10 महीने में आधा बजट खर्च कर पाए सरकारी विभाग:यूपी में डेढ़ महीने में खर्च करना होगा बजट का बाकी पैसा; कई योजनाएं अधूरी

10 महीने में आधा बजट खर्च कर पाए सरकारी विभाग:यूपी में डेढ़ महीने में खर्च करना होगा बजट का बाकी पैसा; कई योजनाएं अधूरी

यूपी सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में विभिन्न विभागों को अब तक करीब आधा बजट (54.50%) ही जारी किया है। दिलचस्प तो यह है कि विभागों ने मिले बजट का 98.05% 5 फरवरी तक खर्च भी कर दिया। अब वित्तीय वर्ष खत्म होने में सिर्फ डेढ़ महीने बचे हैं। ऐसे में अब बजट जारी करने और उसे खर्च करने में जल्दबाजी दिखाई जाएगी। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा, नगर विकास, पीडब्ल्यूडी, कृषि, समाज कल्याण और शिक्षा विभाग को भी पूरा बजट जारी नहीं किया गया है। इससे कई सरकारी योजनाएं पूरी नहीं हो सकी हैं। 7 लाख से ज्यादा का बजट दिया गया था
प्रदेश सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में सभी सरकारी विभागों के लिए 7 लाख 18 हजार 549 करोड़ का बजट प्रावधान किया था। 5 फरवरी तक 4 लाख 33 हजार 243 करोड़ रुपए (60.29%) बजट स्वीकृत किया था। लेकिन, विभागों को 3 लाख 91 हजार 664 करोड़ (53.44%) ही अलॉट किया गया। विभागों ने 3 लाख 84 हजार 43 करोड़ रुपए बजट खर्च किया है। यह बजट प्रावधान का सिर्फ 53.44% और अलॉट बजट का 98.05% है। बजट मांगते ही नहीं विभाग
वित्त विभाग के पूर्व अपर मुख्य सचिव (एसीएस) संजीव मित्तल कहते हैं- बजट पूरा अलॉट नहीं होने और खर्च नहीं होने के कई कारण होते हैं। जैसे बजट ज्यादा पास करा लिया जाता है, लेकिन खर्च नहीं होता। वित्त विभाग बजट मांगने पर अलॉट करता है। उससे पहले विभाग को प्रस्ताव मंजूर कराने पड़ते हैं। पीडब्ल्यूडी में देखा गया है कि काम मंजूर नहीं हो पाते। कई बार भारत सरकार की ग्रांट नहीं मिलने से राज्य सरकार का बजट भी खर्च नहीं हो पाता। ऊर्जा विभाग को 65%​​​​​ बजट मिला,​​ तो बिजली कैसे मिलेगी पूरी
यूपी में बिजली का संकट अक्सर रहता है। जनप्रतिनिधि भी गांवों में बिजली आपूर्ति पर्याप्त नहीं होने का मुद्दा उठाते हैं। ऊर्जा विभाग को 10 महीने में केवल 65% बजट ही अलॉट हुआ है। ऊर्जा विभाग को 66 हजार 190 करोड़ के बजट का प्रावधान किया गया था। स्वीकृत 48 हजार 243 करोड़ रुपए किए गए थे, दिए गए 44 हजार 523 करोड़। विभाग ने खर्च किए 43 हजार 304 करोड़। यही हाल सुरक्षा देखने वाले गृह विभाग का है। विभाग को 39 हजार 435 करोड़ के बजट का प्रावधान किया गया था, लेकिन दिया गया 31 हजार 736 करोड़। विभाग ने 10 महीने में सिर्फ 25 हजार 727 करोड़ का बजट ही खर्च कर पाया। खेती किसानी से रसद तक भी जेब टाइट
अलॉटमेंट में कृषि, पशुधन और खाद्य रसद जैसे महकमों को भी पूरा बजट नहीं मिला। खाद्य रसद विभाग को तो 50% से भी कम बजट दिया गया है। विभाग भी जिम्मेदार
लखनऊ विश्वविद्यालय अर्थशास्त्र विभाग के प्रो. एमके अग्रवाल का कहना है कि विभाग समय पर प्रस्ताव नहीं भेजते। बजट की पहली किस्त का उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं देते। कई बार तो बजट समय पर नहीं मांगा जाता है। वित्तीय वर्ष के अंतिम चरण में जल्दबाजी में प्रस्ताव पास कराए जाते हैं। बजट समय पर नहीं मांगते हैं। प्रस्ताव की मंजूरी से लेकर टेंडर जारी करने तक में बजट लैप्स हो जाता है। वित्त विभाग के स्तर से इसकी हर पंद्रह दिन में समीक्षा होनी चाहिए। ग्राफिक्स: प्रदीप तिवारी ——————— ये खबर भी पढ़ें ममता कुलकर्णी 2 दिन बाद फिर महामंडलेश्वर बनीं:इस्तीफा नामंजूर; बोलीं- गुरु डॉ. लक्ष्मी त्रिपाठी पर आरोप लगने से दुखी थी ममता कुलकर्णी 2 दिन बाद फिर किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर बन गईं। उन्होंने अपना इस्तीफा वापस ले लिया है। गुरुवार को वीडियो जारी करते हुए कहा, उनकी गुरु डॉक्टर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने इस्तीफा स्वीकार नहीं किया। ममता ने दो दिन पहले इंस्टाग्राम पर वीडियो पोस्ट कर महामंडलेश्वर पद छोड़ने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था, किन्नर अखाड़े में लोग आपस में झगड़ रहे हैं। इससे दुखी हूं। पढ़ें पूरी खबर… यूपी सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में विभिन्न विभागों को अब तक करीब आधा बजट (54.50%) ही जारी किया है। दिलचस्प तो यह है कि विभागों ने मिले बजट का 98.05% 5 फरवरी तक खर्च भी कर दिया। अब वित्तीय वर्ष खत्म होने में सिर्फ डेढ़ महीने बचे हैं। ऐसे में अब बजट जारी करने और उसे खर्च करने में जल्दबाजी दिखाई जाएगी। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा, नगर विकास, पीडब्ल्यूडी, कृषि, समाज कल्याण और शिक्षा विभाग को भी पूरा बजट जारी नहीं किया गया है। इससे कई सरकारी योजनाएं पूरी नहीं हो सकी हैं। 7 लाख से ज्यादा का बजट दिया गया था
प्रदेश सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में सभी सरकारी विभागों के लिए 7 लाख 18 हजार 549 करोड़ का बजट प्रावधान किया था। 5 फरवरी तक 4 लाख 33 हजार 243 करोड़ रुपए (60.29%) बजट स्वीकृत किया था। लेकिन, विभागों को 3 लाख 91 हजार 664 करोड़ (53.44%) ही अलॉट किया गया। विभागों ने 3 लाख 84 हजार 43 करोड़ रुपए बजट खर्च किया है। यह बजट प्रावधान का सिर्फ 53.44% और अलॉट बजट का 98.05% है। बजट मांगते ही नहीं विभाग
वित्त विभाग के पूर्व अपर मुख्य सचिव (एसीएस) संजीव मित्तल कहते हैं- बजट पूरा अलॉट नहीं होने और खर्च नहीं होने के कई कारण होते हैं। जैसे बजट ज्यादा पास करा लिया जाता है, लेकिन खर्च नहीं होता। वित्त विभाग बजट मांगने पर अलॉट करता है। उससे पहले विभाग को प्रस्ताव मंजूर कराने पड़ते हैं। पीडब्ल्यूडी में देखा गया है कि काम मंजूर नहीं हो पाते। कई बार भारत सरकार की ग्रांट नहीं मिलने से राज्य सरकार का बजट भी खर्च नहीं हो पाता। ऊर्जा विभाग को 65%​​​​​ बजट मिला,​​ तो बिजली कैसे मिलेगी पूरी
यूपी में बिजली का संकट अक्सर रहता है। जनप्रतिनिधि भी गांवों में बिजली आपूर्ति पर्याप्त नहीं होने का मुद्दा उठाते हैं। ऊर्जा विभाग को 10 महीने में केवल 65% बजट ही अलॉट हुआ है। ऊर्जा विभाग को 66 हजार 190 करोड़ के बजट का प्रावधान किया गया था। स्वीकृत 48 हजार 243 करोड़ रुपए किए गए थे, दिए गए 44 हजार 523 करोड़। विभाग ने खर्च किए 43 हजार 304 करोड़। यही हाल सुरक्षा देखने वाले गृह विभाग का है। विभाग को 39 हजार 435 करोड़ के बजट का प्रावधान किया गया था, लेकिन दिया गया 31 हजार 736 करोड़। विभाग ने 10 महीने में सिर्फ 25 हजार 727 करोड़ का बजट ही खर्च कर पाया। खेती किसानी से रसद तक भी जेब टाइट
अलॉटमेंट में कृषि, पशुधन और खाद्य रसद जैसे महकमों को भी पूरा बजट नहीं मिला। खाद्य रसद विभाग को तो 50% से भी कम बजट दिया गया है। विभाग भी जिम्मेदार
लखनऊ विश्वविद्यालय अर्थशास्त्र विभाग के प्रो. एमके अग्रवाल का कहना है कि विभाग समय पर प्रस्ताव नहीं भेजते। बजट की पहली किस्त का उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं देते। कई बार तो बजट समय पर नहीं मांगा जाता है। वित्तीय वर्ष के अंतिम चरण में जल्दबाजी में प्रस्ताव पास कराए जाते हैं। बजट समय पर नहीं मांगते हैं। प्रस्ताव की मंजूरी से लेकर टेंडर जारी करने तक में बजट लैप्स हो जाता है। वित्त विभाग के स्तर से इसकी हर पंद्रह दिन में समीक्षा होनी चाहिए। ग्राफिक्स: प्रदीप तिवारी ——————— ये खबर भी पढ़ें ममता कुलकर्णी 2 दिन बाद फिर महामंडलेश्वर बनीं:इस्तीफा नामंजूर; बोलीं- गुरु डॉ. लक्ष्मी त्रिपाठी पर आरोप लगने से दुखी थी ममता कुलकर्णी 2 दिन बाद फिर किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर बन गईं। उन्होंने अपना इस्तीफा वापस ले लिया है। गुरुवार को वीडियो जारी करते हुए कहा, उनकी गुरु डॉक्टर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने इस्तीफा स्वीकार नहीं किया। ममता ने दो दिन पहले इंस्टाग्राम पर वीडियो पोस्ट कर महामंडलेश्वर पद छोड़ने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था, किन्नर अखाड़े में लोग आपस में झगड़ रहे हैं। इससे दुखी हूं। पढ़ें पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर