पंजाब पुलिस की हिरासत में गैंगस्टर लॉरेंस से पूछताछ के मामले में आज (गुरुवार) पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में अहम सुनवाई होगी। इस दौरान मामले की जांच कर रही विशेष जांच टीम (SIT) के प्रमुख के लिए पंजाब सरकार की ओर से वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के नामों की सूची कोर्ट को सौंपी जाएगी। यह अधिकारी एडीजीपी या डीजीपी स्तर का होगा। क्योंकि हाईकोर्ट की ओर से गठित एसआईटी के प्रमुख प्रबोध कुमार इसी महीने रिटायर हो रहे हैं। इसी वजह से कोर्ट की ओर से नाम मांगे गए हैं। SIT ने इंटरव्यू से उठाया था पर्दा मामले की जांच में एसआईटी अहम भूमिका है। क्योंकि जब यह मामला सामने आया था तो दावा किया गया था कि इंटरव्यू पंजाब की किसी जेल में नहीं हुआ था। इसके बाद जैसे ही एसआईटी ने जांच तेज की तो पता चला कि एक इंटरव्यू सीआईए खरड़ बिल्डिंग में और दूसरा राजस्थान में हुआ था। यहां एसएचओ के कमरे को स्टूडियो बना दिया गया था। इंटरव्यू के लिए वाईफाई समेत तमाम इंतजाम किए गए थे। इसके बाद कोर्ट ने डीएसपी समेत छह लोगों को सस्पेंड कर दिया था। हालांकि डीएसपी ने खुद को बेकसूर बताया था। उसने खुद को बलि का बकरा बताया था। वहीं गैंगस्टर अब गुजरात की जेल में बंद है। जबकि फरीदकोट की जिला कोर्ट ने उसे एक नहीं तीन पुराने रंगदारी के मामलों में बरी कर दिया है। पहले इंटरव्यू में मूसेवाला के कत्ल की जिम्मेदारी ली लॉरेंस का पहला इंटरव्यू 14 मार्च को ब्रॉडकास्ट हुआ था। जिसमें लॉरेंस ने सिद्धू मूसेवाला का कत्ल करवाने की बात कबूल की थी। लॉरेंस का कहना था कि मूसेवाला सिंगिंग के बजाय गैंगवार में घुस रहा था। उसके कॉलेज फ्रेंड अकाली नेता विक्की मिड्डूखेड़ा के कत्ल में भी मूसेवाला का हाथ था। इसलिए उसे मरवाया। एसआईटी रिपोर्ट के मुताबिक ये वही इंटरव्यू है, जो उसने सीआईए की कस्टडी से दिया। दूसरे इंटरव्यू में बैरक से कॉल करने का दिया सबूत लॉरेंस ने अपने दूसरे इंटरव्यू में जेल के अंदर से इंटरव्यू करने का सबूत भी दिया था। उसने अपनी बैरक भी दिखाई और बताया कि उसे बाहर नहीं जाने दिया जाता, लेकिन मोबाइल भी उसके पास आ जाता है और सिग्नल भी। लॉरेंस ने अपने इंटरव्यू में कहा कि रात के समय जेल के गार्ड बहुत कम आते-जाते हैं, इसीलिए वह रात को कॉल कर रहा है। लॉरेंस ने मोबाइल के अंदर आने के बारे में भी जानकारी दी थी। लॉरेंस के अनुसार मोबाइल बाहर से जेल के अंदर फेंके जाते हैं। कई बार जेल स्टाफ उन्हें पकड़ भी लेता है, लेकिन अधिकतर बार मोबाइल उस तक पहुंच जाते हैं। पंजाब पुलिस की हिरासत में गैंगस्टर लॉरेंस से पूछताछ के मामले में आज (गुरुवार) पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में अहम सुनवाई होगी। इस दौरान मामले की जांच कर रही विशेष जांच टीम (SIT) के प्रमुख के लिए पंजाब सरकार की ओर से वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के नामों की सूची कोर्ट को सौंपी जाएगी। यह अधिकारी एडीजीपी या डीजीपी स्तर का होगा। क्योंकि हाईकोर्ट की ओर से गठित एसआईटी के प्रमुख प्रबोध कुमार इसी महीने रिटायर हो रहे हैं। इसी वजह से कोर्ट की ओर से नाम मांगे गए हैं। SIT ने इंटरव्यू से उठाया था पर्दा मामले की जांच में एसआईटी अहम भूमिका है। क्योंकि जब यह मामला सामने आया था तो दावा किया गया था कि इंटरव्यू पंजाब की किसी जेल में नहीं हुआ था। इसके बाद जैसे ही एसआईटी ने जांच तेज की तो पता चला कि एक इंटरव्यू सीआईए खरड़ बिल्डिंग में और दूसरा राजस्थान में हुआ था। यहां एसएचओ के कमरे को स्टूडियो बना दिया गया था। इंटरव्यू के लिए वाईफाई समेत तमाम इंतजाम किए गए थे। इसके बाद कोर्ट ने डीएसपी समेत छह लोगों को सस्पेंड कर दिया था। हालांकि डीएसपी ने खुद को बेकसूर बताया था। उसने खुद को बलि का बकरा बताया था। वहीं गैंगस्टर अब गुजरात की जेल में बंद है। जबकि फरीदकोट की जिला कोर्ट ने उसे एक नहीं तीन पुराने रंगदारी के मामलों में बरी कर दिया है। पहले इंटरव्यू में मूसेवाला के कत्ल की जिम्मेदारी ली लॉरेंस का पहला इंटरव्यू 14 मार्च को ब्रॉडकास्ट हुआ था। जिसमें लॉरेंस ने सिद्धू मूसेवाला का कत्ल करवाने की बात कबूल की थी। लॉरेंस का कहना था कि मूसेवाला सिंगिंग के बजाय गैंगवार में घुस रहा था। उसके कॉलेज फ्रेंड अकाली नेता विक्की मिड्डूखेड़ा के कत्ल में भी मूसेवाला का हाथ था। इसलिए उसे मरवाया। एसआईटी रिपोर्ट के मुताबिक ये वही इंटरव्यू है, जो उसने सीआईए की कस्टडी से दिया। दूसरे इंटरव्यू में बैरक से कॉल करने का दिया सबूत लॉरेंस ने अपने दूसरे इंटरव्यू में जेल के अंदर से इंटरव्यू करने का सबूत भी दिया था। उसने अपनी बैरक भी दिखाई और बताया कि उसे बाहर नहीं जाने दिया जाता, लेकिन मोबाइल भी उसके पास आ जाता है और सिग्नल भी। लॉरेंस ने अपने इंटरव्यू में कहा कि रात के समय जेल के गार्ड बहुत कम आते-जाते हैं, इसीलिए वह रात को कॉल कर रहा है। लॉरेंस ने मोबाइल के अंदर आने के बारे में भी जानकारी दी थी। लॉरेंस के अनुसार मोबाइल बाहर से जेल के अंदर फेंके जाते हैं। कई बार जेल स्टाफ उन्हें पकड़ भी लेता है, लेकिन अधिकतर बार मोबाइल उस तक पहुंच जाते हैं। पंजाब | दैनिक भास्कर
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