भाजपा के जिलाध्यक्ष दौड़ लगाकर हांफ गए, लिस्ट नहीं आई:सांसद-विधायक अपनी पसंद का नेता चाहते हैं; सांसदी हारने वाले हटाने पर अड़े

भाजपा के जिलाध्यक्ष दौड़ लगाकर हांफ गए, लिस्ट नहीं आई:सांसद-विधायक अपनी पसंद का नेता चाहते हैं; सांसदी हारने वाले हटाने पर अड़े

भाजपा के जिलाध्यक्षों की नियुक्ति लटकती जा रही है। सूची पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व की ओर से तय समय सीमा के 22 दिन बाद भी जारी नहीं हो सकी है। वहीं, प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति का मामला भी चर्चाओं के दौर तक सीमित है। आलम यह है कि जिलाध्यक्ष पद के दावेदार लखनऊ से दिल्ली तक दौड़ लगा-लगाकर हांफ गए हैं। पार्टी के बड़े नेताओं के बीच कुछ जिलों को लेकर सहमति नहीं बनने से मामला अभी अटका है। भाजपा के संगठनात्मक चुनाव की प्रक्रिया के तहत यूपी में 1819 संगठनात्मक मंडलों में से करीब 1531 मंडलों में मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति हुई है। करीब 288 मंडलों में आपसी खींचतान और विवाद के चलते मंडल अध्यक्ष नियुक्त नहीं हो सके। कई दौर का हो चुका है मंथन
जिलाध्यक्षों की नियुक्ति के लिए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी, महामंत्री संगठन बीएल संतोष और चुनाव अधिकारी डॉ. महेंद्रनाथ पांडेय के बीच कई दौर का मंथन हो चुका है। सूत्रों के मुताबिक, एक बार दिल्ली में भी केंद्रीय नेतृत्व के सामने चर्चा हो चुकी है। लेकिन, कुछ सुझाव के बाद मामला टल गया। क्षेत्रीय अध्यक्ष सहमत नहीं
सूत्रों के मुताबिक, गोरखपुर, अवध, कानपुर और पश्चिम क्षेत्र के जिलाध्यक्ष कुछ जिलों में प्रस्तावित नामों को लेकर सहमत नहीं हैं। गोरखपुर के क्षेत्रीय अध्यक्ष सहजानंद राय आजमगढ़ में जिलाध्यक्ष को बरकरार रखना चाहते हैं। जबकि मऊ में जिलाध्यक्ष को बदलना चाहते हैं। पार्टी का एक वर्ग इससे सहमत नहीं है। अवध के क्षेत्रीय अध्यक्ष कमलेश मिश्रा भी लखनऊ महानगर में एकमात्र नामांकन दाखिल होने से खुश नहीं हैं। कानपुर के क्षेत्रीय अध्यक्ष प्रकाश पाल भी अपने करीबी जिलाध्यक्षों को बनाए रखना चाहते हैं। पश्चिमी यूपी में विवाद के चलते अलीगढ़ महानगर और अलीगढ़ जिला, शामली, बागपत, फिरोजाबाद, हापुड़, संभल सहित अन्य जिलों में चुनाव ही स्थगित हो गया है। 22 दिन बाद भी सूची जारी नहीं
भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री संगठन बीएल संतोष जनवरी में लखनऊ प्रवास पर आए थे। उन्होंने 15 जनवरी तक सभी जिलाध्यक्षों की सूची जारी करने का समय तय किया था। 25 जनवरी तक प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति के भी संकेत दिए थे। लेकिन, उनकी ओर से तय समय सीमा के 22 दिन बाद भी जिलाध्यक्षों की नियुक्ति नहीं हो सकी है। वहीं, प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति पर केवल चर्चा ही चल रही है। 60 फीसदी से ज्यादा जिलाध्यक्ष बरकरार रहेंगे
भाजपा ने सितंबर, 2023 में 98 संगठनात्मक जिलों में जिलाध्यक्ष नियुक्त किए थे। 69 जिलाध्यक्ष नए बनाए थे, 29 जिलाध्यक्षों को फिर से मौका दिया गया था। जिन्हें 2023 में दोबारा मौका दिया गया, उन्हें अब तीसरा मौका नहीं दिया जाएगा। जबकि 69 में से अधिकांश को दूसरी बार मौका दिया जाएगा। कोर कमेटी की बैठक के बाद सूची फाइनल होगी
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी का कहना है कि सीएम योगी, दोनों डिप्टी सीएम के महाकुंभ और दिल्ली चुनाव में व्यस्त होने के कारण कोर कमेटी की बैठक नहीं हो सकी। आगामी दिनों में कोर कमेटी की बैठक के बाद जिलाध्यक्षों की सूची फाइनल की जाएगी। प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति भी टल रही केजरीवाल के बयान के बाद पलटा निर्णय
