प्रदेश में पंचायत चुनाव 2026 से लेकर विधानसभा चुनाव 2027 तक की कमान संभालने के लिए भाजपा के जिलाध्यक्षों की सूची तैयार हो गई है। 98 संगठनात्मक जिलों में से करीब 50 फीसदी जिलों में जिलाध्यक्ष बदले जाएंगे। केंद्रीय नेतृत्व की मंजूरी के बाद 22 जनवरी तक घोषित कर दिए जाएंगे। भाजपा प्रदेश मुख्यालय में सोमवार और बुधवार को हुई बैठक में क्षेत्रवार जिलाध्यक्षों के पैनल पर मंथन किया गया। अब अंतिम चरण में क्षेत्रीय अध्यक्ष और क्षेत्रीय प्रभारी के साथ चर्चा की जाएगी। सूत्रों के मुताबिक पार्टी की ओर से तय नीति के अनुसार लगातार दो बार जिलाध्यक्ष रहे 29 मौजूदा जिलाध्यक्षों को बदला जाएगा। साथ ही बाकी 69 में से भी करीब 20 से ज्यादा जिलाध्यक्ष हटाकर उनकी जगह नए चेहरों को देने पर सैद्धांतिक सहमति बनी है। पार्टी की प्रदेश चुनाव समिति ने जिलाध्यक्षों की नियुक्ति के लिए नाम फाइनल कर लिए हैं। अब चुनाव प्रभारी महेंद्रनाथ पांडेय और महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह सूची पर केंद्रीय नेतृत्व से चर्चा करेंगे। राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और महामंत्री संगठन बीएल संतोष से सहमति लेने के बाद लिस्ट घोषित की जाएगी। जातीय समीकरण साधने की कवायद प्रदेश कोर कमेटी के एक सदस्य ने बताया कि विधानसभा चुनाव के मद्देनजर जिलाध्यक्षों में जातीय समीकरण को साधा गया है। अगड़ी जातियों में ब्राह्मण, ठाकुर, वैश्य के साथ भूमिहार और कायस्थ समाज को भी प्रतिनिधित्व मिलेगा। वहीं, पिछड़ी जातियों में सबसे अधिक कुर्मी समाज, उसके बाद जाट, सैनी, शाक्य, कुशवाहा, राजभर, निषाद और यादव समाज के नेता भी जिलाध्यक्ष बनाए जाएंगे। दलित वर्ग में जाटव, पासी, खटीक और धोबी समाज को सबसे अधिक मौका मिलेगा। पार्टी ने प्रयास किया है कि जिलाध्यक्षों की नियुक्ति में सभी समाजों को क्षेत्रवार प्रतिनिधित्व मिले। चयन प्रक्रिया पर उठ रहे सवाल भाजपा में अब मंडल अध्यक्ष और जिलाध्यक्ष की चयन प्रक्रिया पर सवाल उठने लगे हैं। मंडल अध्यक्ष और जिलाध्यक्षों की नियुक्ति में विधायकों को सबसे ज्यादा तवज्जो दी गई है। अधिकांश मंडल अध्यक्ष विधायक की पसंद से नियुक्त किए गए हैं। जिलों में विधायकों ने गुटबाजी कर जिलाध्यक्ष का पैनल भी तैयार कराया है। जानकारों का मानना है कि इससे अब जिले में पूरा संगठन विधायकों के हाथ में चला जाएगा। मंडल अध्यक्ष और जिलाध्यक्ष पार्टी से ज्यादा विधायकों के इशारे पर काम करेंगे। इससे एक ओर जहां सही फीडबैक प्रदेश तक नहीं पहुंचेगा वहीं, जिलों में गुटबाजी, नाराजगी और ज्यादा बढ़ेगी। सदस्यता पैमाना नहीं भाजपा ने यूपी में करीब ढाई करोड़ से अधिक सदस्य बनाकर रिकॉर्ड बनाया है। सदस्यता अभियान में कार्यकर्ताओं ने हजारों की संख्या में सदस्य बनाए। लेकिन पार्टी की ओर से मंडल अध्यक्ष और जिलाध्यक्ष में सदस्यता को पैमाना नहीं रखा गया है। सूत्रों के मुताबिक पांच हजार से अधिक सदस्य बनाने वाले कार्यकर्ता पैनल से बाहर