दिसंबर माह में जिले में समाज कल्याण विभाग द्वारा कराए गए सामूहिक विवाह में अपात्रों की शादी करा दी गई। समाज कल्याण निदेशक के निर्देश पर उपनिदेशक महिमा मिश्रा ने पात्र लाभार्थियों के आवेदन पत्रों की जांच की तो फर्जीवाड़ा सामने आया। 2 माह पहले शादी में फर्जीवाड़ा किया गया था। उपनिदेशक ने जिम्मेदारों को माना दोषी
जांच में तीन आवेदन पत्र ऐसे मिले जिनमें आय प्रमाण नहीं लगाए गए थे। इसके बाद भी उन्हें पात्र बनाकर योजना का लाभ दे दिया गया। पटल प्रभारी मिनेष गुप्ता द्वारा अपात्रों को लाभ देने और सामूहिक विवाह से जुड़े अभिलेखों को न दिखाने पर उपनिदेशक ने पूरी तरह से दोषी पाया है। उन्होंने निदेशक को पत्र लिखकर पटल प्रभारी के निलंबन की संस्तुति की है। 51 हजार रुपये का दिया जाता है लाभ
सामाज कल्याण विभाग की तरफ से गरीब कन्याओं की एक ही मंडप के नीचे सामूहिक विवाह योजना के तहत शादी करायी जाती है। पात्र लाभार्थी पर 51 हजार रुपये खर्च किए जाते हैं। जिसमें 35 हजार नकद, 10 हजार रुपये के उपहार और 6 हजार रुपये खाने पर खर्च किए जाते हैं। बिना मांग भरे, फेरे लिए हो गई थी शादी
दिसंबर में अलग-अलग ब्लाकों में कुल 360 जोड़ों की शादी करायी गई थी। जिसमें कई जोड़े ऐसे भी शामिल हुए थे जिन्होंने बिना मांग भरे और फेरे लिए योजना के उपहार लेकर चले गए थे। जिसका सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद दैनिक भास्कर एप ने प्रमुखता से खबर को पब्लिश किया था। जांच प्रभावित करने का प्रयास किया गया
खबर का संज्ञान समाज कल्याण निदेशक प्रशांत कुमार ने लिया तो जांच बैठा दी। उन्होंने उपनिदेशक समाज कल्याण से मामले की जांच कर रिपोर्ट मांगी थी। उपनिदेशक ने समाज कल्याण अधिकारी शिल्पी सिंह और पटल प्रभारी को पत्र लिखकर पात्र जोड़ों की सूची मांगी तो कोई भी अभिलेख उपलब्ध नहीं कराए गए। जांच प्रभावित करने का पूरा प्रयास किया गया। इसके बाद उपनिदेशक ने अपने स्तर से पतारा और घाटमपुर ब्लाक से पात्र तीन जोड़ों के अभिलेखों की जांच की। जिसमें पाया कि पतारा ब्लाक कि कुं. अर्चना पुत्री परमेश वरदीन की शादी राजन पुत्र सुखवासी से करायी गयी। लेकिन आवेदन पत्र में वधू के पिता का आय प्रमाण पत्र ही नहीं लगा था। इन्होंने भी की फर्जी तरीके से शादी
इसी तरह पतारा की काजल पुत्री पप्पू ने अपना ही आय प्रमाण पत्र लगा दिया है। जबकि शासनादेश में माता-पिता के आयप्रमाण पत्र लगाने का निर्देश हैं। वहीं घाटमपुर ब्लाक की रुबी देवी पुत्री सरजू प्रसाद ने माता का आय प्रमाण पत्र लगाया था लेकिन ये पांच वर्ष पुराना लगा था। जबकि तीन वर्ष तक ही आय प्रमाण पत्र की वैधता नहीं होती है। सभी पत्रों की नहीं हो सकी जांच
उपनिदेशक ने अपनी जांच रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा है कि समाज कल्याण अधिकारी और पटल प्रभारी से जांच से संबंधित जो भी अभिलेख मांगे गए वो उपलब्ध नहीं कराए गए। जिससे अन्य आवेदन पत्रों की जांच नहीं हो सकी। पटल प्रभारी द्वारा उच्च अधिकारियों के आदेशों की अवहेलना की गई जो पूरी तरह से अनुशासनहीनता है। पटल प्रभारी के सस्पेंशन की संस्तुति की है। दिसंबर माह में जिले में समाज कल्याण विभाग द्वारा कराए गए सामूहिक विवाह में अपात्रों की शादी करा दी गई। समाज कल्याण निदेशक के निर्देश पर उपनिदेशक महिमा मिश्रा ने पात्र लाभार्थियों के आवेदन पत्रों की जांच की तो फर्जीवाड़ा सामने आया। 2 माह पहले शादी में फर्जीवाड़ा किया गया था। उपनिदेशक ने जिम्मेदारों को माना दोषी
जांच में तीन आवेदन पत्र ऐसे मिले जिनमें आय प्रमाण नहीं लगाए गए थे। इसके बाद भी उन्हें पात्र बनाकर योजना का लाभ दे दिया गया। पटल प्रभारी मिनेष गुप्ता द्वारा अपात्रों को लाभ देने और सामूहिक विवाह से जुड़े अभिलेखों को न दिखाने पर उपनिदेशक ने पूरी तरह से दोषी पाया है। उन्होंने निदेशक को पत्र लिखकर पटल प्रभारी के निलंबन की संस्तुति की है। 51 हजार रुपये का दिया जाता है लाभ
सामाज कल्याण विभाग की तरफ से गरीब कन्याओं की एक ही मंडप के नीचे सामूहिक विवाह योजना के तहत शादी करायी जाती है। पात्र लाभार्थी पर 51 हजार रुपये खर्च किए जाते हैं। जिसमें 35 हजार नकद, 10 हजार रुपये के उपहार और 6 हजार रुपये खाने पर खर्च किए जाते हैं। बिना मांग भरे, फेरे लिए हो गई थी शादी
दिसंबर में अलग-अलग ब्लाकों में कुल 360 जोड़ों की शादी करायी गई थी। जिसमें कई जोड़े ऐसे भी शामिल हुए थे जिन्होंने बिना मांग भरे और फेरे लिए योजना के उपहार लेकर चले गए थे। जिसका सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद दैनिक भास्कर एप ने प्रमुखता से खबर को पब्लिश किया था। जांच प्रभावित करने का प्रयास किया गया
खबर का संज्ञान समाज कल्याण निदेशक प्रशांत कुमार ने लिया तो जांच बैठा दी। उन्होंने उपनिदेशक समाज कल्याण से मामले की जांच कर रिपोर्ट मांगी थी। उपनिदेशक ने समाज कल्याण अधिकारी शिल्पी सिंह और पटल प्रभारी को पत्र लिखकर पात्र जोड़ों की सूची मांगी तो कोई भी अभिलेख उपलब्ध नहीं कराए गए। जांच प्रभावित करने का पूरा प्रयास किया गया। इसके बाद उपनिदेशक ने अपने स्तर से पतारा और घाटमपुर ब्लाक से पात्र तीन जोड़ों के अभिलेखों की जांच की। जिसमें पाया कि पतारा ब्लाक कि कुं. अर्चना पुत्री परमेश वरदीन की शादी राजन पुत्र सुखवासी से करायी गयी। लेकिन आवेदन पत्र में वधू के पिता का आय प्रमाण पत्र ही नहीं लगा था। इन्होंने भी की फर्जी तरीके से शादी
इसी तरह पतारा की काजल पुत्री पप्पू ने अपना ही आय प्रमाण पत्र लगा दिया है। जबकि शासनादेश में माता-पिता के आयप्रमाण पत्र लगाने का निर्देश हैं। वहीं घाटमपुर ब्लाक की रुबी देवी पुत्री सरजू प्रसाद ने माता का आय प्रमाण पत्र लगाया था लेकिन ये पांच वर्ष पुराना लगा था। जबकि तीन वर्ष तक ही आय प्रमाण पत्र की वैधता नहीं होती है। सभी पत्रों की नहीं हो सकी जांच
उपनिदेशक ने अपनी जांच रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा है कि समाज कल्याण अधिकारी और पटल प्रभारी से जांच से संबंधित जो भी अभिलेख मांगे गए वो उपलब्ध नहीं कराए गए। जिससे अन्य आवेदन पत्रों की जांच नहीं हो सकी। पटल प्रभारी द्वारा उच्च अधिकारियों के आदेशों की अवहेलना की गई जो पूरी तरह से अनुशासनहीनता है। पटल प्रभारी के सस्पेंशन की संस्तुति की है। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर