<p style=”text-align: justify;”><strong>Delhi News:</strong> दिल्ली में हुए दंगों को लेकर यहां की एक अदालत ने अहम टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि राजधानी में साल 2020 की सांप्रदायिक हिंसा के दौरान एक साथी दंगाई की जान लेने के आरोपी छह लोगों पर हत्या का आरोप नहीं बनता है. अदालत ने कहा कि इसके बजाय आरोपियों पर दंगा फैलाने, चोरी करने, घर में घुसने और आपराधिक धौंसपट्टी करने के अपराधों को लेकर मुकदमा चलाया जा सकता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला आरोपियों मोहम्मद फिरोज, चांद मोहम्मद, रईस खान, मोहम्मद जुनैद, इरशाद और अकील अहमद के खिलाफ मामले की सुनवाई कर रहे थे. इन सभी के खिलाफ दयालपुर थाने में मामला दर्ज किया गया था.</p>
<p style=”text-align: justify;”>कोर्ट ने 13 फरवरी को अपने आदेश में कहा, “अभियोजन पक्ष ने जो मामला प्रस्तुत किया है उससे पता चलता है कि शाहिद की कथित तौर पर गोली लगने से तब मौत हो गई थी, जब वह सप्तऋषि बिल्डिंग (चांद बाग में सप्तऋषि इस्पात और अलॉय प्राइवेट लिमिटेड) की छत पर साथी दंगाइयों के साथ मौजूद था.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष के अनुसार, साथी दंगाइयों ने गोलियां चलाई थीं, जिनमें से एक शाहिद को लगी. कोर्ट ने कहा कि लेकिन आरोपपत्र के अनुसार किसी आरोपी को गोलियां चलाते हुए नहीं पाया गया , इसके बाद भी उन्हें भारतीय दंड संहिता (भादंसं) की धारा 149 (गैरकानूनी जमावड़ा) के तहत हत्या के अपराध के लिए जिम्मेदार मान लिया गया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>आरोपपत्र में इस धारा के तहत उन्हें परोक्ष रूप से शाहिद की मौत के लिए जिम्मेदार मान लिया गया. उच्चतम न्यायालय के अनुसार, किसी गैरकानूनी भीड़ के हर सदस्य को उस भीड़ के किसी भी सदस्य द्वारा किए गए अपराध के लिए तब उत्तरदायी ठहराया जाएगा, जब यह साबित हो जाए कि अपराध एक साझी मंशा से किया गया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>कोर्ट ने आगे कहा, “इस प्रकार, इसमें दो मुख्य कोण शामिल हैं. पहला सवाल यह है कि क्या ऐसे मामले में बीएनएस की धारा 149 लागू होगी? दूसरा सवाल यह है कि क्या यह कम दूरी से गोली लगने का मामला था?” अदालत ने कहा कि मामले के तथ्यों के अनुसार दो प्रतिद्वंद्वी भीड़ एक दूसरे पर पथराव कर रही थीं और गोलियां चला रही थीं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>न्यायाधीश ने कहा, “इस प्रकार, कथित पथराव या गोली चलाने का कार्य केवल प्रतिद्वंद्वी भीड़ के खिलाफ था. उस स्थिति में, यह मामला नहीं हो सकता कि शाहिद को कथित गैरकानूनी भीड़ की साझी मंशा के अनुसरण में गोली मारी गई हो.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a title=”दिल्ली में 18 फरवरी को होगा मुख्यमंत्री का शपथ ग्रहण समारोह, कल CM के नाम पर लगेगी मुहर” href=”https://www.abplive.com/states/delhi-ncr/delhi-bjp-cm-swearing-in-ceremony-on-february-18-in-delhi-at-ramlila-maidan-bjp-cm-name-2885798″ target=”_blank” rel=”noopener”>दिल्ली में 18 फरवरी को होगा मुख्यमंत्री का शपथ ग्रहण समारोह, कल CM के नाम पर लगेगी मुहर</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Delhi News:</strong> दिल्ली में हुए दंगों को लेकर यहां की एक अदालत ने अहम टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि राजधानी में साल 2020 की सांप्रदायिक हिंसा के दौरान एक साथी दंगाई की जान लेने के आरोपी छह लोगों पर हत्या का आरोप नहीं बनता है. अदालत ने कहा कि इसके बजाय आरोपियों पर दंगा फैलाने, चोरी करने, घर में घुसने और आपराधिक धौंसपट्टी करने के अपराधों को लेकर मुकदमा चलाया जा सकता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला आरोपियों मोहम्मद फिरोज, चांद मोहम्मद, रईस खान, मोहम्मद जुनैद, इरशाद और अकील अहमद के खिलाफ मामले की सुनवाई कर रहे थे. इन सभी के खिलाफ दयालपुर थाने में मामला दर्ज किया गया था.</p>
<p style=”text-align: justify;”>कोर्ट ने 13 फरवरी को अपने आदेश में कहा, “अभियोजन पक्ष ने जो मामला प्रस्तुत किया है उससे पता चलता है कि शाहिद की कथित तौर पर गोली लगने से तब मौत हो गई थी, जब वह सप्तऋषि बिल्डिंग (चांद बाग में सप्तऋषि इस्पात और अलॉय प्राइवेट लिमिटेड) की छत पर साथी दंगाइयों के साथ मौजूद था.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष के अनुसार, साथी दंगाइयों ने गोलियां चलाई थीं, जिनमें से एक शाहिद को लगी. कोर्ट ने कहा कि लेकिन आरोपपत्र के अनुसार किसी आरोपी को गोलियां चलाते हुए नहीं पाया गया , इसके बाद भी उन्हें भारतीय दंड संहिता (भादंसं) की धारा 149 (गैरकानूनी जमावड़ा) के तहत हत्या के अपराध के लिए जिम्मेदार मान लिया गया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>आरोपपत्र में इस धारा के तहत उन्हें परोक्ष रूप से शाहिद की मौत के लिए जिम्मेदार मान लिया गया. उच्चतम न्यायालय के अनुसार, किसी गैरकानूनी भीड़ के हर सदस्य को उस भीड़ के किसी भी सदस्य द्वारा किए गए अपराध के लिए तब उत्तरदायी ठहराया जाएगा, जब यह साबित हो जाए कि अपराध एक साझी मंशा से किया गया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>कोर्ट ने आगे कहा, “इस प्रकार, इसमें दो मुख्य कोण शामिल हैं. पहला सवाल यह है कि क्या ऐसे मामले में बीएनएस की धारा 149 लागू होगी? दूसरा सवाल यह है कि क्या यह कम दूरी से गोली लगने का मामला था?” अदालत ने कहा कि मामले के तथ्यों के अनुसार दो प्रतिद्वंद्वी भीड़ एक दूसरे पर पथराव कर रही थीं और गोलियां चला रही थीं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>न्यायाधीश ने कहा, “इस प्रकार, कथित पथराव या गोली चलाने का कार्य केवल प्रतिद्वंद्वी भीड़ के खिलाफ था. उस स्थिति में, यह मामला नहीं हो सकता कि शाहिद को कथित गैरकानूनी भीड़ की साझी मंशा के अनुसरण में गोली मारी गई हो.”</p>
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