मुझे ब्रेन की दुर्लभ बीमारी थी। शार्ट टर्म मेमोरी लॉस जैसी समस्या। डॉक्टरों ने पढ़ाई रोकने को कहा था। परिवार के आर्थिक हालात भी ऐसी नहीं थी कि किसी बड़े शहर से इलाज करा सके। ऐसा लगता था कि मेरा बचपन का सपना कभी पूरा न हो पाएगा। ईश्वर के आशीर्वाद से और फैमिली, दोस्तों समेत कई लोगों के सपोर्ट से इलाज हुआ। और आज 6 साल के लंबे इंतजार के बाद मैं कंपनी सेक्रेटरी बन गई हूं। ये सपना साकार होने जैसा हैं। ये कहना है, मालिहाबाद की आकांक्षा शुक्ला हैं। वो कहती हैं कि मैं मौत को छू कर वापस आकर कंपनी सेक्रेटरी बनी हूं ऐसे में मेरे लिए इस सफलता के मायने बेहद खास है। जो पढ़ी थी सब अचानक भूल गई
आकांक्षा कहती हैं कि मेरी पूरी तैयारी थी। मेरा एग्जाम भी होने वाला था। अचानक से बीमारी ने मुझे चपेट में ले लिया। जिससे मैं सब कुछ भूल गई। जो पढ़ा था, वो भी याद नहीं था। कई डॉक्टर पढ़ाई न करने की सलाह देने लगे। ऐसे में एक झटके में सब कुछ खत्म जैसा फील होने लगा। शुरू करेंगे खुद का बिजनेस
ऋषभ कहते हैं कि रोज सुबह 2 घंटे की पढ़ाई करते थे इसके बाद फिर शाम को 4 घंटे की पढ़ाई रेगुलर कई सालों तक यही रूटीन रहा जिसके जरिए आज सफलता मिली है। भविष्य के सवालों पर ऋषभ कहते हैं आगे चलकर खुद का बिजनेस शुरू करना चाहता हूं परिवार में पिता टीचर है और मां ग्राम प्रधान है इसलिए सामाजिक रूप से भी सक्रिय रहना। लीगल की फील्ड में था इंटरेस्ट,पापा का सपना किया साकार
गोंडा की मूल निवासी अंजली कहती हैं कि मेरे परिवार में कोई भी कंपनी सेक्रेटरी नहीं है पिताजी खुद का बिजनेस चलते हैं बड़े भाई इंजीनियर हैं। वहीं, बहन स्कूल में टीचर हैं। ऐसे में पढ़ाई पूरी करने के बाद जब मैंने इस स्ट्रीम में जाना चुना तो कुछ लोगों ने सवाल खड़े किए पर मेरे पापा ने मेरा पूरा सपोर्ट किया और उन्होंने कहा खुद के निर्धारित लक्ष्य पर सफलता जरूर हासिल करना चाहिए। टारगेट बेस की पढ़ाई
अंजली कहती हैं कि करीब 5 सालों की मेहनत के बाद ये दिन आया हैं। पढ़ाई कभी घंटे देखकर नहीं की पर टॉपिक वाइज समय दिया। ऐसे में टारगेट बेस पढ़ाई करके बैलेंस बनाया। रोजाना कम से कम 5 घंटे की पढ़ाई जरूर की होगी। बड़ी MNC में काम करना लक्ष्य
अंजली कहती हैं कि मुझे शुरुआत से ही लीगल की फील्ड में इंटरेस्ट था। ऐसे में इस क्षेत्र में ही मैं भविष्य बनाना चाहती थी। एडवोकेट बेहद कॉमन प्रोफेशन हैं, कुछ अलग और बेहतर भी करना था। ऐसे में जब मुझे कंपनी सेक्रेटरी की प्रोफाइल का पता चला तो मैंने इसी में भविष्य बनाने का मन बनाया। आगे चलकर मैं किसी ऐसे बड़ी MNC में काम करना चाहूंगी, जहां पर लीगल के क्षेत्र में भी काम करने का अवसर मिल सके। फैमिली और टीचर्स से मिला पूरा सपोर्ट
शाश्वत वर्मा कहते है कि CA, CS, CMA बेहद टफ एग्जाम माने जाते हैं। मेरी बचपन की पढ़ाई लखीमपुर में हुई परिवार में पिताजी का बिजनेस है और गृहणी हैं। फैमिली और टीचर्स से पूरा सपोर्ट मिला। मेधावियों की पसंदीदा क्षेत्र हैं ये 3 फील्ड
ICSI के लखनऊ चैप्टर के अध्यक्ष शोभित रस्तोगी कहते हैं कि CA, CMA और CS तीनों ही हमेशा से मेधावियों की पसंदीदा फील्ड रहीं हैं। तीनों फील्ड फाइनेंस क्षेत्र की हैं। एक अकाउंट का एक्सपर्ट हैं, दूसरा इनकम टैक्स और तीसरा कंपनी मामलों का। ओवर ऑल कह सकते हैं कि तीनों को एक दूसरे के कोर डोमेन की जानकारी भी रहती हैं। ऐसे में स्टूडेंट्स अपनी-अपनी रुचि के अनुसार फील्ड का चयन करते हैं। मुझे ब्रेन की दुर्लभ बीमारी थी। शार्ट टर्म मेमोरी लॉस जैसी समस्या। डॉक्टरों ने पढ़ाई रोकने को कहा था। परिवार के आर्थिक हालात भी ऐसी नहीं थी कि किसी बड़े शहर से इलाज करा सके। ऐसा लगता था कि मेरा बचपन का सपना कभी पूरा न हो पाएगा। ईश्वर के आशीर्वाद से और फैमिली, दोस्तों समेत कई लोगों के सपोर्ट से इलाज हुआ। और आज 6 साल के लंबे इंतजार के बाद मैं कंपनी सेक्रेटरी बन गई हूं। ये सपना साकार होने जैसा हैं। ये कहना है, मालिहाबाद की आकांक्षा शुक्ला हैं। वो कहती हैं कि मैं मौत को छू कर वापस आकर कंपनी सेक्रेटरी बनी हूं ऐसे में मेरे लिए इस सफलता के मायने बेहद खास है। जो पढ़ी थी सब अचानक भूल गई
आकांक्षा कहती हैं कि मेरी पूरी तैयारी थी। मेरा एग्जाम भी होने वाला था। अचानक से बीमारी ने मुझे चपेट में ले लिया। जिससे मैं सब कुछ भूल गई। जो पढ़ा था, वो भी याद नहीं था। कई डॉक्टर पढ़ाई न करने की सलाह देने लगे। ऐसे में एक झटके में सब कुछ खत्म जैसा फील होने लगा। शुरू करेंगे खुद का बिजनेस
ऋषभ कहते हैं कि रोज सुबह 2 घंटे की पढ़ाई करते थे इसके बाद फिर शाम को 4 घंटे की पढ़ाई रेगुलर कई सालों तक यही रूटीन रहा जिसके जरिए आज सफलता मिली है। भविष्य के सवालों पर ऋषभ कहते हैं आगे चलकर खुद का बिजनेस शुरू करना चाहता हूं परिवार में पिता टीचर है और मां ग्राम प्रधान है इसलिए सामाजिक रूप से भी सक्रिय रहना। लीगल की फील्ड में था इंटरेस्ट,पापा का सपना किया साकार
गोंडा की मूल निवासी अंजली कहती हैं कि मेरे परिवार में कोई भी कंपनी सेक्रेटरी नहीं है पिताजी खुद का बिजनेस चलते हैं बड़े भाई इंजीनियर हैं। वहीं, बहन स्कूल में टीचर हैं। ऐसे में पढ़ाई पूरी करने के बाद जब मैंने इस स्ट्रीम में जाना चुना तो कुछ लोगों ने सवाल खड़े किए पर मेरे पापा ने मेरा पूरा सपोर्ट किया और उन्होंने कहा खुद के निर्धारित लक्ष्य पर सफलता जरूर हासिल करना चाहिए। टारगेट बेस की पढ़ाई
अंजली कहती हैं कि करीब 5 सालों की मेहनत के बाद ये दिन आया हैं। पढ़ाई कभी घंटे देखकर नहीं की पर टॉपिक वाइज समय दिया। ऐसे में टारगेट बेस पढ़ाई करके बैलेंस बनाया। रोजाना कम से कम 5 घंटे की पढ़ाई जरूर की होगी। बड़ी MNC में काम करना लक्ष्य
अंजली कहती हैं कि मुझे शुरुआत से ही लीगल की फील्ड में इंटरेस्ट था। ऐसे में इस क्षेत्र में ही मैं भविष्य बनाना चाहती थी। एडवोकेट बेहद कॉमन प्रोफेशन हैं, कुछ अलग और बेहतर भी करना था। ऐसे में जब मुझे कंपनी सेक्रेटरी की प्रोफाइल का पता चला तो मैंने इसी में भविष्य बनाने का मन बनाया। आगे चलकर मैं किसी ऐसे बड़ी MNC में काम करना चाहूंगी, जहां पर लीगल के क्षेत्र में भी काम करने का अवसर मिल सके। फैमिली और टीचर्स से मिला पूरा सपोर्ट
शाश्वत वर्मा कहते है कि CA, CS, CMA बेहद टफ एग्जाम माने जाते हैं। मेरी बचपन की पढ़ाई लखीमपुर में हुई परिवार में पिताजी का बिजनेस है और गृहणी हैं। फैमिली और टीचर्स से पूरा सपोर्ट मिला। मेधावियों की पसंदीदा क्षेत्र हैं ये 3 फील्ड
ICSI के लखनऊ चैप्टर के अध्यक्ष शोभित रस्तोगी कहते हैं कि CA, CMA और CS तीनों ही हमेशा से मेधावियों की पसंदीदा फील्ड रहीं हैं। तीनों फील्ड फाइनेंस क्षेत्र की हैं। एक अकाउंट का एक्सपर्ट हैं, दूसरा इनकम टैक्स और तीसरा कंपनी मामलों का। ओवर ऑल कह सकते हैं कि तीनों को एक दूसरे के कोर डोमेन की जानकारी भी रहती हैं। ऐसे में स्टूडेंट्स अपनी-अपनी रुचि के अनुसार फील्ड का चयन करते हैं। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
लखनऊ में कंपनी सेक्रेटरी बनने वालों की अजब-गजब कहानी:एक झटके में भूल गई पूरी पढ़ाई; डॉक्टरों ने बेडरेस्ट की दी थी सलाह
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