पंजाब में श्री अकाल तख्त साहिब से 2 दिसंबर को दिए गए आदेशों की पूर्ण पालना ना होने और श्री दमदमा साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह के विवादों को लेकर पांचों तख्तों के जत्थेदारों की बैठक 28 जनवरी को बुलाई गई है। श्री अकाल तख्त साहिब के आदेशों को ना मानकर शिरोमणि अकाली दल एक बार फिर फंसता दिख रहा है। वहीं, ज्ञानी हरप्रीत सिंह और पूर्व अकाली नेता विरसा सिंह वल्टोहा के बीच विवाद गर्माता जा रहा है। दरअसल, अकाल तख्त साहिब से स्पष्ट आदेश था कि इन अपराधों के कारण शिरोमणि अकाली दल का नेतृत्व सिख पंथ का राजनीतिक नेतृत्व करने का नैतिक अधिकार खो चुका है। इस मामले में अकाली दल की नई भर्ती के लिए 7 सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया। लेकिन, नई भर्ती प्रक्रिया में फिलहाल वर्किंग कमेटी और सिंह साहिबान द्वारा गठित 7 मेंबरी कमेटी का पेंच फंस गया है। वर्किंग कमेटी ने अपने स्तर पर भर्ती शुरू की 20 जनवरी से अकाल दल ने नई भर्ती को शुरू कर दिया, लेकिन फैसलों में श्री अकाल तख्त साहिब की ओर से गठित 7 सदस्यीय कमेटी को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया। अकाली दल ने अपनी मर्जी से चहेतों को कार्यभार सौंप दिया है। अकाल तख्त साहिब के आदेशों पर न तो सात सदस्यों वाली कमेटी की कोई बैठक आयोजित की गई और ना ही भर्ती को लेकर कमेटी सदस्यों से विचार हुआ। श्री अकाल तख्त ने अपनाया कड़ा रुख जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह कह चुके हैं कि अकाली दल के कुछ नेता वकीलों के सुझाव लेकर आए थे। चुनाव आयोग की वेबसाइट से पार्टी के पंजीकरण के बारे में जो जानकारी है, वह भी दी गई है। लेकिन, कमेटी रद्द करने संबंधी कोई आदेश नहीं दिया गया है। दो दिसंबर के अकाल तख्त के आदेशानुसार सात सदस्यीय कमेटी के संबंध में अकाली दल को कह दिया गया है कि जो काम उनको सौंप गया है। उसे मुकम्मल किया जाए। वडाला उठा चुके अकाली दल पर सवाल कमेटी कन्वीनर गुरप्रताप सिंह वडाला और सदस्य जत्थेदार संता सिंह उम्मेदपुरा भी बीते दिनों श्री अकाल तख्त साहिब पर पहुंचे थे। उम्मेदपुरा ने बताया कि सिंह साहिब ने मुलाकात में साफ कहा है कि श्री अकाल तख्त साहिब की फसील से ऐलान की गई 7 मेंबरी कमेटी काम करेगी, वर्किंग कमेटी नहीं। उक्त के मुताबिक जत्थेदार ने यह भी कहा है कि वह लोग इस सिलसिले में एसजीपीसी प्रमुख से मिल कर कार्रवाई शुरू करें। वडाला ने कहा कि सुखबीर समर्थकों ने जो भी पेचीदगियां सिंह साहिब से बताई थीं वह सारा झूठ है, क्योंकि तख्त श्री के आदेश पर कोई भी कानून लागू नहीं होता। कमेटी के सदस्यों को वर्किंग कमेटी ने सौंपी जिम्मेदारियां ज्ञानी रघीबर सिंह ने एसजीपीस प्रधान एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी को 7 मेंबरी कमेटी का मुखी बनाया था। लेकिन वर्किंग कमेटी की भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही उनको भर्ती के लिए जम्मू-कशमीर और होशियारपुर का इंचार्ज बना दिया गया। इसके अलावा कमेटी के सदस्य पूर्व प्रधान किरपाल सिंह बंडूगर को मालवा, मनप्रीत सिंह अयाली को राजस्थान, संता सिंह उम्मेदपुरा को हिमाचल प्रदेश, इकबाल सिंह झूंडा को मालेरकोटला, परमजीत सिंह सरना को दिल्ली, मनजीत सिंह जीके को उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड, रघुजीत सिंह विर्क को हरियाणा का चार्ज दिया गया है। ज्ञानी हरप्रीत सिंह के दो क्लिप हुए वायरल अक्टूबर 2024 में हुई पेशी के दो वीडियो वायरल होने के बाद तख्त दमदमा साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह और विरसा सिंह वल्टोहा में विवाद गहराता जा रहा है। पहला वीडियो क्लिप 17 दिसंबर 2024 को एक वीडियो क्लिप वायरल हुआ था। जिसमें ज्ञानी हरप्रीत सिंह पर बीजेपी से संबंधों के आरोप लगे थे। दूसरा वीडियो 22 जनवरी 2025 को वायरल हुआ। जिसमें ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने स्वीकार किया कि उनके भाजपा और उसके राजनीतिक नेताओं से संबंध हैं। पंजाब में श्री अकाल तख्त साहिब से 2 दिसंबर को दिए गए आदेशों की पूर्ण पालना ना होने और श्री दमदमा साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह के विवादों को लेकर पांचों तख्तों के जत्थेदारों की बैठक 28 जनवरी को बुलाई गई है। श्री अकाल तख्त साहिब के आदेशों को ना मानकर शिरोमणि अकाली दल एक बार फिर फंसता दिख रहा है। वहीं, ज्ञानी हरप्रीत सिंह और पूर्व अकाली नेता विरसा सिंह वल्टोहा के बीच विवाद गर्माता जा रहा है। दरअसल, अकाल तख्त साहिब से स्पष्ट आदेश था कि इन अपराधों के कारण शिरोमणि अकाली दल का नेतृत्व सिख पंथ का राजनीतिक नेतृत्व करने का नैतिक अधिकार खो चुका है। इस मामले में अकाली दल की नई भर्ती के लिए 7 सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया। लेकिन, नई भर्ती प्रक्रिया में फिलहाल वर्किंग कमेटी और सिंह साहिबान द्वारा गठित 7 मेंबरी कमेटी का पेंच फंस गया है। वर्किंग कमेटी ने अपने स्तर पर भर्ती शुरू की 20 जनवरी से अकाल दल ने नई भर्ती को शुरू कर दिया, लेकिन फैसलों में श्री अकाल तख्त साहिब की ओर से गठित 7 सदस्यीय कमेटी को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया। अकाली दल ने अपनी मर्जी से चहेतों को कार्यभार सौंप दिया है। अकाल तख्त साहिब के आदेशों पर न तो सात सदस्यों वाली कमेटी की कोई बैठक आयोजित की गई और ना ही भर्ती को लेकर कमेटी सदस्यों से विचार हुआ। श्री अकाल तख्त ने अपनाया कड़ा रुख जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह कह चुके हैं कि अकाली दल के कुछ नेता वकीलों के सुझाव लेकर आए थे। चुनाव आयोग की वेबसाइट से पार्टी के पंजीकरण के बारे में जो जानकारी है, वह भी दी गई है। लेकिन, कमेटी रद्द करने संबंधी कोई आदेश नहीं दिया गया है। दो दिसंबर के अकाल तख्त के आदेशानुसार सात सदस्यीय कमेटी के संबंध में अकाली दल को कह दिया गया है कि जो काम उनको सौंप गया है। उसे मुकम्मल किया जाए। वडाला उठा चुके अकाली दल पर सवाल कमेटी कन्वीनर गुरप्रताप सिंह वडाला और सदस्य जत्थेदार संता सिंह उम्मेदपुरा भी बीते दिनों श्री अकाल तख्त साहिब पर पहुंचे थे। उम्मेदपुरा ने बताया कि सिंह साहिब ने मुलाकात में साफ कहा है कि श्री अकाल तख्त साहिब की फसील से ऐलान की गई 7 मेंबरी कमेटी काम करेगी, वर्किंग कमेटी नहीं। उक्त के मुताबिक जत्थेदार ने यह भी कहा है कि वह लोग इस सिलसिले में एसजीपीसी प्रमुख से मिल कर कार्रवाई शुरू करें। वडाला ने कहा कि सुखबीर समर्थकों ने जो भी पेचीदगियां सिंह साहिब से बताई थीं वह सारा झूठ है, क्योंकि तख्त श्री के आदेश पर कोई भी कानून लागू नहीं होता। कमेटी के सदस्यों को वर्किंग कमेटी ने सौंपी जिम्मेदारियां ज्ञानी रघीबर सिंह ने एसजीपीस प्रधान एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी को 7 मेंबरी कमेटी का मुखी बनाया था। लेकिन वर्किंग कमेटी की भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही उनको भर्ती के लिए जम्मू-कशमीर और होशियारपुर का इंचार्ज बना दिया गया। इसके अलावा कमेटी के सदस्य पूर्व प्रधान किरपाल सिंह बंडूगर को मालवा, मनप्रीत सिंह अयाली को राजस्थान, संता सिंह उम्मेदपुरा को हिमाचल प्रदेश, इकबाल सिंह झूंडा को मालेरकोटला, परमजीत सिंह सरना को दिल्ली, मनजीत सिंह जीके को उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड, रघुजीत सिंह विर्क को हरियाणा का चार्ज दिया गया है। ज्ञानी हरप्रीत सिंह के दो क्लिप हुए वायरल अक्टूबर 2024 में हुई पेशी के दो वीडियो वायरल होने के बाद तख्त दमदमा साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह और विरसा सिंह वल्टोहा में विवाद गहराता जा रहा है। पहला वीडियो क्लिप 17 दिसंबर 2024 को एक वीडियो क्लिप वायरल हुआ था। जिसमें ज्ञानी हरप्रीत सिंह पर बीजेपी से संबंधों के आरोप लगे थे। दूसरा वीडियो 22 जनवरी 2025 को वायरल हुआ। जिसमें ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने स्वीकार किया कि उनके भाजपा और उसके राजनीतिक नेताओं से संबंध हैं। पंजाब | दैनिक भास्कर
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पंजाब के पूर्व CM का हत्यारा जेल से बाहर आया:पटियाला जेल से निकला काफिला, लुधियाना में भाई के भोग में शामिल होगा पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह का हत्यारा बलवंत सिंह राजोआना आज (20 नवंबर) जेल से बाहर आ गया है। वह लुधियाना के राजोआना कलां गांव में मंजी साहिब गुरुद्वारे में अपने भाई के भोग कार्यक्रम में शामिल होगा। पटियाला जेल से उसका काफिला लुधियाना के लिए रवाना हो चुका है। कुलवंत सिंह की 14 नवंबर को मौत हो गई थी। राजोआना ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने भोग में शामिल होने के लिए पैरोल मांगी थी। कोर्ट ने एक दिन पहले मंगलवार को याचिका पर सुनवाई करते हुए बलवंत सिंह राजोआना को सुबह 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक की पैरोल दे दी। ये दूसरा मौका है, जब राजोआना जेल से बाहर है। इससे पहले जनवरी 2022 में हाईकोर्ट ने उसे पिता की मौत के बाद भोग और अंतिम अरदास में शामिल होने की इजाजत दी थी। 31 अगस्त 1995 को हुई थी हत्या बेअंत सिंह का कत्ल 31 अगस्त 1995 को किया गया था। बलवंत सिंह राजोआना के बयान के अनुसार, उसने और पंजाब पुलिस के मुलाजिम दिलावर सिंह ने बेअंत सिंह को मानव बम से उड़ा दिया था। बेअंत सिंह के अलावा 16 और लोगों की भी मौत हुई थी। दिलावर सिंह ने मानव बम बनकर बेअंत सिंह पर हमला किया। साजिश इस तरह रची गई कि अगर दिलावर फेल हो जाता तो राजोआना की तरफ से हमला किया जाना था। कोर्ट ने राजोआना को फांसी की सजा सुनाई