हरियाणा और दिल्ली के फार्मूले पर बिहार में भी अकेले चुनाव लड़ेगी कांग्रेस! राहुल गांधी के बिहार दौरे के क्या है सियासी मायने?

हरियाणा और दिल्ली के फार्मूले पर बिहार में भी अकेले चुनाव लड़ेगी कांग्रेस! राहुल गांधी के बिहार दौरे के क्या है सियासी मायने?

<p style=”text-align: justify;”><strong>Rahul Gandhi Bihar Visit:</strong> दिल्ली में आज (बुधवार) विधानसभा चुनाव के लिए मतदान जारी है. 8 फरवरी को नतीजे आ रहे हैं. इसके बाद तय होगा कि दिल्ली का ताज किसके सिर सजेगा. ऐसे वक्त में जब सभी नेता दिल्ली चुनाव में व्यस्त हैं, तब कांग्रेस नेता राहुल गांधी बिहार के दौरे पर हैं. राहुल गांधी लगातार बिहार में कांग्रेस के लिए जमीन तलाशने के प्रयास में जुटे हुए हैं. राहुल गांधी जब पटना पहुंचे तब कार्यकर्ताओं के हाथों में कांग्रेस का झंडा था और राहुल गांधी जिंदाबाद के नारे लग रहे थे.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इस दौरान कार्यकर्ताओं में गजब का जोश था और हो भी क्यों ना, चुनावी साल में 18 दिनों के भीतर राहुल गांधी दूसरी बार बिहार आए थे. यूं तो राहुल गांधी आज स्वतंत्रता सेनानी व दलित नेता रहे जगलाल चौधरी के जयंती समारोह में शरीक होने पटना पहुंचे थे, लेकिन राजनीति में टाइमिंग का अहम महत्व है. बिहार में इस साल अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा के चुनाव होने हैं. ऐसे में राहुल गांधी के बिहार दौरे के सियासी मायने काफी खास हैं, लेकिन बात पहले दलित नेता जगलाल चौधरी की.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong> कौन&nbsp;हैं जगलाल चौधरी</strong><strong>?</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>बिहार के एक महापुरुष जगलाल चौधरी इन दिनों चर्चा में हैं .उनकी बड़ी पहचान स्वतंत्रता सेनानी व दलित नेता के रूप में रही है. 1 अप्रैल 1936 को बिहार और उड़ीसा प्रांत का विभाजन करके बिहार एवं उड़ीसा का निर्माण किया गया भारत सरकार के अधिनियम 1935 के तहत द्विसदनी सरकार की व्यवस्था की गयी. साल 1937 में &nbsp;बिहार में &nbsp;सरकार के मुखिया श्री कृष्णा सिंह बने. उनके नेतृत्व में अनुग्रह जगलाल चौधरी मंत्रिमंडल में शामिल हुए थे.&nbsp; जगलाल चौधरी 1937 में आबकारी और लोक स्वास्थ्य विभाग के मंत्री बने थे. अपने कार्यकाल में उन्होंने साल 1938 में बिहार के 5 जिलों में शराबबंदी लागू करने का निर्णय लिया था.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उस वक्त इस फैसले की काफी चर्चा थी. इसके अलावे जगलाल चौधरी को छुआछूत के विरूद्ध लड़ाई के लिए भी याद किया जाता है. जगलाल चौधरी महात्मा गांधी और भीमराव अम्बेडकर के विचारों से प्रभावित थे. असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह, भारत छोड़ो आंदोलन में काफी सक्रिय रहे. इस दौरान वह जेल भी गए थे. आज राहुल गांधी दलित नेता जगलाल चौधरी के जयंती पर उन्हें श्रद्धा-सुमन अपिर्त करने पटना पहुंचे थे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>राहुल के बिहार दौरे के सियासी मायने</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>बिहार में इस साल अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा के चुनाव होने हैं. ऐसे में पिछले 18 दिन में राहुल गांधी का ये दूसरा बिहार दौरा था. बिहार के वरिष्ठ पत्रकार अरूण कुमार पांडेय ने इस विषय पर बताया कि राहुल गांधी का लगातार बिहार आना महागठबंधन को भी बड़ा संदेश है. जिस जातिगत जनगणना का तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार ढोल पीटते नजर आते हैं.राहुल गांधी ने आज अपने भाषण में उस जातिगत जनगणना पर बातों बातों में प्रहार कर दिया. राहुल गांधी ने जाति जनगणना कराने के तरीके पर कहा कि “ये बिहार वाली जाति जनगणना की बात नहीं कर रहा, जाति जनगणना देखनी हो तो तेलंगाना वाला देखिए”</p>
<p style=”text-align: justify;”>पत्रकार अरुण कुमार पांडेय कहते है कि अगर महागठबंधन में कांग्रेस को उचित सम्मान नहीं मिलता है तो कांग्रेस हरियाणा और दिल्ली की तरह बिहार में भी अकेले चुनाव लड़ने का फैसला ले सकती है. राहुल गांधी के दौरे से एक दिन पहले मंगलवार को कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने पटना में एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि कांग्रेस को कोई अंडरस्टीमेट नहीं कर सकता. वरिष्ठ पत्रकार अरुण कुमार पांडेय बताते हैं कि कि बिहार में करीब 19 फीसदी दलित वोटर हैं. कांग्रेस इन वोटरों को साध कर अपनी सियासी जमीन मजबूत करने की कोशिश में है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कांग्रेस बिहार में कितनी मजबूत</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>दरअसल बिहार में हाल के दिनों कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है. पिछले विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो आरजेडी ने कुल 243 में 144 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे और 75 सीटें जीतकर RJD सबसे बड़ी पार्टी बनी थी, लेकिन कांग्रेस का प्रदर्शन सवालों के घेरे में था. कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव जरूर लड़ा था लेकिन जीत सिर्फ 19 सीटों पर मिली थी. तब महागठबंधन के अंदरखाने में भी ये प्रदर्शन मुद्दा बना था. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि इस बार VIP के मुकेश साहनी तेजस्वी यादव के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं, तो कुछ सीटें VIP के खाते में भी जानी है, तो क्या ये सीटें कांग्रेस के खाते से काट कर दी जाएगी? कांग्रेस की पूरी जद्दोजहद महागठबंधन में सम्मानजनक सीट&nbsp; पाने और बिहार में अपनी खोई हुई सियासी जमीन मजबूत करने के लिए है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ेंः <a href=”https://www.abplive.com/states/bihar/congress-mp-rahul-gandhi-addressed-people-in-sk-memorial-hall-on-130th-birth-anniversary-celebrations-of-jaglal-chaudhary-2877875″>पटना में GST और जातीय जनगणना पर गरजे राहुल गांधी, बिहार में फिर की दलितों के हक की बात</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Rahul Gandhi Bihar Visit:</strong> दिल्ली में आज (बुधवार) विधानसभा चुनाव के लिए मतदान जारी है. 8 फरवरी को नतीजे आ रहे हैं. इसके बाद तय होगा कि दिल्ली का ताज किसके सिर सजेगा. ऐसे वक्त में जब सभी नेता दिल्ली चुनाव में व्यस्त हैं, तब कांग्रेस नेता राहुल गांधी बिहार के दौरे पर हैं. राहुल गांधी लगातार बिहार में कांग्रेस के लिए जमीन तलाशने के प्रयास में जुटे हुए हैं. राहुल गांधी जब पटना पहुंचे तब कार्यकर्ताओं के हाथों में कांग्रेस का झंडा था और राहुल गांधी जिंदाबाद के नारे लग रहे थे.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इस दौरान कार्यकर्ताओं में गजब का जोश था और हो भी क्यों ना, चुनावी साल में 18 दिनों के भीतर राहुल गांधी दूसरी बार बिहार आए थे. यूं तो राहुल गांधी आज स्वतंत्रता सेनानी व दलित नेता रहे जगलाल चौधरी के जयंती समारोह में शरीक होने पटना पहुंचे थे, लेकिन राजनीति में टाइमिंग का अहम महत्व है. बिहार में इस साल अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा के चुनाव होने हैं. ऐसे में राहुल गांधी के बिहार दौरे के सियासी मायने काफी खास हैं, लेकिन बात पहले दलित नेता जगलाल चौधरी की.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong> कौन&nbsp;हैं जगलाल चौधरी</strong><strong>?</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>बिहार के एक महापुरुष जगलाल चौधरी इन दिनों चर्चा में हैं .उनकी बड़ी पहचान स्वतंत्रता सेनानी व दलित नेता के रूप में रही है. 