हरियाणा में गर्भवती महिलाओं का 3 महीने में होगा रजिस्ट्रेशन:गिरते लिंगानुपात को लेकर फैसला; 2024 में 910 रहा, 9 साल में सबसे बड़ी गिरावट

हरियाणा में गर्भवती महिलाओं का 3 महीने में होगा रजिस्ट्रेशन:गिरते लिंगानुपात को लेकर फैसला; 2024 में 910 रहा, 9 साल में सबसे बड़ी गिरावट

हरियाणा में लिंगानुपात (SRB) में लगातार गिरावट दर्ज किए जाने के बाद सरकार अलर्ट हो गई है। सरकार की ओर से ऑर्डर दिए गए हैं कि अब प्रदेश में गर्भवती महिला का गर्भाधान के तीसरे महीने रजिस्ट्रेशन किया जाएगा। इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग की ओर से नोटिस जारी कर चेतावनी भी दी गई है कि यदि उनके क्षेत्रों में रजिस्ट्रेशन की दर कम पाई गई तो जिम्मेदार अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा। आमतौर पर ये कवायद ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राउंड लेवल के हेल्थ कर्मचारियों द्वारा की जाती है, ताकि जिन महिलाओं को चिकित्सकीय सुविधाएं नहीं मिल पाती है, उन्हें प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत लाभ दिया जा सके, लेकिन हरियाणा सरकार जन्म के समय लिंगानुपात में सुधार के लिए पूरे राज्य में इस प्रक्रिया को बढ़ाने की कोशिश कर रही है। हरियाणा की स्वास्थ्य मंत्री आरती राव पहले ही गिरते हुए लिंगानुपात के आंकड़ों को लेकर वेरिफिकेशन किए जाने का ऑर्डर दे चुकी हैं। कन्या भ्रूण हत्या पर लगेगा अंकुश सरकारी आंकड़ों से पता चला है कि हरियाणा का एसआरबी 2023 में 916 से घटकर 2024 में 910 रिकॉर्ड किया गया। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि यह निर्देश इसलिए जारी किया गया क्योंकि कई गर्भवती महिलाएं गर्भावस्था के बाद के चरणों में सरकार के पास पंजीकरण कराती हैं। इससे भ्रूण को एनीमिया और कम वजन जैसी समस्याओं से बचाने के लिए चिकित्सा उपचार उपलब्ध कराने में देरी होती है। इसके अलावा, जन्म पूर्व लिंग निर्धारण और कन्या भ्रूण हत्या पर अंकुश लगाने के लिए शीघ्र पंजीकरण को एक महत्वपूर्ण रणनीति माना जाता है। इन तीन की जिम्मेदारी तय की गई हरियाणा के सामान्य स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक मनीष बंसल द्वारा जारी आदेश में कहा गया है, यह संज्ञान में आया है कि एएनसी (प्रसव पूर्व देखभाल) पंजीकरण, जो पहली तिमाही में 100% होना चाहिए, जिलों में 50-80% तक है। पहली तिमाही में 100% पंजीकरण सुनिश्चित करने का निर्देश उनके द्वारा दिए गए हैं। आदेश में कहा गया है, “स्वास्थ्य कर्मचारी जिनका प्रसव पूर्व तिमाही में एएनसी का पंजीकरण कम है (चिकित्सा अधिकारी, एमपीएचडब्ल्यू, आशा कार्यकर्ता) उन्हें काम न करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया जा सकता है। प्रसव पूर्व पंजीकरण के बिना जांच करने वाले किसी भी अल्ट्रासाउंड केंद्र को निर्देशों का पालन न करने के लिए नोटिस जारी किया जाएगा। तीन महीने के दौरान ही होती है भ्रूण हत्या स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने कहा कि शिशुओं का स्वस्थ जन्म सुनिश्चित करने तथा कन्या भ्रूण हत्या पर अंकुश लगाने के लिए शीघ्र पंजीकरण महत्वपूर्ण है। डॉक्टर ने कहा, अधिकांश गर्भपात इसी अवधि के दौरान होते हैं, जो अक्सर प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण परीक्षणों के बाद होते हैं। गर्भवती महिलाओं की निगरानी और लिंग अनुपात में सुधार के लिए प्रारंभिक पंजीकरण महत्वपूर्ण है। हरियाणा लिंगानुपात के ये हैं आंकड़े हरियाणा में 2024 में 1,000 लड़कों पर 910 लड़कियों का लिंगानुपात दर्ज किया गया, जो 2016 में (900) के बाद सबसे कम है। इसकी तुलना में 2023 में लिंगानुपात 916 और 2015 में 876 था। लास्ट डेटा से पता चलता है कि 2024 में राज्य में 516,402 बच्चे पैदा हुए, जिनमें 270,354 लड़के (52.35%) और 246,048 लड़कियां (47.64%)। इसका मतलब है कि लड़कों की तुलना में लड़कियों की संख्या 24,306 कम थी। हरियाणा में लिंगानुपात (SRB) में लगातार गिरावट दर्ज किए जाने के बाद सरकार अलर्ट हो गई है। सरकार की ओर से ऑर्डर दिए गए हैं कि अब प्रदेश में गर्भवती महिला का गर्भाधान के तीसरे महीने रजिस्ट्रेशन किया जाएगा। इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग की ओर से नोटिस जारी कर चेतावनी भी दी गई है कि यदि उनके क्षेत्रों में रजिस्ट्रेशन की दर कम पाई गई तो जिम्मेदार अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा। आमतौर पर ये कवायद ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राउंड लेवल के हेल्थ कर्मचारियों द्वारा की जाती है, ताकि जिन महिलाओं को चिकित्सकीय सुविधाएं नहीं मिल पाती है, उन्हें प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत लाभ दिया जा सके, लेकिन हरियाणा सरकार जन्म के समय लिंगानुपात में सुधार के लिए पूरे राज्य में इस प्रक्रिया को बढ़ाने की कोशिश कर रही है। हरियाणा की स्वास्थ्य मंत्री आरती राव पहले ही गिरते हुए लिंगानुपात के आंकड़ों को लेकर वेरिफिकेशन किए जाने का ऑर्डर दे चुकी हैं। कन्या भ्रूण हत्या पर लगेगा अंकुश सरकारी आंकड़ों से पता चला है कि हरियाणा का एसआरबी 2023 में 916 से घटकर 2024 में 910 रिकॉर्ड किया गया। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि यह निर्देश इसलिए जारी किया गया क्योंकि कई गर्भवती महिलाएं गर्भावस्था के बाद के चरणों में सरकार के पास पंजीकरण कराती हैं। इससे भ्रूण को एनीमिया और कम वजन जैसी समस्याओं से बचाने के लिए चिकित्सा उपचार उपलब्ध कराने में देरी होती है। इसके अलावा, जन्म पूर्व लिंग निर्धारण और कन्या भ्रूण हत्या पर अंकुश लगाने के लिए शीघ्र पंजीकरण को एक महत्वपूर्ण रणनीति माना जाता है। इन तीन की जिम्मेदारी तय की गई हरियाणा के सामान्य स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक मनीष बंसल द्वारा जारी आदेश में कहा गया है, यह संज्ञान में आया है कि एएनसी (प्रसव पूर्व देखभाल) पंजीकरण, जो पहली तिमाही में 100% होना चाहिए, जिलों में 50-80% तक है। पहली तिमाही में 100% पंजीकरण सुनिश्चित करने का निर्देश उनके द्वारा दिए गए हैं। आदेश में कहा गया है, “स्वास्थ्य कर्मचारी जिनका प्रसव पूर्व तिमाही में एएनसी का पंजीकरण कम है (चिकित्सा अधिकारी, एमपीएचडब्ल्यू, आशा कार्यकर्ता) उन्हें काम न करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया जा सकता है। प्रसव पूर्व पंजीकरण के बिना जांच करने वाले किसी भी अल्ट्रासाउंड केंद्र को निर्देशों का पालन न करने के लिए नोटिस जारी किया जाएगा। तीन महीने के दौरान ही होती है भ्रूण हत्या स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने कहा कि शिशुओं का स्वस्थ जन्म सुनिश्चित करने तथा कन्या भ्रूण हत्या पर अंकुश लगाने के लिए शीघ्र पंजीकरण महत्वपूर्ण है। डॉक्टर ने कहा, अधिकांश गर्भपात इसी अवधि के दौरान होते हैं, जो अक्सर प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण परीक्षणों के बाद होते हैं। गर्भवती महिलाओं की निगरानी और लिंग अनुपात में सुधार के लिए प्रारंभिक पंजीकरण महत्वपूर्ण है। हरियाणा लिंगानुपात के ये हैं आंकड़े हरियाणा में 2024 में 1,000 लड़कों पर 910 लड़कियों का लिंगानुपात दर्ज किया गया, जो 2016 में (900) के बाद सबसे कम है। इसकी तुलना में 2023 में लिंगानुपात 916 और 2015 में 876 था। लास्ट डेटा से पता चलता है कि 2024 में राज्य में 516,402 बच्चे पैदा हुए, जिनमें 270,354 लड़के (52.35%) और 246,048 लड़कियां (47.64%)। इसका मतलब है कि लड़कों की तुलना में लड़कियों की संख्या 24,306 कम थी।   हरियाणा | दैनिक भास्कर

