ममता कुलकर्णी 2 दिन बाद फिर किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर बन गईं। उन्होंने अपना इस्तीफा वापस ले लिया है। गुरुवार को वीडियो जारी करते हुए कहा, उनकी गुरु डॉक्टर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने इस्तीफा स्वीकार नहीं किया। ममता ने दो दिन पहले इंस्टाग्राम पर वीडियो पोस्ट कर महामंडलेश्वर पद छोड़ने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था, किन्नर अखाड़े में लोग आपस में झगड़ रहे हैं। इससे दुखी हूं। दैनिक भास्कर से आचार्य महामंडलेश्वर डॉ. लक्ष्मी त्रिपाठी ने कहा, ‘ममता कुलकर्णी को हमने महामंडलेश्वर बनाया था। वह किन्नर अखाड़े में थीं, हैं और आगे भी रहेंगी।’ प्रयागराज महाकुंभ में 24 जनवरी को ममता को महामंडलेश्वर बनाया गया था। ममता को नया नाम श्रीयामाई ममता नंद गिरि मिला था। करीब 7 दिन तक वह महाकुंभ में ही रहीं। ममता पर विवाद, उनके संन्यास की पूरी कहानी सिलसिलेवार पढ़िए दोबारा महामंडलेश्वर पद लेने पर ममता बोलीं- मैं श्रीयामाई ममता नंद गिरि। दो दिन पहले मेरे पट्टा गुरु लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी पर कुछ लोगों ने गलत आक्षेप लगाए थे। इस भावना में आकर मैंने अपने पद से इस्तीफा दिया, लेकिन उन्होंने इस्तीफा नामंजूर कर दिया। और जो गुरु भेंट मैंने आचार्य लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी को दी थी, वो एक महामंडलेश्वर बनने के बाद जो छत्र, छड़ी और चंवर होते हैं, उसके लिए थे। जो थोड़े बचे, वो भंडारे के लिए समर्पित किया था। मैंने उनकी कृतज्ञ हूं कि उन्होंने वापस इस पद पर बैठाया। आगे चलकर मैं अपना जीवन किन्नर अखाड़ा और सनातन धर्म के लिए समर्पित करूंगी। इस्तीफा देकर ममता बोलीं- हमेशा साध्वी रहूंगी ममता कुलकर्णी ने 10 फरवरी को किन्नर अखाड़े का महामंडलेश्वर पद छोड़ दिया था। कहा, मैं महामंडलेश्वर यामाई ममता नंद गिरि अपने पद से इस्तीफा दे रही हूं। आज किन्नर अखाड़े में मुझे लेकर समस्याएं हो रही हैं। मैं 25 साल से एक साध्वी थी और हमेशा साध्वी रहूंगी। मुझे महामंडलेश्वर का सम्मान दिया गया था, लेकिन ये कुछ लोगों के लिए आपत्तिजनक हो गया था। चाहें वो शंकराचार्य हों या कोई और हों। मैंने तो बॉलीवुड को 25 साल पहले ही छोड़ दिया था। मेकअप और बॉलीवुड से इतना दूर कौन रहता है, लेकिन मैंने 25 साल तपस्या की। मैं खुद गायब रही। मुझे लेकर लोग प्रतिक्रिया देते हैं कि मैं ये क्यों करती हूं या वो क्यों करती हूं। नारायण तो सब सम्पन्न हैं। वो सब प्रकार के आभूषण पहनकर, धारण करके महायोगी हैं, भगवान हैं। कोई देवी-देवता आप देखोगे किसी प्रकार के श्रृंगार से कम नहीं और मेरे सामने सब आए थे, सब इसी श्रृंगार में आ गए थे। मेरे गुरु की बराबरी में कोई और नहीं
ममता कहती हैं, एक शंकराचार्य ने कहा कि ममता कुलकर्णी दो अखाड़ों के बीच में फंस गई, लेकिन मेरे गुरु स्वामी चैतन्य गगन गिरी महाराज हैं। जिनके सानिध्य में मैंने 25 साल तपस्या की है। उनकी बराबरी में मुझे कोई और नहीं दिखता। मेरे गुरु बहुत ऊंचे हैं। सब में अहंकार है। आपस में झगड़ रहे हैं। मुझे किसी कैलाश या हिमालय में जाने की कोई जरूरत नहीं है। सब ब्रह्मांड मेरे सामने है। महामंडलेश्वर जय अंबा गिरी ने मेरी तरफ से दो लाख दिए थे