हैं जबकि दो-तीन सौ सदस्य बनाने वाले नेता जिलाध्यक्ष के पैनल में जगह पा गए हैं। भाजपा के चार क्षेत्रीय अध्यक्ष बदल सकते हैं भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष की ओर से सभी छह क्षेत्रों में क्षेत्रीय अध्यक्ष भी नियुक्त किए जाएंगे। सूत्रों के मुताबिक कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र के क्षेत्रीय अध्यक्ष प्रकाश पाल, पश्चिम के क्षेत्रीय अध्यक्ष सत्येंद्र सिंह, गोरखपुर के क्षेत्रीय अध्यक्ष सहजानंद राय और अवध के क्षेत्रीय अध्यक्ष कमलेश मिश्रा की जगह नए क्षेत्रीय अध्यक्ष नियुक्त किए जाएंगे। इन चार क्षेत्रीय अध्यक्षों से विधायक और सांसद खफा है। नगरीय निकाय चुनाव 2023 में जिलाध्यक्षों की नियुक्ति, लोकसभा चुनाव में भी शिकायत मिली थी। वहीं, काशी के क्षेत्रीय अध्यक्ष दिलीप पटेल और ब्रज के क्षेत्रीय अध्यक्ष और ब्रज के क्षेत्रीय अध्यक्ष दुर्विजय शाक्य को दोबारा मौका मिल सकता है। नए अध्यक्षों को बदलने के पक्ष में नहीं भाजपा सूत्रों के मुताबिक पार्टी में 69 जिलाध्यक्ष ऐसे हैं जिन्हें 15 सितंबर 2023 को पहली बार अध्यक्ष बनाया गया था। उन्हें महज 16 महीने का ही कार्यकाल मिला है। ऐसे में बड़े नेता चाहते हैं कि इनमें ज्यादा बदलाव नहीं किया जाए। इनमें वही जिलाध्यक्ष बदले जाएं जिनके खिलाफ स्थानीय विधायक, सांसद, कार्यकर्ता या संघ से कोई शिकायत है। जिलाध्यक्षों की दौड़ में धुल गया अभियान भाजपा के जिलाध्यक्षों की दौड़ में पार्टी की ओर से शुरू किया गया संविधान गौरव अभियान धुल गया है। 11 से 25 जनवरी तक अभियान चलाना है। लेकिन जिलाध्यक्ष चयन प्रक्रिया के चलते जिलों में इसकी कार्यशाला पूरी तरह नहीं हो सकी। वहीं, अब अधिकांश जिलाध्यक्ष, जिला उपाध्यक्ष, महामंत्री और मंत्री, अध्यक्ष बनने के प्रयास में लखनऊ में डेरा जमाए हुए हैं। ऐसे में संविधान गौरव अभियान कागजों में ही चल रहा है। प्रदेश पदाधिकारियों की नहीं चली सूत्रों के मुताबिक जिलाध्यक्षों की नियुक्ति सीधे होने पर बड़ी संख्या में जिलाध्यक्ष प्रदेश पदाधिकारियों की पसंद से बनाए जाते थे। लेकिन इस बार चुनाव प्रक्रिया के तहत चयन होने के कारण प्रदेश पदाधिकारियों की नहीं चली है। प्रदेश पदाधिकारियों को उनके गृह जिले में अध्यक्ष पद की चयन प्रक्रिया में भी औपचारिक रूप से ही शामिल किया है। विवादित जिलों की लिस्ट रोकी जाएगी सूत्रों के मुताबिक जिलाध्यक्ष पद को लेकर करीब 25 जिलों में सहमति नहीं बन रही है। लखीमपुर, हापुड़, अलीगढ़ महानगर, अलीगढ़ जिला, फिरोजाबाद में चुनाव स्थगित हुआ है। वहीं, करीब 20 जिलों में विवाद की स्थिति है। ऐसे जिलों के नाम फिलहाल लिस्ट में रोके जाएंगे। प्रदेश अध्यक्ष की चयन प्रक्रिया शुरू करने के लिए 50 फीसदी जिलाध्यक्ष घोषित होना अनिवार्य है, इसलिए करीब 70 जिलों में जिलाध्यक्ष घोषित किए जाएंगे। —————– ये खबर भी पढ़ें… भाजपा को जनवरी में मिलेगा नया प्रदेश अध्यक्ष:अखिलेश के PDA की काट के साथ वोट बैंक