हरियाणा में गर्भवती महिलाओं का 3 महीने में होगा रजिस्ट्रेशन:गिरते लिंगानुपात को लेकर फैसला; 2024 में 910 रहा, 9 साल में सबसे बड़ी गिरावट

हरियाणा में गर्भवती महिलाओं का 3 महीने में होगा रजिस्ट्रेशन:गिरते लिंगानुपात को लेकर फैसला; 2024 में 910 रहा, 9 साल में सबसे बड़ी गिरावट

हरियाणा में लिंगानुपात (SRB) में लगातार गिरावट दर्ज किए जाने के बाद सरकार अलर्ट हो गई है। सरकार की ओर से ऑर्डर दिए गए हैं कि अब प्रदेश में गर्भवती महिला का गर्भाधान के तीसरे महीने रजिस्ट्रेशन किया जाएगा। इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग की ओर से नोटिस जारी कर चेतावनी भी दी गई है कि यदि उनके क्षेत्रों में रजिस्ट्रेशन की दर कम पाई गई तो जिम्मेदार अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा। आमतौर पर ये कवायद ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राउंड लेवल के हेल्थ कर्मचारियों द्वारा की जाती है, ताकि जिन महिलाओं को चिकित्सकीय सुविधाएं नहीं मिल पाती है, उन्हें प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत लाभ दिया जा सके, लेकिन हरियाणा सरकार जन्म के समय लिंगानुपात में सुधार के लिए पूरे राज्य में इस प्रक्रिया को बढ़ाने की कोशिश कर रही है। हरियाणा की स्वास्थ्य मंत्री आरती राव पहले ही गिरते हुए लिंगानुपात के आंकड़ों को लेकर वेरिफिकेशन किए जाने का ऑर्डर दे चुकी हैं। कन्या भ्रूण हत्या पर लगेगा अंकुश सरकारी आंकड़ों से पता चला है कि हरियाणा का एसआरबी 2023 में 916 से घटकर 2024 में 910 रिकॉर्ड किया गया। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि यह निर्देश इसलिए जारी किया गया क्योंकि कई गर्भवती महिलाएं गर्भावस्था के बाद के चरणों में सरकार के पास पंजीकरण कराती हैं। इससे भ्रूण को एनीमिया और कम वजन जैसी समस्याओं से बचाने के लिए चिकित्सा उपचार उपलब्ध कराने में देरी होती है। इसके अलावा, जन्म पूर्व लिंग निर्धारण और कन्या भ्रूण हत्या पर अंकुश लगाने के लिए शीघ्र पंजीकरण को एक महत्वपूर्ण रणनीति माना जाता है। इन तीन की जिम्मेदारी तय की गई हरियाणा के सामान्य स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक मनीष बंसल द्वारा जारी आदेश में कहा गया है, यह संज्ञान में आया है कि एएनसी (प्रसव पूर्व देखभाल) पंजीकरण, जो पहली तिमाही में 100% होना चाहिए, जिलों में 50-80% तक है। पहली तिमाही में 100% पंजीकरण सुनिश्चित करने का निर्देश उनके द्वारा दिए गए हैं। आदेश में कहा गया है, “स्वास्थ्य कर्मचारी जिनका प्रसव पूर्व तिमाही में एएनसी का पंजीकरण कम है (चिकित्सा अधिकारी, एमपीएचडब्ल्यू, आशा कार्यकर्ता) उन्हें काम न करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया जा सकता है। प्रसव पूर्व पंजीकरण के बिना जांच करने वाले किसी भी अल्ट्रासाउंड केंद्र को निर्देशों का पालन न करने के लिए नोटिस जारी किया जाएगा। तीन महीने के दौरान ही होती है भ्रूण हत्या स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने कहा कि शिशुओं का स्वस्थ जन्म सुनिश्चित करने तथा कन्या भ्रूण हत्या पर अंकुश लगाने के लिए शीघ्र पंजीकरण महत्वपूर्ण है। डॉक्टर ने कहा, अधिकांश गर्भपात इसी अवधि के दौरान होते हैं, जो अक्सर प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण परीक्षणों के बाद होते हैं। गर्भवती महिलाओं की निगरानी और लिंग अनुपात में सुधार के लिए प्रारंभिक पंजीकरण महत्वपूर्ण है। हरियाणा लिंगानुपात के ये हैं आंकड़े हरियाणा में 2024 में 1,000 लड़कों पर 910 लड़कियों का लिंगानुपात दर्ज किया गया, जो 2016 में (900) के बाद सबसे कम है। इसकी तुलना में 2023 में लिंगानुपात 916 और 2015 में 876 था। लास्ट डेटा से पता चलता है कि 2024 में राज्य में 516,402 बच्चे पैदा हुए, जिनमें 270,354 लड़के (52.35%) और 246,048 लड़कियां (47.64%)। इसका मतलब है कि लड़कों की तुलना में लड़कियों की संख्या 24,306 कम थी। हरियाणा में लिंगानुपात (SRB) में लगातार गिरावट दर्ज किए जाने के बाद सरकार अलर्ट हो गई है। सरकार की ओर से ऑर्डर दिए गए हैं कि अब प्रदेश में गर्भवती महिला का गर्भाधान के तीसरे महीने रजिस्ट्रेशन किया जाएगा। इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग की ओर से नोटिस जारी कर चेतावनी भी दी गई है कि यदि उनके क्षेत्रों में रजिस्ट्रेशन की दर कम पाई गई तो जिम्मेदार अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा। आमतौर पर ये कवायद ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राउंड लेवल के हेल्थ कर्मचारियों द्वारा की जाती है, ताकि जिन महिलाओं को चिकित्सकीय सुविधाएं नहीं मिल पाती है, उन्हें प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत लाभ दिया जा सके, लेकिन हरियाणा सरकार जन्म के समय लिंगानुपात में सुधार के लिए पूरे राज्य में इस प्रक्रिया को बढ़ाने की कोशिश कर रही है। हरियाणा की स्वास्थ्य मंत्री आरती राव पहले ही गिरते हुए लिंगानुपात के आंकड़ों को लेकर वेरिफिकेशन किए जाने का ऑर्डर दे चुकी हैं। कन्या भ्रूण हत्या पर लगेगा अंकुश सरकारी आंकड़ों से पता चला है कि हरियाणा का एसआरबी 2023 में 916 से घटकर 2024 में 910 रिकॉर्ड किया गया। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि यह निर्देश इसलिए जारी किया गया क्योंकि कई गर्भवती महिलाएं गर्भावस्था के बाद के चरणों में सरकार के पास पंजीकरण कराती हैं। इससे भ्रूण को एनीमिया और कम वजन जैसी समस्याओं से बचाने के लिए चिकित्सा उपचार उपलब्ध कराने में देरी होती है। इसके अलावा, जन्म पूर्व लिंग निर्धारण और कन्या भ्रूण हत्या पर अंकुश लगाने के लिए शीघ्र पंजीकरण को एक महत्वपूर्ण रणनीति माना जाता है। इन तीन की जिम्मेदारी तय की गई हरियाणा के सामान्य स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक मनीष बंसल द्वारा जारी आदेश में कहा गया है, यह संज्ञान में आया है कि एएनसी (प्रसव पूर्व देखभाल) पंजीकरण, जो पहली तिमाही में 100% होना चाहिए, जिलों में 50-80% तक है। पहली तिमाही में 100% पंजीकरण सुनिश्चित करने का निर्देश उनके द्वारा दिए गए हैं। आदेश में कहा गया है, “स्वास्थ्य कर्मचारी जिनका प्रसव पूर्व तिमाही में एएनसी का पंजीकरण कम है (चिकित्सा अधिकारी, एमपीएचडब्ल्यू, आशा कार्यकर्ता) उन्हें काम न करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया जा सकता है। प्रसव पूर्व पंजीकरण के बिना जांच करने वाले किसी भी अल्ट्रासाउंड केंद्र को निर्देशों का पालन न करने के लिए नोटिस जारी किया जाएगा। तीन महीने के दौरान ही होती है भ्रूण हत्या स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने कहा कि शिशुओं का स्वस्थ जन्म सुनिश्चित करने तथा कन्या भ्रूण हत्या पर अंकुश लगाने के लिए शीघ्र पंजीकरण महत्वपूर्ण है। डॉक्टर ने कहा, अधिकांश गर्भपात इसी अवधि के दौरान होते हैं, जो अक्सर प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण परीक्षणों के बाद होते हैं। गर्भवती महिलाओं की निगरानी और लिंग अनुपात में सुधार के लिए प्रारंभिक पंजीकरण महत्वपूर्ण है। हरियाणा लिंगानुपात के ये हैं आंकड़े हरियाणा में 2024 में 1,000 लड़कों पर 910 लड़कियों का लिंगानुपात दर्ज किया गया, जो 2016 में (900) के बाद सबसे कम है। इसकी तुलना में 2023 में लिंगानुपात 916 और 2015 में 876 था। लास्ट डेटा से पता चलता है कि 2024 में राज्य में 516,402 बच्चे पैदा हुए, जिनमें 270,354 लड़के (52.35%) और 246,048 लड़कियां (47.64%)। इसका मतलब है कि लड़कों की तुलना में लड़कियों की संख्या 24,306 कम थी।   हरियाणा | दैनिक भास्कर