सियासत के फेर में तबाही के कगार पर पाकिस्तान क्रिकेट:पीसीबी का नया चेयरमैन आते ही टीम के कप्तान को बदल देता है

सियासत के फेर में तबाही के कगार पर पाकिस्तान क्रिकेट:पीसीबी का नया चेयरमैन आते ही टीम के कप्तान को बदल देता है

पाकिस्तान में हर कोई एक ही सवाल पूछ रहा है – चैम्पियंस ट्रॉफी में पाकिस्तान के साथ क्या गलत हुआ? जब पाकिस्तान को 29 साल बाद एक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट टूर्नामेंट की मेजबानी का मौका मिला, तो पूरे मुल्क में खुशी की लहर दौड़ गई। कराची, लाहौर और रावलपिंडी के क्रिकेट स्टेडियमों के नवीनीकरण पर अरबों रुपए खर्च किए गए। लेकिन बदकिस्मती से पाकिस्तानी क्रिकेटरों के प्रदर्शन ने पूरे मुल्क को निराश कर दिया। पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेट कप्तान वसीम अकरम ने निराशाजनक प्रदर्शन के लिए न केवल कप्तान मोहम्मद रिजवान, बल्कि पूरी चयन समिति को जिम्मेदार ठहराया। एक और पूर्व क्रिकेट स्टार शाहिद अफरीदी ने कहा कि 2025 में भी पाकिस्तानी क्रिकेटर 1990 के दशक का क्रिकेट खेल रहे थे। सबसे दिलचस्प प्रतिक्रिया पूर्व ऑलराउंडर शोएब मलिक की आई। भारत से दुबई में हारने के बाद एक टीवी शो में उनसे पूछा गया – ‘यह क्या हुआ?’ इस पर मलिक ने गाना शुरू कर दिया – ‘दिल के अरमान आंसुओं में बह गए।’ पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) के अधिकारियों का कहना है कि हार और जीत खेल का हिस्सा होती है। उनका कहना है कि पाकिस्तानी क्रिकेटर निकट भविष्य में अपने प्रदर्शन को सुधारने की पूरी कोशिश करेंगे। लेकिन पीसीबी अधिकारियों की बातों पर तो सरकार के लोगों को भी भरोसा नहीं है। पीसीबी के चेयरमैन मोहसिन नकवी केंद्र सरकार में गृह मंत्री हैं। पंजाब में सत्तारूढ़ पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) के चेयरमैन राणा सनाउल्लाह खान का आरोप है कि पाकिस्तानी क्रिकेट के पतन का मुख्य कारण पीसीबी का राजनीतिकरण है। पाकिस्तान के पूर्व कप्तान राशिद लतीफ और पूर्व सलामी बल्लेबाज अहमद शहजाद भी पीसीबी में सियासत को पाकिस्तान क्रिकेट के खराब प्रदर्शन के लिए दोषी मानते हैं। अहमद शहजाद ने पीसीबी पर हमला बोलते हुए कहा – ‘अब हकीकत बयान करने का वक्त आ गया है कि पीसीबी में सियासत पाकिस्तानी क्रिकेट को तबाह कर रही है।’ आंकड़े भी इसकी तस्दीक करते हैं। पिछले पांच सालों में पीसीबी अध्यक्षों की सूची पर एक नजर डालते हैं। पिछले पांच सालों में पीसीबी में पांच चेयरमैन आए हैं- एहसान मणि, रमीज राजा, नजम सेठी, जका अशरफ और मोहसिन नकवी। हर सरकार ने पीसीबी में अपने पसंदीदा शख्स को चेयरमैन नियुक्त किया और यही सियासत आज पाकिस्तानी क्रिकेट को रसातल में ले जा रही है। मोहसिन नकवी को मौजूदा प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने पीसीबी के चेयरमैन पद पर नहीं बैठाया था। नकवी एक टीवी चैनल के मालिक हैं, जिनके सेना के साथ अच्छे ताल्लुकात हैं। साल 2024 के आम चुनावों से ठीक दो दिन पहले तत्कालीन कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवर-उल-हक काकर ने मोहसिन नकवी को पीसीबी का नया चेयरमैन नियुक्त किया था। उधर नवाज शरीफ, नजम सेठी को पीसीबी का चेयरमैन बनाना चाहते थे, लेकिन उस समय उनके पास कोई अधिकार नहीं थे। चुनाव के बाद जब उनके भाई शहबाज शरीफ प्रधानमंत्री के तख्त पर बैठे, तब भी उन्होंने अपने बड़े भाई के दबाव के बावजूद नजम सेठी को यह पद नहीं दिया। उधर, नकवी