पर नजर; रेस में बीएल वर्मा समेत कई नेता भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति जनवरी में कभी भी हो सकती है। भाजपा के नए अध्यक्ष ही संगठन के मोर्चे पर विधानसभा चुनाव 2027 में कमान संभालेंगे। ऐसे में नए प्रदेश अध्यक्ष की रेस वाले नेताओं की दौड़ लखनऊ से दिल्ली ही नहीं नागपुर तक तेज हो गई है। पढ़ें पूरी खबर प्रदेश में पंचायत चुनाव 2026 से लेकर विधानसभा चुनाव 2027 तक की कमान संभालने के लिए भाजपा के जिलाध्यक्षों की सूची तैयार हो गई है। 98 संगठनात्मक जिलों में से करीब 50 फीसदी जिलों में जिलाध्यक्ष बदले जाएंगे। केंद्रीय नेतृत्व की मंजूरी के बाद 22 जनवरी तक घोषित कर दिए जाएंगे। भाजपा प्रदेश मुख्यालय में सोमवार और बुधवार को हुई बैठक में क्षेत्रवार जिलाध्यक्षों के पैनल पर मंथन किया गया। अब अंतिम चरण में क्षेत्रीय अध्यक्ष और क्षेत्रीय प्रभारी के साथ चर्चा की जाएगी। सूत्रों के मुताबिक पार्टी की ओर से तय नीति के अनुसार लगातार दो बार जिलाध्यक्ष रहे 29 मौजूदा जिलाध्यक्षों को बदला जाएगा। साथ ही बाकी 69 में से भी करीब 20 से ज्यादा जिलाध्यक्ष हटाकर उनकी जगह नए चेहरों को देने पर सैद्धांतिक सहमति बनी है। पार्टी की प्रदेश चुनाव समिति ने जिलाध्यक्षों की नियुक्ति के लिए नाम फाइनल कर लिए हैं। अब चुनाव प्रभारी महेंद्रनाथ पांडेय और महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह सूची पर केंद्रीय नेतृत्व से चर्चा करेंगे। राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और महामंत्री संगठन बीएल संतोष से सहमति लेने के बाद लिस्ट घोषित की जाएगी। जातीय समीकरण साधने की कवायद प्रदेश कोर कमेटी के एक सदस्य ने बताया कि विधानसभा चुनाव के मद्देनजर जिलाध्यक्षों में जातीय समीकरण को साधा गया है। अगड़ी जातियों में ब्राह्मण, ठाकुर, वैश्य के साथ भूमिहार और कायस्थ समाज को भी प्रतिनिधित्व मिलेगा। वहीं, पिछड़ी जातियों में सबसे अधिक कुर्मी समाज, उसके बाद जाट, सैनी, शाक्य, कुशवाहा, राजभर, निषाद और यादव समाज के नेता भी जिलाध्यक्ष बनाए जाएंगे। दलित वर्ग में जाटव, पासी, खटीक और धोबी समाज को सबसे अधिक मौका मिलेगा। पार्टी ने प्रयास किया है कि जिलाध्यक्षों की नियुक्ति में सभी समाजों को क्षेत्रवार प्रतिनिधित्व मिले। चयन प्रक्रिया पर उठ रहे सवाल भाजपा में अब मंडल अध्यक्ष और जिलाध्यक्ष की चयन प्रक्रिया पर सवाल उठने लगे हैं। मंडल अध्यक्ष और जिलाध्यक्षों की नियुक्ति में विधायकों को सबसे ज्यादा तवज्जो दी गई है। अधिकांश मंडल अध्यक्ष विधायक की पसंद से नियुक्त किए गए हैं। जिलों में विधायकों ने गुटबाजी कर जिलाध्यक्ष का पैनल भी तैयार कराया है। जानकारों का मानना है कि इससे अब जिले में पूरा संगठन विधायकों के हाथ में चला जाएगा। मंडल अध्यक्ष और जिलाध्यक्ष पार्टी से ज्यादा विधायकों के इशारे पर काम करेंगे। इससे एक ओर जहां सही फीडबैक प्रदेश तक नहीं पहुंचेगा वहीं, जिलों में गुटबाजी, नाराजगी और ज्यादा बढ़ेगी। सदस्यता