भाजपा के जानकारों का मानना है कि दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर जाटों को ओबीसी में आरक्षण देने की मांग की थी। केजरीवाल ने चुनाव के दौरान जाट कार्ड खेला, तो भाजपा नेतृत्व ने यूपी में प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव टाल दिया। पार्टी नेतृत्व ने चुनाव के दौरान जाट प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी की जगह नया अध्यक्ष चुनना मुनासिब नहीं समझा। लोधी समाज दो फाड़ हुआ
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पद को लेकर लोधी समाज भी दो फाड़ हो गया है। प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए केंद्रीय मंत्री बीएल वर्मा का नाम तेजी से सामने आते ही उनके विरोधी मुखर हो गए हैं। बीते दिनों पूर्व सीएम स्वर्गीय कल्याण सिंह के बेटे राजबीर सिंह ने एटा में समाज की बड़ी रैली की। रैली में सांसद मुकेश लोधी, गंगाचरण राजपूत, राजबीर समर्थक विधायक कैलाश राजपूत, देवेंद्र लोधी, हरिओम, सीपी सिंह भी पहुंचे। लेकिन समाज की रैली में बीएल वर्मा को नहीं बुलाया गया था। रैली का मकसद यही संदेश देना था कि कल्याण सिंह के परिवार के होते हुए समाज से कोई अन्य बड़ा नेता भाजपा में तैयार नहीं किया जाए। इधर, पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह ने भी प्रदेश अध्यक्ष की दावेदारी की है। धर्मपाल की दावेदारी से नेताओं का तीसरा गुट बन सकता है। ———————– ये खबर भी पढ़ें… मिल्कीपुर उपचुनाव, अखिलेश बोले- चुनाव आयोग मर चुका, सफेद कपड़ा भेंट करना पड़ेगा मिल्कीपुर उपचुनाव के नतीजे 8 फरवरी को आएंगे, इससे पहले सियासत तेज है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सांसदों के साथ गुरुवार को संसद के बाहर प्रदर्शन किया। सांसदों ने एक कफन हाथ में ले रखा था, जिस पर चुनाव आयोग लिखा था। अखिलेश यादव ने कहा- यह भाजपा का चुनाव लड़ने का तरीका है। चुनाव आयोग मर गया है, सफेद कपड़ा भेंट करना पड़ेगा। कल सुबह से मैंने और पार्टी ने 500 शिकायतें की थीं, लेकिन एक्शन नहीं हुआ। पढ़ें पूरी खबर… भाजपा के जिलाध्यक्षों की नियुक्ति लटकती जा रही है। सूची पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व की ओर से तय समय सीमा के 22 दिन बाद भी जारी नहीं हो सकी है। वहीं, प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति का मामला भी चर्चाओं के दौर तक सीमित है। आलम यह है कि जिलाध्यक्ष पद के दावेदार लखनऊ से दिल्ली तक दौड़ लगा-लगाकर हांफ गए हैं। पार्टी के बड़े नेताओं के बीच कुछ जिलों को लेकर सहमति नहीं बनने से मामला अभी अटका है। भाजपा के संगठनात्मक चुनाव की प्रक्रिया के तहत यूपी में 1819 संगठनात्मक मंडलों में से करीब 1531 मंडलों में मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति हुई है। करीब 288 मंडलों में आपसी खींचतान और विवाद के चलते मंडल अध्यक्ष नियुक्त नहीं हो सके। कई दौर का हो चुका है मंथन
जिलाध्यक्षों की नियुक्ति के लिए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी, महामंत्री संगठन बीएल संतोष और चुनाव अधिकारी डॉ. महेंद्रनाथ पांडेय के बीच कई दौर का मंथन हो चुका है। सूत्रों के मुताबिक, एक बार दिल्ली में भी केंद्रीय नेतृत्व के सामने चर्चा हो चुकी है। लेकिन, कुछ सुझाव के बाद मामला टल गया। क्षेत्रीय अध्यक्ष सहमत नहीं
सूत्रों के मुताबिक, गोरखपुर, अवध, कानपुर और पश्चिम क्षेत्र के जिलाध्यक्ष कुछ जिलों में प्रस्तावित नामों को लेकर सहमत नहीं हैं। गोरखपुर के क्षेत्रीय अध्यक्ष सहजानंद राय आजमगढ़ में जिलाध्यक्ष को बरकरार रखना चाहते हैं। जबकि मऊ में जिलाध्यक्ष को बदलना चाहते हैं। पार्टी का एक वर्ग इससे सहमत नहीं है। अवध के क्षेत्रीय अध्यक्ष कमलेश मिश्रा भी लखनऊ महानगर में एकमात्र नामांकन दाखिल होने से खुश नहीं हैं। कानपुर के क्षेत्रीय अध्यक्ष प्रकाश पाल भी अपने करीबी जिलाध्यक्षों को बनाए रखना चाहते हैं। पश्चिमी यूपी में विवाद के चलते अलीगढ़ महानगर और अलीगढ़ जिला, शामली, बागपत, फिरोजाबाद, हापुड़, संभल सहित अन्य जिलों में चुनाव ही स्थगित हो गया है। 22 दिन बाद भी सूची जारी नहीं
भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री संगठन बीएल संतोष जनवरी में लखनऊ प्रवास पर आए थे। उन्होंने 15 जनवरी तक सभी जिलाध्यक्षों की सूची जारी करने का समय तय किया था। 25 जनवरी तक प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति के भी संकेत दिए थे। लेकिन, उनकी ओर से तय समय सीमा के 22 दिन बाद भी जिलाध्यक्षों की नियुक्ति नहीं हो सकी है। वहीं, प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति पर केवल चर्चा ही चल रही है। 60 फीसदी से ज्यादा जिलाध्यक्ष बरकरार रहेंगे
भाजपा ने सितंबर, 2023 में 98 संगठनात्मक जिलों में जिलाध्यक्ष नियुक्त किए थे। 69 जिलाध्यक्ष नए बनाए थे, 29 जिलाध्यक्षों को फिर से मौका दिया गया था। जिन्हें 2023 में दोबारा मौका दिया गया, उन्हें अब तीसरा मौका नहीं दिया जाएगा। जबकि 69 में से अधिकांश को दूसरी बार मौका दिया जाएगा। कोर कमेटी की बैठक के बाद सूची फाइनल होगी
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी का कहना है कि सीएम योगी, दोनों डिप्टी सीएम के महाकुंभ और दिल्ली चुनाव में व्यस्त होने के कारण कोर कमेटी की बैठक नहीं हो सकी। आगामी दिनों में कोर कमेटी की बैठक के बाद जिलाध्यक्षों की सूची फाइनल की जाएगी। प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति भी टल रही केजरीवाल के बयान के बाद पलटा निर्णय
भाजपा के जानकारों का मानना है कि दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर जाटों को ओबीसी में आरक्षण देने की मांग की थी। केजरीवाल ने चुनाव के दौरान जाट कार्ड खेला, तो भाजपा नेतृत्व ने यूपी में प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव टाल दिया। पार्टी नेतृत्व ने चुनाव के दौरान जाट प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी की जगह नया अध्यक्ष चुनना मुनासिब नहीं समझा। लोधी समाज दो फाड़ हुआ
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पद को लेकर लोधी समाज भी दो फाड़ हो गया है। प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए केंद्रीय मंत्री बीएल वर्मा का नाम तेजी से सामने आते ही उनके विरोधी मुखर हो गए हैं। बीते दिनों पूर्व सीएम स्वर्गीय कल्याण सिंह के बेटे राजबीर सिंह ने एटा में समाज की बड़ी रैली की। रैली में सांसद मुकेश लोधी, गंगाचरण राजपूत, राजबीर समर्थक विधायक कैलाश राजपूत, देवेंद्र लोधी, हरिओम, सीपी सिंह भी पहुंचे। लेकिन समाज की रैली में बीएल वर्मा को नहीं बुलाया गया था। रैली का मकसद यही संदेश देना था कि कल्याण सिंह के परिवार के होते हुए समाज से कोई अन्य बड़ा नेता भाजपा में तैयार नहीं किया जाए। इधर, पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह ने भी प्रदेश अध्यक्ष की दावेदारी की है। धर्मपाल की दावेदारी से नेताओं का तीसरा गुट बन सकता है। ———————– ये खबर भी पढ़ें… मिल्कीपुर उपचुनाव, अखिलेश बोले- चुनाव आयोग मर चुका, सफेद कपड़ा भेंट करना पड़ेगा मिल्कीपुर उपचुनाव के नतीजे 8 फरवरी को आएंगे, इससे पहले सियासत तेज है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सांसदों के साथ गुरुवार को संसद के बाहर प्रदर्शन किया। सांसदों ने एक कफन हाथ में ले रखा था, जिस पर चुनाव आयोग लिखा था। अखिलेश यादव ने कहा- यह भाजपा का चुनाव लड़ने का तरीका है। चुनाव आयोग मर गया है, सफेद कपड़ा भेंट करना पड़ेगा। कल सुबह से मैंने और पार्टी ने 500 शिकायतें की थीं, लेकिन एक्शन नहीं हुआ। पढ़ें पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर