झांसी में पुलिस की बदमाशों से मुठभेड़ हो गई। एनकाउंटर में एक बदमाश के पैर में गोली लग गई। 2 बदमाशों ने सरेंडर कर दिया। बदमाशों ने टोड़ीफतेहपुर थाना क्षेत्र में दरोगा को बंधक बनाकर मारपीट की थी, इससे दरोगा की पसलियां टूट गई थीं। पढ़िए पूरी खबर देवबंद में युवक की हत्या; 4 लोगों ने चाकू से किए ताबड़तोड़ वार सहारनपुर के देवबंद में मामूली विवाद में युवक की हत्या कर दी गई। मृतक की पहचान अनस पुत्र असलम के रूप में हुई है। घटना उस समय हुई जब अनस का गांव के ही असद से किसी बात को लेकर विवाद हो गया। चार लोगों ने अनस पर चाकू से कई वार किए, जिससे वह गंभीर रूप से घायल होकर वहीं गिर पड़ा। पढ़िए पूरी खबर पिस्टल खोल तक नहीं सके SI और थाना प्रभारी:निरीक्षण के दौरान SP ने लगाई क्लास हरदोई के लोनार कोतवाली में पुलिस अधीक्षक नीरज कुमार जादौन के वार्षिक निरीक्षण के दौरान चौंकाने वाली स्थिति सामने आई। तीन वरिष्ठ उपनिरीक्षक अपनी सर्विस पिस्टल तक नहीं खोल पाए, जबकि यह पुलिस की बुनियादी कार्यक्षमता का हिस्सा है। कोतवाल उमेश त्रिपाठी और बावन चौकी प्रभारी एक मिनट 41 सेकंड में पिस्टल खोल सके, वहीं उपनिरीक्षक राम सूरत, फतेह बहादुर और सुरेश यादव पिस्टल खोलने में पूरी तरह विफल रहे। एक उपनिरीक्षक को तो चार मिनट 40 सेकेंड का समय लगा, जो मानक से काफी अधिक है। पढ़िए पूरी खबर झांसी में पुलिस की बदमाशों से मुठभेड़ हो गई। एनकाउंटर में एक बदमाश के पैर में गोली लग गई। 2 बदमाशों ने सरेंडर कर दिया। बदमाशों ने टोड़ीफतेहपुर थाना क्षेत्र में दरोगा को बंधक बनाकर मारपीट की थी, इससे दरोगा की पसलियां टूट गई थीं। पढ़िए पूरी खबर देवबंद में युवक की हत्या; 4 लोगों ने चाकू से किए ताबड़तोड़ वार सहारनपुर के देवबंद में मामूली विवाद में युवक की हत्या कर दी गई। मृतक की पहचान अनस पुत्र असलम के रूप में हुई है। घटना उस समय हुई जब अनस का गांव के ही असद से किसी बात को लेकर विवाद हो गया। चार लोगों ने अनस पर चाकू से कई वार किए, जिससे वह गंभीर रूप से घायल होकर वहीं गिर पड़ा। पढ़िए पूरी खबर पिस्टल खोल तक नहीं सके SI और थाना प्रभारी:निरीक्षण के दौरान SP ने लगाई क्लास हरदोई के लोनार कोतवाली में पुलिस अधीक्षक नीरज कुमार जादौन के वार्षिक निरीक्षण के दौरान चौंकाने वाली स्थिति सामने आई। तीन वरिष्ठ उपनिरीक्षक अपनी सर्विस पिस्टल तक नहीं खोल पाए, जबकि यह पुलिस की बुनियादी कार्यक्षमता का हिस्सा है। कोतवाल उमेश त्रिपाठी और बावन चौकी प्रभारी एक मिनट 41 सेकंड में पिस्टल खोल सके, वहीं उपनिरीक्षक राम सूरत, फतेह बहादुर और सुरेश यादव पिस्टल खोलने में पूरी तरह विफल रहे। एक उपनिरीक्षक को तो चार मिनट 40 सेकेंड का समय लगा, जो मानक से काफी अधिक है। पढ़िए पूरी खबर उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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फरीदाबाद में फिरौती के लिए बच्चे का सनसनीखेज मर्डर:कर्ज में डूबे केमिस्ट ने किया अपहरण; बेसुध करने को दिया ओवरडोज इंजेक्शन
फरीदाबाद में फिरौती के लिए बच्चे का सनसनीखेज मर्डर:कर्ज में डूबे केमिस्ट ने किया अपहरण; बेसुध करने को दिया ओवरडोज इंजेक्शन हरियाणा के फरीदाबाद में कर्ज में डूबे केमिस्ट ने पडोस में परचून की दुकान चलाने वाले दुकानदार के बेटे का फिरौती मांगने की नीयत से पहले अपहरण कर लिया फिर उसे बेहोश करने के लिए नशीला इंजेक्शन लगा दिया। इंजेक्शन में नशीली दवाई की मात्रा अधिक होने के चलते बच्चे की मौत हो गई। बच्चे की मौत के बाद घबराए केमिस्ट ने बच्चे के शव को खुर्दबुर्द करने की नीयत से फतेहपुर से होकर गुजर रही आगरा नहर में फेंक दिया। लेकिन बच्चे का शव झाड़ियों में अटक गया। घटना के बाद मृतक बच्चे के परिजनों ने पड़ोसी को शक के आधार पर पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया। केमिस्ट की निशानदेही पर बच्चे के शव को आगरा कैनाल से बरामद किया गया। पुलिस शव के पोस्टमार्टम व अन्य कार्रवाई में लगी है। जाने क्या है पूरा मामला जानकारी अनुसार बल्लभगढ़ स्थित सेक्टर 62 आशियाना फ्लैट में उमेश चंद की परचून की दुकान है। 13 जून को शाम 6:30 बजे के करीब उसका बेटा 13 वर्षीय कुश अपनी दुकान से पड़ोस की दुकान पर बर्फ लेने के लिए साइकिल लेकर निकला था। बच्चा जब बर्फ लेकर नहीं आया तो महज 5 मिनट में ही उसकी मां प्रियंका ने अपने बच्चे को खोजना शुरू किया। लेकिन उसके बेटे कुश का कहीं कुछ पता नहीं चला। उसके माता-पिता के साथ उसके अन्य परिजन भी उसकी खोज में लग थे। छत पर मिली साइकिल पड़ोस में दवा की दुकान चलाले वाला विशाल बच्चे की तलाश में परिवार के साथ था। काफी तलाश के बाद बच्चे की साइकिल विशाल के घर की छत पर मिली। इसके बाद सीसीटीवी के आधार पर बच्चे के माता-पिता व अन्य पड़ोसियों ने विशाल पर बच्चे के अपहरण का शक जताया और विशाल को पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया। बच्चे के माता-पिता के मुताबिक उन्होंने विशाल सहित कुल तीन लोगों को पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया था, जिनमें से पुलिस ने अन्य को छोड़ दिया। आगरा कैनाल में मिला शव पुलिस ने केमिस्ट विशाल से पूछताछ की तो उसने बच्चे की हत्या का राज खोल दिया। उसने बताया कि बच्चे को बेहोश करने के लिए नशे का इंजेक्शन दिया था, लेकिन डोज ज्यादा होने से उसकी मौत हो गई। शव को इसके बाद नहर में फेंक दिया ओर वह बच्चे के परिजनों के साथ मिल कर उसकी तलाश करने का ड्रामा करने लगा। पुलिस ने उसकी निशानदेही पर बच्चे के शव को बरामद कर लिया है। शव आगे बहने की बजाय वहीं पर झाड़ियों में फंस गया था। उमेश चंद के मुताबिक उनके बेटे की हत्या करने वाला उनका पड़ोसी विशाल कर्ज में डूबा हुआ है। इस कर्ज को उतारने की नीयत से उन्होंने उनके बच्चे कार फिरौती मांगने के लिए अपहरण किया था। बच्चा आठवीं कक्षा में पढता था। पुलिस पर लगे लापरवाही के आरोप कुश के पिता उमेशचंद ने बताया कि पुलिस ने केस में लापरवाही बरती है। बच्चे के परिजनों के मुताबिक उन्होंने महज 6 घंटे में ही आरोपी विशाल को पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया था, लेकिन पुलिस आरोपी से बच्चे के बारे में समय रहते पता नहीं कर पाई। इसके चलते उनके बच्चे की जान चली गई। एसएचओ बोले- पूछताछ जारी थाना आदर्श नगर के एसएचओ कृष्ण का कहना है कि मृतक बच्चे के परिजनों के बयान के आधार पर अपहरणकर्ता के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। विशाल को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश कर रिमांड पर लिया जाएगा। ताकि रिमांड के दौरान पूछताछ में अन्य आरोपियों का भी खुलासा हो सके।