ममता कुलकर्णी ने कहा, आज मेरे महामंडलेश्वर बनने से जिनको आपत्ति हुई है, चाहें वो हिमांगी हों या कोई और, मैं उनके बारे में कुछ नहीं कहूंगी। इन लोगों को ब्रह्म विद्या के बारे में कुछ भी नहीं पता है। मैं बस इतना कहना चाहती हूं कि मैं लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी का सम्मान करती हूं। मैं हिमांगी उमांगी को नहीं जानती हूं। ये सब कौन हैं? ममता कुलकर्णी पर 10 करोड़ देकर महामंडलेश्वर पद लेने का आरोप लगा था। इस पर ममता कुलकर्णी ने कहा, जहां तक पैसे की लेन-देन की बात है, तो मुझसे दो लाख रुपए मांगे गए थे, लेकिन मैंने कमरे के अंदर महामंडलेश्वर और जगदगुरुओं के सामने कहा था कि मेरे पास दो लाख रुपए नहीं हैं। तब वहां पर बैठी हुईं महामंडलेश्वर जय अंबा गिरी ने अपनी जेब से दो लाख रुपए लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को दिए थे। इसके ऊपर चार करोड़ और तीन करोड़ देने वाली बाते हैं, लेकिन मैंने कुछ नहीं किया। मैंने 25 साल चंडी की आराधना की है। उसी ने मुझे संकेत दिया कि मुझे इन सबसे बाहर होना चाहिए। ममता के महामंडलेश्वर बनाए जाने पर विवाद क्या था? जगद्गुरु हिमांगी सखी बोलीं- ममता के D कंपनी से कनेक्शन
किन्नर जगद्गुरु हिमांगी सखी ने ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाए जाने पर गहरी आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा, ममता कुलकर्णी के D कंपनी से कनेक्शन हैं। ड्रग केस में जेल जाने का उनका इतिहास है। क्या यह सिर्फ प्रचार का हथकंडा है? आचार और संस्कार पर ध्यान देना जरूरी है। इस मामले की जांच होनी चाहिए। मैं इसकी कड़ी निंदा करती हूं। हिमांगी ने कहा- किन्नर अखाड़ा किन्नरों के लिए है, एक महिला को महामंडलेश्वर क्यों बनाया गया। वो भी तब जब उसके अंडरवर्ल्ड से संबंध हैं। बाबा रामदेव और पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने भी किया विरोध पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री और योग गुरु बाबा रामदेव समेत कई संतों ने इसका विरोध किया। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा- किसी भी तरह के बाहरी प्रभाव में आकर किसी को भी संत या महामंडलेश्वर कैसे बनाया जा सकता है? पदवी उसी को दी जानी चाहिए, जिसके अंदर संत या साध्वी के भाव हों। योग गुरु बाबा रामदेव ने कहा था, कोई एक दिन में संतत्व को उपलब्ध नहीं हो सकता। उसके लिए सालों की साधना लगती है। आजकल तो मैं देख रहा हूं कि किसी की भी मुंडी पकड़कर महामंडलेश्वर बना दिया। ऐसा नहीं होता है। खुद को किन्नर अखाड़े का संस्थापक होने का दावा करने वाले ऋषि अजय दास भी विरोध में उतर आए थे। अजय दास ने दावा किया था- मैंने लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी और अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर पद से हटा दिया है। ममता को महामंडलेश्वर बनाने में प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया, जिस पर (ममता पर) देशद्रोह का आरोप हो। उसे महामंडलेश्वर कैसे बनाया जा सकता है? दास ने ये भी कहा था कि ये कोई बिग बॉस का शो नहीं है, जिसको कुंभ के दौरान एक महीने चला दिया जाए। लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी को मैंने किन्नर समाज के उत्थान और धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए आचार्य