लुधियाना में खन्ना नगर कौंसिल की चार महीने बाद आयोजित बैठक में जमकर हंगामा हो गया। शाम 4 बजे शुरू हुई बैठक में आम आदमी पार्टी के पार्षद काली पट्टियां बांधकर पहुंचे और मीटिंग शुरू होते ही विरोध प्रदर्शन कर दिया और कांग्रेस से नगर कौंसिल के अध्यक्ष कमलजीत सिंह लद्दड़ पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाते हुए उनके इस्तीफे की मांग की गई। बैठक में करीब 20 मिनट तक चला हंगामा कुछ देर के लिए थमा, जब दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह सहित अन्य दिवंगतों को श्रद्धांजलि दी गई। लेकिन इसके बाद फिर से विवाद शुरू हो गया। उल्लेखनीय है कि शिरोमणि अकाली दल की तीनों महिला पार्षद बैठक से गैरहाजिर रहीं। मामले में सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि कौंसिल अध्यक्ष लद्दड़ के विरुद्ध थाना सिटी 2 में एक सरकारी गली के निर्माण में 3 लाख 17 हजार रुपए के गबन का मामला दर्ज है। हालांकि उन्हें हाईकोर्ट से गिरफ्तारी पर रोक मिली हुई है। यह उनकी अरेस्ट स्टे के बाद पहली बैठक थी। आम आदमी पार्टी के पार्षद जितेंद्र पाठक, सुनील कुमार नीटा, परमप्रीत सिंह पोंपी, सुखमनजीत सिंह, सर्वदीप सिंह कालीराव और सुरिंदर बावा ने पिछली बैठक के बाद चार महीने तक मीटिंग न बुलाने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि प्रोटोकॉल के अनुसार हर महीने बैठक होनी चाहिए, लेकिन सितंबर के बाद से कोई बैठक नहीं बुलाई गई। हाथापाई की नौबत आई मीटिंग के दौरान हाथापाई तक नौबत आ गई थी। जब बहस हो रही थी तो AAP पार्षदों ने कांग्रेस के पार्षद गुरमीत नागपाल पर कमेंट्स किए। जिसका जवाब नागपाल ने भी दिया। तभी AAP पार्षदों ने बोला कि आओ बाहर देखते हैं, नागपाल भी बाहर जाने को तैयार हो गए। पार्षद गुस्से में लाल-पीला थे। एक दूसरे की तरफ झगड़ा करने की नीयत से बढ़ रहे थे। हाथापाई होने से बचाव किया गया। तभी नगर कौंसिल अध्यक्ष कमलजीत सिंह लद्दड़ ने अपने साथियों की सहमति से एजेंडा पास होने की बात कहकर मीटिंग समाप्त कर दी। पीछे AAP पार्षदों ने मीटिंग छोड़ भागने का आरोप लगाकर नारेबाजी की। प्रस्ताव सर्वसम्मति हुए पारित मीटिंग का नतीजा यह रहा कि एजेंडे में शामिल और एजेंडे से बाहर भी कुछ प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास हुए। जवाब में कौंसिल अध्यक्ष कमलजीत सिंह लद्दड़ ने कहा कि वे हर महीने कौंसिल के अधिकारियों को लिखकर मीटिंग की मांग करते रहे। लेकिन अधिकारियों ने पत्रों का जवाब नहीं दिया। इस बार ईओ का पत्र मिला तो मीटिंग बुला ली गई। इसके बाद शहर के विकास कार्यों को लेकर टेंडरों की मांग पर कौंसिल अध्यक्ष ने जवाब दिया कि वे किसी अनाधिकृत कालोनी में गलत काम के लिए सहमत नहीं होंगे। इसी बीच हंगामा खड़ा हो गया। AAP पार्षद और कांग्रेस पार्षद आमने सामने हो गए। लुधियाना में खन्ना नगर कौंसिल की चार महीने बाद आयोजित बैठक में जमकर हंगामा हो गया। शाम 4 बजे शुरू हुई बैठक में आम आदमी पार्टी के पार्षद