पैमाना नहीं भाजपा ने यूपी में करीब ढाई करोड़ से अधिक सदस्य बनाकर रिकॉर्ड बनाया है। सदस्यता अभियान में कार्यकर्ताओं ने हजारों की संख्या में सदस्य बनाए। लेकिन पार्टी की ओर से मंडल अध्यक्ष और जिलाध्यक्ष में सदस्यता को पैमाना नहीं रखा गया है। सूत्रों के मुताबिक पांच हजार से अधिक सदस्य बनाने वाले कार्यकर्ता पैनल से बाहर हैं जबकि दो-तीन सौ सदस्य बनाने वाले नेता जिलाध्यक्ष के पैनल में जगह पा गए हैं। भाजपा के चार क्षेत्रीय अध्यक्ष बदल सकते हैं भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष की ओर से सभी छह क्षेत्रों में क्षेत्रीय अध्यक्ष भी नियुक्त किए जाएंगे। सूत्रों के मुताबिक कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र के क्षेत्रीय अध्यक्ष प्रकाश पाल, पश्चिम के क्षेत्रीय अध्यक्ष सत्येंद्र सिंह, गोरखपुर के क्षेत्रीय अध्यक्ष सहजानंद राय और अवध के क्षेत्रीय अध्यक्ष कमलेश मिश्रा की जगह नए क्षेत्रीय अध्यक्ष नियुक्त किए जाएंगे। इन चार क्षेत्रीय अध्यक्षों से विधायक और सांसद खफा है। नगरीय निकाय चुनाव 2023 में जिलाध्यक्षों की नियुक्ति, लोकसभा चुनाव में भी शिकायत मिली थी। वहीं, काशी के क्षेत्रीय अध्यक्ष दिलीप पटेल और ब्रज के क्षेत्रीय अध्यक्ष और ब्रज के क्षेत्रीय अध्यक्ष दुर्विजय शाक्य को दोबारा मौका मिल सकता है। नए अध्यक्षों को बदलने के पक्ष में नहीं भाजपा सूत्रों के मुताबिक पार्टी में 69 जिलाध्यक्ष ऐसे हैं जिन्हें 15 सितंबर 2023 को पहली बार अध्यक्ष बनाया गया था। उन्हें महज 16 महीने का ही कार्यकाल मिला है। ऐसे में बड़े नेता चाहते हैं कि इनमें ज्यादा बदलाव नहीं किया जाए। इनमें वही जिलाध्यक्ष बदले जाएं जिनके खिलाफ स्थानीय विधायक, सांसद, कार्यकर्ता या संघ से कोई शिकायत है। जिलाध्यक्षों की दौड़ में धुल गया अभियान भाजपा के जिलाध्यक्षों की दौड़ में पार्टी की ओर से शुरू किया गया संविधान गौरव अभियान धुल गया है। 11 से 25 जनवरी तक अभियान चलाना है। लेकिन जिलाध्यक्ष चयन प्रक्रिया के चलते जिलों में इसकी कार्यशाला पूरी तरह नहीं हो सकी। वहीं, अब अधिकांश जिलाध्यक्ष, जिला उपाध्यक्ष, महामंत्री और मंत्री, अध्यक्ष बनने के प्रयास में लखनऊ में डेरा जमाए हुए हैं। ऐसे में संविधान गौरव अभियान कागजों में ही चल रहा है। प्रदेश पदाधिकारियों की नहीं चली सूत्रों के मुताबिक जिलाध्यक्षों की नियुक्ति सीधे होने पर बड़ी संख्या में जिलाध्यक्ष प्रदेश पदाधिकारियों की पसंद से बनाए जाते थे। लेकिन इस बार चुनाव प्रक्रिया के तहत चयन होने के कारण प्रदेश पदाधिकारियों की नहीं चली है। प्रदेश पदाधिकारियों को उनके गृह जिले में अध्यक्ष पद की चयन प्रक्रिया में भी औपचारिक रूप से ही शामिल किया है। विवादित जिलों की लिस्ट रोकी जाएगी सूत्रों के मुताबिक जिलाध्यक्ष पद को लेकर करीब 25 जिलों में सहमति नहीं बन रही है। लखीमपुर, हापुड़, अलीगढ़ महानगर, अलीगढ़ जिला, फिरोजाबाद में चुनाव स्थगित हुआ है। वहीं, करीब 20 जिलों में विवाद की स्थिति है। ऐसे जिलों के नाम फिलहाल लिस्ट में रोके जाएंगे। प्रदेश अध्यक्ष की चयन प्रक्रिया शुरू करने के लिए 50 फीसदी जिलाध्यक्ष घोषित होना अनिवार्य है, इसलिए करीब 70 जिलों में जिलाध्यक्ष घोषित किए जाएंगे। —————– ये खबर भी पढ़ें… भाजपा को जनवरी में मिलेगा नया प्रदेश अध्यक्ष:अखिलेश के PDA की काट के साथ वोट बैंक पर नजर; रेस में बीएल वर्मा समेत कई नेता भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति जनवरी में कभी भी हो सकती है। भाजपा के नए अध्यक्ष ही संगठन के मोर्चे पर विधानसभा चुनाव 2027 में कमान संभालेंगे। ऐसे में नए प्रदेश अध्यक्ष की रेस वाले नेताओं की दौड़ लखनऊ से दिल्ली ही नहीं नागपुर तक तेज हो गई है। पढ़ें पूरी खबर उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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इंदौर में लगे पोस्टर ‘BJP विधायकों की रक्षा कौन करेगा?’, बीजेपी ने दिया जवाब
इंदौर में लगे पोस्टर ‘BJP विधायकों की रक्षा कौन करेगा?’, बीजेपी ने दिया जवाब <p style=”text-align: justify;”><strong>Indore News:</strong> इंदौर में कांग्रेस ने बीजेपी के पांच विधायकों के पोस्टर लगाकर स्लोगन दिया है कि भारतीय जनता पार्टी के विधायकों की रक्षा कौन करेगा? इसका जवाब देते हुए कांग्रेस ने लिखा है कि कांग्रेस करेगी. अभी इन पोस्टरों को लेकर राजनीतिक गर्मा गई है. भारतीय जनता पार्टी ने भी इसका जवाब दे दिया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>प्रदेश कांग्रेस कमेटी के संभागीय प्रवक्ता विवेक खंडेलवाल, गिरीश जोशी, देवेंद्र सिंह यादव ने बताया कि मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के राज में माफिया काफी मजबूत हो गया है. ऐसी स्थिति में सरकार के विधायकों को अपनी जान बचाने के लिए पुलिस अधिकारियों के पैर पकड़ रहे हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”>यही वजह है कि एक विधायक ने तो इस्तीफा तक लिख दिया है. उन्होंने कहा कि पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव कह रहे हैं कि महिलाएं असुरक्षित हैं, जबकि अजय विश्नोई ने शराब माफिया के आगे सरकार के दंडवत होने की बात सार्वजनिक रूप से लिखी है. उन्होंने कहा कि नगरीय प्रशासन मंत्री सार्वजनिक रूप से मान चुके हैं कि गली-गली में नशा बिक रहा है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><br /><img src=”https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/10/12/ec658ac186f98b096ab3b52743abc2071728722091005584_original.jpg” /></p>
