महाकुंभ में संगम की रेती पर कल्पवासियों के लिए पुण्य अर्जन का सिलसिला अभी जारी है। माघ पूर्णिमा के बाद भी हजारों श्रद्धालु तीन दिनों तक त्रिजटा स्नान कर अपने आध्यात्मिक संकल्प को पूरा कर रहे हैं। त्रिजटा स्नान का महत्व उन श्रद्धालुओं के लिए है जो माघ पूर्णिमा के बाद भी संगम में स्नान कर अपनी धार्मिक मान्यताओं को निभाते हैं। मान्यता है कि त्रिजटा स्नान से पूरे माघ मास के स्नान का पुण्य प्राप्त होता है। ‘त्रिजटा’ का अर्थ है 3 धाराएं– गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती। इस स्नान को कर्म, भक्ति और ज्ञान का संगम भी माना जाता है, जिससे श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है। कल्पवासियों के लिए क्यों जरूरी है यह स्नान?
कल्पवासी पूरे माह संयम, साधना और तपस्या के साथ संगम की रेती पर भूमि शयन करते हैं। वे अपनी साधना में किसी प्रकार की कमी नहीं रहने देना चाहते, इसलिए पूर्णिमा स्नान के बाद भी तीन दिनों तक स्नान करते हैं। त्रिजटा स्नान को अधूरे स्नान की पूर्ति के रूप में भी देखा जाता है, जिससे कल्पवास का संकल्प पूरा होता है। महाशिवरात्रि स्नान के बाद घटेगी भीड़
महाकुंभ में भले ही प्रमुख स्नान समाप्त हो चुके हों, लेकिन श्रद्धालुओं की आस्था की लहर अब भी संगम की ओर उमड़ रही है। घाटों पर हजारों श्रद्धालु स्नान कर रहे हैं, और हर दिन इस संख्या में वृद्धि हो रही है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, महाशिवरात्रि स्नान के बाद ही कुंभ की भीड़ में कमी आएगी। श्रद्धालुओं की आस्था, VIP हस्तियों का जमावड़ा
महाकुंभ केवल आम श्रद्धालुओं के लिए नहीं, बल्कि राजनेताओं, फिल्मी हस्तियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिए भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। संगम में पुण्य की डुबकी लगाने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं, जिससे प्रयागराज की रेती एक बार फिर आध्यात्मिक आस्था का भव्य संगम बन गई है। महाकुंभ 2025 का यह दिव्य आयोजन त्रिजटा स्नान और महाशिवरात्रि स्नान के साथ अपनी पूर्णता की ओर अग्रसर है। श्रद्धालुओं के लिए यह अवसर अद्वितीय और अविस्मरणीय बना रहेगा। महाकुंभ में संगम की रेती पर कल्पवासियों के लिए पुण्य अर्जन का सिलसिला अभी जारी है। माघ पूर्णिमा के बाद भी हजारों श्रद्धालु तीन दिनों तक त्रिजटा स्नान कर अपने आध्यात्मिक संकल्प को पूरा कर रहे हैं। त्रिजटा स्नान का महत्व उन श्रद्धालुओं के लिए है जो माघ पूर्णिमा के बाद भी संगम में स्नान कर अपनी धार्मिक मान्यताओं को निभाते हैं। मान्यता है कि त्रिजटा स्नान से पूरे माघ मास के स्नान का पुण्य प्राप्त होता है। ‘त्रिजटा’ का अर्थ है 3 धाराएं– गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती। इस स्नान को कर्म, भक्ति और ज्ञान का संगम भी माना जाता है, जिससे श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है। कल्पवासियों के लिए क्यों जरूरी है यह स्नान?
कल्पवासी पूरे माह संयम, साधना और तपस्या के साथ संगम की रेती पर भूमि शयन करते हैं। वे अपनी साधना में किसी प्रकार की कमी नहीं रहने देना चाहते, इसलिए पूर्णिमा स्नान के बाद भी तीन दिनों तक स्नान करते हैं। त्रिजटा स्नान को अधूरे स्नान की पूर्ति के रूप में भी देखा जाता है, जिससे कल्पवास का संकल्प पूरा होता है। महाशिवरात्रि स्नान के बाद घटेगी भीड़
महाकुंभ में भले ही प्रमुख स्नान समाप्त हो चुके हों, लेकिन श्रद्धालुओं की आस्था की लहर अब भी संगम की ओर उमड़ रही है। घाटों पर हजारों श्रद्धालु स्नान कर रहे हैं, और हर दिन इस संख्या में वृद्धि हो रही है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, महाशिवरात्रि स्नान के बाद ही कुंभ की भीड़ में कमी आएगी। श्रद्धालुओं की आस्था, VIP हस्तियों का जमावड़ा
महाकुंभ केवल आम श्रद्धालुओं के लिए नहीं, बल्कि राजनेताओं, फिल्मी हस्तियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिए भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। संगम में पुण्य की डुबकी लगाने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं, जिससे प्रयागराज की रेती एक बार फिर आध्यात्मिक आस्था का भव्य संगम बन गई है। महाकुंभ 2025 का यह दिव्य आयोजन त्रिजटा स्नान और महाशिवरात्रि स्नान के साथ अपनी पूर्णता की ओर अग्रसर है। श्रद्धालुओं के लिए यह अवसर अद्वितीय और अविस्मरणीय बना रहेगा। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
महाकुंभ में त्रिजटा स्नान का विशेष महत्व:आज डुबकी लगाकर संत और श्रद्धालु महाकुंभ को पूर्णाहुति देंगे, 3 दिन का होता है संकल्प
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