को न केवल सीनेटर बनाया गया, बल्कि बाद में गृह मंत्री भी नियुक्त कर दिया गया। उनके किसी सियासी दल से ताल्लुकात नहीं हैं, लेकिन वे सभी दलों से अधिक ताकतवर हैं। मगर अब चैम्पियंस ट्रॉफी में हार के बाद वे अपने ही कैबिनेट सहयोगियों के निशाने पर आ गए हैं। पीसीबी लंबे समय से राजनीति का अड्डा रहा है। अयूब खान से लेकर जनरल जाहिद अली अकबर, जनरल गुलाम सफदर बट और जनरल तौकीर जिया तक कई सैन्य जनरल पीसीबी चेयरमैन के पद के मजे ले चुके हैं। पाकिस्तान के दो पूर्व मुख्य न्यायाधीश (ए.आर. कॉर्नेलियस और नसीम हसन शाह) को भी पीसीबी का चेयरमैन बनाया गया था। पत्रकार नजम सेठी को नवाज शरीफ के कहने पर 2010 के बाद चार बार पीसीबी का चेयरमैन नियुक्त किया गया। जका अशरफ एक शुगर मिल के मालिक हैं, लेकिन पिछले 15 वर्षों में तीन बार पीसीबी के चेयरमैन बने, क्योंकि वे राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के बेहद करीबी रहे हैं। पीसीबी की नीतियों में कोई स्थिरता नहीं है। जब भी पीसीबी में कोई बदलाव होता है, यह क्रिकेट टीम के प्रदर्शन को प्रभावित करता है, क्योंकि नया चेयरमैन आते ही टीम के कप्तान को बदल देता है। मोहसिन नकवी ने पिछले साल बाबर आजम को कप्तानी से इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया और उनकी जगह मोहम्मद रिजवान को व्हाइट-बॉल टीम का कप्तान बना दिया। इसके विपरीत भारतीय कप्तान रोहित शर्मा के प्रदर्शन में स्थिरता न होने के बावजूद वे बने हुए हैं। पीसीबी में राजनीति का नतीजा चैम्पियंस ट्रॉफी में देखने को मिला। अब पाकिस्तान को पीसीबी को सियासत से मुक्त कर अपनी क्रिकेट टीम का पुनर्निर्माण करने की दरकार है। ———————– ये कॉलम भी पढ़ें… चैम्पियंस ट्रॉफी के इस असल हीरो को नहीं भूलें!:पाकिस्तान इस भारतीय बहिष्कार को अलग नजरिए से देख रहा पाकिस्तान में हर कोई एक ही सवाल पूछ रहा है – चैम्पियंस ट्रॉफी में पाकिस्तान के साथ क्या गलत हुआ? जब पाकिस्तान को 29 साल बाद एक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट टूर्नामेंट की मेजबानी का मौका मिला, तो पूरे मुल्क में खुशी की लहर दौड़ गई। कराची, लाहौर और रावलपिंडी के क्रिकेट स्टेडियमों के नवीनीकरण पर अरबों रुपए खर्च किए गए। लेकिन बदकिस्मती से पाकिस्तानी क्रिकेटरों के प्रदर्शन ने पूरे मुल्क को निराश कर दिया। पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेट कप्तान वसीम अकरम ने निराशाजनक प्रदर्शन के लिए न केवल कप्तान मोहम्मद रिजवान, बल्कि पूरी चयन समिति को जिम्मेदार ठहराया। एक और पूर्व क्रिकेट स्टार शाहिद अफरीदी ने कहा कि 2025 में भी पाकिस्तानी क्रिकेटर 1990 के दशक का क्रिकेट खेल रहे थे। सबसे दिलचस्प प्रतिक्रिया पूर्व ऑलराउंडर शोएब मलिक की आई। भारत से दुबई में हारने के बाद एक टीवी शो में उनसे पूछा गया – ‘यह क्या हुआ?’ इस पर मलिक ने गाना शुरू कर दिया – ‘दिल के अरमान आंसुओं में बह गए।’ पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) के अधिकारियों का कहना है कि हार और जीत खेल का हिस्सा होती है। उनका कहना है कि पाकिस्तानी क्रिकेटर निकट भविष्य में अपने प्रदर्शन को सुधारने की पूरी कोशिश करेंगे। लेकिन पीसीबी अधिकारियों की बातों पर तो सरकार के लोगों को भी भरोसा नहीं है। पीसीबी के चेयरमैन मोहसिन नकवी केंद्र सरकार में गृह मंत्री हैं। पंजाब में सत्तारूढ़ पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) के चेयरमैन राणा सनाउल्लाह खान का आरोप है कि पाकिस्तानी क्रिकेट के पतन का मुख्य कारण पीसीबी का राजनीतिकरण है। पाकिस्तान के पूर्व कप्तान राशिद लतीफ और पूर्व सलामी बल्लेबाज अहमद शहजाद भी पीसीबी में सियासत को पाकिस्तान क्रिकेट के खराब प्रदर्शन के लिए दोषी मानते हैं। अहमद शहजाद ने पीसीबी पर हमला बोलते हुए कहा – ‘अब हकीकत बयान करने का वक्त आ गया है कि पीसीबी में सियासत पाकिस्तानी क्रिकेट को तबाह कर रही है।’ आंकड़े भी इसकी तस्दीक करते हैं। पिछले पांच सालों में पीसीबी अध्यक्षों की सूची पर एक नजर डालते हैं। पिछले पांच सालों में पीसीबी में पांच चेयरमैन आए हैं- एहसान मणि, रमीज राजा, नजम सेठी, जका अशरफ और मोहसिन नकवी। हर सरकार ने पीसीबी में अपने पसंदीदा शख्स को चेयरमैन नियुक्त किया और यही सियासत आज पाकिस्तानी क्रिकेट को रसातल में ले जा रही है। मोहसिन नकवी को मौजूदा प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने पीसीबी के चेयरमैन पद पर नहीं बैठाया था। नकवी एक टीवी चैनल के मालिक हैं, जिनके सेना के साथ अच्छे ताल्लुकात हैं। साल 2024 के आम चुनावों से ठीक दो दिन पहले तत्कालीन कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवर-उल-हक काकर ने मोहसिन नकवी को पीसीबी का नया चेयरमैन नियुक्त किया था। उधर नवाज शरीफ, नजम सेठी को पीसीबी का चेयरमैन बनाना चाहते थे, लेकिन उस समय उनके पास कोई अधिकार नहीं थे। चुनाव के बाद जब उनके भाई शहबाज शरीफ प्रधानमंत्री के तख्त पर बैठे, तब भी उन्होंने अपने बड़े भाई के दबाव के बावजूद नजम सेठी को यह पद नहीं दिया। उधर, नकवी को न केवल सीनेटर बनाया गया, बल्कि बाद में गृह मंत्री भी नियुक्त कर दिया गया। उनके किसी सियासी दल से ताल्लुकात नहीं हैं, लेकिन वे सभी दलों से अधिक ताकतवर हैं। मगर अब चैम्पियंस ट्रॉफी में हार के बाद वे अपने ही कैबिनेट सहयोगियों के निशाने पर आ गए हैं। पीसीबी लंबे समय से राजनीति का अड्डा रहा है। अयूब खान से लेकर जनरल जाहिद अली अकबर, जनरल गुलाम सफदर बट और जनरल तौकीर जिया तक कई सैन्य जनरल पीसीबी चेयरमैन के पद के मजे ले चुके हैं। पाकिस्तान के दो पूर्व मुख्य न्यायाधीश (ए.आर. कॉर्नेलियस और नसीम हसन शाह) को भी पीसीबी का चेयरमैन बनाया गया था। पत्रकार नजम सेठी को नवाज शरीफ के कहने पर 2010 के बाद चार बार पीसीबी का चेयरमैन नियुक्त किया गया। जका अशरफ एक शुगर मिल के मालिक हैं, लेकिन पिछले 15 वर्षों में तीन बार पीसीबी के चेयरमैन बने, क्योंकि वे राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के बेहद करीबी रहे हैं। पीसीबी की नीतियों में कोई स्थिरता नहीं है। जब भी पीसीबी में कोई बदलाव होता है, यह क्रिकेट टीम के प्रदर्शन को प्रभावित करता है, क्योंकि नया चेयरमैन आते ही टीम के कप्तान को बदल देता है। मोहसिन नकवी ने पिछले साल बाबर आजम को कप्तानी से इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया और उनकी जगह मोहम्मद रिजवान को व्हाइट-बॉल टीम का कप्तान बना दिया। इसके विपरीत भारतीय कप्तान रोहित शर्मा के प्रदर्शन में स्थिरता न होने के बावजूद वे बने हुए हैं। पीसीबी में राजनीति का नतीजा चैम्पियंस ट्रॉफी में देखने को मिला। अब पाकिस्तान को पीसीबी को सियासत से मुक्त कर अपनी क्रिकेट टीम का पुनर्निर्माण करने की दरकार है। ———————– ये कॉलम भी पढ़ें… चैम्पियंस ट्रॉफी के इस असल हीरो को नहीं भूलें!:पाकिस्तान इस भारतीय बहिष्कार को अलग नजरिए से देख रहा   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर