मोदी सरकार मान गई अखिलेश यादव की बात? शुरू कर दी तैयारी, खोजी जा रही राह!

मोदी सरकार मान गई अखिलेश यादव की बात? शुरू कर दी तैयारी, खोजी जा रही राह!

<p style=”text-align: justify;”><strong>Caste Census:</strong> समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव समेत तमाम विपक्षी दल ने जाति जनगणना कराए जाने की मांग को जोर-शोर से उठाते रहे हैं. भले ही बीजेपी ने खुलकर इसका समर्थन नहीं किया है लेकिन वो इसके विरोध में भी नहीं रहा है और अब केंद्र की मोदी सरकार जातिवार जनगणना को लेकर मंथन में जुट गई है. सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती ये है कि जातीय जनगणना कैसे कराई जाए?</p>
<p style=”text-align: justify;”>इससे पहले 2011 में यूपी सरकार-2 में जातीय जनगणना कराई गई थी, लेकिन उस वक्त स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई थी. ऐसे में सरकार जातीय जनगणना के लिए विपक्षी दलों के साथ बातचीत कर सकती है. माना जा रहा है कि इसके लिए एक सर्वदलीय बैठक भी बुलाई जा सकती है. ताकि पूरे देश में जातियों की अलग-अलग पहचान के लिए कोई सटीक फॉर्मूला तैयार हो सकते. लेकिन अभी तक ऐसा कोई फॉर्मूला नहीं है जिससे जातियों की पहचान की साफतौर पर गणना हो सके.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>जातीय जनगणना का फॉर्मूला तय करना मुश्किल</strong><br />2011 में हुई जातीय जनगणना के दौरान लोगों की सामाजिक, आर्थिक और जातीय गणना के आकंड़े जुटाने की कोशिश की गई है. इसमें लोगों को अपनी जाति बताने का अवसर दिया गया था. इस गणना के दौरान लोगों ने अपनी-अपनी जातियां बताई उसके अनुसार 2011 में 46.80 लाख से ज्यादा जातियां थीं. ऐसे में कितनी जातियां ओबीसी है या दूसरे वर्गों में आती है उन्हें ढूंढना बेहद मुश्किल हो गया था. जिसकी वजह से इस जातीय जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए गए थे.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>पिछले कुछ समय से विपक्ष ने एक बार फिर से जातीय जनगणना के मुद्दे को धार देना शुरू कर दिया है. सपा, कांग्रेस समेत तमाम राजनीतिक दल इस मुद्दे पर एकजुट होते दिखाई दे रहे हैं. जिसके बाद सरकार इस ओर आगे कदम उठाने पर विचार कर रही है. लेकिन सबसे बड़ी दिक्कत यही है कि इसकी गणना के लिए कोई उचित फॉर्मूला तय नहीं हो पा रहा है. जातियों की पहचान अगर सरनेम के आधार पर की जाए तो इसमें भी सबसे बड़ी समस्या ये है कि कई लोगों के सरनेम भी कन्फ्यूजन बढ़ाते हैं. कुछ लोग अपने गाँव, पिता या अन्य दूसरे तरह के सरनेम रखते हैं. ऐसे में भी जाति की सही गणना कर पाना मुश्किल है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>एक विकल्प ये हैं कि लोगों को ख़ुद उनकी जाति बताने का मौका दिया. लेकिन इसके चलते बहुत बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी आ सकते हैं जो ओबीसी वर्ग को मिलने वाले लाभों का फायदा उठाने के लिए ख़ुद को ओबीसी बताने की कोशिश करें. जिससे और भी समस्याएं खड़ी हो सकती हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/shamli-police-arrest-criminals-demanding-ransom-from-businessman-daughter-marriage-ann-2865178″>बेटी की शादी कराने के लिए बाप बन गया बदमाश, व्यापारी से मांगी 50 लाख की फिरौती और कार</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Caste Census:</strong> समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव समेत तमाम विपक्षी दल ने जाति जनगणना कराए जाने की मांग को जोर-शोर से उठाते रहे हैं. भले ही बीजेपी ने खुलकर इसका समर्थन नहीं किया है लेकिन वो इसके विरोध में भी नहीं रहा है और अब केंद्र की मोदी सरकार जातिवार जनगणना को लेकर मंथन में जुट गई है. सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती ये है कि जातीय जनगणना कैसे कराई जाए?</p>
<p style=”text-align: justify;”>इससे पहले 2011 में यूपी सरकार-2 में जातीय जनगणना कराई गई थी, लेकिन उस वक्त स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई थी. ऐसे में सरकार जातीय जनगणना के लिए विपक्षी दलों के साथ बातचीत कर सकती है. माना जा रहा है कि इसके लिए एक सर्वदलीय बैठक भी बुलाई जा सकती है. ताकि पूरे देश में जातियों की अलग-अलग पहचान के लिए कोई सटीक फॉर्मूला तैयार हो सकते. लेकिन अभी तक ऐसा कोई फॉर्मूला नहीं है जिससे जातियों की पहचान की साफतौर पर गणना हो सके.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>जातीय जनगणना का फॉर्मूला तय करना मुश्किल</strong><br />2011 में हुई जातीय जनगणना के दौरान लोगों की सामाजिक, आर्थिक और जातीय गणना के आकंड़े जुटाने की कोशिश की गई है. इसमें लोगों को अपनी जाति बताने का अवसर दिया गया था. इस गणना के दौरान लोगों ने अपनी-अपनी जातियां बताई उसके अनुसार 2011 में 46.80 लाख से ज्यादा जातियां थीं. ऐसे में कितनी जातियां ओबीसी है या दूसरे वर्गों में आती है उन्हें ढूंढना बेहद मुश्किल हो गया था. जिसकी वजह से इस जातीय जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए गए थे.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>पिछले कुछ समय से विपक्ष ने एक बार फिर से जातीय जनगणना के मुद्दे को धार देना शुरू कर दिया है. सपा, कांग्रेस समेत तमाम राजनीतिक दल इस मुद्दे पर एकजुट होते दिखाई दे रहे हैं. जिसके बाद सरकार इस ओर आगे कदम उठाने पर विचार कर रही है. लेकिन सबसे बड़ी दिक्कत यही है कि इसकी गणना के लिए कोई उचित फॉर्मूला तय नहीं हो पा रहा है. जातियों की पहचान अगर सरनेम के आधार पर की जाए तो इसमें भी सबसे बड़ी समस्या ये है कि कई लोगों के सरनेम भी कन्फ्यूजन बढ़ाते हैं. कुछ लोग अपने गाँव, पिता या अन्य दूसरे तरह के सरनेम रखते हैं. ऐसे में भी जाति की सही गणना कर पाना मुश्किल है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>एक विकल्प ये हैं कि लोगों को ख़ुद उनकी जाति बताने का मौका दिया. लेकिन इसके चलते बहुत बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी आ सकते हैं जो ओबीसी वर्ग को मिलने वाले लाभों का फायदा उठाने के लिए ख़ुद को ओबीसी बताने की कोशिश करें. जिससे और भी समस्याएं खड़ी हो सकती हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/shamli-police-arrest-criminals-demanding-ransom-from-businessman-daughter-marriage-ann-2865178″>बेटी की शादी कराने के लिए बाप बन गया बदमाश, व्यापारी से मांगी 50 लाख की फिरौती और कार</a></strong></p>  उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड बेटी की शादी कराने के लिए बाप बन गया बदमाश, व्यापारी से मांगी 50 लाख की फिरौती और कार