हरियाणा में हो रहे निकाय चुनाव में इस बार वोटिंग तो EVM से होगी, लेकिन वोटर ये नहीं देख पाएंगे कि वोट उसी को मिला, जिसे उन्होंने दिया है। इस चुनाव में EVM के साथ वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रॉयल (VVPAT) मशीन नहीं लगी होगी। ऐसे में वोटर को वोट डालने के बाद 7 सेकेंड तक नजर आने वाली स्लिप नहीं दिखेगी। इसकी वजह ये है कि आयोग जिन EVM पर निकाय चुनाव में वोटिंग करा रहा है, उसमें VVPAT मशीनें लग ही नहीं सकती। इसको लेकर मुख्य चुनाव आयुक्त धनपत सिंह का कहना है कि इस बारे में राजनीतिक दलों को बता दिया गया है। इन EVM पर VVPAT क्यों नहीं लगाई जा रही?
हरियाणा निर्वाचन आयोग ने जून 2020 में भारतीय चुनाव आयोग (ECI) को चिट्ठी लिखकर नगर निकाय और पंचायत चुनावों के लिए 45 हजार M3 मॉडल की EVM (VVPAT के बगैर) मांगी गई थीं, लेकिन ECI ने यह जवाब दिया था कि केवल M2 मॉडल वाली (पुराना मॉडल) EVM ही लोन आधार पर राज्य आयोग को दे सकते हैं। यह भी बताया गया कि उसकी पॉलिसी के अनुसार राज्य निर्वाचन आयोगों को M3 मॉडल की EVM प्रदान नहीं की जातीं। EVM के साथ VVPAT क्यों जरूरी? परिणामों पर सवार उठे तो लाई गई VVPAT मशीन
देश में EVM से चुनाव होने के बाद इनके रिजल्ट पर विवाद होने लगा। राजनीतिक पार्टियों ने EVM की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने शुरू किए तो चुनाव आयोग इस समस्या का हल निकालते हुए VVPAT लेकर आया था। ऐसे काम करती है VVPAT मशीन
VVPAT मशीन को EVM के साथ कनेक्ट किया जाता है। जब वोटर EVM का बटन दबाता है तो बीप की आवाज आती है, और साथ में लगी VVPAT मशीन में प्रिंट होकर एक पर्ची दिखने लगती है। इस पर्ची पर उस उम्मीदवार का चुनाव चिह्न होता है, जिसे वोटर ने वोट डाला। यह एक प्रकार से वोटिंग की रसीद होती है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, VVPAT मशीन में लगे ग्लास विंडो में यह स्लिप लगभग 7 सेकेंड तक नजर आती है। इसके बाद यह स्लिप मशीन के नीचे लगे कंपार्टमेंट में गिर जाती है। मामले में एक्सपर्ट ने बताईं 2 बातें… सुप्रीम कोर्ट बता चुका VVPAT जरूरी
निकाय कानूनों के जानकार और पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया है कि 2013 में सुप्रीम कोर्ट की ओर से डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी बनाम ECI केस में दिए फैसले में EVM के साथ VVPAT की व्यवस्था लागू करने का निर्देश दिया गया था, ताकि EVM तकनीक से चुनावों पर पूर्ण विश्वसनीयता और पारदर्शिता कायम हो सके। इस फैसले के बाद से ECI पूरे देश में लोकसभा और सभी प्रदेशों की विधानसभाओं के चुनावों में चरणबद्ध तरीके से VVPAT के उपयोग के साथ EVM से मतदान सुनिश्चित करवाकर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनुपालना भी कर रहा है। हरियाणा निर्वाचन आयोग को M3 EVM खरीदने का अधिकार
एडवोकेट हेमंत का कानूनी मत है कि हरियाणा राज्य निर्वाचन आयोग को देश के संविधान के अनुच्छेद 243 (K) और (Z-A) में प्रदेश में पंचायत और निकाय चुनावों के अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण संबंधी पर्याप्त शक्तियां प्रदान हैं। इसलिए, वह स्वयं अपने स्तर पर M3 मॉडल अर्थात VVPAT वाली EVM केंद्र सरकार द्वारा अधिकृत एजेंसियों से स्थायी स्तर पर खरीद सकता है। हरियाणा में हो रहे निकाय चुनाव में इस बार वोटिंग तो EVM से होगी, लेकिन वोटर ये नहीं देख पाएंगे कि वोट उसी को मिला, जिसे उन्होंने दिया है। इस चुनाव में EVM के साथ वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रॉयल (VVPAT) मशीन नहीं लगी होगी। ऐसे में वोटर को वोट डालने के बाद 7 सेकेंड तक नजर आने वाली स्लिप नहीं दिखेगी। इसकी वजह ये है कि आयोग जिन EVM पर निकाय चुनाव में वोटिंग करा रहा है, उसमें VVPAT मशीनें लग ही नहीं सकती। इसको लेकर मुख्य चुनाव आयुक्त धनपत सिंह का कहना है कि इस बारे में राजनीतिक दलों को बता दिया गया है। इन EVM पर VVPAT क्यों नहीं लगाई जा रही?
