ओलिंपियन बॉक्सर मनोज कुमार का संन्यास:कुरुक्षेत्र में तैयार करेंगे रिंग के नए किंग, कोच बोले- एक युग का अंत हुआ

ओलिंपियन बॉक्सर मनोज कुमार का संन्यास:कुरुक्षेत्र में तैयार करेंगे रिंग के नए किंग, कोच बोले- एक युग का अंत हुआ

भारतीय मुक्केबाजी के दिग्गज, दो बार के ओलिंपियन, कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण और कांस्य पदक विजेता अर्जुन अवार्डी मनोज कुमार ने खेल से संन्यास का ऐलान कर दिया। उन्होंने अपनी सफलता की यात्रा में उनका साथ देने वाले सभी लोगों का दिल से आभार व्यक्त किया। नई दिल्ली के करनैल सिंह रेलवे स्टेडियम से मनोज कुमार ने यह ऐलान किया। साथ सोशल मीडिया X पर भी जानकारी दी। मनोज ने कहा, किसी भी एथलीट के लिए खेल को अलविदा कहना बेहद भावुक पल होता है। उन्होंने अपने कोच राजेश कुमार राजौंद को उनके त्याग और मार्गदर्शन का श्रेय दिया और अपनी सफलता का आधार बताया। भावुक होकर उन्होंने कहा, “अगर राजेश सर नहीं होते, तो मुझे ओलंपियन बॉक्सर के रूप में पहचान नहीं मिलती। उन्होंने मुझे बड़े सपने दिखाए और उन्हें हासिल करने के लिए मेरे रास्ते में आने वाली हर बाधा को दूर किया।” अपने शुरुआती संघर्षों को याद करते हुए मनोज ने बताया कि किसान का बेटा और सेना में सिपाही होने के नाते, उन्होंने कभी भी सीमित संसाधनों को अपनी लग्न और कड़ी मेहनत के आड़े नहीं आने दिया। कोच राजेश का एक ही लक्ष्य था- मुझे ओलंपियन और अर्जुन पुरस्कार विजेता बनाकर अपने गांव राजौंद का गौरव बढ़ाना। मैंने गरीबी को बहाना नहीं बनाया और अपने लक्ष्य पर अटल रहा। मेरा पूरा जीवन मुक्केबाजी के इर्द-गिर्द घूमता है। समसीपुर गांव में खोली अकादमी
उनकी सेवानिवृत्ति से पहले उनके कोच राजेश कुमार ने उनकी विरासत को अगली पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए कुरुक्षेत्र के NIT-किरमिच रोड पर समसीपुर गांव में उनके नाम पर मनोज कुमार बॉक्सिंग अकादमी की स्थापना की है। यह अकादमी युवा एथलीटों के साथ हमारे अनुभवों और सबक को साझा करने का एक माध्यम बनेगी, जो ओलिंपिक में भारत के लिए पदक जीतेंगे। कोच ने बनाया रिंग का किंग
मनोज ने अपने कोच राजेश कुमार, अपने भाई और बॉक्सिंग पार्टनर मुकेश कुमार, अपने परिवार, भारतीय रेलवे, बॉक्सिंग फेडरेशन और उन सभी कोचों का आभार व्यक्त किया, जिन्होंने वर्षों तक उनका मार्गदर्शन किया। उनके प्रोत्साहन के कारण ही मैं रिंग का राजा बन पाया। मनोज ने कहा कि संन्यास के बाद वे युवाओं को प्रशिक्षित करने और भारतीय मुक्केबाजी को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए खुद को समर्पित करेंगे। उनका मार्गदर्शन और अनुभव आने वाले मुक्केबाजों का मार्गदर्शन करेगा। कोच बोले- मुक्केबाजी को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया
मनोज कुमार के संन्यास पर उनके कोच और गुरु राजेश कुमार ने कहा कि मनोज कुमार एक महान मुक्केबाज हैं। उन्होंने न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी मुक्केबाजी का लोहा मनवाया और मुक्केबाजी काे नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उनकी अविश्वसनीय उपलब्धियों और दयालु व्यक्तित्व ने खेल जगत पर अमिट छाप छोड़ी है। कड़ी मेहनत, दृढ़ संकल्प, समर्पण और अनुशासन उन्हें एक महान एथलीट बनाते हैं। भावुक होते हुए कहा कि मनोज ने अपने खेल से देश का नाम रोशन किया है। मनोज आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहेगा। मनोज के संन्यास से भारतीय मुक्केबाजी में एक युग का अंत हो गया है, लेकिन उनकी उपलब्धियां और मोटिवेशनल व्यक्तित्व उनको एथलीटों और प्रशंसकों के दिलों में हमेशा जीवित रखेगा। मनोज कुमार की प्रमुख अचीवमेंट पुरस्कार और सम्मान:
• अर्जुन अवॉर्ड (2014) – भारत सरकार द्वारा
• भीम अवॉर्ड (2018) – हरियाणा सरकार द्वारा ओलिंपिक प्रदर्शन:
• लंदन ओलिंपिक 2012 – प्री-क्वार्टर फाइनलिस्ट
• रियो ओलिंपिक 2016 – प्री-क्वार्टर फाइनलिस्ट स्वर्ण पदक:
• राष्ट्रमंडल खेल (2010)
• दक्षिण एशियाई खेल (2016)
• ग्रैंड प्रिक्स यूरोपियन बॉक्सिंग टूर्नामेंट
• दोहा अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट (2015)
• सीनियर राष्ट्रीय बॉक्सिंग चैंपियनशिप (2016, 2017) कांस्य पदक:
• राष्ट्रमंडल खेल (2018)
• वर्ल्ड ओलिंपिक क्वालिफाइंग चैंपियनशिप (2016)
• सीनियर एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप (2007, 2013) अन्य प्रमुख अचीवमेंट:
• लगातार तीन वर्षों (2012-2015) तक विश्व रैंकिंग में 6वें स्थान पर
• भारत के सर्वश्रेष्ठ मुक्केबाज (2018)
• ऑल इंडिया इंटर रेलवे बॉक्सिंग चैंपियनशिप में 3 बार “सर्वश्रेष्ठ मुक्केबाज”
• कौन बनेगा करोड़पति (2010) – स्पोर्ट्स स्पेशल एपिसोड में भाग लिया भारतीय मुक्केबाजी के दिग्गज, दो बार के ओलिंपियन, कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण और कांस्य पदक विजेता अर्जुन अवार्डी मनोज कुमार ने खेल से संन्यास का ऐलान कर दिया। उन्होंने अपनी सफलता की यात्रा में उनका साथ देने वाले सभी लोगों का दिल से आभार व्यक्त किया। नई दिल्ली के करनैल सिंह रेलवे स्टेडियम से मनोज कुमार ने यह ऐलान किया। साथ सोशल मीडिया X पर भी जानकारी दी। मनोज ने कहा, किसी भी एथलीट के लिए खेल को अलविदा कहना बेहद भावुक पल होता है। उन्होंने अपने कोच राजेश कुमार राजौंद को उनके त्याग और मार्गदर्शन का श्रेय दिया और अपनी सफलता का आधार बताया। भावुक होकर उन्होंने कहा, “अगर राजेश सर नहीं होते, तो मुझे ओलंपियन बॉक्सर के रूप में पहचान नहीं मिलती। उन्होंने मुझे बड़े सपने दिखाए और उन्हें हासिल करने के लिए मेरे रास्ते में आने वाली हर बाधा को दूर किया।” अपने शुरुआती संघर्षों को याद करते हुए मनोज ने बताया कि किसान का बेटा और सेना में सिपाही होने के नाते, उन्होंने कभी भी सीमित संसाधनों को अपनी लग्न और कड़ी मेहनत के आड़े नहीं आने दिया। कोच राजेश का एक ही लक्ष्य था- मुझे ओलंपियन और अर्जुन पुरस्कार विजेता बनाकर अपने गांव राजौंद का गौरव बढ़ाना। मैंने गरीबी को बहाना नहीं बनाया और अपने लक्ष्य पर अटल रहा। मेरा पूरा जीवन मुक्केबाजी के इर्द-गिर्द घूमता है। समसीपुर गांव में खोली अकादमी