<p style=”text-align: justify;”>ऐसे में बीजेपी के विधायक ही डरे हुए हैं और असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. इसी के चलते कांग्रेस में गांधी भवन स्थित कार्यालय पर विधायकों को आमंत्रित करते हुए पोस्टर लगाए हैं. पोस्टर में यह भी लिखा गया कि कांग्रेस उनकी रक्षा करेगी. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>पोस्टर में पांच विधायकों के फोटो</strong><br />कांग्रेस कार्यालय पर जो फोटो लगाया गया है उसमें पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव अजय विश्नोई, विधायक प्रदीप पटेल, बृज बिहारी पटेरिया और संजय पाठक का नाम के साथ फोटो लगाया गया है. इसमें लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी का फोटो भी लगाकर लिखा गया है “डरो मत”.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>जिनके घर शीशे के उन्हें पत्थर नहीं फेंकना चाहिए- बीजेपी</strong><br />इंदौर के भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता दीपक जैन का कहना है कि कांग्रेस के नेता के भतीजे ने जो महिला पुलिस अधिकारी के साथ शर्मसार करने वाला व्यवहार किया है. उस पर कांग्रेस को मंथन करना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि जिनके घर शीशे के होते हैं. वे दूसरों पर पत्थर नहीं फेकते हैं. कांग्रेस नेता के भतीजे ने जो व्यवहार किया है, वह कांग्रेस की विचारधारा को प्रदर्शित करता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यह भी पढ़ें: <a title=”रावण की भक्ति में लीन है इंदौर का ये परिवार, 10 तारीख को 10 बजे बनाया अनूठा मंदिर, बच्चों के नाम ‘लंकेश, शूर्पणखा और मेघनाथ'” href=”https://www.abplive.com/states/madhya-pradesh/dussehra-2024-special-indore-special-ravana-mandir-where-ravana-is-worshipped-ann-2802115″ target=”_blank” rel=”noopener”>रावण की भक्ति में लीन है इंदौर का ये परिवार, 10 तारीख को 10 बजे बनाया अनूठा मंदिर, बच्चों के नाम ‘लंकेश, शूर्पणखा और मेघनाथ'</a></strong></p>
मेरठ मकान हादसा..देवदूत बनकर आई NDRF:टीम लीडर की जुबानी सुनिए रेस्क्यू ऑपरेशन के 15 घंटों के चैलेंज
मेरठ मकान हादसा..देवदूत बनकर आई NDRF:टीम लीडर की जुबानी सुनिए रेस्क्यू ऑपरेशन के 15 घंटों के चैलेंज मेरठ के लोहिया नगर थाना क्षेत्र के जाकिर कालोनी में मकान के मलबे में 15 लोग दब गए। NDRF की टीम घायलों के लिए देवदूत बनकर आई। NDRF, SDRF,RRF, फायर फाइटर्स और पुलिस टीम ने मिलकर 15 घंटे रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया। ऑपरेशन में 5 लोगों को मलबे से सुरक्षित निकाला गया। इसमें 2 मासूम बच्चे भी शामिल हैं।
NDRF के जवानों के अनुसार ये ऑपरेशन टफ और चैलेंजिंग दोनों था। बारिश, सघन आबादी और संकरी गलियो के बड़े चैलेंज को पार कर NDRF ने इस ऑपरेशन को पूरा किया। ऑपरेशन को मेडिकल साइड से लीड ऑफिसर डॉ. अमित मुरारी सीएमओ एसजी ने दैनिक भास्कर को हर चैलेंज बताया..पूरे ऑपरेशन को स्टेपवाइज ढ़िए.. इस इलाके की गलियां बहुत संकरी थी। तीन मंजिला मकान का मलबा बहुत ज्यादा था। जिसके कारण हम अपने हैवी अर्थवोअर्स अंदर नहीं ले जा पाए। जो काम 10 घंटे में हो सकता था वो काम करने में हमें 15 घंटे से ज्यादा वक्त लग गया। बारिश से थोड़ा असर हुआ लेकिन बड़ा चैलेंज नहीं थी। इलाका काफी कंजेस्टेड था और मौके पर काफी भीड़ भी थी जिसके कारण काम में थोड़ा परेशानी हो रही थी।
