हरियाणा में कैथल के गांव प्रभावत में एक किसान ने सही दाम ना मिलने के कारण खेत में खड़ी दो एकड़ गोभी की फसल को ट्रैक्टर चलाकर नष्ट कर दिया। किसान ने एक एकड़ फसल 31 जनवरी को नष्ट की और एक एकड़ पर अगले दिन यानि आज ट्रैक्टर चला दिया। किसान कुलदीप सिंह व हरविंद्र सिंह ने आरोप लगाते हुए एक ओर तो सरकार किसानों को गेहूं व धान की बजाय सब्जियों की फसल लगाने के लिए कहती है। दूसरी ओर जब फसल तैयार हो जाती है और मंडियों में पहुंचती है तो उसके रेट लागत की तुलना में कई गुणा कम मिलते हैं। उनके साथ भी ऐसा ही हुआ। लागत भी पूरी नहीं हो रही – किसान किसानों ने कहा कि उन्होंने ये सोचकर गोभी की फसल लगाई थी कि रेट अच्छे मिलेंगे और मुनाफा होगा, लेकिन उनको मुनाफा तो दूर लागत भी पूरी नहीं हुई। उन्होंने फसल लगाने और उसे तैयार करने के लिए प्रति एकड़ करीब 50 हजार रुपए खर्च करने पड़े। अब मंडी में बेचने गए तो रेट एक रुपया भी नहीं मिला। 30 किलो के थैले का रेट 20 रुपए मिल रहा है। पहले तो फसल तैयार करने पर लागत हुई। अब उसे तुड़वाने के लिए मजदूरी देनी पड़ती है। फिर मंडी तक ले जाने में वाहन और ईंधन लगता है। वहां जाकर रेट नहीं मिलता है। ऐसे में एक प्रकार से सब्जी का कोई दाम नहीं मिलता। यही सोचकर उन्होंने मजबूरी में फसल को नष्ट करना पड़ा। किसानों ने सरकार से अपील की कि सरकार को चाहिए कि फसलों के रेट सही दिए जाएं। खेती को घाटे से बचाने के लिए किसानों का सहयोग करे। हरियाणा में कैथल के गांव प्रभावत में एक किसान ने सही दाम ना मिलने के कारण खेत में खड़ी दो एकड़ गोभी की फसल को ट्रैक्टर चलाकर नष्ट कर दिया। किसान ने एक एकड़ फसल 31 जनवरी को नष्ट की और एक एकड़ पर अगले दिन यानि आज ट्रैक्टर चला दिया। किसान कुलदीप सिंह व हरविंद्र सिंह ने आरोप लगाते हुए एक ओर तो सरकार किसानों को गेहूं व धान की बजाय सब्जियों की फसल लगाने के लिए कहती है। दूसरी ओर जब फसल तैयार हो जाती है और मंडियों में पहुंचती है तो उसके रेट लागत की तुलना में कई गुणा कम मिलते हैं। उनके साथ भी ऐसा ही हुआ। लागत भी पूरी नहीं हो रही – किसान किसानों ने कहा कि उन्होंने ये सोचकर गोभी की फसल लगाई थी कि रेट अच्छे मिलेंगे और मुनाफा होगा, लेकिन उनको मुनाफा तो दूर लागत भी पूरी नहीं हुई। उन्होंने फसल लगाने और उसे तैयार करने के लिए प्रति एकड़ करीब 50 हजार रुपए खर्च करने पड़े। अब मंडी में बेचने गए तो रेट एक रुपया भी नहीं मिला। 30 किलो के थैले का रेट 20 रुपए मिल रहा है। पहले तो फसल तैयार करने पर लागत हुई। अब उसे तुड़वाने के लिए मजदूरी देनी पड़ती है। फिर मंडी तक ले जाने में वाहन और ईंधन लगता है। वहां जाकर रेट नहीं मिलता है। ऐसे में एक प्रकार से सब्जी का कोई दाम नहीं मिलता। यही सोचकर उन्होंने मजबूरी में फसल को नष्ट करना पड़ा। किसानों ने सरकार से अपील की कि सरकार को चाहिए कि फसलों के रेट सही दिए जाएं। खेती को घाटे से बचाने के लिए किसानों का सहयोग करे। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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चित्रा सरवारा ने अनिल विज को घेरा:बोलीं– अपनी सरकार को फेल का सर्टिफिकेट दिया, करोड़ों का बजट खाने वालों के खिलाफ अनशन करें
चित्रा सरवारा ने अनिल विज को घेरा:बोलीं– अपनी सरकार को फेल का सर्टिफिकेट दिया, करोड़ों का बजट खाने वालों के खिलाफ अनशन करें हरियाणा के बिजली एवं परिवहन मंत्री अनिल विज के आदेश न माने जाने के बयान को लेकर विरोधियों ने उन्हें ही घेरना शुरू कर दिया है। अंबाला से विज के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ने वाली पूर्व मंत्री निर्मल सिंह की बेटी चित्रा सरवारा ने विज पर सवाल खड़े किए हैं। चित्रा ने कहा है कि पहले तो विज कहते थे कि मेरा काम थ्री नॉट थ्री की तरह होता है। यह कैसी सरकार है, जहां एक मंत्री के काम नहीं हो रहे? वह अपनी सरकार को फेल का सर्टिफिकेट दे रहे हैं। विज को आमरण अनशन इस बात पर करना चाहिए कि अंबाला का करोड़ों का बजट किसने खाया। बता दें कि विज ने गुरुवार (30 जनवरी) को अंबाला में कहा था कि उनके आदेश नहीं माने जाते, इसलिए वह ग्रीवेंस कमेटी की मीटिंग में नहीं जाएंगे। 2024 के विधानसभा चुनाव में अनिल विज के बाद दूसरे नंबर पर चित्रा सरवारा ही रहीं थी। उन्हें 52581 वोट मिले थे। अनिल विज को लेकर चित्रा सरवारा की अहम बातें… 1. विज ने नाकामियों पर स्टैंप लगाया
चित्रा सरवारा ने कहा- अनिल विज ने अपनी एक स्टेटमेंट से एक तरफ अपनी नाकामियों पर स्टैंप लगाया है। वहीं, दूसरी तरफ अपनी सरकार को फेल का भी सर्टिफिकेट दे रहे हैं। 2. विज अकाउंटेबिलिटी की बात करें
मैं अनिल विज से यही कहूंगी कि आपको काम करने की ताकत देने के लिए अंबाला की जनता ने 7 बार विधायक की कुर्सी पर बैठाया। आपकी पार्टी ने मंत्री पद दिया। आज आप आमरण अनशन की धमकी देकर सड़क पर उतरने की बात न करें। आप अकाउंटेबिलिटी की बात करें। 3. कौन से काम की दुहाई दे रहे
अंबाला में जब करोड़ों के बजट आए तो तब आपने छाती ठोककर कहा कि थ्री नॉट थ्री की तरह मेरा काम होता है। हम भी आवाज उठाते रहे कि जो करोड़ों आए हैं, ये गए कहां हैं? ऐसा क्यों है कि अंबाला का हर प्रोजेक्ट 3 गुना समय सीमा और बजट को लांघकर आगे जा चुका है? आपने कभी उसकी तरफ ध्यान नहीं दिया। आज आप कौन से काम की दुहाई दे रहे हैं। 4. ग्रीवेंस कमेटी मीटिंग में अपमान करते हैं
जनता के अंदर आवाज ये है कि असली काम ये नहीं हुआ कि आपके कहने से अफसर सस्पेंड नहीं हुआ। जो सस्पेंशन आप जनता दरबार में करते थे, जो सस्पेंशन और अपमान आप ग्रीवेंस कमेटी की मीटिंग में करते थे, तो आप कौन से काम की बात करते हैं? किससे शिकायत कर रहे हैं, असली मुद्दा क्या है, आप उस पर ध्यान दें। अंबाला में करोड़ों का बजट आया। ये किसने खाया? एक आमरण अनशन आप इसके ऊपर करिए, तब तो कोई बात बनती है। जनता के दिए हुए अधिकार के ऊपर नया पैसा लाने और सस्पेंशन की लड़ाई मत लड़िए। अनिल विज अपनी ही सरकार से नाराज