महामंडलेश्वर बनाया था, लेकिन वह भटक गईं। ऐसे में मुझे एक्शन लेना पड़ा। शांभवी पीठाधीश्वर श्री स्वामी आनंद स्वरूप महाराज ने कहा था, किन्नर अखाड़े को मान्यता देकर पिछले कुंभ में महापाप हुआ था, जिस प्रकार की अनुशासनहीनता हो रही है, वो बहुत घातक है। ये सनातन धर्म के साथ एक धोखा है, छल है। मैंने ममता से कहा- इन लोगों के जाल में मत पड़ो। स्त्री के लिए संन्यास नहीं है। तमाम ऐसी परंपरा है, जिसमें तुम विरक्त होकर रह सकती हो। उन्होंने कहा कि ऐसी जगह न गिरो कि लोग तुम्हारे ऊपर थूकें। किन्नर अखाड़े को लोग मजाक में ले रहे हैं। वहां ज्ञान भक्ति की बात नहीं हो रही। कुंभ का मजाक बनाने का प्रयास हो रहा है। जब-जब अधर्म होगा, तब-तब मैं बोलूंगा। ममता का नाम बहुत बड़ा है। ये लोग उसके नाम पर व्यापार करेंगे। ममता कुलकर्णी का विषय बहुत घातक और धर्म के खिलाफ है। आचार्य महामंडलेश्वर ने किया बचाव, बोलीं- ममता इस्लाम स्वीकार कर लेती तो…? ममता कुलकर्णी के इस्तीफे के बाद किन्नर अखाड़ा की आचार्य महामंडलेश्वर डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने कहा, ममता कुलकर्णी के किन्नर अखाड़ा में महामंडलेश्वर बनने से कुछ लोग ज्यादा परेशान हैं। जबकि यही ममता कुलकर्णी अगर इस्लाम में चली जातीं तो धर्म के तथाकथित ठेकेदार तब क्या करते? इस बारे में तब कोई कुछ नहीं बोलता। आज सनातन धर्म के बहुत से लोग इस्लाम और क्रिश्चियन बन रहे हैं, इस मामले को गंभीरता से लेते हुए इसको रोकने के लिए किन्नर अखाड़ा व्यापक स्तर पर काम कर रहा है। 24 घंटे में महामंडलेश्वर बनी थीं ममता कुलकर्णी ममता कुलकर्णी करीब दो दशक से साध्वी जैसी जिंदगी जीने का दावा करती रही हैं। वह 23 जनवरी को प्रयागराज महाकुंभ पहुंची थीं। वह भगवा कपड़े पहनी दिखीं। उन्होंने गले में रुद्राक्ष की दो बड़ी माला पहन रखी थी। कंधे पर भगवा झोला भी टांग रखा था। ममता 24 घंटे में महामंडलेश्वर बन गईं। किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी से मिलीं। दोनों में लंबी बातचीत चली। दोपहर में दोनों अखाड़े के पदाधिकारियों के साथ अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष रविंद्र पुरी से मिलीं और महामंडलेश्वर बनने की हरी झंडी मिल गई। इसके बाद ममता कुलकर्णी के महामंडलेश्वर बनने की प्रक्रिया शुरू हुई। पिंडदान किया और संगम में डुबकी लगाई। देर शाम किन्नर अखाड़े में पट्टाभिषेक हुआ और वह महामंडलेश्वर बन गईं। बताया, महामंडलेश्वर बनने से ठीक पहले उनकी परीक्षा ली गई। 23 साल तक की गई तपस्या, साधना और ध्यान से संबंधित ढेर सारे सवाल पूछे गए। हर सवाल का सही जवाब देने और तरह-तरह की परीक्षाओं में पास होने के बाद उन्हें उपाधि मिली है। ममता कुलकर्णी के पट्टाभिषेक की तस्वीरें… ममता ने कहा- अब बॉलीवुड से मेरा कोई नाता नहीं ममता ने कहा था, साल 2000 से मैंने अपनी तपस्या शुरू की। मेरे गुरु श्री चैतन्य गगन गिरी गुरु नाथ हैं। उनसे मैंने दीक्षा ली थी। उनका कुपोली में आश्रम है। 23 साल से मेरी तपस्या चल रही है। महामंडलेश्वर बनना, वो भी अर्धनारीश्वर स्वरूप के हाथों से बनना। इससे बड़ा सौभाग्य क्या हो सकता है। आज शुक्रवार का दिन है, आदि शक्ति का दिन है। महाकाली का मेरे ऊपर आशीर्वाद है। वो मेरी मां हैं। मैं उनकी अंश स्वरूप हैं। एक आदि शक्ति और अर्धनारीश्वर स्वरूप से मेरा पट्टाभिषेक हो रहा है। इससे और बड़ी चीज क्या हो सकती है। अब बॉलीवुड से मेरा कोई नाता नहीं है। वो तो मैंने कब का छोड़ दिया। मैं बॉलीवुड के लिए वापस नहीं आई। मैं 23 साल बाद इंडिया में आई। मैं 2013 के कुंभ मेले में आई थी। 144 साल बाद ये जो महाकुंभ है। मैं सिर्फ इसके लिए आई हूं। अब मुझे महामंडलेश्वर की ख्याति मिल रही है। इससे बड़ी बात क्या हो सकती है। अब मुझे कुछ नहीं चाहिए। महामंडलेश्वर बनने की यह है प्रक्रिया संन्यास से पहले भी विवादों में रहीं ममता मैगजीन के लिए टॉपलेस फोटोशूट कराया शाहरुख खान, सलमान खान, अजय देवगन, अनिल कपूर जैसे बड़े स्टार्स से साथ स्क्रीन शेयर करने वाली ममता, उस वक्त विवादों में आई जब उन्होंने साल 1993 में स्टारडस्ट मैगजीन के लिए टॉपलेस फोटोशूट कराया था। वहीं, डायरेक्टर राजकुमार संतोषी ने ममता को फिल्म ‘चाइना गेट’ में बतौर लीड एक्ट्रेस लिया था। शुरुआती अनबन के बाद संतोषी, ममता को फिल्म से बाहर निकालना चाहते थे। खबरों के मुताबिक, अंडरवर्ल्ड से प्रेशर बढ़ने के बाद, उन्हें फिल्म में रखा गया। हालांकि, फिल्म फ्लॉप साबित हुई और बाद में ममता ने संतोषी पर सेक्सुअल हैरेसमेंट का आरोप भी लगाया। ड्रग माफिया से रचाई शादी, साध्वी बनीं
ममता पर आरोप लगा कि उन्होंने दुबई के रहने वाले अंडरवर्ल्ड ड्रग माफिया विक्की गोस्वामी से शादी की थी। हालांकि, ममता ने अपनी शादी की खबरों को हमेशा ही अफवाह बताया। ममता का कहना था, ‘मैंने कभी किसी से शादी नहीं की थी। यह सही है कि मैं विक्की से प्यार करती हूं, लेकिन उसे भी पता होगा कि अब मेरा पहला प्यार ईश्वर हैं।’ ममता ने 2013 में अपनी किताब ‘ऑटोबायोग्राफी ऑफ ए योगिनी’ रिलीज की थी। इस दौरान फिल्मी दुनिया को अलविदा कहने की वजह बताते हुए कहा था, ‘कुछ लोग दुनिया के कामों के लिए पैदा होते है, जबकि कुछ ईश्वर के लिए पैदा होते हैं। मैं भी ईश्वर के लिए पैदा हुई हूं।’ तमिल फिल्म से शुरू किया करियर
ममता कुलकर्णी का जन्म 20 अप्रैल 1972 को मुंबई में हुआ था। ममता ने 1991 में अपने करियर की शुरुआत तमिल फिल्म ‘ननबरगल’ से की। साल 1991 में ही उनकी पहली हिंदी फिल्म ‘मेरा दिल तेरे लिए’ रिलीज हुई। वेबसाइट आईएमडीबी के मुताबिक एक्ट्रेस ने अपने करियर में कुल 34 फिल्में की हैं। ममता को साल 1993 में फिल्म ‘आशिक आवारा’ के लिए बेस्ट डेब्यू एक्ट्रेस का फिल्म फेयर अवॉर्ड मिला था। इसके बाद वे ‘वक्त हमारा है’, ‘क्रांतिवीर’, ‘करण अर्जुन’, ‘बाजी’ जैसी फिल्मों में नजर आईं। उनकी लास्ट फिल्म ‘कभी तुम कभी हम’ साल 2002 में रिलीज हुई थी। ———————————- महाकुंभ से जुड़ी ये भी खबर पढ़िए… महाकुंभ में 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन:11 एकड़ में भारत के नक्शे पर बना; 22 आर्टिस्ट ने स्क्रैप से तैयार किया शिवालय पार्क महाकुंभ आने वालों के लिए आकर्षण का केंद्र शिवालय पार्क है। एक ही जगह पर 12 ज्योतिर्लिंग और सभी बड़े शिवालय के दर्शन हो रहे हैं। काठमांडू के पशुपतिनाथ मंदिर की प्रतिकृति भी यहां बनाई गई है। यह पार्क पूरी तरह से स्क्रैप से तैयार किया गया है। इसरो की सैटेलाइट से ली गई तस्वीरों में भी दिखता है। पढ़ें पूरी खबर… ममता कुलकर्णी 2 दिन बाद फिर किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर बन गईं। उन्होंने अपना इस्तीफा