<p style=”text-align: justify;”>राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) नेता और महाराष्ट्र के मंत्री माणिकराव कोकाटे ने मंगलवार को कहा कि अगर किसी बाहरी व्यक्ति को ऐसे जिले का प्रभारी मंत्री बनाया जाता है, जिसका विकास उनके द्वारा नहीं किया गया है, तो ऐसी व्यवस्था स्थानीय मुद्दों के समाधान में बाधा उत्पन्न करती है. उपमुख्यमंत्री अजित पवार के करीबी माने जाने वाले कोकाटे की यह टिप्पणी महायुति के सहयोगी दलों शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच नासिक जिले के प्रभारी मंत्री पद को लेकर जारी खींचतान के बीच आई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के विरोध के कारण मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को बीजेपी नेता गिरीश महाजन और एनसीपी विधायक अदिति तटकरे को क्रमश: नासिक और रायगढ़ जिलों के प्रभारी मंत्री के रूप में नियुक्ति पर रोक लगानी पड़ी. शिवसेना नेताओं भरत गोगावले और दादा भुसे क्रमशः रायगढ़ और नासिक जिलों के प्रभारी मंत्री का पद कथित तौर पर संभालने के इच्छुक हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>शिवसेना के मंत्रियों की ओर से प्रभारी मंत्री की जिम्मेदारियों के वितरण पर अपनी निराशा व्यक्त किए जाने के बारे में पूछे जाने पर कोकाटे ने कहा, ‘‘जिला प्रभारी मंत्री पद आवंटित करना मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है. हालांकि, जब किसी मंत्री को अपने जिले में प्रभारी मंत्री का पद मिलता है, तो पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों के लिए अपना काम करवाना आसान हो जाता है.’’</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने कहा, ‘‘एक बाहरी व्यक्ति को प्रभारी मंत्री के रूप में रखने से स्थानीय मुद्दों के समाधान और उचित संचार बनाए रखने में बाधा उत्पन्न होती है.’’ कोकाटे नासिक जिले के सिन्नर से आते हैं, जबकि महाजन पड़ोसी जलगांव जिले से विधायक हैं. नासिक जिले के लिए प्रभारी मंत्री का पद महायुति सहयोगियों के बीच एक विवाद का विषय बन गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>सूत्रों ने कहा कि फडणवीस की ओर से अपने करीबी गिरीश महाजन को नासिक का प्रभारी मंत्री नियुक्त करने का निर्णय शिवसेना और एनसीपी को पसंद नहीं आया क्योंकि दोनों पार्टियों के पास इस उत्तरी महाराष्ट्र जिले में बीजेपी की तुलना में अधिक विधायक हैं, जो 2027 में कुंभ मेले की मेजबानी करेगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>नासिक-त्र्यंबकेश्वर में आयोजित होने वाले आगामी सिंहस्थ कुंभ मेले पर टिप्पणी करते हुए कोकाटे ने सवाल किया, ‘‘सिंहस्थ कुंभ मेले जैसे आयोजनों के दौरान मंत्रियों की क्या भूमिका होती है? अधिकांश काम तो अधिकारी ही करते हैं.’’ जिला प्रभारी मंत्री विशेष क्षेत्र में निधियों के वितरण और विभिन्न सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन की देखरेख करते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इस बीच, सूत्रों ने संकेत दिया कि बीजेपी नासिक के प्रभारी मंत्री का पद को बरकरार रखने पर अड़ी हुई है और बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं के बीच इस बारे में चर्चा हो रही है. सूत्रों ने बताया कि दावोस से लौटने के बाद फडणवीस व्यक्तिगत रूप से उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजित पवार से इस मामले पर चर्चा कर सकते हैं. शिंदे ने इस बात से इनकार किया कि वे जिला प्रभारी मंत्री पदों के वितरण से नाराज हैं. उन्होंने कहा कि कई वर्षों से चुनाव जीतने वाले व्यक्ति को जिला संरक्षक मंत्री पद के लिए दावा करने का अधिकार है.