पैनकेक फॉरमेशन यानि सर्वाइवल के सबसे कम चांस ये पैनकेक फॉरमेशन था। यानि बिल्डिंग जहां थी वहां अपनी ही जगह बैठ गई। जिस तरह प्लेट में केक रखा हो और उसे ऊपर से किसी ने दबा दिया, ठीक उसी तरह ये फॉरमेशन था। इस तरह की सिचुएशन हमने नेपाल में फेस की थी। इसमें सर्वाइवल का चांस बहुत कम होता है। ज्यादातर बिल्डिंग कॉलेप्स होती है वहां ज्यादातर पैनकेक फॉरमेशन होते हैं। जब मलबे से हमने एक बहुत छोटा बच्चा जिंदा निकाला वो हमारे लिए बहुत अच्छा पल था। लाइफ कहां इसकी सटीक जानकारी बनी मददगार घर के ओनर ने हमें बहुत सटीक जानकारी दी थी। उसने हमें बहुत एक्यूरेट बताया कि यहां पर कौन और कितने लोग हो सकते हैं। उसी हिसाब से हमारी टीम ने काम किया। उनकी सही जानकारी ने हमारा काम काफी आसान किया हमें ऑपरेशन चलाने के लिए एक लाइन मिल गई। वहीं हम लोगों को लोग दबे हुए मिले। हमने उसी वेंसिंटी में काम किया नहीं तो हम अंधेरे में तीर मारते रहते। जैक लगाकर उठाई बिल्डिंग वहीं निकली मासूम पूरे ऑपरेशन के दौरान हमारे दिमाग में बस यही चल रहा था कि थोड़ी भी होप हो तो उसे हम बचा सकें। इससे पहले हमने मार्च में मुजफ्फरनगर में ऐसा ही ऑपरेशन चलाया था। यहां भी बार-बार हमें वही याद आ रहा था। जब हमने जैक पर पूरी बिल्डिंग को उठाकर ऑपरेशन चलाया। लगातार बारिश होने और मकान की नींव में जो मवेशियों का मल,मूत्र रिस रिसकर जा रहा था उससे दीवारें कमजोर हो रही थी, इनके कारण कॉलेप्स हुआ। यहां भी लास्ट में हमने बिल्डिंग पर जैक लगाया और मलबा हटाया। लास्ट बच्चे को निकालने के लिए हमने मीडियम रेंज का जैक लगाया। उसी जगह से वो बच्चा निकला जहां से हमने जैक को उठाया।
क्रिशइंजरी से बचाने पर था पूरा फोकस इस बच्चे को क्रिश इंजरी हो गई थी। हैवी लोड हटाएंगे तो मसल्स के टॉक्सिन के कारण डेथ के चांसेस बढ़ जाते हैं। मुझे उस बच्चे का केवल हाथ दिखा था मुझे बस यही लगा कि इसे किसी तरह क्रिशसिंड्रोम से बचा लूं ताकि ये बच्चा बच जाए। हॉस्पिटल और ग्राउंड पर काम करने में बहुत अंतर हैं। हम हर इंक्विपमेंट फील्ड पर नहीं ला सकते, हालांकि एनडीआरएफ के पास काफी इंक्विवपमेंट हैं। उस बच्चे की एयर मेंटेन करने के लिए हमने तुरंत उसे ऑक्सीजन पर लिया
मलबे में इन कारणों से होती है मौत ब्रीद ही नहीं कर पाते तो डेथ हो जाती है। मेजर आर्टरी या मेजर वेन में कट लगना, काफी ज्यादा ब्लीडिंग होना इनके कारण सर्वाइवल चांस कम रहते हैं। हम ब्लड तो नहीं दे सकते लेकिन दूसरे ऑप्शन रखते हैं ताकि लाइफ सेफ की जा सके। इसी तरह सेम केस हमारा मुजफ्फरनगर में हुआ था। जहां हमने दोनों तरफ से 20 एमएम की सरिया काटी थी। 