हरियाणा कांग्रेस के विधायक दल के नेता पर फैसला नहीं:बिना नेता के बजट सेशन में बैठेंगे विधायक; उदयभान ने ली मीटिंग, हुड्‌डा शामिल हुए

हरियाणा कांग्रेस के विधायक दल के नेता पर फैसला नहीं:बिना नेता के बजट सेशन में बैठेंगे विधायक; उदयभान ने ली मीटिंग, हुड्‌डा शामिल हुए

हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र में कांग्रेस बिना विधायक दल के नेता के उतरेगी। इसकी वजह यह है कि पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने अभी इस पर फैसला नहीं किया है। न ही कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने अभी ऐसे कोई संकेत नहीं दिए हैं, जिनसे विधायकों को यह भरोसा हो सके कि विधायक दल के नेता का चयन बजट सेशन से पहले या उसके दौरान हो जाएगा। विधानसभा के बजट सत्र से पहले चंडीगढ़ में कांग्रेस विधायकों की बैठक बिना विधायक दल के नेता की हुई। विधायक नहीं होने के बाद भी पार्टी अध्यक्ष उदयभान ने यह बैठक ली। विपक्ष के पूर्व नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी इस बैठक में विधायक के नाते शामिल हुए। इस बैठक से पहले उम्मीद की जा रही थी कि कांग्रेस नेतृत्व विधायक दल के नेता का नाम घोषित कर देगा। मगर ऐसा नहीं हो पाया। विधायक दल का नेता नहीं होने से ये होते फायदे… 1. सेशन में मजबूती से उठाए जा सकेंगे मुद्दे 7 मार्च से हरियाणा सरकार बजट पेश करने जा रही है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का बतौर वित्त मंत्री यह पहला बजट होगा। कांग्रेस इस बजट सेशन में सरकार को कई मुद्दों को लेकर घेरना चाहती है। यदि पार्टी के पास विधायक दल का नेता होगा तो कांग्रेस विधायक सरकार विरोधी मुद्दों को मजबूती से उठा पाएंगे और सरकार को घेरने की रणनीति कारगर हो सकेगी। इसलिए सभी पार्टी विधायकों और नेताओं ने बजट सेशन से पहले ही विधायक दल का नेता चुने जाने की वकालत की है। 2. पार्टी नेताओं में अच्छा जाएगा मैसेज कांग्रेस आलाकमान यदि बजट सेशन से पहले ही विधायक दल के नेता के नाम का ऐलान करता है तो प्रदेश भर के पार्टी नेताओं में अच्छा मैसेज जाएगा। विधानसभा में मिली हार के बाद इस फैसले से पार्टी के नेताओं में नई ऊर्जा मिल पाएगी और आगे बनने वाले संगठन पर भी वह काम कर सकेंगे। हालांकि कुछ नेताओं का कहना है कि संगठन को मजबूत करने के लिए पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को बड़े बदलाव करने की जरूरत होगी। हुड्‌डा को लेकर पशोपेश में आलाकमान कांग्रेस नेतृत्व को लगता है कि हुड्डा के बिना पार्टी को हरियाणा में नुकसान होगा, लेकिन वह हुड्डा विरोधी नेताओं को भी नाराज करने के हक में नहीं है, क्योंकि विधानसभा चुनाव में इसका खामियाजा भुगता जा चुका है। राज्य में कांग्रेस के 37 विधायक चुनकर आए हैं। इनमें अधिकतर विधायक पूर्व सीएम हुड्डा समर्थक हैं, लेकिन बीरेंद्र सिंह, कैप्टन अजय यादव, कुमारी सैलजा, रणदीप सिंह सुरजेवाला, सुरेश गुप्ता और रामकिशन गुर्जर समर्थक नेता नहीं चाहते कि हुड्डा को विधायक दल का नेता बनाया जाए। हुड्डा समर्थक दो से तीन विधायक भी इस हक में नहीं हैं, लेकिन अधिकतर हुड्डा समर्थक विधायकों की राय है कि कांग्रेस को हुड्डा की अनदेखी कर किसी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहिए। केंद्रीय नेतृत्व को रिपोर्ट प्रभारी ने सौंपी हरियाणा कांग्रेस के नए प्रभारी बीके हरिप्रसाद ने बताया कि हरियाणा के नेताओं से मेरी मुलाकात और बातचीत हो गई है। सभी के मन की बात मैंने जान ली-सुन ली। सबसे बहुत ही खुले माहौल में बातचीत हुई है। मैंने अपनी रिपोर्ट पार्टी के अध्यक्ष और राहुल गांधी को सौंप दी है। अब उन्हें फैसला करना है।