होली में बनारसी ठंडाई बढ़ाती है दोगुनी रंगत:काशी में दुकानों पर उमड़े लोग, हर रोज बाबा विश्वनाथ को लगाया जाता है भोग

होली में बनारसी ठंडाई बढ़ाती है दोगुनी रंगत:काशी में दुकानों पर उमड़े लोग, हर रोज बाबा विश्वनाथ को लगाया जाता है भोग

होली में ठंडाई सिर चढ़कर बोलती है। फिर बात अगर महादेव की नगरी काशी की हो… तो क्या ही कहना। वाराणसी आए और ठंडाई नहीं पी, माने यहां के असल रंग को मिस कर दिया। काशी विश्वनाथ मंदिर से लेकर मणिकर्णिका घाट तक ठंडाई की दुकानें हैं। मसाने की होली के लिए आए नागा साधु हों या फिर लाखों श्रद्धालु, सभी ने बाबा के प्रसाद का स्वाद जरूर लिया। होली पर दैनिक भास्कर की स्पेशल सीरीज जायका में आज बात वाराणसी की स्पेशल ठंडाई की… बनारस में ठंडाई के बिना होली की मस्ती अधूरी है। ठंडाई पीने की परंपरा नाथों के नाथ बाबा विश्वनाथ से जुड़ी है। रंगों के त्योहार होली पर ही नहीं, बल्कि हर दिन काशी विश्वनाथ को ठंडाई का भोग लगाया जाता है। सप्तऋषि आरती से ठीक पहले बाबा को ठंडाई का प्रसाद चढ़ता है। खास बात यह कि ये ठंडाई पिछले 3 पीढ़ियों से एक ही परिवार तैयार करता है। जिसकी खुद की ‘बाबा ठंडाई’ नाम से दुकान भी है। ठंडाई तैयार करने वाले शंकर सरीन ने बताया कि उनका परिवार करीब 70 सालों से बाबा विश्वनाथ के लिए ठंडाई का प्रसाद बना रहा है। उनके पिता अमरनाथ सरीन ने इस परंपरा की शुरुआत की थी। उसके बाद वो अब इस परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं। काशी में कुछ खास दुकानें हैं, जिनकी ठंडाई बहुत फेमस है। वजह- बेहतरीन क्वालिटी है। यहां बाबा विश्वनाथ के दर्शन के बाद श्रद्धालु ठंडाई पीने पहुंचते हैं। दैनिक भास्कर की टीम ऐसी ही कुछ खास दुकानों पर पहुंची। 1- बाबा ठंडाई, गोदौलिया काशी विश्वनाथ के लिए जाने वाले ह्रदय स्थल गोदौलिया पर ठंडाई की एक कतार से कई दुकानें मिल जाएंगी। इन दुकानों पर लोगों की भारी भीड़ होती है। वहीं कुछ दुकानें 24 घंटे खुली रहती हैं। बाबा ठंडाई यहां की फेमस दुकानों में से एक है। इस दुकान पर कई वैराइटी की ठंडाई मिलती है। 2- बादल ठंडाई गोदौलिया चौराहे से सोनारपुरा रोड की तरफ जाते समय कई ठंडाई की दुकानें मिलेंगी। यहां पर स्थित बादल ठंडाई की दुकान अपने स्वाद के लिए जानी जाती है। यहां पर दूध की सामान्य ठंडाई के अलावा मलाई, पिस्ता और बादाम वाली ठंडाई भी मिलेगी। इस दुकान के आसपास भी कई दुकानें हैं, जहां ठंडाई पीने के लिए लोगों जुटते हैं। 3- मिश्राम्बु ठंडाई बनारस में मिश्राम्बु ठंडाई की दुकान काफी ज्यादा फेमस है। यहां पर स्पेशल मलाई मटका ठंडाई की काफी ज्यादा डिमांड रहती है। यह दुकान बादल ठंडाई के पास है। मटका ठंडाई को मटके में बनाया जाता है।मटका ठंडाई में बादाम, मलाई, काजू, केसर और मखाने व इलायची का पेस्ट मिलाया जाता है। जो इसके स्वाद को दोगुना कर देता है। शहर में मिश्राम्बु ठंडाई की कई ब्रांच हैं। इन दुकानों के अलावा बनारस में ठंडाई की फेमस दुकानों में राजू ठंडाई घर, अनंत ठंडाई घर और राजशाही ठंडाई शामिल हैं। 80 साल से ठंडाई बेच रहे नरेंद्र केसरी