बिजली एवं परिवहन मंत्री अनिल विज अपनी ही पार्टी की सरकार से नाराज हो गए हैं। विज ने कहा कि अब ग्रीवेंस कमेटी की मीटिंग में शामिल नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि इस मीटिंग में उनके दिए आदेश लागू नहीं किए जाते। विज ने यहां तक चेतावनी दी कि अगर जरूरत पड़ी तो वे किसान नेता जगजीत डल्लेवाल की तरह अनशन करने को भी तैयार हैं। विज को सिरसा और कैथल में ग्रीवेंस कमेटी की मीटिंग में शामिल होना था। उससे पहले उनका यह बयान आया । अंबाला SHO से जोड़ी जा रही नाराजगी
कुछ दिन पहले अनिल विज ने अंबाला कैंट सदर थाने के SHO को सस्पेंड करने के आदेश दिए थे। उन्होंने DGP शत्रुजीत कपूर को भी फोन कर कहा था कि मुझे सस्पेंशन ऑर्डर चाहिए। इसके बावजूद SHO अभी भी तैनात हैं। विज के करीबी सूत्रों के मुताबिक यह फाइल गृह मंत्रालय से रिजेक्ट हो गई। गृह मंत्रालय CM नायब सैनी के अधीन है। वहीं, विज के गृह जिले में ही उनके आदेश लागू न होने से वह आहत नजर आ रहे हैं। वहीं, राजनीतिक तौर पर भी उनकी किरकिरी हो रही है। मंत्री अनिल विज से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… अनिल विज के तेवर देख सरकार ने अंबाला DC हटाया, मंत्री बोले- CM बनने के बाद उड़न खटोले पर हैं सैनी, तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए थी हरियाणा के ऊर्जा एवं परिवहन मंत्री अनिल विज की नाराजगी के बाद अंबाला के DC का ट्रांसफर कर दिया गया है। पार्थ गुप्ता को हटाकर उनकी जगह अजय सिंह तोमर को जिम्मेदारी सौंपी है। पार्थ गुप्ता को यमुनानगर का DC लगाया गया है। (पढ़ें पूरी खबर)
रेवाड़ी में पुराने भाजपाईयों के बगावती सुर:खोला का निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान; सतीश- कापड़ीवास और सन्नी आज लेंगे निर्णय
रेवाड़ी में पुराने भाजपाईयों के बगावती सुर:खोला का निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान; सतीश- कापड़ीवास और सन्नी आज लेंगे निर्णय हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी द्वारा अपनी पहली सूची में रेवाड़ी और कोसली सीट पर प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर दी गई है। कोसली के विधायक लक्ष्मण सिंह यादव को रेवाड़ी सीट से उतारा गया हैं, जबकि कोसली में उनकी जगह केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के खास पूर्व जिला पार्षद अनिल डहीना को मौका दिया गया हैं। दोनों ही प्रत्याशियों की घोषणा के बाद पुराने भाजपाईयों में नाराजगी बढ़ गई है। रेवाड़ी से लंबे समय से तैयारी करने में लगे परिवार-पहचान-पत्र के स्टेट को-ऑर्डिनेटर डा. सतीश खोला ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया हैं। जबकि रेवाड़ी से पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास, पूर्व जिला प्रमुख सतीश यादव और प्रशांत उर्फ सन्नी यादव भी आज बड़ा निर्णय ले सकते हैं। तीनों ही नेता अपने समर्थकों से मीटिंग करेंगे। सतीश खोला करेंगे प्रेस कांफ्रेंस सतीश खोला सुबह 11 बजे अपने रेवाड़ी सेक्टर-1 स्थित कार्यालय पर प्रेस कॉन्फ्रेंस भी करेंगे। इस बार सतीश खोला के अलावा पर्यटन निगम के चेयरमैन डा. अरविंद यादव, पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास या उनके भतीजे मुकेश कापड़ीवास, पूर्व जिला प्रमुख सतीश यादव, पूर्व जिला पार्षद प्रशांत उर्फ सन्नी यादव टिकट की दावेदारी कर रहे थे। रणधीर सिंह कापड़ीवास, सतीश खोला और डा. अरविंद यादव संगठन के पुराने नेता हैं। ऐसे में उन्हें टिकट की सबसे ज्यादा आस थी। लेकिन पार्टी हाईकमान ने इस सीट पर संगठन और केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह दोनों की पसंद से लक्ष्मण सिंह यादव को उतारा हैं। इसी तरह कोसली में पूर्व मंत्री विक्रम ठेकेदार, पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर के पीए अभिमन्यु यादव टिकट की दौड़ में थे। इन दोनों को दरकिनार करते हुए पार्टी ने राव इंद्रजीत सिंह के खास अनिल डहीना को टिकट दे दी। ऐसे में विक्रम ठेकेदार भी कोई बड़ा निर्णय ले सकते हैं। 2019 में बगावत के चलते हार गई थी बीजेपी बता दें कि, 2019 के चुनाव में भी बीजेपी में टिकट वितरण के बाद बगावत हो गई थी। राव इंद्रजीत सिंह की सिफारिश पर सीटिंग MLA रणधीर सिंह कापड़ीवास की टिकट काटकर सुनील मुसेपुर को चुनावी मैदान में उतारा गया था। जिसके बाद रणधीर सिंह कापड़ीवास ने बगावत करते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ा। इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला होने से कांग्रेस प्रत्याशी चिरंजीव को फायदा मिला और वह जीत गए। हालांकि उस वक्त रणधीर सिंह कापड़ीवास के अलावा किसी दूसरे नेता ने बगावत नहीं की। कुछ इसी तरह के समीकरण इस बार भी बनते दिख रहे हैं। इस बार बगावत करने वालों की फेहरिस्त लंबी हो सकती हैं। ऐसे में बीजेपी के लिए फिर से पांच साल पुरानी मुश्किल खड़ी हो सकती हैं। टिकट नहीं मिलने पर सतीश खोला ने कहा कि उन्होंने सालों तक पार्टी के लिए समर्पण भाव से काम किया हैं। उन्हें पूरी उम्मीद थी कि पार्टी इस बार उन्हें टिकट जरूर देगी। लक्ष्मण सिंह यादव का हक कोसली में था। उन्हें रेवाड़ी से उतारना हम जैसे कार्यकर्ताओं के लिए निराशा भरा हैं। इसलिए मैंने निर्दलीय चुनाव लड़ने की बात कही है। वहीं डा. अरविंद यादव का कहना है कि हम उम्मीद कर रहे थे कि टिकट मिलेगी, लेकिन जैसा पार्टी का फैसला। वहीं सतीश यादव का कहना है कि हम निर्दलीय चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। बाकी जनता जो फैसला करेगी उसके अनुरूप निर्णय लिया जाएगा। बावल सीट होल्ड पर रखी गई रेवाड़ी जिले की एक और सीट बावल में अभी बीजेपी की तरफ से किसी प्रत्याशी की घोषणा नहीं की गई हैं। इस सीट पर सबसे मजबूत दावेदार कैबिनेट मंत्री डा. बनवारी लाल हैं। लेकिन इस बार उनकी भी टिकट की राह आसान नहीं दिख रही है। डा. बनवारी लाल केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के पुराने समर्थक हैं। लेकिन इस बार राव इंद्रजीत सिंह की उन्हें टिकट दिलाने के मूड में नहीं है। इसके पीछे का कारण डा. बनवारी लाल की राव इंद्रजीत सिंह से दूरिया और उनके विरोधी गुट में कहे जाने वाले नेताओं से नजदीकियां ज्यादा हो गई। यहीं कारण है कि राव इंद्रजीत सिंह बावल की टिकट बदलवाना चाहते हैं। डा. बनवारी लाल के लिए पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल पैरवी कर रहे हैं। पेंच फंसने के कारण बीजेपी ने इस सीट को अभी होल्ड पर कर दिया है।
हरियाणा में टिकट कटने पर पूर्व विधायक ने BJP छोड़ी:समर्थकों के साथ दिल्ली रवाना, कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं बलकौर
हरियाणा में टिकट कटने पर पूर्व विधायक ने BJP छोड़ी:समर्थकों के साथ दिल्ली रवाना, कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं बलकौर हरियाणा में सिरसा के कालांवाली से पूर्व विधायक बलकौर सिंह ने बीजेपी को अलविदा कह दिया है। बीजेपी ने इस बार उनका टिकट काट राजेंद्र देसुजोधा को दिया है। जिससे बलकौर सिंह नाराज हो गए। बलकौर जिला पार्षद, ब्लॉक समिति के चेयरमैन, मेंबर, कई सरपंचों, पूर्व सरपंचों समेत अन्य नेताओं के साथ दिल्ली रवाना हो गए हैं। यहां वह पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। हालांकि कांग्रेस की ओर से शुक्रवार रात को जो लिस्ट जारी की गई है उसमें कालांवाली से विधायक शीशपाल केहरवाला को टिकट दिया गया है। बलकौर सिंह का इस्तीफा…. बलकौर 2014 में बने थे विधायक
बलकौर सिंह 2014 के विधानसभा चुनाव में कालांवाली सीट से इनेलो और अकाली दल के संयुक्त उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में उतरे थे। उन्होंने कांग्रेस के शीशपाल केहरवाला को लगभग 13 हजार वोटों से हराया था। बलकौर सिंह को 54112 वोट और शीशपाल केहरवाला को 41147 वोट मिले थे। चुनाव लड़ने को लेकर हुआ था विवाद
2014 के चुनाव में विवाद भी हुआ था। इनेलो प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला ने बुध सिंह को कालांवाली से उम्मीदवार बनाया था। उस दौरान इनेलो का शिरोमणि अकाली दल के साथ गठबंधन था। ऐसे में बुध सिंह को उम्मीदवार बनाने पर विवाद पैदा हो गया। इसके बाद अभय सिंह चौटाला ने किसी तरह बुध सिंह को मना लिया, तब जाकर गठबंधन उम्मीदवार के रूप में बलकौर सिंह को मैदान में उतारा गया। इनेलो ने इस बार बुध सिंह के बेटे मास्टर गुरतेज सिंह को उम्मीदवार बनाया है। अकाली और जजपा को दिया था झटका
जनवरी 2019 में अजय चौटाला की मौजूदगी में बलकौर सिंह जननायक जनता पार्टी में शामिल हो गए थे। हालांकि बाद में उन्होंने यूटर्न ले लिया था। चर्चा थी कि अकाली दल प्रमुख प्रकाश सिंह बादल से मुलाकात में फटकार लगने के बाद बलकौर सिंह ने जजपा में शामिल होने की बात नकारी थी। इसके बाद बलकौर भाजपा में आ गए। 2019 में काटा गया था राजेंद्र देसुजोधा का टिकट
2019 में पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर ने राजेंद्र देसुजोधा का टिकट काटकर बलकौर सिंह को दिया था, लेकिन वह चुनाव हार गए। वह तीसरे नंबर पर रहे थे, जबकि राजेंद्र देसुजोधा दूसरे नंबर पर रहे थे।