</p> <p style=”text-align: justify;”>राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) नेता और महाराष्ट्र के मंत्री माणिकराव कोकाटे ने मंगलवार को कहा कि अगर किसी बाहरी व्यक्ति को ऐसे जिले का प्रभारी मंत्री बनाया जाता है, जिसका विकास उनके द्वारा नहीं किया गया है, तो ऐसी व्यवस्था स्थानीय मुद्दों के समाधान में बाधा उत्पन्न करती है. उपमुख्यमंत्री अजित पवार के करीबी माने जाने वाले कोकाटे की यह टिप्पणी महायुति के सहयोगी दलों शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच नासिक जिले के प्रभारी मंत्री पद को लेकर जारी खींचतान के बीच आई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के विरोध के कारण मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को बीजेपी नेता गिरीश महाजन और एनसीपी विधायक अदिति तटकरे को क्रमश: नासिक और रायगढ़ जिलों के प्रभारी मंत्री के रूप में नियुक्ति पर रोक लगानी पड़ी. शिवसेना नेताओं भरत गोगावले और दादा भुसे क्रमशः रायगढ़ और नासिक जिलों के प्रभारी मंत्री का पद कथित तौर पर संभालने के इच्छुक हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>शिवसेना के मंत्रियों की ओर से प्रभारी मंत्री की जिम्मेदारियों के वितरण पर अपनी निराशा व्यक्त किए जाने के बारे में पूछे जाने पर कोकाटे ने कहा, ‘‘जिला प्रभारी मंत्री पद आवंटित करना मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है. हालांकि, जब किसी मंत्री को अपने जिले में प्रभारी मंत्री का पद मिलता है, तो पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों के लिए अपना काम करवाना आसान हो जाता है.’’</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने कहा, ‘‘एक बाहरी व्यक्ति को प्रभारी मंत्री के रूप में रखने से स्थानीय मुद्दों के समाधान और उचित संचार बनाए रखने में बाधा उत्पन्न होती है.’’ कोकाटे नासिक जिले के सिन्नर से आते हैं, जबकि महाजन पड़ोसी जलगांव जिले से विधायक हैं. नासिक जिले के लिए प्रभारी मंत्री का पद महायुति सहयोगियों के बीच एक विवाद का विषय बन गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>सूत्रों ने कहा कि फडणवीस की ओर से अपने करीबी गिरीश महाजन को नासिक का प्रभारी मंत्री नियुक्त करने का निर्णय शिवसेना और एनसीपी को पसंद नहीं आया क्योंकि दोनों पार्टियों के पास इस उत्तरी महाराष्ट्र जिले में बीजेपी की तुलना में अधिक विधायक हैं, जो 2027 में कुंभ मेले की मेजबानी करेगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>नासिक-त्र्यंबकेश्वर में आयोजित होने वाले आगामी सिंहस्थ कुंभ मेले पर टिप्पणी करते हुए कोकाटे ने सवाल किया, ‘‘सिंहस्थ कुंभ मेले जैसे आयोजनों के दौरान मंत्रियों की क्या भूमिका होती है? अधिकांश काम तो अधिकारी ही करते हैं.’’ जिला प्रभारी मंत्री विशेष क्षेत्र में निधियों के वितरण और विभिन्न सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन की देखरेख करते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इस बीच, सूत्रों ने संकेत दिया कि बीजेपी नासिक के प्रभारी मंत्री का पद को बरकरार रखने पर अड़ी हुई है और बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं के बीच इस बारे में चर्चा हो रही है. सूत्रों ने बताया कि दावोस से लौटने के बाद फडणवीस व्यक्तिगत रूप से उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजित पवार से इस मामले पर चर्चा कर सकते हैं. शिंदे ने इस बात से इनकार किया कि वे जिला प्रभारी मंत्री पदों के वितरण से नाराज हैं. उन्होंने कहा कि कई वर्षों से चुनाव जीतने वाले व्यक्ति को जिला संरक्षक मंत्री पद के लिए दावा करने का अधिकार है.</p> महाराष्ट्र डॉ. मनमोहन सिंह के नाम से जाना जाएगा हिमाचल का यह ऐतिहासिक संस्थान, सुक्खू सरकार ने जारी की अधिसूचना