लुधियाना | गांव किला रायपुर में एक घर के बहार स्थित एक नाली में मंगलवार की शाम 8:30 बजे एक लड़के के भ्रूण का शव बरामद हुआ। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की टीम मौके पर पहुंच गई और मामले की जांच शुरू कर दी। स्थानी निवासी हरमिंदर सिंह ने बताया, जब वह नाली के पास जा रहे थे,तो उन्हें कुछ संदिग्ध वस्तु दिखी। पास जाकर देखा तो एक भ्रूण का शव पड़ा हुआ था, जिसके बाद उन्होंने तुरंत इसकी सूचना थाना डेहलों की पुलिस को दी। पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए सिविल अस्पताल में भेज दिया। मामले में थाना डेहलों से जांच अधिकारी परमजीत सिंह ने बताया,वह सीसीटीवी चेक करवा रहे है। ताकि आरोपी का पता लगाया जा सके। इसके साथ ही भ्रूण एक लड़का है। जिसका पोस्टमार्टम करवाने के बाद उसका संस्कार भी कर दिया है। लुधियाना | गांव किला रायपुर में एक घर के बहार स्थित एक नाली में मंगलवार की शाम 8:30 बजे एक लड़के के भ्रूण का शव बरामद हुआ। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की टीम मौके पर पहुंच गई और मामले की जांच शुरू कर दी। स्थानी निवासी हरमिंदर सिंह ने बताया, जब वह नाली के पास जा रहे थे,तो उन्हें कुछ संदिग्ध वस्तु दिखी। पास जाकर देखा तो एक भ्रूण का शव पड़ा हुआ था, जिसके बाद उन्होंने तुरंत इसकी सूचना थाना डेहलों की पुलिस को दी। पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए सिविल अस्पताल में भेज दिया। मामले में थाना डेहलों से जांच अधिकारी परमजीत सिंह ने बताया,वह सीसीटीवी चेक करवा रहे है। ताकि आरोपी का पता लगाया जा सके। इसके साथ ही भ्रूण एक लड़का है। जिसका पोस्टमार्टम करवाने के बाद उसका संस्कार भी कर दिया है। पंजाब | दैनिक भास्कर
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अमृतसर में बोले अमृतपाल के पिता तरसेम सिंह:कहा-नफरत के तहत पुलिस लगा रही आरोप, हाईकोर्ट के जज करें गुरुप्रीत कत्ल केस की जांच
अमृतसर में बोले अमृतपाल के पिता तरसेम सिंह:कहा-नफरत के तहत पुलिस लगा रही आरोप, हाईकोर्ट के जज करें गुरुप्रीत कत्ल केस की जांच वारिस-ए-पंजाब के मुखी और सांसद अमृतपाल सिंह के पिता तरसेम सिंह ने आरोप लगाया है कि पंजाब सरकार और राज्य एजेंसियां सिख युवक गुरप्रीत सिंह की हत्या की साजिश में उन्हें जानबूझकर फंसाने के कोशिश कर रही है। आज उन्होंने एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि यह साजिश उसी कड़ी का हिस्सा है जिसके तहत पंजाब सरकार दावा करती है कि अमृतपाल सिंह की रिहाई से पंजाब के सीएम की जान को खतरा है। उन्होंने कहा कि गुरप्रीत सिंह के कत्ल की जांच किसी सीटिंग जज के जरिए होनी चाहिए ना कि पुलिस को जज बनाना चाहिए। अमृतपाल सिंह के पिता तरसेम सिंह ने कहा कि बीते दिन पंजाब पुलिस ने अपनी घृणित प्रवृत्ति के तहत दिए गए बयानों के आधार पर एक्टिविस्ट गुरप्रीत सिंह के कत्ल के शक की सुई सीधा अमृतपाल सिंह पर खड़ी कर दी है। जो कि सरकार की अमृतपाल सिंह के प्रति प्रतिशोधात्मक मंशा की पुष्टि करती है। केंद्रीय एजेंसियां बना रही डराने वाला माहौल उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा उन पर दर्ज किए गए झूठे मुकदमे और केंद्रीय एजेंसियों की छापेमारी का मकसद लोकसभा चुनाव के दौरान पैदा हुई राजनीतिक उथल-पुथल को दबाने के लिए डराने वाला माहौल बनाना है। उन्होंने कहा कि गुरप्रीत सिंह की हत्या बहुत दुखद घटना थी, लेकिन हत्या के दिन से ही सरकार और राज्य एजेंसियों द्वारा इस हत्या को लेकर भाईचारे का माहौल खराब करने की अनैतिक और क्रूर कोशिशें और भी दुखद हैं। इस साजिश में पंजाब विधानसभा अध्यक्ष कुलतार सिंह संधवा की भी बेहद संदिग्ध भूमिका है। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और अध्यक्ष संधवा इस घटना का इस्तेमाल अपने नापाक इरादों को पूरा करने के लिए कर रहे हैं। ये दोनों एक ऐसा माहौल बना रहे हैं जो पंजाब के युवाओं को फिर से हिंसा के रास्ते पर धकेल रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले दशकों की घटनाओं से सबक लेने के बजाय, ये राजनीतिक नेता वही दमनकारी और अन्यायपूर्ण नीतियां अपना रहे हैं। नई क्षेत्रीय पार्टियों को बनने से रोकने की साजिश उन्होंने कहा कि जिस दिन 29 सितंबर, 2024 को उन्होंने नई पार्टी बनाने के लिए श्री अकाल तख्त साहिब पर प्रार्थना की, उसी दिन से वारिस पंजाब संगठन के बारे में और भाई अमृतपाल सिंह के बारे में पंजाब सरकार ने पंजाब की नई क्षेत्रीय पार्टी को बनने से रोकने की साजिश रचनी शुरू कर दी। इसीलिए वह इस संबंध में माननीय उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीशों से इसकी निष्पक्ष जांच की मांग करते हैं । उन्होंने यह भी आशंका जताई कि आने वाले दिनों में अगर उनके परिवार को जान-माल का नुकसान हुआ तो इसकी सीधी जिम्मेदारी डीजीपी पंजाब और पंजाब सरकार की होगी। उन्होंने श्री अकाल तख्त साहिब से भी अपील है कि इस संबंध में कोई कमेटी बनाकर जांच करवाई जाए, ताकि राज्य सरकार का सिखों को आपस में लड़वाने की मंशा पूरी ना हो पाए।

ब्रिटिश संसद में उठा कंगना की फिल्म ‘इमरजेंसी’ का मुद्दा:खालिस्तान समर्थकों ने सिनेमाघर में आकर रोकी फिल्म, सांसद भड़के, अधिकारों का हनन बताया
ब्रिटिश संसद में उठा कंगना की फिल्म ‘इमरजेंसी’ का मुद्दा:खालिस्तान समर्थकों ने सिनेमाघर में आकर रोकी फिल्म, सांसद भड़के, अधिकारों का हनन बताया ब्रिटेन में कंगना रनोट की फिल्म इमरजेंसी की स्क्रीनिंग के दौरान खालिस्तानियों के सिनेमा में घुसने और विरोध प्रदर्शन करने का मुद्दा ब्रिटिश संसद में भी उठा। ब्रिटिश सांसद बॉब ब्लैकमैन ने इसे ब्रिटेन के लोगों के अधिकारों का हनन बताया और खालिस्तानियों को गुंडा और आतंकवादी कहा। इतना ही नहीं सदन के उपसभापति ने भी उनके मुद्दे को सही बताते हुए चिंता जताई है। दरअसल, पिछले रविवार को ब्रिटेन के कुछ सिनेमा हॉल में फिल्म इमरजेंसी की स्क्रीनिंग के दौरान विवाद हो गया था। नकाब पहने खालिस्तानी सिनेमा हॉल में आ गए और खालिस्तानी नारे लगाते हुए फिल्म की स्क्रीनिंग रुकवा दी। कई सिनेमा हॉल में हुई इस घटना से नाराज ब्रिटेन के सिनेमा जगत ने इस फिल्म की स्क्रीनिंग रुकवा दी। जिसका विवाद अब ब्रिटेन की संसद तक पहुंच गया है। जानें क्या कहा- ब्रिटेन के सांसद ने- ब्रिटेन के सांसद बॉब ब्लैकमैन ने कहा- रविवार को, मैं और मेरे कुछ साथी पैसे खर्च कर हैरो व्यू सिनेमा में फिल्म “इमरजेंसी” देखने गए। फिल्म शुरू होने के लगभग 30-40 मिनट बाद, मास्क पहने हुए खालिस्तानी आतंकवादी अंदर आ गए और दर्शकों व सुरक्षा बलों को धमकाने लगे कि फिल्म की स्क्रीनिंग बंद की जाए। ऐसी ही घटनाएं वोल्वरहैम्पटन, बर्मिंघम,स्लौ, स्टेन और मैनचेस्टर में भी देखने को मिलीं। इसके परिणामस्वरूप, सिनेमाघरों ने इस फिल्म की स्क्रीनिंग को रोक दिया। यह एक विवादास्पद फिल्म है, और मैं इसकी गुणवत्ता और सामग्री पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा। लेकिन मैं अपनी कांस्टीट्यूएंसी (निर्वाचन क्षेत्र) के लोगों और अन्य व्यक्तियों के अधिकारों की बात कर रहा हूं, जिसमें वे फिल्म देखकर अपने विचार बना सकें। यह फिल्म उस समय पर आधारित है जब भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थीं। हालांकि, इसे एक एंटी-सिख फिल्म के रूप में भी देखा जा रहा है। फिर भी, मैं कहना चाहता हूं कि मेरी कांस्टीट्यूएंसी के लोगों को यह फिल्म देखने का अधिकार होना चाहिए और उन्हें खुद निर्णय लेने देना चाहिए। ठगों द्वारा धमकाए जाने और लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों को बाधित करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। अगले सप्ताह तक, इस फिल्म को देखने के इच्छुक लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उचित कदम उठाए जाने चाहिए। मैं सिनेमाघरों के बाहर शांतिपूर्ण प्रदर्शन के अधिकार का सम्मान करता हूं, लेकिन अंदर आकर धमकाना बिल्कुल गलत है। पंजाब में भी रोके गए थे शो बॉलीवुड एक्टर एवं हिमाचल के मंडी से BJP सांसद कंगना रनोट की फिल्म इमरजेंसी बीते शुक्रवार को रिलीज हुई थी। पहले ही दिन पंजाब में सिख संगठन इसके विरोध में उतर आए। अमृतसर, जालंधर, लुधियाना, पटियाला और मोहाली में थिएटर्स के बाहर सिख संगठनों के सदस्य काले झंडे लेकर विरोध किया। राज्य के किसी भी थिएटर में फिल्म नहीं दिखाई गई। PVR ग्रुप के 70 से 80 थिएटरों पर ये फिल्म दिखाई जानी थी, विरोध के बाद इन थिएटरों पर फिल्म नहीं लगी। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने फिल्म में ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ और सिख समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया। इसके बाद ही शुक्रवार को सिख संगठनों ने PVR सिनेमा के बाहर प्रदर्शन किया। एसजीपीसी ने लिखा था सीएम मान को खत SGPC के सेक्रेटरी प्रताप सिंह ने कहा था- पंजाब में कंगना की फिल्म इमरजेंसी रिलीज न किए जाने को लेकर भारत सरकार और पंजाब सरकार को पत्र भेजा गया था। लेकिन सरकारों ने ऐसा कुछ नहीं किया। SGPC प्रधान हरजिंदर सिंह धामी ने पंजाब के सीएम भगवंत मान को पत्र लिखकर सिनेमाघरों में फिल्म न दिखाए जाने की मांग की थी। एसजीपीसी सेक्रेटरी प्रताप सिंह ने कहा कि हमारी कौम ने देश के लिए कुर्बानियां दी हैं। मगर इस फिल्म में सिखों को गलत दिखाया गया है। इससे पंजाब का माहौल खराब हो सकता है। कंगना ने बताया कला का उत्पीड़न फिल्म की स्क्रीनिंग रुकने पर भड़की कंगना ने X पर लिखा- ‘यह पूरी तरह से कला और कलाकार का उत्पीड़न है। पंजाब से कई शहरों से खबरें आ रही हैं कि ये लोग इमरजेंसी को चलने नहीं दे रहे। मैं सभी धर्मों का सम्मान करती हूं। चंडीगढ़ में पढ़ाई और बड़े होने के बाद मैंने सिख धर्म को करीब से देखा और उसका पालन किया है। यह मेरी छवि खराब करने और मेरी फिल्म इमरजेंसी को नुकसान पहुंचाने के लिए सरासर झूठ और दुष्प्रचार है।’ SGPC को फिल्म के इन सीन पर आपत्ति फिल्म में 1975-77 के दौरान इंदिरा गांधी के पीएम रहते हुए लगाए गए आपातकाल के समय की घटनाओं को दिखाया गया है। खासतौर पर इसमें सिखों के खिलाफ हुई ज्यादतियों, गोल्डन टेंपल पर सेना की कार्रवाई और बाकी घटनाओं को दिखाया गया है। SGPC का दावा है कि फिल्म में इन घटनाओं को गलत रूप में पेश किया है। पंजाब सरकार का कोई बयान नहीं पंजाब सरकार की ओर से इस मुद्दे पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। हालांकि आम आदमी पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष अमन वर्मा ने कहा- पंजाब की अमन शांति को नुकसान पहुंचाने वाला कोई काम करने की इजाजत नही दी जाएगी। फिल्म पर रोक लगाने का फैसला मुख्यमंत्री को लेना है। पहले ट्रेलर के बाद शुरू हुआ था विवाद फरीदकोट से निर्दलीय सांसद सरबजीत सिंह के अलावा सिखों की सर्वोच्च संस्था SGPC ने सबसे पहले इस फिल्म पर एतराज जताया था। इससे पहले ये फिल्म 6 सितंबर 2024 को रिलीज होने वाली थी, लेकिन विरोध के बाद इसे सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) से क्लीयरेंस ही नहीं मिला था। 5 महीने पहले पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या करने वाले उनके सुरक्षाकर्मी बेअंत सिंह के बेटे एवं फरीदकोट से निर्दलीय सांसद सरबजीत सिंह खालसा ने ट्रेलर में दिखाए गए सीन्स पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा था कि फिल्म इमरजेंसी में सिखों को गलत तरीके से पेश करने की खबरें सामने आ रही हैं, जिससे समाज में शांति और कानून की स्थिति बिगड़ने की आशंका है। अगर इस फिल्म में सिखों को अलगाववादी या आतंकवादी के रूप में दिखाया गया है तो यह एक गहरी साजिश है। सरबजीत ने कहा था कि यह फिल्म एक मनोवैज्ञानिक हमला है, जिस पर सरकार को पहले से ध्यान देकर दूसरे देशों में सिखों के प्रति नफरत भड़काना बंद कर देना चाहिए। सेंसर बोर्ड ने फिल्म में करवाए तीन कट व 10 बदलाव

डल्लेवाल लाइव आकर बोले- सरकार आंदोलन को कुचलने वाली है:केंद्र के इशारे पर काम रही पंजाब सरकार, बड़ी संख्या में फोर्स लेकर हमला करेगी
डल्लेवाल लाइव आकर बोले- सरकार आंदोलन को कुचलने वाली है:केंद्र के इशारे पर काम रही पंजाब सरकार, बड़ी संख्या में फोर्स लेकर हमला करेगी हरियाणा-पंजाब के खनौरी बॉर्डर पर मरणव्रत पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल आज 5 दिन बाद सोशल मीडिया पर लाइव आए। उन्होंने कहा है कि पंजाब सरकार भी अब केंद्र के नक्शेकदम पर चलकर हमारे आंदोलन को कुचलने की तैयारी में है। उन्होंने ज्यादा से ज्यादा लोगों को खनौरी पहुंचने की अपील की। साथ ही डल्लेवाल ने कहा कि जब हमने अनशन शुरू किया तो हमारा मानना था कि गांधीवादी तरीके से सत्याग्रह करेंगे। अंग्रेज सरकार भी सत्याग्रह को मानती थी, लेकिन यह सरकार हमारी बात सुनने के बजाए हमारे मोर्चे को कुचलने की कोशिश कर रही है। भारी संख्या में फोर्स लेकर पंजाब सरकार केंद्र के इशारे पर मोर्चे पर हमला करने की तैयारी में है। मेरा लोगों से निवेदन है कि मोर्चे पर पहुंचें, ताकि इसे बचाया जा सके। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर डल्लेवाल को अस्पताल में भर्ती करवाने के लिए किसान नेताओं और पंजाब के प्रशासन की मीटिंग फेल हो गई है। सुप्रीम कोर्ट ने डल्लेवाल को 31 दिसंबर से पहले अस्पताल में भर्ती करने को कहा है। इसी दिन इस केस की सुनवाई भी होनी है। DIG की बात नहीं माने डल्लेवाल