काली पट्टियां बांधकर पहुंचे और मीटिंग शुरू होते ही विरोध प्रदर्शन कर दिया और कांग्रेस से नगर कौंसिल के अध्यक्ष कमलजीत सिंह लद्दड़ पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाते हुए उनके इस्तीफे की मांग की गई। बैठक में करीब 20 मिनट तक चला हंगामा कुछ देर के लिए थमा, जब दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह सहित अन्य दिवंगतों को श्रद्धांजलि दी गई। लेकिन इसके बाद फिर से विवाद शुरू हो गया। उल्लेखनीय है कि शिरोमणि अकाली दल की तीनों महिला पार्षद बैठक से गैरहाजिर रहीं। मामले में सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि कौंसिल अध्यक्ष लद्दड़ के विरुद्ध थाना सिटी 2 में एक सरकारी गली के निर्माण में 3 लाख 17 हजार रुपए के गबन का मामला दर्ज है। हालांकि उन्हें हाईकोर्ट से गिरफ्तारी पर रोक मिली हुई है। यह उनकी अरेस्ट स्टे के बाद पहली बैठक थी। आम आदमी पार्टी के पार्षद जितेंद्र पाठक, सुनील कुमार नीटा, परमप्रीत सिंह पोंपी, सुखमनजीत सिंह, सर्वदीप सिंह कालीराव और सुरिंदर बावा ने पिछली बैठक के बाद चार महीने तक मीटिंग न बुलाने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि प्रोटोकॉल के अनुसार हर महीने बैठक होनी चाहिए, लेकिन सितंबर के बाद से कोई बैठक नहीं बुलाई गई। हाथापाई की नौबत आई मीटिंग के दौरान हाथापाई तक नौबत आ गई थी। जब बहस हो रही थी तो AAP पार्षदों ने कांग्रेस के पार्षद गुरमीत नागपाल पर कमेंट्स किए। जिसका जवाब नागपाल ने भी दिया। तभी AAP पार्षदों ने बोला कि आओ बाहर देखते हैं, नागपाल भी बाहर जाने को तैयार हो गए। पार्षद गुस्से में लाल-पीला थे। एक दूसरे की तरफ झगड़ा करने की नीयत से बढ़ रहे थे। हाथापाई होने से बचाव किया गया। तभी नगर कौंसिल अध्यक्ष कमलजीत सिंह लद्दड़ ने अपने साथियों की सहमति से एजेंडा पास होने की बात कहकर मीटिंग समाप्त कर दी। पीछे AAP पार्षदों ने मीटिंग छोड़ भागने का आरोप लगाकर नारेबाजी की। प्रस्ताव सर्वसम्मति हुए पारित मीटिंग का नतीजा यह रहा कि एजेंडे में शामिल और एजेंडे से बाहर भी कुछ प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास हुए। जवाब में कौंसिल अध्यक्ष कमलजीत सिंह लद्दड़ ने कहा कि वे हर महीने कौंसिल के अधिकारियों को लिखकर मीटिंग की मांग करते रहे। लेकिन अधिकारियों ने पत्रों का जवाब नहीं दिया। इस बार ईओ का पत्र मिला तो मीटिंग बुला ली गई। इसके बाद शहर के विकास कार्यों को लेकर टेंडरों की मांग पर कौंसिल अध्यक्ष ने जवाब दिया कि वे किसी अनाधिकृत कालोनी में गलत काम के लिए सहमत नहीं होंगे। इसी बीच हंगामा खड़ा हो गया। AAP पार्षद और कांग्रेस पार्षद आमने सामने हो गए। पंजाब | दैनिक भास्कर
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कंगना रनोट के खिलाफ FIR की मांग उठी:SGPC- फिल्म इमरजेंसी पर लगे प्रतिबंध; सिखों के चरित्र को गलत तरीके से किया पेश हिमाचल प्रदेश की मंडी संसदीय सीट से BJP सांसद व एक्ट्रेस कंगना रनोट अपकमिंग मूवी इमरजेंसी की रिलीज पर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) और श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ने प्रतिबंध लगाए जाने की मांग उठा दी है। फिल्म में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का रोल करने वाली कंगना रनोट के खिलाफ FIR भी दर्ज करने को कहा है। फिल्म 6 सितंबर को रिलीज होनी है। SGPC के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने आरोप लगाया है कि सिखों के चरित्र को गलत तरीके से चित्रित करने वाली फिल्म ‘इमरजेंसी’ पर तत्काल प्रतिबंध लगना चाहिए। यह फिल्म सिख विरोधी और पंजाब विरोधी शब्दावली के कारण विवादों में रहने वाली अभिनेत्री कंगना रनोट द्वारा जानबूझकर सिखों का चरित्र हरण करने के इरादे से बनाई गई है। जिसे सिख समुदाय बर्दाश्त नहीं कर सकता। एडवोकेट धामी ने कहा कि यह 1984 के महान शहीदों के बारे में सिख विरोधी कहानी बनाकर देश का अपमान करने का घृणित कार्य है। उन्होंने कहा कि देश 1984 की सिख विरोधी क्रूरता को कभी नहीं भूल सकता और जरनैल सिंह खालसा भिंडरावाले को श्री अकाल तख्त साहिब ने राष्ट्रीय शहीद घोषित किया है, जबकि कंगना रनोट की फिल्म उनके चरित्र को मारने की कोशिश कर रही है। कंगना पर सिखों की भावनाओं को भड़काने के आरोप एडवोकेट धामी ने कहा कि कंगना रनोट अक्सर जानबूझकर सिखों की भावनाओं को भड़काने वाली बातें करती रही हैं। सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय उन्हें बचा रही है। सरकार को कंगना रनोट के खिलाफ फिल्म इमरजेंसी के जरिए सिखों की धार्मिक भावनाएं भड़काने का मामला दर्ज करना चाहिए। धामी ने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि इमरजेंसी फिल्म के जारी ट्रेलर से साफ है कि इसमें जानबूझकर सिखों के चरित्र को आतंकवादी के रूप में गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है, जो एक गहरी साजिश का हिस्सा है। सिख कार्यकर्ता पर आधारित फिल्म पर लगा था प्रतिबंध धामी ने कहा कि एक तरफ मानवाधिकारों की बात करने वाले सिख कार्यकर्ता भाई जसवंत सिंह खालड़ा के जीवन पर बनी फिल्म ‘पंजाब 95’ की रिलीज को 85 कट लगाने के बाद भी सेंसर बोर्ड की तरफ से मंजूर नहीं किया गया था। जबकि सिख समुदाय के बारे में गलत तथ्य पेश करने वाली इमरजेंसी फिल्म को रिलीज किया जा रहा है। ये दोहरे मापदंड देशहित में नहीं हैं, इसलिए सरकार को इस बारे में सोचने की जरूरत है। सेंसर बोर्ड में सिख सदस्य शामिल करने की मांग एडवोकेट धामी ने केंद्रीय फिल्म सेंसर बोर्ड में सिख सदस्यों को शामिल करने की मांग की है। सिख सदस्य की अनुपस्थिति के कारण ही एकतरफा फैसले लिए जा रहे हैं। SGPC ने कई बार अपनी आम बैठक में प्रस्ताव पारित कर मांग की है कि केंद्रीय फिल्म सेंसर बोर्ड में सिखों का एक प्रतिनिधि जरूर शामिल किया जाए, लेकिन दुख की बात है कि सरकार इस पर अमल नहीं कर रही है। फिल्म में दिखाया आतंकवाद का दौर, भिंडरांवाले का कैरेक्टर भी रखा कंगना ने कुछ दिन