उनकी सेवानिवृत्ति से पहले उनके कोच राजेश कुमार ने उनकी विरासत को अगली पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए कुरुक्षेत्र के NIT-किरमिच रोड पर समसीपुर गांव में उनके नाम पर मनोज कुमार बॉक्सिंग अकादमी की स्थापना की है। यह अकादमी युवा एथलीटों के साथ हमारे अनुभवों और सबक को साझा करने का एक माध्यम बनेगी, जो ओलिंपिक में भारत के लिए पदक जीतेंगे। कोच ने बनाया रिंग का किंग
मनोज ने अपने कोच राजेश कुमार, अपने भाई और बॉक्सिंग पार्टनर मुकेश कुमार, अपने परिवार, भारतीय रेलवे, बॉक्सिंग फेडरेशन और उन सभी कोचों का आभार व्यक्त किया, जिन्होंने वर्षों तक उनका मार्गदर्शन किया। उनके प्रोत्साहन के कारण ही मैं रिंग का राजा बन पाया। मनोज ने कहा कि संन्यास के बाद वे युवाओं को प्रशिक्षित करने और भारतीय मुक्केबाजी को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए खुद को समर्पित करेंगे। उनका मार्गदर्शन और अनुभव आने वाले मुक्केबाजों का मार्गदर्शन करेगा। कोच बोले- मुक्केबाजी को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया
मनोज कुमार के संन्यास पर उनके कोच और गुरु राजेश कुमार ने कहा कि मनोज कुमार एक महान मुक्केबाज हैं। उन्होंने न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी मुक्केबाजी का लोहा मनवाया और मुक्केबाजी काे नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उनकी अविश्वसनीय उपलब्धियों और दयालु व्यक्तित्व ने खेल जगत पर अमिट छाप छोड़ी है। कड़ी मेहनत, दृढ़ संकल्प, समर्पण और अनुशासन उन्हें एक महान एथलीट बनाते हैं। भावुक होते हुए कहा कि मनोज ने अपने खेल से देश का नाम रोशन किया है। मनोज आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहेगा। मनोज के संन्यास से भारतीय मुक्केबाजी में एक युग का अंत हो गया है, लेकिन उनकी उपलब्धियां और मोटिवेशनल व्यक्तित्व उनको एथलीटों और प्रशंसकों के दिलों में हमेशा जीवित रखेगा। मनोज कुमार की प्रमुख अचीवमेंट पुरस्कार और सम्मान:
• अर्जुन अवॉर्ड (2014) – भारत सरकार द्वारा
• भीम अवॉर्ड (2018) – हरियाणा सरकार द्वारा ओलिंपिक प्रदर्शन:
• लंदन ओलिंपिक 2012 – प्री-क्वार्टर फाइनलिस्ट
• रियो ओलिंपिक 2016 – प्री-क्वार्टर फाइनलिस्ट स्वर्ण पदक:
• राष्ट्रमंडल खेल (2010)
• दक्षिण एशियाई खेल (2016)
• ग्रैंड प्रिक्स यूरोपियन बॉक्सिंग टूर्नामेंट
• दोहा अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट (2015)
• सीनियर राष्ट्रीय बॉक्सिंग चैंपियनशिप (2016, 2017) कांस्य पदक:
• राष्ट्रमंडल खेल (2018)
• वर्ल्ड ओलिंपिक क्वालिफाइंग चैंपियनशिप (2016)
• सीनियर एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप (2007, 2013) अन्य प्रमुख अचीवमेंट:
• लगातार तीन वर्षों (2012-2015) तक विश्व रैंकिंग में 6वें स्थान पर
• भारत के सर्वश्रेष्ठ मुक्केबाज (2018)
• ऑल इंडिया इंटर रेलवे बॉक्सिंग चैंपियनशिप में 3 बार “सर्वश्रेष्ठ मुक्केबाज”
• कौन बनेगा करोड़पति (2010) – स्पोर्ट्स स्पेशल एपिसोड में भाग लिया   हरियाणा | दैनिक भास्कर