नई पार्टी बनाने पर JDU ने RCP सिंह को बताया फ्यूज बल्ब, चुनाव से पहले कर दी बड़ी भविष्यवाणी
नई पार्टी बनाने पर JDU ने RCP सिंह को बताया फ्यूज बल्ब, चुनाव से पहले कर दी बड़ी भविष्यवाणी <p style=”text-align: justify;”><strong>JDU Reaction on RCP Singh Party:</strong> पूर्व केंद्रीय मंत्री और सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के कभी खास रहे आरसीपी सिंह ने अब अपनी नई पार्टी बना ली है. पार्टी का नाम उन्होंने ‘आसा’ (ASA) रखा है. बीते गुरुवार (31 अक्टूबर) को पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए आरसीपी सिंह ने दीपावली के मौके पर इसकी घोषणा की. उनके ऐलान के बाद अब बयानबाजी शुरू हो गई है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू (JDU) की ओर से बड़ी भविष्यवाणी करते हुए प्रतिक्रिया दी गई है. तंज कसते हुए जेडीयू ने आरसीपी सिंह को फ्यूज बल्ब बताया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>जेडीयू ने कहा- ‘उनका कुछ नहीं होने वाला'</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>बीते गुरुवार को आरसीपी सिंह की ओर से पार्टी के ऐलान के बाद जेडीयू के प्रवक्ता अरविंद निषाद ने कहा, “दीपावली के शुभ अवसर पर कोई भी अपने घर में फ्यूज बल्ब नहीं लगाता है. फ्यूज बल्ब निकाल दिए जाते हैं और सुख-समृद्धि के लिए नए बल्ब लगाते जाते हैं. ठीक इसी प्रकार आज उन्होंने (आरसीपी सिंह) पार्टी बनाई है. जनता उनको फ्यूज बल्ब के रूप में देखती है, इसलिए उनका (आरसीपी सिंह) कुछ होने वाला नहीं है. चुनाव के समय पार्टी बनती रहती है. लोग बनाते रहते हैं.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>तेजस्वी यादव ने आरसीपी सिंह को दी शुभकामना</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>उधर दूसरी ओर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी पार्टी बनाने पर प्रतिक्रिया दी है. गुरुवार की रात तेजस्वी यादव पटना पहुंचे तो पत्रकारों ने उनसे सवाल किया कि आरसीपी सिंह ने नई पार्टी बनाई है. क्या कहेंगे? इस पर तेजस्वी यादव ने कहा, “अच्छी बात है. इसमें क्या है. लोकतंत्र में सबको अपना अधिकार है पार्टी बनाने का, हम लोगों की शुभकामना है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>बता दें कि आरसीपी सिंह ने पार्टी के ऐलान के साथ ही विरोधियों को एक नई टेंशन दे दी है. 2025 के चुनाव में उनकी पार्टी से उम्मीदवार उतरने के लिए तैयार हैं. उन्होंने दावा किया है कि उनके पास अभी ही 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव के लिए 140 मजबूत उम्मीदवार हैं. अब देखना होगा कि आरसीपी सिंह अपने विरोधियों को चुनाव में कैसे टक्कर देते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यह भी पढ़ें- <a href=”https://www.abplive.com/states/bihar/bihar-former-union-minister-rcp-singh-announced-his-new-party-aap-sab-ki-awaz-ann-2814172″>Bihar News: आरसीपी सिंह ने किया नई पार्टी के नाम का ऐलान, कहा- बनेगी ‘आप सबकी आवाज'</a><br /></strong></p>
हरियाणा में नेता विपक्ष की दौड़ में चौथा नाम जुड़ा:कादियान फ्रंटरनर बने; हुड्डा के अलावा अरोड़ा-चंद्रमोहन भी दावेदार, 24 नवंबर तक ऐलान संभव
हरियाणा में नेता विपक्ष की दौड़ में चौथा नाम जुड़ा:कादियान फ्रंटरनर बने; हुड्डा के अलावा अरोड़ा-चंद्रमोहन भी दावेदार, 24 नवंबर तक ऐलान संभव हरियाणा में कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष के दौड़ में नया चेहरा शामिल हो गया है। पार्टी के सबसे अनुभवी नेताओं में शामिल रघुबीर कादियान (80) का नाम सामने आ रहा है। कांग्रेस हाईकमान पार्टी में चल रही गुटबाजी के बीच सीनियर और अनुभवी नेता पर दांव खेल सकती है। इसकी घोषणा 24 नवंबर तक हो सकती है। हालांकि इस दौड़ में पूर्व CM भूपेंद्र हुड्डा के अलावा गैर जाट चेहरे में थानेसर से विधायक अशोक अरोड़ा और पंचकूला से विधायक चंद्रमोहन बिश्नोई का नाम भी चर्चा में है। प्रदेश में विधानसभा चुनाव के नतीजे 8 अक्टूबर को आए थे। इसके बाद विधायकों की चंडीगढ़ में मीटिंग हुई और हाईकमान को अधिकार दे दिए। मगर, इस पर फैसला नहीं हो पाया। इसी बीच नेता प्रतिपक्ष के बगैर ही एक सत्र भी गुजर गया। पूर्व सीएम हुड्डा ने कहा था कि महाराष्ट्र और झारखंड चुनाव की वजह से इस पर फैसला नहीं हुआ। अब चूंकि यहां चुनाव खत्म हो चुके हैं और 23 नवंबर को रिजल्ट भी आ जाएगा। उसके बाद इसका ऐलान हो सकता है। इससे पहले कांग्रेस प्रवक्ता रहे बालमुकुंद शर्मा ने भी दावा किया था कि भूपेंद्र हुड्डा इस बार नेता प्रतिपक्ष नहीं होंगे। मगर, हुड्डा अपने करीबी यानी डॉ. रघुबीर कादियान को आगे कर अपनी राजनीति को सेफ कर सकते हैं। ऐसा कर वह हरियाणा के नेताओं में एक मैसेज देने में भी कामयाब होंगे कि कांग्रेस उनके कहने से बाहर नहीं है। जिन 3 चेहरों के नाम, उनका दावा क्यों कमजोर पड़ा… 1. अशोक अरोड़ा: इनेलो की छाप, पहली बार कांग्रेस विधायक बने
अभी तक नेता प्रतिपक्ष के लिए केवल 2 नामों पर ही विचार चल रहा था। इसमें पहला नाम अशोक अरोड़ा और दूसरा नाम पूर्व सीएम चौधरी भजनलाल के बड़े बेटे चंद्रमोहन बिश्नोई का है। अशोक अरोड़ा को रेस में सबसे आगे बताया जा रहा था। मगर कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक हाईकमान उनके नाम पर सहमत नहीं है। सबसे बड़ा कारण है कि वह लंबे समय से चौटाला परिवार से जुड़े रहे हैं। वह 2019 में ही इनेलो छोड़कर कांग्रेस में आए थे, जब इनेलो में पूरी तरह बिखराव हो चुका था। वह कांग्रेस में आने के बाद पहली बार विधायक बने हैं। भाजपा में पंजाबी समाज से खुद मनोहर लाल खट्टर हैं और अरोड़ा मनोहर के मुकाबले कहीं नहीं ठहरते। ऐसे में उनके नेता प्रतिपक्ष बनने से पार्टी को फायदा मिलना मुश्किल है। 2. चंद्रमोहन: BJP नेता के भाई, सैलजा के प्रति वफादार
चंद्रमोहन बिश्नोई के नाम पर भी चर्चा हुई। मगर हाईकमान को पक्ष और विपक्ष (निगेटिव) दोनों कारण बताए गए। चंद्रमोहन के निगेटिव पॉइंट ज्यादा हैं। वह पूर्व सीएम भजनलाल के बेटे हैं, जो विधायक मैनेज करने के लिए जाने जाते थे। वहीं चंद्रमोहन के छोटे सगे भाई कुलदीप बिश्नोई भाजपा में हैं और बिश्नोई समाज के नेता भी हैं। हरियाणा में बिश्नोई समाज की भागीदारी अधिक नहीं है और कुछ सीटों पर ही उनका प्रभाव है। चंद्रमोहन को आगे करने से जाट समाज कांग्रेस से दूरी बना सकता है। वहीं हुड्डा भी चंद्रमोहन के नाम से अंदरखाते असहमत हैं। चंद्रमोहन चुनावों के दौरान खुलकर सांसद कुमारी सैलजा को सीएम बनाने की पैरवी वाले बयान दे चुके हैं। ऐसे में चंद्रमोहन को नेता प्रतिपक्ष बनाने से कांग्रेस हाईकमान पीछे हट सकता है। 3. भूपेंद्र हुड्डा: 3 हार का बोझ, लीडरशिप पर उठे सवाल
वहीं भूपेंद्र सिंह हुड्डा का नाम भी रेस में बताया जा रहा है, मगर उनकी दावेदारी सबसे कम बताई जा रही है। इसका कारण है कि भूपेंद्र हुड्डा 2019 से 2024 तक नेता प्रतिपक्ष बन चुके। लगातार उनके नेतृत्व में कांग्रेस चुनाव लड़ रही मगर 3 चुनाव में लगातार हार मिली, जिसका बोझ भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर है। हुड्डा को साइड लाइन दिखाकर हाईकमान हरियाणा में मैसेज देना चाहेगा कि हरियाणा में हुड्डा ही कांग्रेस नहीं है। वहीं हुड्डा को आगे करने से कांग्रेस में गैर जाट नेताओं में फूट का डर भी है। इसके अलावा चुनाव में माहौल के बावजूद कांग्रेस की हार के लिए हुड्डा की लीडरशिप पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। इसलिए हुड्डा के नाम पर सहमति होनी भी मुश्किल लग रही है। 20 साल में पहली बार नेता प्रतिपक्ष चुनने में इतना लंबा समय
हरियाणा में 8 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव परिणाम जारी हुए थे और 17 अक्टूबर को हरियाणा सरकार का गठन हुआ था। इतने दिन बीत जाने के बाद भी कांग्रेस विधायक दल का नेता नहीं चुन पाई है। 20 साल में ऐसा पहली बार हो रहा कि हरियाणा को नेता प्रतिपक्ष के लिए इतना लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। इसका मुख्य कारण पिछले 3 चुनाव में कांग्रेस को लगातार मिली हार है। 2009 में भी कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, लेकिन बहुमत से पीछे रह गई थी। 2005, 2009, 2014 और 2019 में चुनाव परिणाम के बाद करीब 15 दिन के अंदर नेता प्रतिपक्ष चुन लिए गए थे। नेता चुनने के लिए कांग्रेस हाईकमान ने 18 अक्टूबर को 4 पर्यवेक्षक भेजे थे, लेकिन विधायक दल की बैठक में हाईकमान पर फैसला छोड़ दिया गया। हार के बावजूद हुड्डा-सैलजा गुट में खींचतान बरकरार
2019 में विपक्ष का नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा को बनाया गया था। हालांकि इस बार विधानसभा चुनाव में हुई हार के लिए हुड्डा को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। कांग्रेस के उम्मीदवार भी भीतरघात और गुटबाजी को सबसे बड़ी वजह बता रहे हैं। ऐसे में सिरसा सांसद कुमारी सैलजा का गुट हुड्डा को फिर विपक्षी दल नेता बनाने का विरोध कर रहा है। इसे देख हुड्डा 31 विधायकों को इकट्ठा कर शक्ति प्रदर्शन भी कर चुके हैं। विधायकों की यह मीटिंग ऑब्जर्वरों की चंडीगढ़ मीटिंग से पहले हुई थी। हालांकि हुड्डा ने कहा था कि विधायक सिर्फ चुनाव में जीत के बाद मिलना चाहते थे, इसे किसी दूसरी बात से जोड़ना ठीक नहीं है।