1 अप्रैल 1936 को बिहार और उड़ीसा प्रांत का विभाजन करके बिहार एवं उड़ीसा का निर्माण किया गया भारत सरकार के अधिनियम 1935 के तहत द्विसदनी सरकार की व्यवस्था की गयी. साल 1937 में &nbsp;बिहार में &nbsp;सरकार के मुखिया श्री कृष्णा सिंह बने. उनके नेतृत्व में अनुग्रह जगलाल चौधरी मंत्रिमंडल में शामिल हुए थे.&nbsp; जगलाल चौधरी 1937 में आबकारी और लोक स्वास्थ्य विभाग के मंत्री बने थे. अपने कार्यकाल में उन्होंने साल 1938 में बिहार के 5 जिलों में शराबबंदी लागू करने का निर्णय लिया था.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उस वक्त इस फैसले की काफी चर्चा थी. इसके अलावे जगलाल चौधरी को छुआछूत के विरूद्ध लड़ाई के लिए भी याद किया जाता है. जगलाल चौधरी महात्मा गांधी और भीमराव अम्बेडकर के विचारों से प्रभावित थे. असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह, भारत छोड़ो आंदोलन में काफी सक्रिय रहे. इस दौरान वह जेल भी गए थे. आज राहुल गांधी दलित नेता जगलाल चौधरी के जयंती पर उन्हें श्रद्धा-सुमन अपिर्त करने पटना पहुंचे थे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>राहुल के बिहार दौरे के सियासी मायने</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>बिहार में इस साल अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा के चुनाव होने हैं. ऐसे में पिछले 18 दिन में राहुल गांधी का ये दूसरा बिहार दौरा था. बिहार के वरिष्ठ पत्रकार अरूण कुमार पांडेय ने इस विषय पर बताया कि राहुल गांधी का लगातार बिहार आना महागठबंधन को भी बड़ा संदेश है. जिस जातिगत जनगणना का तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार ढोल पीटते नजर आते हैं.राहुल गांधी ने आज अपने भाषण में उस जातिगत जनगणना पर बातों बातों में प्रहार कर दिया. राहुल गांधी ने जाति जनगणना कराने के तरीके पर कहा कि “ये बिहार वाली जाति जनगणना की बात नहीं कर रहा, जाति जनगणना देखनी हो तो तेलंगाना वाला देखिए”</p>
<p style=”text-align: justify;”>पत्रकार अरुण कुमार पांडेय कहते है कि अगर महागठबंधन में कांग्रेस को उचित सम्मान नहीं मिलता है तो कांग्रेस हरियाणा और दिल्ली की तरह बिहार में भी अकेले चुनाव लड़ने का फैसला ले सकती है. राहुल गांधी के दौरे से एक दिन पहले मंगलवार को कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने पटना में एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि कांग्रेस को कोई अंडरस्टीमेट नहीं कर सकता. वरिष्ठ पत्रकार अरुण कुमार पांडेय बताते हैं कि कि बिहार में करीब 19 फीसदी दलित वोटर हैं. कांग्रेस इन वोटरों को साध कर अपनी सियासी जमीन मजबूत करने की कोशिश में है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कांग्रेस बिहार में कितनी मजबूत</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>दरअसल बिहार में हाल के दिनों कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है. पिछले विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो आरजेडी ने कुल 243 में 144 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे और 75 सीटें जीतकर RJD सबसे बड़ी पार्टी बनी थी, लेकिन कांग्रेस का प्रदर्शन सवालों के घेरे में था. कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव जरूर लड़ा था लेकिन जीत सिर्फ 19 सीटों पर मिली थी. तब महागठबंधन के अंदरखाने में भी ये प्रदर्शन मुद्दा बना था. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि इस बार VIP के मुकेश साहनी तेजस्वी यादव के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं, तो कुछ सीटें VIP के खाते में भी जानी है, तो क्या ये सीटें कांग्रेस के खाते से काट कर दी जाएगी? कांग्रेस की पूरी जद्दोजहद महागठबंधन में सम्मानजनक सीट&nbsp; पाने और बिहार में अपनी खोई हुई सियासी जमीन मजबूत करने के लिए है.</p>
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