<p style=”text-align: justify;”><strong>Jammu Kashmir Narcotics Control Bureau:</strong> जम्मू कश्मीर में नशे के खिलाफ लड़ने के लिए बनाए गए नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के कामकाज पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं. पिछले 6 सालों में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने नशे के आरोप में 13000 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया, लेकिन मात्र चार को ही दोषी करार करवा पाई. </p>
<p style=”text-align: justify;”>यह चौंकाने वाले आंकड़े केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में एक प्रश्न के जवाब में जारी किए. वित्त राज्य मंत्री ने बताया कि नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने साल 2019 में 1700 लोगों को गिरफ्तार किया. वहीं, साल 2020 में 1769, साल 2021 में 2217, साल 2022 में 2755, साल 2023 में 3072 और साल 2024 में 1673 लोगों को गिरफ्तार किया गया. हालांकि नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो द्वारा की गई इन गिरफ्तारियां के बाद दोषी करार दिए जाने के आंकड़े काफी खराब रहे हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>किसी भी व्यक्ति को नहीं करवा पाया दोषी करार </strong><br />जवाब में वित्त मंत्रालय ने कहा है कि साल 2019, 2021, 2022 और 2024 में केवल एक-एक व्यक्ति को ही दोषी ठहराया गया. जबकि, साल 2020 और साल 2023 में ब्यूरो किसी भी व्यक्ति को दोषी करार नहीं करवा पाया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की शुरुआत</strong><br />जम्मू में पिछले 11 साल से नशे के खिलाफ जंग लड़ रही टीम जम्मू के संस्थापक जोरावर सिंह जाम्वाल ने इन आंकड़ों पर चिंता जताई है. उन्होंने कहा है कि नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की शुरुआत जम्मू कश्मीर में सिर्फ नशे के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए हुई थी, लेकिन यह आंकड़े ब्यूरो की विफलता को दर्शाते हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong> सवाल खड़े करते हैं आंकड़े</strong><br />उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की नशे के खिलाफ स्पष्ट नीति है. केंद्रीय गृह मंत्रालय भी कई बार नशे को जम्मू कश्मीर में जारी आतंकवाद से जोड़ चुका है लेकिन ऐसे में ब्यूरो के इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर और उनके द्वारा की गई जांच पर यह आंकड़े सवाल खड़े करते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>ये भी पढ़ें: </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a title=”Kashmir के सोपोर में जवानों के ट्रक चालक हत्या मामले का विरोध, उठाई निष्पक्ष जांच की मांग” href=”https://www.abplive.com/states/jammu-and-kashmir/jammu-kashmir-news-truck-driver-shot-dead-by-army-jawans-in-sopore-demand-for-investigation-ann-2878691″ target=”_self”>Kashmir के सोपोर में जवानों के ट्रक चालक हत्या मामले का विरोध, उठाई निष्पक्ष जांच की मांग</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Jammu Kashmir Narcotics Control Bureau:</strong> जम्मू कश्मीर में नशे के खिलाफ लड़ने के लिए बनाए गए नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के कामकाज पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं. पिछले 6 सालों में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने नशे के आरोप में 13000 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया, लेकिन मात्र चार को ही दोषी करार करवा पाई. </p>
<p style=”text-align: justify;”>यह चौंकाने वाले आंकड़े केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में एक प्रश्न के जवाब में जारी किए. वित्त राज्य मंत्री ने बताया कि नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने साल 2019 में 1700 लोगों को गिरफ्तार किया. वहीं, साल 2020 में 1769, साल 2021 में 2217, साल 2022 में 2755, साल 2023 में 3072 और साल 2024 में 1673 लोगों को गिरफ्तार किया गया. हालांकि नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो द्वारा की गई इन गिरफ्तारियां के बाद दोषी करार दिए जाने के आंकड़े काफी खराब रहे हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>किसी भी व्यक्ति को नहीं करवा पाया दोषी करार </strong><br />जवाब में वित्त मंत्रालय ने कहा है कि साल 2019, 2021, 2022 और 2024 में केवल एक-एक व्यक्ति को ही दोषी ठहराया गया. जबकि, साल 2020 और साल 2023 में ब्यूरो किसी भी व्यक्ति को दोषी करार नहीं करवा पाया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की शुरुआत</strong><br />जम्मू में पिछले 11 साल से नशे के खिलाफ जंग लड़ रही टीम जम्मू के संस्थापक जोरावर सिंह जाम्वाल ने इन आंकड़ों पर चिंता जताई है. उन्होंने कहा है कि नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की शुरुआत जम्मू कश्मीर में सिर्फ नशे के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए हुई थी, लेकिन यह आंकड़े ब्यूरो की विफलता को दर्शाते हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong> सवाल खड़े करते हैं आंकड़े</strong><br />उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की नशे के खिलाफ स्पष्ट नीति है. केंद्रीय गृह मंत्रालय भी कई बार नशे को जम्मू कश्मीर में जारी आतंकवाद से जोड़ चुका है लेकिन ऐसे में ब्यूरो के इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर और उनके द्वारा की गई जांच पर यह आंकड़े सवाल खड़े करते हैं.</p>
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