गोदौलिया में ठंडाई दुकानदार नरेंद्र केसरी ने बताया- यहां हमारी 80 साल पुरानी दुकान है। बाबा की कृपा से बड़ी संख्या में दूर-दूर से लोग आते हैं। हमारी दुकान में कई दिग्गज नेता और कैबिनेट मंत्री भी ठंडाई का स्वाद ले चुके हैं। हमारी दुकान पर 50 से लेकर 100 रुपए तक ठंडाई उपलब्ध है। सबसे ज्यादा डिमांड बनारसी ठंडाई की होती है। क्योंकि इसमें बाबा का प्रसाद मिलाया जाता है। ठंडाई बनाने का प्रोसेस बहुत कठिन है। इसमें कम से कम 7 घंटे लगते हैं। हमारी दुकान सुबह 10 बजे से रात के 12 बजे तक खुलती है। ठंडियों में ठंडाई की डिमांड कम रहती है, लेकिन शिवरात्रि के पहले से ठंडाई की बिक्री बढ़ जाती है। ————— कस्टमर रिव्यू …………………….. आप ‘जायका यूपी का’ सीरीज की ये 4 कहानियां भी पढ़ सकते हैं… 1.ठग्गू के लड्डू…ऐसा कोई सगा नहीं, जिसको हमने ठगा नहीं: 55 साल पुराना कनपुरिया जायका; स्वाद ऐसा कि पीएम मोदी भी मुरीद, सालाना टर्नओवर 5 करोड़ रुपए गंगा नदी के किनारे बसा कानपुर, स्वाद की दुनिया में भी खास पहचान रखता है। यहां का एक जायका 55 साल पुराना है। इसकी क्वालिटी और स्वाद आज भी वैसे ही बरकरार है। यूं तो आपने देश के कई शहरों में लड्डुओं का स्वाद चखा होगा। लेकिन गाय के शुद्ध खोए, सूजी और गोंद में तैयार होने वाले ठग्गू के लजीज लड्डुओं का स्वाद आप शायद ही भूल पाएंगे। पीएम मोदी जब कानपुर मेट्रो का उद्घाटन करने आए थे, तब उन्होंने मंच से इस लड्डू की तारीफ की थी। पढ़िए पूरी खबर… 2. बाजपेयी कचौड़ी…अटल बिहारी से राजनाथ तक स्वाद के दीवाने: खाने के लिए 20 मिनट तक लाइन में लगना पड़ता है, रोजाना 1000 प्लेट से ज्यादा की सेल बात उस कचौड़ी की, जिसकी तारीफ यूपी विधानसभा में होती है। अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर राजनाथ सिंह और अखिलेश यादव भी इसके स्वाद के मुरीद रह चुके हैं। दुकान छोटी है, पर स्वाद ऐसा कि इसे खाने के लिए लोग 15 मिनट तक खुशी-खुशी लाइन में लगे रहते हैं। जी हां…सही पहचाना आपने। हम बात कर रहे हैं लखनऊ की बाजपेयी कचौड़ी की। पढ़िए पूरी खबर… 3. ओस की बूंदों से बनने वाली मिठाई: रात 2:30 बजे मक्खन-दूध को मथकर तैयार होती है, अटल से लेकर कल्याण तक आते थे खाने नवाबी ठाठ वाले लखनऊ ने बदलाव के कई दौर देखे हैं, पर 200 साल से भी पुराना एक स्वाद है जो आज भी बरकरार है। लखनऊ की रियासत के आखिरी नवाब वाजिद अली शाह भी इसके मुरीद थे। अवध क्षेत्र का तख्त कहे जाने वाले लखनऊ के चौक पर आज भी 50 से ज्यादा दुकानें मौजूद हैं, जहां बनती है रूई से भी हल्की मिठाई। दिल्ली वाले इसे ‘दौलत की चाट’ कहते हैं। ठेठ बनारसिया इसे ‘मलइयो’ नाम से पुकारते हैं। आगरा में ‘16 मजे’ और लखनऊ में आकर ये ‘मक्खन-मलाई’ बन जाती है। पढ़िए पूरी खबर… 4. रत्तीलाल के खस्ते के दीवाने अमेरिका में भी: 1937 में 1 रुपए में बिकते थे 64 खस्ते, 4 पीस खाने पर भी हाजमा खराब नहीं होता मसालेदार लाल आलू और मटर के साथ गरमा-गरम खस्ता, साथ में नींबू, लच्छेदार प्याज और हरी मिर्च। महक ऐसी कि मुंह में पानी आ जाए। ये जायका है 85 साल पुराने लखनऊ के रत्तीलाल खस्ते का। 1937 में एक डलिये से बिकना शुरू हुए इन खस्तों का स्वाद आज ऑस्ट्रेलिया,अमेरिका और यूरोप तक पहुंच चुका है। पढ़िए पूरी खबर… होली में ठंडाई सिर चढ़कर बोलती है। फिर बात अगर महादेव की नगरी काशी की हो… तो क्या ही कहना। वाराणसी आए और ठंडाई नहीं पी, माने यहां के असल रंग को मिस कर दिया। काशी विश्वनाथ मंदिर से लेकर मणिकर्णिका घाट तक ठंडाई की दुकानें हैं। मसाने की होली के लिए आए नागा साधु हों या फिर लाखों श्रद्धालु, सभी ने बाबा के प्रसाद का स्वाद जरूर लिया। होली पर दैनिक भास्कर की स्पेशल सीरीज जायका में आज बात वाराणसी की स्पेशल ठंडाई की… बनारस में ठंडाई के बिना होली की मस्ती अधूरी है। ठंडाई पीने की परंपरा नाथों के नाथ बाबा विश्वनाथ से जुड़ी है। रंगों के त्योहार होली पर ही नहीं, बल्कि हर दिन काशी विश्वनाथ को ठंडाई का भोग लगाया जाता है। सप्तऋषि आरती से ठीक पहले बाबा को ठंडाई का प्रसाद चढ़ता है। खास बात यह कि ये ठंडाई पिछले 3 पीढ़ियों से एक ही परिवार तैयार करता है। जिसकी खुद की ‘बाबा ठंडाई’ नाम से दुकान भी है। ठंडाई तैयार करने वाले शंकर सरीन ने बताया कि उनका परिवार करीब 70 सालों से बाबा विश्वनाथ के लिए ठंडाई का प्रसाद बना रहा है। उनके पिता अमरनाथ सरीन ने इस परंपरा की शुरुआत की थी। उसके बाद वो अब इस परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं। काशी में कुछ खास दुकानें हैं, जिनकी ठंडाई बहुत फेमस है। वजह- बेहतरीन क्वालिटी है। यहां बाबा विश्वनाथ के दर्शन के बाद श्रद्धालु ठंडाई पीने पहुंचते हैं। दैनिक भास्कर की टीम ऐसी ही कुछ खास दुकानों पर पहुंची। 1- बाबा ठंडाई, गोदौलिया काशी विश्वनाथ के लिए जाने वाले ह्रदय स्थल गोदौलिया पर ठंडाई की एक कतार से कई दुकानें मिल जाएंगी। इन दुकानों पर लोगों की भारी भीड़ होती है। वहीं कुछ दुकानें 24 घंटे खुली रहती हैं। बाबा ठंडाई यहां की फेमस दुकानों में से एक है। इस दुकान पर कई वैराइटी की ठंडाई मिलती है। 2- बादल ठंडाई गोदौलिया चौराहे से सोनारपुरा रोड की तरफ जाते समय कई ठंडाई की दुकानें मिलेंगी। यहां पर स्थित बादल ठंडाई की दुकान अपने स्वाद के लिए जानी जाती है। यहां पर दूध की सामान्य ठंडाई के अलावा मलाई, पिस्ता और बादाम वाली ठंडाई भी मिलेगी। इस दुकान के आसपास भी कई दुकानें हैं, जहां ठंडाई पीने के लिए लोगों जुटते हैं। 3- मिश्राम्बु ठंडाई बनारस में मिश्राम्बु ठंडाई की दुकान काफी ज्यादा फेमस है। यहां पर स्पेशल मलाई मटका ठंडाई की काफी ज्यादा डिमांड रहती है। यह दुकान बादल ठंडाई के पास है। मटका ठंडाई को मटके में बनाया जाता है।मटका ठंडाई में बादाम, मलाई, काजू, केसर और मखाने व इलायची का पेस्ट मिलाया जाता है। जो इसके स्वाद को दोगुना कर देता है। शहर में मिश्राम्बु ठंडाई की कई ब्रांच हैं। इन दुकानों के अलावा बनारस में ठंडाई की फेमस दुकानों में राजू ठंडाई घर, अनंत ठंडाई घर और राजशाही ठंडाई शामिल हैं। 80 साल से ठंडाई बेच रहे नरेंद्र केसरी
गोदौलिया में ठंडाई दुकानदार नरेंद्र केसरी ने बताया- यहां हमारी 80 साल पुरानी दुकान है। बाबा की कृपा से बड़ी संख्या में दूर-दूर से लोग आते हैं। हमारी दुकान में कई दिग्गज नेता और कैबिनेट मंत्री भी ठंडाई का स्वाद ले चुके हैं। हमारी दुकान पर 50 से लेकर 100 रुपए तक ठंडाई उपलब्ध है। सबसे ज्यादा डिमांड बनारसी ठंडाई की होती है। क्योंकि इसमें बाबा का प्रसाद मिलाया जाता है। ठंडाई बनाने का प्रोसेस बहुत कठिन है। इसमें कम से कम 7 घंटे लगते हैं। हमारी दुकान सुबह 10 बजे से रात के 12 बजे तक खुलती है। ठंडियों में ठंडाई की डिमांड कम रहती है, लेकिन शिवरात्रि के पहले से ठंडाई की बिक्री बढ़ जाती है। ————— कस्टमर रिव्यू …………………….. आप ‘जायका यूपी का’ सीरीज की ये 4 कहानियां भी पढ़ सकते हैं… 1.ठग्गू के लड्डू…ऐसा कोई सगा नहीं, जिसको हमने ठगा नहीं: 55 साल पुराना कनपुरिया जायका; स्वाद ऐसा कि पीएम मोदी भी मुरीद, सालाना टर्नओवर 5 करोड़ रुपए गंगा नदी के किनारे बसा कानपुर, स्वाद की दुनिया में भी खास पहचान रखता है। यहां का एक जायका 55 साल पुराना है। इसकी क्वालिटी और स्वाद आज भी वैसे ही बरकरार है। यूं तो आपने देश के कई शहरों में लड्डुओं का स्वाद चखा होगा। लेकिन गाय के शुद्ध खोए, सूजी और गोंद में तैयार होने वाले ठग्गू के लजीज लड्डुओं का स्वाद आप शायद ही भूल पाएंगे। पीएम मोदी जब कानपुर मेट्रो का उद्घाटन करने आए थे, तब उन्होंने मंच से इस लड्डू की तारीफ की थी। पढ़िए पूरी खबर… 2. बाजपेयी कचौड़ी…अटल बिहारी से राजनाथ तक स्वाद के दीवाने: खाने के लिए 20 मिनट तक लाइन में लगना पड़ता है, रोजाना 1000 प्लेट से ज्यादा की सेल बात उस कचौड़ी की, जिसकी तारीफ यूपी विधानसभा में होती है। अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर राजनाथ सिंह और अखिलेश यादव भी इसके स्वाद के मुरीद रह चुके हैं। दुकान छोटी है, पर स्वाद ऐसा कि इसे खाने के लिए लोग 15 मिनट तक खुशी-खुशी लाइन में लगे रहते हैं। जी हां…सही पहचाना आपने। हम बात कर रहे हैं लखनऊ की बाजपेयी कचौड़ी की। पढ़िए पूरी खबर… 3. ओस की बूंदों से बनने वाली मिठाई: रात 2:30 बजे मक्खन-दूध को मथकर तैयार होती है, अटल से लेकर कल्याण तक आते थे खाने नवाबी ठाठ वाले लखनऊ ने बदलाव के कई दौर देखे हैं, पर 200 साल से भी पुराना एक स्वाद है जो आज भी बरकरार है। लखनऊ की रियासत के आखिरी नवाब वाजिद अली शाह भी इसके मुरीद थे। अवध क्षेत्र का तख्त कहे जाने वाले लखनऊ के चौक पर आज भी 50 से ज्यादा दुकानें मौजूद हैं, जहां बनती है रूई से भी हल्की मिठाई। दिल्ली वाले इसे ‘दौलत की चाट’ कहते हैं। ठेठ बनारसिया इसे ‘मलइयो’ नाम से पुकारते हैं। आगरा में ‘16 मजे’ और लखनऊ में आकर ये ‘मक्खन-मलाई’ बन जाती है। पढ़िए पूरी खबर… 4. रत्तीलाल के खस्ते के दीवाने अमेरिका में भी: 1937 में 1 रुपए में बिकते थे 64 खस्ते, 4 पीस खाने पर भी हाजमा खराब नहीं होता मसालेदार लाल आलू और मटर के साथ गरमा-गरम खस्ता, साथ में नींबू, लच्छेदार प्याज और हरी मिर्च। महक ऐसी कि मुंह में पानी आ जाए। ये जायका है 85 साल पुराने लखनऊ के रत्तीलाल खस्ते का। 1937 में एक डलिये से बिकना शुरू हुए इन खस्तों का स्वाद आज ऑस्ट्रेलिया,अमेरिका और यूरोप तक पहुंच चुका है। पढ़िए पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर