शंभू और खनौरी बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित हाई पावर कमेटी की तीन जनवरी को होने वाली मीटिंग में संयुक्त किसान मोर्चे (SKM) के नेता शामिल नहीं होंगे। उनकी तरफ से शंभू और खनौरी मोर्चे में कोई भूमिका न होने के चलते यह फैसला लिया गया है। हालांकि पहले दावा किया गया था कि संयुक्त किसान मोर्चे के नेता मीटिंग में शामिल होंगे। मीडिया से बातचीत हरिंदर सिंह लखोवाल ने बताया कि जो पत्र आया है, उसमें रास्तों को खोलने के बारे में किसानों को मनाने जैसे मुद्दे हैं। जबकि यह बात भी गलत है, कि रास्ते किसानों ने रोक रखे हैं, रास्ते तो सरकार ने बंद कर रखे हैं। जबकि किसानों की मांगों को लेकर कोई जिक्र नहीं है। ऐसे में हमने मीटिंग में नहीं जाने का फैसला लिया है। किसानों के इस फैसले पर उठ रहे थे सवाल करीब 4 दिन पहले यह बात सामने आई थी कि हाई पावर कमेटी ने पंचकूला के रेस्ट हाउस में तीन जनवरी मीटिंग बुलाई है। जैसे यह न्योता आया था, उसके बाद संयुक्त किसान मोर्चे के नेताओं का बयान आया था कि वह इस मीटिंग में शामिल होंगे। साथ ही किसानों से जुड़े सारे तथ्य कमेटी के सामने रखे जाएंगे। हालांकि सूत्रों की माने तो इस मामले को लेकर सोशल मीडिया में चर्चा शुरू हाे गई थी कि यह एसकेएम आंदोलन में शामिल नहीं है। ऐसे में मीटिंग में क्यों जा रहा है। जबकि एसकेएम के नेता भी इस चीज से सहमत नहीं थे। ऐसे में किसान नेताओं ने पीछे हटने का फैसला लिया है। दूसरी तरफ भाजपा नेता हरजीत सिंह ग्रेवाल ने कहा था सुप्रीम कोर्ट की कमेटी के सामने पेश होना चाहिए। यह कमेटी अहम है। दूसरी तरफ एसकेएम गैर राजनीतिक पहले साफ कर चुके है कि मीटिंग में शामिल नहीं होंगे। कमेटी सुप्रीम कोर्ट में सौंप चुकी है अंतरिम रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट की तरफ से यह कमेटी पूर्व न्यायाधीश नवाब सिंह की अगुआई में गठित की गई है। कमेटी की तरफ से सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में अंतरिम रिपोर्ट सौंपी थी। जिसमें उन्होंने कहा था कि आंदोलन करने वाले किसान बातचीत के लिए नहीं आ रहे हैं। किसानों से उनकी सुविधा के अनुसार तारीख और समय भी मांगा गया था। लेकिन उनकी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने हाई पावर कमेटी के प्रयास को सराहा था। शंभू और खनौरी बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित हाई पावर कमेटी की तीन जनवरी को होने वाली मीटिंग में संयुक्त किसान मोर्चे (SKM) के नेता शामिल नहीं होंगे। उनकी तरफ से शंभू और खनौरी मोर्चे में कोई भूमिका न होने के चलते यह फैसला लिया गया है। हालांकि पहले दावा किया गया था कि संयुक्त किसान मोर्चे के नेता मीटिंग में शामिल होंगे। मीडिया से बातचीत हरिंदर सिंह लखोवाल ने बताया कि जो पत्र आया है, उसमें रास्तों को खोलने के बारे में किसानों को मनाने जैसे मुद्दे हैं। जबकि यह बात भी गलत है, कि रास्ते किसानों ने रोक रखे हैं, रास्ते तो सरकार ने बंद कर रखे हैं। जबकि किसानों की मांगों को लेकर कोई जिक्र नहीं है। ऐसे में हमने मीटिंग में नहीं जाने का फैसला लिया है। किसानों के इस फैसले पर उठ रहे थे सवाल करीब 4 दिन पहले यह बात सामने आई थी कि हाई पावर कमेटी ने पंचकूला के रेस्ट हाउस में तीन जनवरी मीटिंग बुलाई है। जैसे यह न्योता आया था, उसके बाद संयुक्त किसान मोर्चे के नेताओं का बयान आया था कि वह इस मीटिंग में शामिल होंगे। साथ ही किसानों से जुड़े सारे तथ्य कमेटी के सामने रखे जाएंगे। हालांकि सूत्रों की माने तो इस मामले को लेकर सोशल मीडिया में चर्चा शुरू हाे गई थी कि यह एसकेएम आंदोलन में शामिल नहीं है। ऐसे में मीटिंग में क्यों जा रहा है। जबकि एसकेएम के नेता भी इस चीज से सहमत नहीं थे। ऐसे में किसान नेताओं ने पीछे हटने का फैसला लिया है। दूसरी तरफ भाजपा नेता हरजीत सिंह ग्रेवाल ने कहा था सुप्रीम कोर्ट की कमेटी के सामने पेश होना चाहिए। यह कमेटी अहम है। दूसरी तरफ एसकेएम गैर राजनीतिक पहले साफ कर चुके है कि मीटिंग में शामिल नहीं होंगे। कमेटी सुप्रीम कोर्ट में सौंप चुकी है अंतरिम रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट की तरफ से यह कमेटी पूर्व न्यायाधीश नवाब सिंह की अगुआई में गठित की गई है। कमेटी की तरफ से सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में अंतरिम रिपोर्ट सौंपी थी। जिसमें उन्होंने कहा था कि आंदोलन करने वाले किसान बातचीत के लिए नहीं आ रहे हैं। किसानों से उनकी सुविधा के अनुसार तारीख और समय भी मांगा गया था। लेकिन उनकी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने हाई पावर कमेटी के प्रयास को सराहा था। पंजाब | दैनिक भास्कर
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