51 जवानों की टीम ने किया ऑपरेशन टीम को एनडीआरएफ 8वीं बटालियन के कमांडेंट पीके तिवारी, डिप्टी कमांडेट नीरज, डॉ. अमित मुरारी सीएमओ एसजी ने लीड किया। ऑपरेशन में 3सीनियर ऑफिसर, 5 सबओर्डिनेट अफसर, 37 ओआरएस, 4 महिला सुरक्षाकर्मी, 2 डॉग्स कुल 51 लोगों की टीम लगी थी। पूरी टीम गाजियाबाद से आई थी। अखिलेश यादव ने की पीड़ितों से फोन पर बात समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने जाकिर कालोनी में मारे गए लोगों के परिजनों से बात की। उन्हें हर संभव मदद का भरोसा दिलाया। सपा युवजन सभा के पूर्व जिलाध्यक्ष जानू चौधरी ने सोमवार को सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से पीड़ित परिवार की व्हाट्स कॉल पर बात कराई। मृतक साजिद के भाई आबिद और बहनोई सलीम से उनकी बात हुई। इन दोनों ने बताया कि अखिलेश यादव ने उनसे कहा कि दुख की इस घड़ी में समाजवादी पार्टी आपके साथ है। मैं भी आपके साथ हूं। पार्टी की तरफ से जो भी संभव होगा, वह आर्थिक मदद कराई जाएगी। मैं भी पीड़ित परिवार से मिलने मेरठ आऊंगा। जानू चौधरी ने बताया कि वह लखनऊ में हैं, उन्होंने अपने फोन से बात कराई है। रेस्क्यू ऑपरेशन के ये फोटो भी देखिए…
पंजाब में ड्रग तस्करी मामले में मजीठिया को राहत:SIT ने पूछताछ के लिए भेजे समन वापस लिए, हाईकोर्ट में दी जानकारी
पंजाब में ड्रग तस्करी मामले में मजीठिया को राहत:SIT ने पूछताछ के लिए भेजे समन वापस लिए, हाईकोर्ट में दी जानकारी करोड़ों रुपये की ड्रग तस्करी से जुड़े मामले में शिरोमणि अकाली दल (शिअद) नेता बिक्रम सिंह मजीठिया को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट से राहत मिल गई है। मामले की जांच कर रही एसआईटी ने कोर्ट में जवाब दिया है कि उन्होंने मजीठिया को पूछताछ के लिए भेजे गए समन वापस ले लिए हैं। हालांकि इससे पहले जब पिछले महीने एसआईटी ने उन्हें नोटिस भेजा था, तब उन्होंने इस मामले को लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उनकी ओर से दलील दी गई थी कि उन्हें बार-बार समन भेजकर परेशान किया जा रहा है। इसके बाद हाईकोर्ट ने उन्हें 8 जुलाई तक एसआईटी के समक्ष पेश होने की राहत दी थी। इस साल नई एसआईटी का गठन किया गया था इस साल की शुरुआत में मजीठिया मामले में नई एसआईटी का गठन किया गया था। एसआईटी की जिम्मेदारी पटियाला रेंज के डीआईजी एचएस भुल्लर को दी गई है। एडीजीपी मुखविंदर सिंह छीना के रिटायर होने के बाद सरकार ने एसआईटी का पुनर्गठन किया था। एसआईटी में डीआईजी भुल्लर के अलावा पटियाला के एसएसपी वरुण शर्मा और धुरी के एसपी योगेश शर्मा समेत कुछ अन्य अधिकारी शामिल किए गए थे। एसआईटी उनसे तीन से चार बार पूछताछ कर चुकी है। हालांकि, पहले किसान आंदोलन के चलते पूछताछ में दिक्कत आ रही थी।
साल 2021 में दर्ज हुआ था केस पुलिस ने मजीठिया के खिलाफ यह मामला 3 साल पहले कांग्रेस सरकार के समय 20 दिसंबर 2021 को दर्ज किया था। इसके बाद उन्हें जेल भी जाना पड़ा था। 5 महीने जेल में रहने के बाद मजीठिया को 10 अगस्त 2022 को जमानत मिल गई। मजीठिया ने आरोप लगाया है कि जिस मामले में वह जेल में रहे हैं, उसमें अभी तक कोई चार्जशीट दाखिल नहीं की गई है। वहीं, मामले में उनसे कोई रिकवरी भी नहीं हुई है।