वापस ले लिया है। गुरुवार को वीडियो जारी करते हुए कहा, उनकी गुरु डॉक्टर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने इस्तीफा स्वीकार नहीं किया। ममता ने दो दिन पहले इंस्टाग्राम पर वीडियो पोस्ट कर महामंडलेश्वर पद छोड़ने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था, किन्नर अखाड़े में लोग आपस में झगड़ रहे हैं। इससे दुखी हूं। दैनिक भास्कर से आचार्य महामंडलेश्वर डॉ. लक्ष्मी त्रिपाठी ने कहा, ‘ममता कुलकर्णी को हमने महामंडलेश्वर बनाया था। वह किन्नर अखाड़े में थीं, हैं और आगे भी रहेंगी।’ प्रयागराज महाकुंभ में 24 जनवरी को ममता को महामंडलेश्वर बनाया गया था। ममता को नया नाम श्रीयामाई ममता नंद गिरि मिला था। करीब 7 दिन तक वह महाकुंभ में ही रहीं। ममता पर विवाद, उनके संन्यास की पूरी कहानी सिलसिलेवार पढ़िए दोबारा महामंडलेश्वर पद लेने पर ममता बोलीं- मैं श्रीयामाई ममता नंद गिरि। दो दिन पहले मेरे पट्टा गुरु लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी पर कुछ लोगों ने गलत आक्षेप लगाए थे। इस भावना में आकर मैंने अपने पद से इस्तीफा दिया, लेकिन उन्होंने इस्तीफा नामंजूर कर दिया। और जो गुरु भेंट मैंने आचार्य लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी को दी थी, वो एक महामंडलेश्वर बनने के बाद जो छत्र, छड़ी और चंवर होते हैं, उसके लिए थे। जो थोड़े बचे, वो भंडारे के लिए समर्पित किया था। मैंने उनकी कृतज्ञ हूं कि उन्होंने वापस इस पद पर बैठाया। आगे चलकर मैं अपना जीवन किन्नर अखाड़ा और सनातन धर्म के लिए समर्पित करूंगी। इस्तीफा देकर ममता बोलीं- हमेशा साध्वी रहूंगी ममता कुलकर्णी ने 10 फरवरी को किन्नर अखाड़े का महामंडलेश्वर पद छोड़ दिया था। कहा, मैं महामंडलेश्वर यामाई ममता नंद गिरि अपने पद से इस्तीफा दे रही हूं। आज किन्नर अखाड़े में मुझे लेकर समस्याएं हो रही हैं। मैं 25 साल से एक साध्वी थी और हमेशा साध्वी रहूंगी। मुझे महामंडलेश्वर का सम्मान दिया गया था, लेकिन ये कुछ लोगों के लिए आपत्तिजनक हो गया था। चाहें वो शंकराचार्य हों या कोई और हों। मैंने तो बॉलीवुड को 25 साल पहले ही छोड़ दिया था। मेकअप और बॉलीवुड से इतना दूर कौन रहता है, लेकिन मैंने 25 साल तपस्या की। मैं खुद गायब रही। मुझे लेकर लोग प्रतिक्रिया देते हैं कि मैं ये क्यों करती हूं या वो क्यों करती हूं। नारायण तो सब सम्पन्न हैं। वो सब प्रकार के आभूषण पहनकर, धारण करके महायोगी हैं, भगवान हैं। कोई देवी-देवता आप देखोगे किसी प्रकार के श्रृंगार से कम नहीं और मेरे सामने सब आए थे, सब इसी श्रृंगार में आ गए थे। मेरे गुरु की बराबरी में कोई और नहीं
ममता कहती हैं, एक शंकराचार्य ने कहा कि ममता कुलकर्णी दो अखाड़ों के बीच में फंस गई, लेकिन मेरे गुरु स्वामी चैतन्य गगन गिरी महाराज हैं। जिनके सानिध्य में मैंने 25 साल तपस्या की है। उनकी बराबरी में मुझे कोई और नहीं दिखता। मेरे गुरु बहुत ऊंचे हैं। सब में अहंकार है। आपस में झगड़ रहे हैं। मुझे किसी कैलाश या हिमालय में जाने की कोई जरूरत नहीं है। सब ब्रह्मांड मेरे सामने है। महामंडलेश्वर जय अंबा गिरी ने मेरी तरफ से दो लाख दिए थे
ममता कुलकर्णी ने कहा, आज मेरे महामंडलेश्वर बनने से जिनको आपत्ति हुई है, चाहें वो हिमांगी हों या कोई और, मैं उनके बारे में कुछ नहीं कहूंगी। इन लोगों को ब्रह्म विद्या के बारे में कुछ भी नहीं पता है। मैं बस इतना कहना चाहती हूं कि मैं लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी का सम्मान करती हूं। मैं हिमांगी उमांगी को नहीं जानती हूं। ये सब कौन हैं? ममता कुलकर्णी पर 10 करोड़ देकर महामंडलेश्वर पद लेने का आरोप लगा था। इस पर ममता कुलकर्णी ने कहा, जहां तक पैसे की लेन-देन की बात है, तो मुझसे दो लाख रुपए मांगे गए थे, लेकिन मैंने कमरे के अंदर महामंडलेश्वर और जगदगुरुओं के सामने कहा था कि मेरे पास दो लाख रुपए नहीं हैं। तब वहां पर बैठी हुईं महामंडलेश्वर जय अंबा गिरी ने अपनी जेब से दो लाख रुपए लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को दिए थे। इसके ऊपर चार करोड़ और तीन करोड़ देने वाली बाते हैं, लेकिन मैंने कुछ नहीं किया। मैंने 25 साल चंडी की आराधना की है। उसी ने मुझे संकेत दिया कि मुझे इन सबसे बाहर होना चाहिए। ममता के महामंडलेश्वर बनाए जाने पर विवाद क्या था? जगद्गुरु हिमांगी सखी बोलीं- ममता के D कंपनी से कनेक्शन
किन्नर जगद्गुरु हिमांगी सखी ने ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाए जाने पर गहरी आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा, ममता कुलकर्णी के D कंपनी से कनेक्शन हैं। ड्रग केस में जेल जाने का उनका इतिहास है। क्या यह सिर्फ प्रचार का हथकंडा है? आचार और संस्कार पर ध्यान देना जरूरी है। इस मामले की जांच होनी चाहिए। मैं इसकी कड़ी निंदा करती हूं। हिमांगी ने कहा- किन्नर अखाड़ा किन्नरों के लिए है, एक महिला को महामंडलेश्वर क्यों बनाया गया। वो भी तब जब उसके अंडरवर्ल्ड से संबंध हैं। बाबा रामदेव और पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने भी किया विरोध पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री और योग गुरु बाबा रामदेव समेत कई संतों ने इसका विरोध किया। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा- किसी भी तरह के बाहरी प्रभाव में आकर किसी को भी संत या महामंडलेश्वर कैसे बनाया जा सकता है? पदवी उसी को दी जानी चाहिए, जिसके अंदर संत या साध्वी के भाव हों। योग गुरु बाबा रामदेव ने कहा था, कोई एक दिन में संतत्व को उपलब्ध नहीं हो सकता। उसके लिए सालों की साधना लगती है। आजकल तो मैं देख रहा हूं कि किसी की भी मुंडी पकड़कर महामंडलेश्वर बना दिया। ऐसा नहीं होता है। खुद को किन्नर अखाड़े का संस्थापक होने का दावा करने वाले ऋषि अजय दास भी विरोध में उतर आए थे। अजय दास ने दावा किया था- मैंने लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी और अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर पद से हटा दिया है। ममता को महामंडलेश्वर बनाने में प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया, जिस पर (ममता पर) देशद्रोह का आरोप हो। उसे महामंडलेश्वर कैसे बनाया जा सकता है? दास ने ये भी कहा था कि ये कोई बिग बॉस का शो नहीं है, जिसको कुंभ के दौरान एक महीने चला दिया जाए। लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी को मैंने किन्नर समाज के उत्थान और धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए आचार्य महामंडलेश्वर बनाया था, लेकिन वह भटक गईं। ऐसे में मुझे एक्शन लेना पड़ा। शांभवी पीठाधीश्वर श्री स्वामी आनंद स्वरूप महाराज ने कहा था, किन्नर अखाड़े को मान्यता देकर पिछले कुंभ में महापाप हुआ था, जिस प्रकार की अनुशासनहीनता हो रही है, वो बहुत घातक है। ये सनातन धर्म के साथ एक धोखा है, छल है। मैंने ममता से कहा- इन लोगों के जाल में मत पड़ो। स्त्री के लिए संन्यास नहीं है। तमाम ऐसी परंपरा है, जिसमें तुम विरक्त होकर रह सकती हो। उन्होंने कहा कि ऐसी जगह न गिरो कि लोग तुम्हारे ऊपर थूकें। किन्नर अखाड़े को लोग मजाक में ले रहे हैं। वहां ज्ञान भक्ति की बात नहीं हो रही। कुंभ का मजाक बनाने का प्रयास हो रहा है। जब-जब अधर्म होगा, तब-तब मैं बोलूंगा। ममता का नाम बहुत बड़ा है। ये लोग उसके नाम पर व्यापार करेंगे। ममता कुलकर्णी का विषय बहुत घातक और धर्म के खिलाफ है। आचार्य महामंडलेश्वर ने किया बचाव, बोलीं- ममता इस्लाम स्वीकार कर लेती तो…? ममता कुलकर्णी के इस्तीफे के बाद किन्नर अखाड़ा की आचार्य महामंडलेश्वर डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने कहा, ममता कुलकर्णी के किन्नर अखाड़ा में महामंडलेश्वर बनने से कुछ लोग ज्यादा परेशान हैं। जबकि यही ममता कुलकर्णी अगर इस्लाम में चली जातीं तो धर्म के तथाकथित ठेकेदार तब क्या करते? इस बारे में तब कोई कुछ नहीं बोलता। आज सनातन धर्म के बहुत से लोग इस्लाम और क्रिश्चियन बन रहे हैं, इस मामले को गंभीरता से लेते हुए इसको रोकने के लिए किन्नर अखाड़ा व्यापक स्तर पर काम कर रहा है। 24 घंटे में महामंडलेश्वर बनी थीं ममता कुलकर्णी ममता कुलकर्णी करीब दो दशक से साध्वी जैसी जिंदगी जीने का दावा करती रही हैं। वह 23 जनवरी को प्रयागराज महाकुंभ पहुंची थीं। वह भगवा कपड़े पहनी दिखीं। उन्होंने गले में रुद्राक्ष की दो बड़ी माला पहन रखी थी। कंधे पर भगवा झोला भी टांग रखा था। ममता 24 घंटे में महामंडलेश्वर बन गईं। किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी से मिलीं। दोनों में लंबी बातचीत चली। दोपहर में दोनों अखाड़े के पदाधिकारियों के साथ अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष रविंद्र पुरी से मिलीं और महामंडलेश्वर बनने की हरी झंडी मिल गई। इसके बाद ममता कुलकर्णी के महामंडलेश्वर बनने की प्रक्रिया शुरू हुई। पिंडदान किया और संगम में डुबकी लगाई। देर शाम किन्नर अखाड़े में पट्टाभिषेक हुआ और वह महामंडलेश्वर बन गईं। बताया, महामंडलेश्वर बनने से ठीक पहले उनकी परीक्षा ली गई। 23 साल तक की गई तपस्या, साधना और ध्यान से संबंधित ढेर सारे सवाल पूछे गए। हर सवाल का सही जवाब देने और तरह-तरह की परीक्षाओं में पास होने के बाद उन्हें उपाधि मिली है। ममता कुलकर्णी के पट्टाभिषेक की तस्वीरें… ममता ने कहा- अब बॉलीवुड से मेरा कोई नाता नहीं ममता ने कहा था, साल 2000 से मैंने अपनी तपस्या शुरू की। मेरे गुरु श्री चैतन्य गगन गिरी गुरु नाथ हैं। उनसे मैंने दीक्षा ली थी। उनका कुपोली में आश्रम है। 23 साल से मेरी तपस्या चल रही है। महामंडलेश्वर बनना, वो भी अर्धनारीश्वर स्वरूप के हाथों से बनना। इससे बड़ा सौभाग्य क्या हो सकता है। आज शुक्रवार का दिन है, आदि शक्ति का दिन है। महाकाली का मेरे ऊपर आशीर्वाद है। वो मेरी मां हैं। मैं उनकी अंश स्वरूप हैं। एक आदि शक्ति और अर्धनारीश्वर स्वरूप से मेरा पट्टाभिषेक हो रहा है। इससे और बड़ी चीज क्या हो सकती है। अब बॉलीवुड से मेरा कोई नाता नहीं है। वो तो मैंने कब का छोड़ दिया। मैं बॉलीवुड के लिए वापस नहीं आई। मैं 23 साल बाद इंडिया में आई। मैं 2013 के कुंभ मेले में आई थी। 144 साल बाद ये जो महाकुंभ है। मैं सिर्फ इसके लिए आई हूं। अब मुझे महामंडलेश्वर की ख्याति मिल रही है। इससे बड़ी बात क्या हो सकती है। अब मुझे कुछ नहीं चाहिए। महामंडलेश्वर बनने की यह है प्रक्रिया संन्यास से पहले भी विवादों में रहीं ममता मैगजीन के लिए टॉपलेस फोटोशूट कराया शाहरुख खान, सलमान खान, अजय देवगन, अनिल कपूर जैसे बड़े स्टार्स से साथ स्क्रीन शेयर करने वाली ममता, उस वक्त विवादों में आई जब उन्होंने साल 1993 में स्टारडस्ट मैगजीन के लिए टॉपलेस फोटोशूट कराया था। वहीं, डायरेक्टर राजकुमार संतोषी ने ममता को फिल्म ‘चाइना गेट’ में बतौर लीड एक्ट्रेस लिया था। शुरुआती अनबन के बाद संतोषी, ममता को फिल्म से बाहर निकालना चाहते थे। खबरों के मुताबिक, अंडरवर्ल्ड से प्रेशर बढ़ने के बाद, उन्हें फिल्म में रखा गया। हालांकि, फिल्म फ्लॉप साबित हुई और बाद में ममता ने संतोषी पर सेक्सुअल हैरेसमेंट का आरोप भी लगाया। ड्रग माफिया से रचाई शादी, साध्वी बनीं
ममता पर आरोप लगा कि उन्होंने दुबई के रहने वाले अंडरवर्ल्ड ड्रग माफिया विक्की गोस्वामी से शादी की थी। हालांकि, ममता ने अपनी शादी की खबरों को हमेशा ही अफवाह बताया। ममता का कहना था, ‘मैंने कभी किसी से शादी नहीं की थी। यह सही है कि मैं विक्की से प्यार करती हूं, लेकिन उसे भी पता होगा कि अब मेरा पहला प्यार ईश्वर हैं।’ ममता ने 2013 में अपनी किताब ‘ऑटोबायोग्राफी ऑफ ए योगिनी’ रिलीज की थी। इस दौरान फिल्मी दुनिया को अलविदा कहने की वजह बताते हुए कहा था, ‘कुछ लोग दुनिया के कामों के लिए पैदा होते है, जबकि कुछ ईश्वर के लिए पैदा होते हैं। मैं भी ईश्वर के लिए पैदा हुई हूं।’ तमिल फिल्म से शुरू किया करियर
ममता कुलकर्णी का जन्म 20 अप्रैल 1972 को मुंबई में हुआ था। ममता ने 1991 में अपने करियर की शुरुआत तमिल फिल्म ‘ननबरगल’ से की। साल 1991 में ही उनकी पहली हिंदी फिल्म ‘मेरा दिल तेरे लिए’ रिलीज हुई। वेबसाइट आईएमडीबी के मुताबिक एक्ट्रेस ने अपने करियर में कुल 34 फिल्में की हैं। ममता को साल 1993 में फिल्म ‘आशिक आवारा’ के लिए बेस्ट डेब्यू एक्ट्रेस का फिल्म फेयर अवॉर्ड मिला था। इसके बाद वे ‘वक्त हमारा है’, ‘क्रांतिवीर’, ‘करण अर्जुन’, ‘बाजी’ जैसी फिल्मों में नजर आईं। उनकी लास्ट फिल्म ‘कभी तुम कभी हम’ साल 2002 में रिलीज हुई थी। ———————————- महाकुंभ से जुड़ी ये भी खबर पढ़िए… महाकुंभ में 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन:11 एकड़ में भारत के नक्शे पर बना; 22 आर्टिस्ट ने स्क्रैप से तैयार किया शिवालय पार्क महाकुंभ आने वालों के लिए आकर्षण का केंद्र शिवालय पार्क है। एक ही जगह पर 12 ज्योतिर्लिंग और सभी बड़े शिवालय के दर्शन हो रहे हैं। काठमांडू के पशुपतिनाथ मंदिर की प्रतिकृति भी यहां बनाई गई है। यह पार्क पूरी तरह से स्क्रैप से तैयार किया गया है। इसरो की सैटेलाइट से ली गई तस्वीरों में भी दिखता है। पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
ममता कुलकर्णी का इस्तीफा नामंजूर, फिर महामंडलेश्वर बनीं:बोलीं- गुरु डॉ. लक्ष्मी त्रिपाठी पर आरोप लगने से दुखी थी, इसलिए छोड़ा था पद
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