इसको लेकर 3 बजे पंजाब के DIG जसकरण सिंह खनौरी बॉर्डर पहुंचे। हालांकि किसान इसके लिए राजी नहीं हुए। इसके बाद किसान नेताओं ने DIG के साथ डल्लेवाल से भी मुलाकात की। अगर पंजाब सरकार उन्हें राजी नहीं कर पाई तो फिर 31 दिसंबर की सुनवाई में पंजाब के DGP और चीफ सेक्रेटरी के खिलाफ अवमानना का मामला शुरू हो सकता है। वहीं किसान नेता सरवण पंधेर ने लुधियाना में दावा किया कि पंजाब सरकार ने पटियाला पुलिस को अलर्ट मोड पर रखा है। वहां 30 से 40 बसें खड़ी कर दी हैं, जो कभी भी खनौरी बॉर्डर जा सकती हैं। MSP की गारंटी की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे किसान
बता दें कि पिछले 10 महीने से पंजाब के 2 किसान संगठन फसलों की खरीद के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी के कानून की मांग को लेकर शंभू और खनौरी बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे हैं। इसी मांग को लेकर किसान नेता जगजीत डल्लेवाल खनौरी बॉर्डर पर 34 दिन से आमरण अनशन पर बैठे हैं। इससे पहले दोपहर में हरियाणा की 102 खाप पंचायतों ने हिसार के बास गांव में महापंचायत की। जहां 5 घंटे की महापंचायत के बाद केंद्र सरकार को आमरण अनशन पर बैठे जगजीत डल्लेवाल से बातचीत करने के लिए 9 जनवरी तक का अल्टीमेटम दे दिया है। खाप प्रतिनिधियों ने कहा कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो इसी दिन यानी 9 जनवरी को मुजफ्फरनगर में देश की सभी खापों की महापंचायत बुलाई जाएगी। जिसमें कड़े फैसले लिए जाएंगे। किसानों के एकजुट होने तक खापों का साथ देने से इनकार
खापों ने किसानों के एकजुट होने तक किसान आंदोलन का समर्थन करने से इनकार कर दिया है। खाप प्रतिनिधियों ने कहा कि अगर आंदोलन कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा सांझी एकता के लिए बुलाएंगे तो खापों की 18 मेंबरी कमेटी सबको एक प्लेटफार्म पर लाने के लिए जाएगी। इस मीटिंग में उमेद सिंह सरपंच रिठाल, दहिया खाप के प्रधान जयपाल दहिया, सतरोल खाप के प्रतिनिधि सतीश चेयरमैन, कंडेला खाप के प्रतिनिधि ओम प्रकाश कंडेला, महम चौबीसी तपा प्रधान महावीर, माजरा खाप के प्रतिनिधि गुरविंद्र सिंह, फोगाट खाप दादरी के रविंद्र फोगाट, दलाल खाप से प्रधान सुरेंद्र दलाल, सांगवान खाप के प्रधान सोमवीर सांगवान, SKM नेता विकास सिसर, देशवाल खाप प्रतिनिधि राम पाल सिंह देशवाल, पंचग्रामी खाप के बलवान शास्त्री, फोगाट खाप के प्रधान सुरेश फोगाट मौजूद रहे। इससे पहले शंभू-खनौरी बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसान मजदूर मोर्चा के संयोजक सरवण सिंह पंधेर ने कहा- ‘हमने किसान आंदोलन शुरू करने से पहले 14 बार मीटिंग की। किसान संगठनों को साथ लाने का प्रयास किया, लेकिन कोई साथ नहीं आया। हमने पंजाब में आंदोलन शुरू किया। वहां माहौल बना। अब हरियाणा में भी माहौल बन रहा है।’ वहीं कांग्रेस नेता पहलवान बजरंग पूनिया ने कहा- ‘सरकार का काम आपस में फूट डालने और आंदोलन को तोड़ने का है। घर में भाई-भाई में भी मनमुटाव हो जाता है। जितने भी किसान संगठनों में मनमुटाव चल रहा है, वे बैठकर बात करें। अगर आंदोलन जीतना है तो हमें इकट्ठा होना पड़ेगा।’ हिसार में हुई खाप महापंचायत के पल-पल के अपडेट्स पढ़ने के लिए नीचे ब्लॉग पढ़ें…