पहले इस फिल्म का ट्रेलर अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर किया था। जिसमें पंजाब में 1980 के दशक में आतंकवाद के दौर को भी दिखाया गया है। इसमें एक कैरेक्टर को जरनैल सिंह भिंडरांवाला भी बनाया गया है, जिसे कट्टरपंथी सिख संत के तौर पर देखते हैं। सर्बजीत खालसा का मानना है कि फिल्म में ब्लू स्टार ऑपरेशन को लेकर भी फिल्माया गया है, जो जरनैल सिंह भिंडरांवाला को खत्म करने के लिए ही चलाया गया था। 1975 में आंधी फिल्म पर लगा था बैन इससे पहले, 1975 में आंधी फिल्म को इमरजेंसी के दौरान इंदिरा गांधी सरकार ने बैन कर दिया था। फिल्म इमरजेंसी से कुछ वक्त पहले रिलीज हुई थी, जिसने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और कांग्रेस नेताओं की नींद उड़ा दी थी। फिल्म पर कांग्रेस पार्टी की इमेज खराब करने का आरोप लगा था। फिल्म पर बैन लगने के बाद, लीड एक्ट्रेस सुचित्रा सेन कभी किसी हिंदी फिल्म में नजर नहीं आईं। अफवाहें थीं कि यह फिल्म इंदिरा गांधी और उनके पूर्व पति के साथ रिश्ते पर बनी है, लेकिन सच्चाई सिर्फ इतनी थी कि सुचित्रा सेन ने आरती देवी का किरदार निभाया था, जिसकी लुक ही इंदिरा गांधी से प्रेरित थी। बाद में जनता पार्टी के सत्ता में आने के बाद 1977 में इसे रिलीज किया। पहले भी विवादों में रह चुकीं कंगना रनोट 1. किसान आंदोलन से जुड़ी टिप्पणी पर हो चुका केस कंगना भाजपा के विरोधी दलों और उनकी ओर से चलाए जाने वाले आंदोलनों पर तल्ख टिप्पणियां करती रही हैं। किसान आंदोलन के दौरान उन्होंने धरना देने वाली महिलाओं के बारे में कह दिया था कि ये लोग 100-100 रुपए लेकर धरने में आती हैं। इसे लेकर उनके खिलाफ पंजाब के कोर्ट में मानहानि का केस भी किया गया। इतना ही नहीं, बीते दिनों चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर CISF महिला कर्मी की तरफ से कंगना को किसान आंदोलन के लिए थप्पड़ जड़ दिया गया था। जिसके बाद विवाद काफी बढ़ गया था। 2. करण जौहर को बता चुकी मूवी माफिया कंगना रनोट फिल्मों के साथ-साथ कई सेलिब्रिटीज के साथ पंगे की वजह से चर्चा में रही हैं। वह बॉलीवुड इंडस्ट्री में चलने वाले नेपोटिज्म यानी भाई-भतीजावाद के खिलाफ खुलकर बोलती रही हैं। नेपो किड्स उनके निशाने पर रहे हैं और वह आउटसाइडर्स के लिए आवाज उठाती रही हैं। कंगना ने एक बार बॉलीवुड के मशहूर डायरेक्टर और धर्मा प्रोडक्शन कंपनी के कर्ता-धर्ता करण जौहर के शो कॉफी विद करण में उनको मूवी माफिया और नेपोटिज्म का फ्लैग बियरर तक बता दिया था। कंगना ने कहा था कि करण जौहर केवल स्टार किड्स को प्रमोट करते हैं और छोटे शहरों से आने वाले कलाकारों को बॉलीवुड में टिकने नहीं देते। एक्टर सुशांत सिंह राजपूत के सुसाइड के बाद भी कंगना ने बॉलीवुड के बड़े प्रोडक्शन हाउस के खिलाफ बयान दिए। नेपोटिज्म पर उनके बयान के बाद करण जौहर के साथ-साथ सलमान खान, आलिया भट्ट जैसे सितारे भी सवालों के घेरे में आ 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