हरियाणा निर्वाचन आयोग ने जून 2020 में भारतीय चुनाव आयोग (ECI) को चिट्ठी लिखकर नगर निकाय और पंचायत चुनावों के लिए 45 हजार M3 मॉडल की EVM (VVPAT के बगैर) मांगी गई थीं, लेकिन ECI ने यह जवाब दिया था कि केवल M2 मॉडल वाली (पुराना मॉडल) EVM ही लोन आधार पर राज्य आयोग को दे सकते हैं। यह भी बताया गया कि उसकी पॉलिसी के अनुसार राज्य निर्वाचन आयोगों को M3 मॉडल की EVM प्रदान नहीं की जातीं। EVM के साथ VVPAT क्यों जरूरी? परिणामों पर सवार उठे तो लाई गई VVPAT मशीन
देश में EVM से चुनाव होने के बाद इनके रिजल्ट पर विवाद होने लगा। राजनीतिक पार्टियों ने EVM की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने शुरू किए तो चुनाव आयोग इस समस्या का हल निकालते हुए VVPAT लेकर आया था। ऐसे काम करती है VVPAT मशीन
VVPAT मशीन को EVM के साथ कनेक्ट किया जाता है। जब वोटर EVM का बटन दबाता है तो बीप की आवाज आती है, और साथ में लगी VVPAT मशीन में प्रिंट होकर एक पर्ची दिखने लगती है। इस पर्ची पर उस उम्मीदवार का चुनाव चिह्न होता है, जिसे वोटर ने वोट डाला। यह एक प्रकार से वोटिंग की रसीद होती है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, VVPAT मशीन में लगे ग्लास विंडो में यह स्लिप लगभग 7 सेकेंड तक नजर आती है। इसके बाद यह स्लिप मशीन के नीचे लगे कंपार्टमेंट में गिर जाती है। मामले में एक्सपर्ट ने बताईं 2 बातें… सुप्रीम कोर्ट बता चुका VVPAT जरूरी
निकाय कानूनों के जानकार और पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया है कि 2013 में सुप्रीम कोर्ट की ओर से डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी बनाम ECI केस में दिए फैसले में EVM के साथ VVPAT की व्यवस्था लागू करने का निर्देश दिया गया था, ताकि EVM तकनीक से चुनावों पर पूर्ण विश्वसनीयता और पारदर्शिता कायम हो सके। इस फैसले के बाद से ECI पूरे देश में लोकसभा और सभी प्रदेशों की विधानसभाओं के चुनावों में चरणबद्ध तरीके से VVPAT के उपयोग के साथ EVM से मतदान सुनिश्चित करवाकर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनुपालना भी कर रहा है। हरियाणा निर्वाचन आयोग को M3 EVM खरीदने का अधिकार
एडवोकेट हेमंत का कानूनी मत है कि हरियाणा राज्य निर्वाचन आयोग को देश के संविधान के अनुच्छेद 243 (K) और (Z-A) में प्रदेश में पंचायत और निकाय चुनावों के अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण संबंधी पर्याप्त शक्तियां प्रदान हैं। इसलिए, वह स्वयं अपने स्तर पर M3 मॉडल अर्थात VVPAT वाली EVM केंद्र सरकार द्वारा अधिकृत एजेंसियों से स्थायी स्तर पर खरीद सकता है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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