घोषणा कब तक होगी, इस बारे में फिलहाल कुछ नहीं कहा जा सकता। मैं होली के बाद प्रदेश के दौरे पर निकलूंगा। तब बाकी कार्यकर्ताओं से बात करूंगा। 7 मिनट तक ही चली थी दिल्ली की मीटिंग कांग्रेस प्रभारी बीके हरिप्रसाद ने नई दिल्ली में हरियाणा के नेताओं की जो बैठक ली, वह सिर्फ सात मिनट चली है। कांग्रेस नेता यह कहते हुए बैठक से बाहर आए कि ऐसी मीटिंग उन्होंने आज तक नहीं देखी, जिसमें सिर्फ प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान ने नये प्रभारी के सामने यह दावा किया कि हमारे वोट बैंक में 11 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।सात मिनट की इस बैठक के बाद बीके हरिप्रसाद से हरियाणा के कांग्रेसी अलग-अलग मिले। कुछ नेता ग्रुप में भी मिले तो सैलजा और सुरजेवाला बिना मिले चले गये, जिन्होंने बाद में प्रभारी से फोन पर बात कर अपनी राय दी। हुड्डा के अलावा किन नामों की है चर्चा? विपक्ष के नेता के तौर पर डॉ. रघुबीर कादियान और अशोक अरोड़ा का नाम भी चर्चा में है। वहीं संगठन के लिए कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र भारद्वाज, सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा, सांसद चौधरी वरुण मुलाना, रणदीप सिंह सुरजेवाला, अशोक अरोड़ा, राव दान सिंह और गीता भुक्कल जैसे नामों की चर्चा है। कांग्रेस विपक्ष के नेता का दांव जातीय समीकरणों के हिसाब से तय कर सकती है। पहले इसलिए ही इसी पर मंथन हो रहा है, बाद में प्रदेश अध्यक्ष का नाम पार्टी तय कर सकती है। हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र में कांग्रेस बिना विधायक दल के नेता के उतरेगी। इसकी वजह यह है कि पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने अभी इस पर फैसला नहीं किया है। न ही कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने अभी ऐसे कोई संकेत नहीं दिए हैं, जिनसे विधायकों को यह भरोसा हो सके कि विधायक दल के नेता का चयन बजट सेशन से पहले या उसके दौरान हो जाएगा। विधानसभा के बजट सत्र से पहले चंडीगढ़ में कांग्रेस विधायकों की बैठक बिना विधायक दल के नेता की हुई। विधायक नहीं होने के बाद भी पार्टी अध्यक्ष उदयभान ने यह बैठक ली। विपक्ष के पूर्व नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी इस बैठक में विधायक के नाते शामिल हुए। इस बैठक से पहले उम्मीद की जा रही थी कि कांग्रेस नेतृत्व विधायक दल के नेता का नाम घोषित कर देगा। मगर ऐसा नहीं हो पाया। विधायक दल का नेता नहीं होने से ये होते फायदे… 1. सेशन में मजबूती से उठाए जा सकेंगे मुद्दे 7 मार्च से हरियाणा सरकार बजट पेश करने जा रही है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का बतौर वित्त मंत्री यह पहला बजट होगा। कांग्रेस इस बजट सेशन में सरकार को कई मुद्दों को लेकर घेरना चाहती है। यदि पार्टी के पास विधायक दल का नेता होगा तो कांग्रेस विधायक सरकार विरोधी मुद्दों को मजबूती से उठा पाएंगे और सरकार को घेरने की रणनीति कारगर हो सकेगी। इसलिए सभी पार्टी विधायकों और नेताओं ने बजट सेशन से पहले ही विधायक दल का नेता चुने जाने की वकालत की है। 2. पार्टी नेताओं में अच्छा जाएगा मैसेज कांग्रेस आलाकमान यदि बजट सेशन से पहले ही विधायक दल के नेता के नाम का ऐलान करता है तो प्रदेश भर के पार्टी नेताओं में अच्छा मैसेज जाएगा। विधानसभा में मिली हार के बाद इस फैसले से पार्टी के नेताओं में नई ऊर्जा मिल पाएगी और आगे बनने वाले संगठन पर भी वह काम कर सकेंगे। हालांकि कुछ नेताओं का कहना है कि संगठन को मजबूत करने के लिए पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को बड़े बदलाव करने की जरूरत होगी। हुड्‌डा को लेकर पशोपेश में आलाकमान कांग्रेस नेतृत्व को लगता है कि हुड्डा के बिना पार्टी को हरियाणा में नुकसान होगा, लेकिन वह हुड्डा विरोधी नेताओं को भी नाराज करने के हक में नहीं है, क्योंकि विधानसभा चुनाव में इसका खामियाजा भुगता जा चुका है। राज्य में कांग्रेस के 37 विधायक चुनकर आए हैं। इनमें अधिकतर विधायक पूर्व सीएम हुड्डा समर्थक हैं, लेकिन बीरेंद्र सिंह, कैप्टन अजय यादव, कुमारी सैलजा, रणदीप सिंह सुरजेवाला, सुरेश गुप्ता और रामकिशन गुर्जर समर्थक नेता नहीं चाहते कि हुड्डा को विधायक दल का नेता बनाया जाए। हुड्डा समर्थक दो से तीन विधायक भी इस हक में नहीं हैं, लेकिन अधिकतर हुड्डा समर्थक विधायकों की राय है कि कांग्रेस को हुड्डा की अनदेखी कर किसी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहिए। केंद्रीय नेतृत्व को रिपोर्ट प्रभारी ने सौंपी हरियाणा कांग्रेस के नए प्रभारी बीके हरिप्रसाद ने बताया कि हरियाणा के नेताओं से मेरी मुलाकात और बातचीत हो गई है। सभी के मन की बात मैंने जान ली-सुन ली। सबसे बहुत ही खुले माहौल में बातचीत हुई है। मैंने अपनी रिपोर्ट पार्टी के अध्यक्ष और राहुल गांधी को सौंप दी है। अब उन्हें फैसला करना है।घोषणा कब तक होगी, इस बारे में फिलहाल कुछ नहीं कहा जा सकता। मैं होली के बाद प्रदेश के दौरे पर निकलूंगा। तब बाकी कार्यकर्ताओं से बात करूंगा। 7 मिनट तक ही चली थी दिल्ली की मीटिंग कांग्रेस प्रभारी बीके हरिप्रसाद ने नई दिल्ली में हरियाणा के नेताओं की जो बैठक ली, वह सिर्फ सात मिनट चली है। कांग्रेस नेता यह कहते हुए बैठक से बाहर आए कि ऐसी मीटिंग उन्होंने आज तक नहीं देखी, जिसमें सिर्फ प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान ने नये प्रभारी के सामने यह दावा किया कि हमारे वोट बैंक में 11 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।सात मिनट की इस बैठक के बाद बीके हरिप्रसाद से हरियाणा के कांग्रेसी अलग-अलग मिले। कुछ नेता ग्रुप में भी मिले तो सैलजा और सुरजेवाला बिना मिले चले गये, जिन्होंने बाद में प्रभारी से फोन पर बात कर अपनी राय दी। हुड्डा के अलावा किन नामों की है चर्चा? विपक्ष के नेता के तौर पर डॉ. रघुबीर कादियान और अशोक अरोड़ा का नाम भी चर्चा में है। वहीं संगठन के लिए कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र भारद्वाज, सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा, सांसद चौधरी वरुण मुलाना, रणदीप सिंह सुरजेवाला, अशोक अरोड़ा, राव दान सिंह और गीता भुक्कल जैसे नामों की चर्चा है। कांग्रेस विपक्ष के नेता का दांव जातीय समीकरणों के हिसाब से तय कर सकती है। पहले इसलिए ही इसी पर मंथन हो रहा है, बाद में प्रदेश अध्यक्ष का नाम पार्टी तय कर सकती है।   हरियाणा | दैनिक भास्कर