थी। साल 2012 में केंद्र सरकार ने उसकी फांसी की सजा पर रोक लगा दी थी। राजोआना के साथी जगतार सिंह हवारा को भी मौत की सजा सुनाई गई थी, लेकिन बाद में हवारा की सजा को उम्रकैद में बदल दिया गया। दया याचिका 12 साल से पेंडिंग राजोआना की दया याचिका पिछले 12 वर्षों से पेंडिंग है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार से जवाब मांगा है, लेकिन कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। अदालत ने हाल ही में कहा कि इस मामले का निर्णय लेना कार्यपालिका का अधिकार है, और इसमें न्यायपालिका हस्तक्षेप नहीं कर सकती। बलवंत सिंह के वकीलों ने उनकी सजा को उम्रकैद में बदलने के लिए अपील की है। उनका कहना है कि इतने लंबे समय तक मौत की सजा का इंतजार करना मानसिक यातना के समान है। उनकी पैरोल भी इसी संदर्भ में भावनात्मक रूप से महत्वपूर्ण है। राष्ट्रपति के पास सुप्रीम कोर्ट ने भेजा मामला 2 दिन पहले ही बलवंत सिंह राजोआना की दया याचिका सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति के पास भेजी है। कोर्ट ने राष्ट्रपति के सचिव को आदेश दिया है कि इसे राष्ट्रपति के सामने रखें। साथ ही उनसे अनुरोध करें कि 2 हफ्ते में इस पर फैसला ले लें।
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2018 के चुनाव में 63 सीटों को जीत कर दबदबा रखने वाली कांग्रेस 30 सीटों पर सिमट गई, जबकि भाजपा ने 19 सीटें जीतीं। शिरोमणि अकाली दल को सिर्फ दो सीटें मिलीं और तीन निर्दलीय भी विजयी हुए।
इसके विपरीत, 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने 95 वार्डों में से 63 पर कब्जा किया था, जिसमें शिरोमणि अकाली दल ने 11, भाजपा ने 10, लोक इंसाफ पार्टी ने 7, आप ने सिर्फ 1 पर कब्जा किया और चार निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की। आप विधायकों को लोगों ने दिया बड़ा झटका
चुनाव नतीजों ने आप के विधायकों को बड़ा झटका दिया, जिसमें दो मौजूदा विधायकों की पत्नियां हार गईं। विधायक गुरप्रीत बस्सी गोगी की पत्नी सुखचैन कौर बस्सी वार्ड नंबर 61 में कांग्रेस उम्मीदवार परमिंदर कौर इंदी से हार गईं। इसी तरह, विधायक अशोक पराशर पप्पी की पत्नी मीनू पाराशर वार्ड नंबर 77 से हार गईं, जहां भाजपा उम्मीदवार पूनम रात्रा विजयी रहीं। कांग्रेस को भी झटका लगा, क्योंकि पूर्व कैबिनेट मंत्री भारत भूषण आशु की पत्नी ममता आशु वार्ड नंबर 60 से हार गईं। हालांकि, आप ने प्रमुख परिवारों के बीच कुछ जीत देखी, क्योंकि विधायक अशोक पराशर के भाई राकेश पाराशर ने वार्ड नंबर 90 में जीत हासिल की, और विधायक मदन लाल बग्गा के बेटे अमन बग्गा ने वार्ड नंबर 94 में जीत हासिल की। विधायक कुलवंत सिंह सिद्धू का बेटा युवराज सिद्धू अपने वार्ड से जीत गए। कम मतदान ने डाला नतीजों पर असर
कम मतदान ने चुनावी नतीजों पर काफी असर डाला। चुनावों में मतदाता मतदान में गिरावट देखी गई, जिसमें केवल 46.95% मतदाताओं ने अपने वोट डाले, जबकि 2018 के चुनावों में 59.08% मतदाताओं ने अपने वोट डाले थे। मतदाता जनसांख्यिक में 11.65 लाख पात्र मतदाता शामिल थे – 6.24 लाख पुरुष, 5.40 लाख महिलाएँ और 103 थर्ड-जेंडर मतदाता। पुरुषों में मतदान 48.37%, महिलाओं में 45.34% रहा, जबकि थर्ड-जेंडर श्रेणी में मात्र 15.53% भागीदारी दर्ज की गई।
तरनतारन में फर्जी शस्त्र लाइसेंस बनाने का भंडाफोड़:डीसी आफिस से जुडे़ हैं तार, 3 आरोपी गिरफ्तार; सेवा केंद्र का मैनेजर फरार
तरनतारन में फर्जी शस्त्र लाइसेंस बनाने का भंडाफोड़:डीसी आफिस से जुडे़ हैं तार, 3 आरोपी गिरफ्तार; सेवा केंद्र का मैनेजर फरार तरनतारन के सेवा केंद्र का डिस्ट्रिक मैनेजर सूरज भंडारी, डीसी आफिस के कुछ अधिकारियों के साथ मिलकर हथियारों के फर्जी लाइसेंस का बड़ा नेटवर्क चला रहा था। तरनतारन पुलिस ने इस नेटवर्क का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने सूरज के तीन गुर्गों को गिरफ्तार कर उनके ठिकाने से 24 फर्जी असलाह लाइसेंस, तीन मोबाइल असला लाइसेंस की खाली कॉपियां और सरकारी स्टीकर बरामद किए हैं। इस नेटवर्क का मास्टरमाइंड सूरज भंडारी अपने साथी राघव के साथ फरार बताया जा रहा है। उक्त आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद डीसी ऑफिस में हड़कंप मच गया है। कई छुट्टी पर चले गए हैं। एसएसपी अश्विनी कपूर ने बताया कि इस नेटवर्क का पर्दाफाश करने में उनकी टीम को 2 महीने का वक्त लगा है। गिरफ्तार आरोपियों की पहचान पवनदीप सिंह उर्फ मंत्री निवासी गांव मल्लियां, शमशेर सिंह निवासी झंडेर और गुरमीत सिंह निवासी फैलोकें के रूप में हुई है, जबकि नेटवर्क का मास्टरमाइंड और सेवा केंद्र का जिला प्रबंधक सूरज भंडारी निवासी गांव कीड़ी शाह और राघव कपूर निवासी जसपाल नगर अमृतसर फरार हैं। नहीं होता था किसी को शक हैरानी की बात तो यह है कि उनके इस फर्जी लाइसेंस पर किसी को शक नहीं होता था और यहां तक कि गन हाउस से भी इस लाइसेंस के आधार पर गन हाउस मालिक लाइसेंस धारक को हथियार बेच देते थे। माना जा रहा है कि उक्त आरोपी अब तक 500 के लगभग फर्जी लाइसेंस बना चुके हैं जिन पर लाइसेंस धारक हथियार भी गन हाउस से खरीद चुके हैं। इसका पता लगने पर एसपी अश्विनी कपूर ने उन लोगों से अपील की है कि वह अपने लाइसेंस पुलिस को जमा करवरकर हथियार भी वापस कर दें, नहीं तो उन पर भी गाज गिर सकती है। एक लाइसेंस बनाने के उक्त आरोपी डेढ से दो लाख रुपए तक लेते थे। जिसमे से एक लाख रुपए सूरज भंडारी लेता था और बाकी आपस में बांट लिए जाते थे। गठित की गई थी टीम एसएसपी अश्वनी कपूर ने बताया कि लोकसभा चुनाव के दौरान उनके ध्यान में आया था कि जिले में डीसी आफिस से जुड़े कुछ लोग फर्जी लाइसेंस बनाने का कारोबार कर रहे हैं और उसी दिन से उन्होंने एक टीम गठित करके इस नेटवर्क को तोड़ने की कोशिश शुरू कर दी थी और जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ी तो उक्त आरोपियों के नाम सामने आने शुरू हो गए। इसी दौरान पवनदीप सिंह उर्फ मंत्री शमशेर सिंह और गुरमीत सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया और उनके ठिकाने से फर्जी लाइसेंस भी बरामद हुए। जिससे हुई पूछताछ के बाद कई और नाम भी सामने आए हैं। एसएसपी अश्विनी कपूर ने बताया कि सूरज भंडारी डीसी ऑफिस के कुछ कर्मचारियों के साथ मिलकर उक्त नेटवर्क चला रहा था। फिलहाल सूरज भंडारी फरार है। जिसकी गिरफ्तारी के बाद कई और चेहरों के साथ-साथ इस नेटवर्क से जुड़े कई और राज सामने आएंगे।