कैसे पहुंच रहा था? क्या कुछ डीलर और खुदरा विक्रेता भी इस गोरखधंधे में शामिल हो सकते हैं?   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर